Earthing क्या है और कितने प्रकार के होते हैं | What is earthing and how many types are there in Hindi

 अर्थिंग क्या है

 प्रत्येक भवन में वैद्युतिक वायरिंग की स्थापना के अन्तर्गत एक ‘ अर्थ ‘ भी अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाता है । ‘ अर्थ ‘ की स्थापना मनुष्य के जीवन , भवन एवं मशीनों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी विद्युत चालित मशीनों , उपकरणों , स्टार्टर्स , मेन – स्विचेज आदि के धात्विक आवरणों को ‘ अर्थ ‘ किया जाता है । 

अर्थिंग की परिभाषा

इस प्रकार , ‘ अर्थ ‘ वह साधन है जो विद्युत चालित मशीन / उपकरण आदि में फेज तार के उसके धात्विक आवरण से स्पर्श कर जाने की स्थिति में मनुष्य को विद्युत झटके से बचाता है । ‘ अर्थ ‘ संयोजन का प्रतिरोध बहुत कम होता है और इसीलिए ‘ लीकेज धारा ‘ पृथ्वी में चली जाती है । 

Earthing के कितने प्रकार  होते हैं

‘ भू – संयोजन ‘ की मुख्यतः दो विधियाँ प्रचलित हैं । जिनका वर्णन निम्नवत् है

प्लेट भू – संयोजन (Plate Earthing) क्या है

भू – संयोजन की यह विधि नमी वाले स्थानों के लिए अधिक उपयुक्त है । इसमें , लगभग 90 सेमी x 90 सेमी आकार का गड्ढा भूतल से 1.5 से 3 मीटर गहराई तक ( नमी प्राप्त होने तक ) खोदा जाता है । इस गड्ढे में भू – संयोजन प्लेट को ऊर्ध्व स्थिति में स्थापित कर उसे भू – संयोजन तार से नट – बोल्ट के द्वारा जोड़ दिया जाता है । भू – संयोजन प्लेट के चारों ओर नमक एवं चारकोल की एकान्तर पते 15 सेमी मोटाई तक लगायी जाती हैं । गड्ढे में जल डालने के लिए एक पाइप लगाकर उसे मिट्टी से भर दिया जाता है । गड्ढे के ऊपरी सिरे पर जल – पाइप को एक फनल से जोड़ दिया जाता हैं और उसके चारों ओर लगभग 30 सेमी x 30 सेमी सीमेन्ट बॉक्स बनाकर , कास्ट – आयरन के ढक्कन से ढक दिया जाता है और ‘ अर्थ ‘ उपयोग के लिए तैयार हो जाता है , 

आवश्यक सामग्री Essential Material 

प्लेट भू – संयोजन में निम्न सामग्री प्रयोग की जाती है 

भू – संयोजन प्लेट Earthing Plate 

आकार -60 सेमी x60 सेमी मोटाई ताँबे की प्लेट के लिए 3.15 मिमी तथा जी . आई . प्लेट के लिए 6.30 मिमी । 

भू – संयोजन तार Earthing Wire 

SSWG जी.आई. तार । 

भू – संयोजन जी . आई . पाइप Earthing GI Pipe 

127 मिमी व्यास । भू – संयोजन तार , इसी पाइप में स्थापित किया जाता है । 

जी.आई. पाइप GI Pipe 

19.5 मिमी व्यास ( 1.2 मौ लम्बा ) इसका उपयोग ‘ अर्थ ‘ में नमी बनाये रखने हेतु जल डालने के लिए किया जाता है । 

फनल Funnel 

तार की जाली से बने फिल्टर सहित । स्थापना के समय फनल का ऊपरी सिरा , भूतल से 5 से 10 सेमी उभरा हुआ रखना चाहिए । 

