कैपेसिटर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं

 संधारित्र (Capacitor) क्या है

किसी अचालक पदार्थ से पृथक् की गई दो चालक प्लेटों से निर्मित ऐसी युक्ति , जो वैद्युतिक आवेश एकत्रित कर सके , कैपेसिटर या कन्डेन्सर कहलाती है 

कैपेसिटर कैसे काम करता है

यदि कैपेसिटर को डी . सी . स्रोत से संयोजित कर दिया जाए , तो उसके परिपथ में क्षणिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है , जिसके कारण वह आवेशित हो जाता है । चित्र  में दर्शाए गए परिपथ में स्विच को ‘ ऑन ‘ करने पर डॉ . सी . स्रोत के ऋण सिरे से कुछ इलैक्ट्रॉन्स खिसक कर संधारित्र की प्लेट A पर पहुंचते हैं और उसे ऋणावेशित कर देते हैं । इसके साथ ही . तुल्य संख्या में इलैक्ट्रॉन्स , कैपेसिटर की प्लेट B से खिसक कर डी . सी . स्त्रोत के घन सिरे पर पहुँच जाते हैं और प्लेट B धनावेशित हो  जाती है । इस प्रकार कैपेसिटर , डी . सी . स्त्रोत की वोल्टता के अनुसार आवेशित हो जाता है । अब यदि स्वित्व को ‘ ऑफ ‘ कर दिया जाए , तो भी कैपेसिटर कुछ समय तक आवेशित रहता है । कैपेसिटर के परिपथ में इलेक्ट्रॉन्स के खिसकने ( electrous drift ) के फलस्वरूप प्रवाहित होने वाली क्षणिक विद्युत धारा को विस्थापन विद्युत् धारा ( displacement current ) कहते है । 

कैपेसिटर कितने प्रकार के होते हैं

कैपेसिटर को उनके कार्य के आधार पर तथा उनमें प्रयोग किए गए अचालक पदार्थ के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है । 

कार्य के आधार पर According to Work 

कार्य के आधार पर कैपेसिटर निम्न तीन प्रकार के होते हैं 

A. नियत मान संधारित्र Fixed Capacitor 

इनका धारिता मान नियत रहता है ; जैसे – पेपर , माइका , सेरामिक , इलैक्ट्रोलाइटिक , ऑयल डाइलैक्ट्रिक संधारित्र आदि । इनका उपयोग वैद्युतिक एवं इलैक्ट्रॉनिक यन्त्रों / उपकरणों में किया जाता है । 

B. समायोजनीय मान संधारित्र Adjustable Capacitor 

इनका धारिता मान छोटे पेंचकस द्वारा समायोजित किया जा सकता है ; जैसे — ट्रिमर , पैडर आदि । इनका उपयोग रिसीवर्स तथा ट्रांसमीटर्स में किया जाता है । 

C. परिवर्तनीय मान संधारित्र Variable Capacitor 

इनका धारिता मान पूर्व निर्धारित उच्च – सीमा एवं निम्न – सीमा के बीच एक शाफ्ट को घुमाकर परिवर्तित किया जा सकता है ; जैसे — गैंग कैपेसिटर । इनका उपयोग भी रिसीवर्स तथा ट्रांसमीटर्स में किया जाता है ।

अचालक के आधार पर According to Dielecuric Used 

कैपेसिटर के निर्माण में प्रयोग किए अचालक पदार्थ पर कैपेसिटर निम्न प्रकार के होते हैं 

A. पेपर संधारित्र Paper Capacitor 

इनमें मोमी – कागज ( vax – paper ) को अचालक के रूप में प्रयोग किया जाता है । इनका धारिता मान प्राय : 2.5μF तक होता है और ये 20000 तक डी.सी. बोल्टता पर कार्य कर सकते है ।

B. माइका संधारित्र Mica Capacitor 

इसमें अभ्रक की पतली शीट को अचालक के रूप में प्रयोग किया जाता है । इनका कैपेसिटेंस मान प्राय : 0.1μF तक होता है और ये 2500V तक डॉ . सी . वोल्टता पर कार्य कर सकते है । 

C.  सेरामिक संधारित्र Ceramic Capacitor 

इनमें सेरामिक पदार्थ ( टिटेनियम , बेरियम , मैगनीशियम , स्ट्रॉन्शियम के यौगिक ) को अचालक पर्त के रूप में प्रयोग किया जाता है । इनका धारिता मान 0.2μF तक होता है और ये 1500 V तक डी.सी. वोल्टता पर कार्य कर सकते हैं । 

D. इलैक्ट्रोलाइटिक संधारित्र Elecuolytic Capacitor 

इनमें अमोनियम – बोरेट , एल्युमीनियम – बोरेट , सोडियम – फॉस्फेट नामक पदार्थों का घोल या लुगदी प्रयोग की जाती है , जो एल्युमीनियम की धनात्मक प्लेटो पर विद्युत – रासायनिक क्रिया से एक पर्त जमा देती है , जो कैपेसिटर के लिए अचालक का कार्य करती है । इनका धारिता मान 2000μF तक होता है और ये 450 V डी . सी . वोल्टता पर कार्य कर सकते हैं । 

E. ऑयल डाइलैक्ट्रिक संधारित्र Oil Dielectric Capacitor 

इनमें खनिज तेल ( mineral oil ) को अचालक के रूप में प्रयोग किया जाता है । इनका धारिता मान प्राय : 1μF तक होता है और ये 25,000V तक डी . सी . वोल्टता पर कार्य कर सकते हैं । 

 उपयोग 

इनका उपयोग मोटर्स , फ्लोरोसैन्ट ट्यूब , सोडियम लैम्प आदि में किया जाता है । इन कार्यों में प्राय : पेपर तथा इलैक्ट्रोलाइटिक कैपेसिटर प्रयोग किए जाते है ।

धारिता Capacitance 

किसी अचालक पदार्थ से पृथक् की गई दो चालक प्लेटों के बीच वैद्युतिक आवेश एकत्र करने की क्षमता होती है , जिसे धारिता कहते हैं और यह युक्ति संधारित्र या कन्डेन्सर कहलाती है । दूसरे शब्दों में ए.सी. परिपथों का वह गुण , जिसके कारण वह वोल्टता मान में होने वाले परिवर्तनों का विरोध करता है , संधारकत्व या धारिता कहलाता है । धारिता का प्रतीक C तथा मात्रक फैरड ( F ) होता है ।

 किसी समानान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता निम्न कारकों पर निर्भर करती है 

( i ) प्लेट का क्षेत्रफल , C ∝A 

( ii ) प्लेटों के बीच की दूरी ( या अचालक की मोटाई ) , C∝1/t

( iii ) प्लेटों की संख्या , C ∝ ( N – 1 ) 

( iv ) अचालक नियतांक ( dielectric constant ) , C ∝ K 

इस प्रकार , समानान्तर प्लेट संधारित्र के धारिता की गणना निम्न सूत्र से की जा सकती है 

C  = 8.85  K^A( N – 1 )/ tx10⁸

 यहाँ , C = धारिता , माइक्रो फैरड में ,

 A = एक प्लेट का क्षेत्रफल , वर्ग सेमी में ,

 1 = अचालक की मोटाई , सेमी में ,

 K = अचालक नियतांक तथा 

N = प्लेटों की संख्या । 

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