सिंगल फेज मोटर क्या होता है और कितने प्रकार के होते हैं?

सिंगल फेज मोटर क्या होता है

इंडक्शन मोटर में घूमने वाली चुंबक क्षेत्र पैदा करने की लिए कम से कम 2 फेस वाली सप्लाई आवश्यक है उक्त संभव वाली चुंबक की जीत के कारण मोटर स्वय चालू होती है सिंगल फेस मोटर की संरचना  3 फेज इंडक्शन मोटर के समान होती है इस समय 3 फेज वाइंडिंग के स्थान पर सिंगल फेस वाइंडिंग स्थापित की जाती है जब मोटर को विद्युत स्रौत से संयोजित  किया जाता है तो स्टार्टर में घूमने वाली चुंबकीय क्षेत्र पैदा नहीं होता परंतु वह अल्टरनेटर स्वयं भाव वाला होता है यह फ्लक्स कोई परिणाम टॉर्क पैदा नहीं कर पाता और मोटर स्वय चालू नहीं हो पाती। हां यदि स्रौत सयोजित करने के पश्चात मोटर के रोटर को किसी यात्रिक विधि द्वारा किसी एक दिशा में घुमाया दिया जाए तो रोटर उसी दिशा में  घूर्णन गति करने लगेगा।

इसी प्रकार सिंगल फेस मोटर मूलतः सेल्फ स्टार्टर मोटर नहीं होती उसे सेल्फ स्टार्ट मोटर बनाने के लिए एक फेस को बांट कर दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है फेस को विभक्त करने की विधि के आधार पर सिंगल फेस मोटर में प्रकार की होती है

सिंगल फेज इंडक्शन मोटर कितने प्रकार के होते हैं?


स्प्लिट-फेज सिंगल इण्डक्शन मोटर क्या है

इस प्रकार का मोटर का रोटर, स्क्विरल केज प्रकार का होता है। स्टेटर पर दो वाइंडिंग स्थापित की जाती हैं जिन्हें क्रमश: रनिंग वाइंडिंग तथा स्टार्टिंग वाइंडिंग (running winding and starting winding कहते हैं। रनिग वाइंडिंग को मेन वाइंडिंग (main winding भी कहते हैं। ये दोनों वाइंडिंग, एक-दूसरे से 90 वैद्युतिक अंश पर स्थापित की जाती हैं। रनिंग वाइंडिंग को मोटे तार से बनाया जाता है और उस खाँचो में अधिक गहराई पर स्थापित किया जाता है जिससे कि इसका प्रतिरोध निम्न तथा इण्डक्टेन्स उच्च रहे; इसे सीधे ही एकल-फज ए.सी. स्रौत से संयोजित किया जाता है। स्टार्टिंग वाइंडिंग को पतले तार से बनाया जाता है और इसे खाँचों में कम गहराई पर स्थापित किया जाता है जिससे कि इसका प्रतिरोध उच्च तथा इंडक्टेंस निम्न रहे जिसके शरीर में सेंट्रीफ्यूगल स्विच संयोजित कर उसे 90 विद्युतीय अशं के अंतर पर स्थापित कर ऐसी स्रोत से संयोजित किया जाए

सिंगल फेज इंडक्शन मोटर

कार्यप्रणाली working system

रनिंग वाइंडिंग का इंडक्टेंस उच्च होने के कारण उसमें से प्रभावित होने वाली विद्युत धारा आरोपित वोल्टेज से लगभग 40 से 50 अंश पिछडी जाती है जबकि स्टार्टिंग वाइंडिंग का इंडक्टेंस निम्न होने के कारण विद्युत धारा आरोपित वोल्टेज के लगभग इन फेस रहती है इसी प्रकार सिंगल फेज एसी स्रौत से 2 फेस का प्रभाव उत्पन्न कर घूमने वाला चुंबकीय क्षेत्र पैदा किया जाता है और मोटर स्वयं चालू हो जाती है स्टेटर वोल्टेज रनिंग कथा स्टैटिक वाइंडिंग में प्रभावित होने वाली विद्युत धारा का वेक्टर आरेख चित्र दर्शाया गया है मोटर द्वारा पर्याप्त घूर्णन गति प्राप्त कर लेने पर सेंट्रीफ्यूगल स्विच ऑफ हो जाता है और मोटर केवल रनिग वाइंडिंग पर ही कार्य करती रहती है।

विशेषताएं characteristics

स्प्लिट-फेज इण्डक्शन मोटर का टॉर्क सेंट्रीफ्यूगल स्विच ऑफ हो जाने पर केवल एक वाइंडिंग( रनिंग वाइंडिंग )के द्वारा ही पैदा होता है परंतु उस टॉर्क का मान दोनों वाइंडिंग के दौरा पैदा किया जा रहे टॉर्क के लगभग बराबर होता है

अनुप्रयोग application

यह मोटर अतः 0.5 HP तक की क्षमता में बनाई जाती है इनके पावर फैक्टर का मान 0.3  to 0.4 के बीच होता है इनका प्रयोग छोटे पंप ग्राइंडर बफिंग मशीन वाशिंग मशीन वुड वर्किंग मशीन फैन आदि में किया जाता है

घूर्णन दिशा परिवर्तित variation in rotor direction

इस मोटर की रनिंग वाइंडिंग अथवा स्टार्टिंग वाइंडिंग के संयोजन की दिशा परिवर्तित करके मोटर की घूर्णन दिशा परिवर्तित की जा सकती है।