कास्ट आयरन ढक्कन Cast Iron Cover 

30 सेमी x30 सेमी । 

नमक व चारकोल Salt and Charcoal 

डलेदार नमक एवं चारकोल ( कच्चा कोयला ) चूर्ण । 

नट – बोल्ट Nut – Bolt 

50 मिमी x30 सेमी , ताँबे की प्लेट के साथ ताँबे के तथा जी.आई. प्लेट के साथ जी . के प्रयोग करने चाहिए । 

Pipe Earthing क्या है

भू – संयोजन की यह विधि सभी प्रकार के स्थानों पर प्रयोग की जा सकती है । इसमें लगभग 30 सेमी X 30 सेमी आकार का गडढा , भूतल से 2.5 से 4.0 मीटर गहराई तक खोदा जाता है । इसे गड्ढे में भू – संयोजन तार लपेटकार जी.आई. वाशर तथा सॉकेट से कस दिया जाता हैं । भू – संयोजन पाइप के चारों ओर 15 सेमी ० चौड़ाई में नमक के डले तथा चारकोल चूर्ण की पर्ते जमा दी जाती हैं । गड्ढे में जल डालने के लिए पाइप तथा फनल लगाकर गड्ढे की मिट्टी से भर दिया जाता है और फनल के चारों ओर लगभग 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार का सीमेन्ट – कंक्रीट बॉक्स बनाकर , कास्ट – आयरन के ढक्कन से ढक दिया जाता है और ‘ अर्थ ‘ उपयोग के लिए तैयार हो जाता है , 

आवश्यक सामग्री Essential Material 

पाइप भू – संयोजन में निम्न सामग्री प्रयोग की जाती है 

जी.आई. पाइप GI Pipe 

38 मिमी व्यास ,2.5 मौ लम्बा जिसमें 12 मिमी व्यास के अनेक छिद्र बनाये हुए हो 

भू – संयोजन तार Earthing Wire 

8SWG जी.आई. तारा 

भू – संयोजन जी.आई.पाइप Earthing GI Pipe 

127 मिमी व्यास । भू – संयोजन तार , इसी पाइप में स्थापित किया जाता है । 

जी.आई.पाइप GI.Pipe 

19.5 मिमी व्यास 95 सेमी लम्बा । इसका उपयोग ‘ अर्थ ‘ में नमी बनाये रखने हेतु जल डालने के लिए किया जाता है । 

फनल Funnel 

तार की जाली से बने फिल्टर सहित । स्थापना के समय ‘ फनल का ऊपरी सिरा , भूतल से 5 से 10 सेमी भरा हुआ रखना चाहिए । 

कास्ट आयरन ढक्कन Cast Iron Cover 

30 सेमी x30 सेमी । 

नमक व चारकोल Salt and Charcoal 

डलेदार नमक तथा चारकोल पूर्ण । 

जी.आई. वाशर तथा सॉकेट GI Washer and Socket 

12.7 मिमी आन्तरिक व्यास । 

भू – संयोजन सम्बन्धी भारतीय विद्युत नियम IEE Rules Related to Earthing 

नियम 33 ( Rule 33 ) प्रत्येक विद्युत उपभोक्ता को अपने भवन में , विद्युत वायरिंग के प्रारम्भिक बिन्दु के निकट , एक ‘ अर्थ ‘ स्थापित करना होगा । यह ‘ अर्थ ‘ , सप्लाई लाइन के ‘ अर्थ ‘ में तार से संयोजित किया जाना आवश्यक है । 

नियम 61 ( Rule 61 ) 125V से अधिक की वैद्युतिक स्थापना पर निम्न नियम लागू होंगे 

( i ) जैनरेटिंग तथा डिस्ट्रीब्यूटिंग स्टेशन्स पर , प्रत्येक पर कम – से – कम दो ‘ अर्थ ‘ स्थापित किये जाने चाहिए । 

( ii ) सभी जनित्र , मोटर , ट्रांसफार्मर आदि , स्थायी अथवा सचल प्रकार के उपकरणों को कम – से – कम दो पृथक् स्थानों पर ‘ अर्थ ‘ किया जाना चाहिए । 

( iii ) सभी धात्विक केसिंग , कवरिंग , जंक्शन बॉक्स आदि आवश्यक रूप से ‘ अर्थ ‘ किये जाने चाहिए । 

( iv ) नई वैद्युतिक स्थापना को सप्लाई लाइन से जोड़ने से पूर्व , ‘ अर्थ ‘ का वैद्युतिक प्रतिरोध परीक्षण किया जाना चाहिए । 

( v ) प्रत्येक दो वर्ष में कम – से – कम एक बार खुश्क मौसम में ‘ अर्थ ‘ का वैद्युतिक प्रतिरोध परीक्षण किया जाना चाहिए । 

( vi ) प्रत्येक वायरिंग में ‘ भू – संयोजन ‘ के लिए प्रयुक्त चालक तार का कुल प्रतिरोध 1 ओह्म से अधिक नहीं होना चाहिए । 

( vii ) ‘ अर्थ ‘ इलैक्ट्रोड का प्रतिरोध सामान्य भूमि में 3 ओहह्म तथा चट्टानी भूमि में 8 ओह्म से अधिक नहीं होना चाहिए । 

( viii ) लैंड – शीथ्ड केबिल के धात्विक आवरण को आवश्यक रूप से ‘ अर्थ ‘ से संयोजित कर देना चाहिए । 

नियम 99 ( Rule 99 ) 

( i ) ओवरहैड लाइन का प्रत्येक धात्विक पोल , सहायक अथवा संयुक्त पोल को आवश्यक रूप से ‘ अर्थ ‘ किया जाना चाहिए । 

( ii ) यदि स्टे – तार में भूतल से 3.05 मी ऊँचाई पर इन्सुलेटर न लगाया गया हो तो स्टे – तार को भी आवश्यक रूप से ‘ अर्थ ‘ किया जाना चाहिए । 

भू – संयोजन प्रतिरोध को घटाना To Reduce Earth’s Resistance 

भू – संयोजन का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन की सुरक्षा है । यदि वायरिंग में दोष पैदा होने की स्थिति में उसकी सुरक्षा युक्तियाँ , सर्किट ब्रेकर , फ्यूज ; प्रचालित नहीं होगी तो मानव जीवन की सुरक्षा नहीं हो पायेगी । अतः सुरक्षा युक्तियों का प्रचालन सुनिश्चित करने के लिए भू – संयोजन का प्रतिरोध मान न्यूनतम होना चाहिए । इस उद्देश्य की पूर्ति के निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए । ( IS 30943-1966 ) 

1 , भू – संयोजन प्लेट / छड़ के चारों ओर पर्याप्त मात्रा में लकड़ी का कोयला एवं नमक के डले डाले जाने चाहिए । 

2. समय – समय पर ‘ अर्थ ‘ के गड्ढे में पानी डालते रहना चाहिए जिससे कि भू – संयोजन प्लेट / छड़ के चारों ओर की भूमि में नमी बनी रहे ।

 3. विद्युत उत्पादन केन्द्रों एवं सख – स्टेशन्स पर , जहाँ भू – संयोजन प्रतिरोध का मान न्यूनतम रखना आवश्यक होता है . वहाँ एक में ऑपर अर्थ – इलैक्ट्रोड्स से समानान्तर क्रम में सयोजित किए जाते हैं । दो अर्थ के बीच कम – से – कम 5 मीटर की दूरी रखी जानी चाहिए 

4. भू – संयोजन तार को करने के लिए अलौह धातु ( पीतल ) के नट – बोल्ट , क्लैम्प आदि प्रयोग करने से भी धू – संयोजन प्रतिरोध का हर ए जाता है । अर्थ संयोजकों की सोल्डरिंग भी की जा सकती है । 

5. भू – संयोजन इलैक्ट्रोड , पाइप , तार , नट – बोल्ट आदि को जंग ( rust ) से बचाकर रखने से भी भू – संयोजन प्रतिरोध का मान कम रहता है । 

भू – संयोजन क्षरण परिपथ वियोजक Earth Leakage Circuit Breaker.ELCB 

MCR के द्वारा किसरी उपकरण अथवा लाइन की ओवरलोड धारा से सुरक्षा की जा सकती है परन्तु , अर्थ में धारा तोकेर अथवा अन्य दोष से नहीं । पात्विक खोलयुक्त वैद्युतिक उपकरणों , यन्त्रों , मशीनों आदि में यदि सजीव चालक ( live conductor ) आशिका की बालिका खोल को स्पर्श करने लगे तो लीकेज धारा के कारण आपरेटर को गम्भीर विद्युत झटका ( electric shock ) लग सकता है । ऐसी स्थिति प्रदान करने वाली युक्ति ELCB कहलाती है । यह युक्ति ‘ रिले की भाँत धारा अथवा वोल्टेज चालित प्रकार की होती है और केवल एम्पियर लीकेज धारा पर ही प्रचालित हो सकती है । उपकरण में ‘ अर्थ ‘ दोष अथवा ‘ लोकेज उपस्थित होने पर , ERCB लाइन को जांच कर उपकरण को विद्युत मोत से पृथक्कृत कर देती है । 

टिप्पणी भू – संयोजन के सम्बन्ध में LS.3043-1966 में दिये गए निर्देशों का अनुपालन करना चाहिए । 

तड़ित – चालक  में अर्थिंग क्यों की जाती है

ऊँचे भवनों , मीनारों , चिमनियों तथा खम्बों पर त्रिशूल के आकार का एक चालक स्थापित किया जाता है जो हडिल – चालक कहलाता कि चालक , आकाशीय विद्युत को अपने अन्दर एकत्र कर उसे ‘ अर्थ ‘ संयोजन के द्वारा पृथ्वी में प्रवाहित कर देता है । तड़ित – चालक को मोटी चला पत्तो / तार द्वारा ‘ अर्थ ‘ से संयोजित करना आवश्यक होता हैं । इस प्रकार यह चालक , आकाशीय विद्युत से भवनों , मीनारों , चिमनियों या का ( विद्युत वितरण प्रणाली में प्रयुक्त खम्बो ) की सुरक्षा प्रदान करता है ।

टिप्पणी अधिक विद्युत धारा वाले परिपथों के लिए भू – संयोजन प्लेट का आकार 90 सेमी x90 सेमी रखा जाता हैं

FAQ

1. भू – संयोजन ( earthing ) क्या है ? 

उत्तर पृथ्वी , एक बड़ा चालक है और इसका विश्व शून्य माना जाता है । यदि कोई विभव युक्त चालक , पृथ्वी से जोड़ दिया जाता है तो इसका विभव भी शून्य हो जाता है । 

2. भू – संयोजन कैसे तैयार की जाती है ? 

उत्तर इसके लिए 25 मी की गहराई पर अथवा नमी प्राप्त होने तक गहराई पर टाँके या लोहे की प्लेट गाड़ दी जाती है और उसे तांबे अथवा जी.आई. तार से जोड़कर ‘ अर्थिंग प्वॉइण्ट तैयार किया जाता है । 

3. पृथ्वी का प्रतिरोध कितना होता है ? 

उत्तर नम भूमि के प्रतिरोध का मान 3000 ओह्म – सेमी होता है । शुष्क भूमि का प्रतिरोध अधिक होता है 

 4. ‘ अर्थ ‘ में नमक , कोयला तथा जल आदि क्यों डाला जाता है ? 

उत्तर अर्थिग प्लेट के आस – पास की भूमि की नमी बनाए रखने के लिए नमक , कोयला एवं जल का प्रयोग होता है ।

5. भू – संयोजन लीड ( earthing lead ) क्या होती है ? 

उत्तर जिस तार के द्वारा किसी मशीन आदि को ‘ अर्थ ‘ से जोड़ा जाता है उसे अर्थिंग लीड कहते हैं ।

हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा!Earthing क्या है और कितने प्रकार के होते हैं  हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।

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