यह भी पढ़ें 

2. कैपेसिटर सिंगल इण्डक्शन मोटर क्या है

इस प्रकार की मोटर का रोटर, स्प्लिट-फेज इण्डक्शन मोटर की भाति स्क्विरल केज प्रकार का होता है। इसके स्टेटर पर भी दो वाइंडिंग स्थापित की जाती है जिन्हें क्रमशः रनिंग वाइंडिंग तथा स्टार्टिंग वाइंडिंग कहते हैं। ये दोनों वाइंडिंग, एक-दूसरे से 90 वैद्युतिक अंश पर स्थापित की जाती हैं। स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी-क्रम में एक संधारित्र भी संयोजित किया जाता है जिससे मोटर का पॉवर फैक्टर तथा टॉर्क स्प्लिट-फेज इण्डक्शन मोटर की अपेक्षा उच्च हो जाता है। संधारित्र के संयोजन की विधि के आधार पर संधारित्र इण्डक्शन मोटर निम्न तीन प्रकार की होती है

1. कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर,

2 स्थायी कैपेसिटर मोटर तथा

3. कैपेसिटर-स्टार्ट कैपेसिटर-रन मोटर।

कैपेसिटरस्टार्ट मोटर Capacitor-start Motor

संरचना Construction

इसमें रनिंग वाइंडिंग को सीधे ही एकल-फेज ए.सी. स्रोत से संयोजित किया जाता है और स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी-क्रम में एक 60 से 120 माइक्रो फैरड का कैपेसिटर एवं एक सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच संयोजित किया जाता है। दोनों वाइंडिंग को स्टेटर के खाँचों में 90 वैद्युतिक अंश के अन्तर पर स्थापित किया जाता है,

कार्य प्रणाली Working System

स्टार्टिंग के समय रनिंग वाइंडिंग में से प्रवाहित होने वाली विद्युत थारा, आरोपित वोल्टेज से लगभग 70″ पिछड़ जाती है। विद्युत धारा के पिछड़ने का कोण, रनिंग वाइंडिंग के प्रतिरोध तथा इण्डक्टेंस पर निर्भर करता है। स्टार्टिंग वाइंडिंग में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा, श्रेणी-क्रम में जुड़े संधारित्र के कारण आरोपित वोल्टेज से लगभग 20 हंस आगे बढ जाती है। इस प्रकार रनिंग तथा स्टार्टिंग वाइंडिंग में लगभग 90 अंश का फेज-अन्तर पैदा हो जाता है परिणामतः, मोटर का पॉवर फैक्टर तथा प्रारम्भिक टॉर्क उच्च हा जाता ही

मोटर द्वारा अंकित घूर्णन-गत का लगभग 75% भाग प्राप्त कर लेने पर सेन्टरीफ्यगल स्विच ‘ऑफ’ हो जाता है और मोटर केवल रनिंग वाइंडिंग पर कार्यरत रहती है।

विशेषताएँ Characteristics

कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर का प्रारम्भिक टॉर्क, रनिंग टॉर्क की अपेक्षा कई गुना अधिक होता है। इस मोटर का रनिंग टॉर्क, लोड में थोड़े- बहुत परिवर्तन के लिए स्वयं ही समायोजित (adjust) हो जाता है।

अनुप्रयोग Application

इस प्रकार की मोटर का उपयोग बैल्ट चालित पंखे, ब्लोअर, ड्रायर, पम्प, वाशिंग मशीन, कम्प्रैसर आदि में किया जाता है।

घूर्णनदिशा परिवर्तन Variation in Rotating Direction

कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर की घूर्णन-दिशा परिवर्तित करने के लिए रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइंडिंग के संयोजन की दिशा परिवर्तित की जाती है।

स्थायी कैपेसिटर मोटर Permanent Capacitor Motor

construction

कैपेसिटर स्टार्ट तथा स्थायी कैपेसिटर मोटर में मुख्य अन्तर यह होता है कि स्थायी कैपेसिटर मोटर में कैपेसिटर, स्थायी रूप से स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में जोड़ दिया जाता है और कोई सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच प्रयोग नहीं किया जाता। कैपेसिटर का मान कम अर्थात् 2 से 2.5 माइक्रो फैरड रखा जाता है।

कार्य प्रणाली Working System

इसकी कार्यप्रणाली, कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर के समान ही होती है।

विशेषताएँ Characteristics

इस प्रकार की मोटर का स्टार्टिंग तथा रनिंग टॉर्क लगभग बराबर होता है। इसका मूल्य, समान रेटिंग की कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर की तुलना में कम होता हैं।

अनुप्रयोग Application

प्रारम्भिक टॉके कम होने के कारण इस प्रकार की मोटर का उपयोग केवल ऐसे कार्यों में किया जाता है जिनमें अधिक प्रारम्भिक टॉर्क आवश्यक न हो; जैसे-छतं व मेज के पंखे, इण्डक्शन रेगुलेटर, ऑर्क वैल्डिंग कन्ट्रोल आदि।

घूर्णनदिशा परिवर्तन Variation in Rotating Direction

इस प्रकार की मोटर की घूर्णन-दिशा, रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइंडिंग के संयोजनों की दिशा बदल कर सरलता से परिवर्तित की जा सकती है।

कैपेसिटरस्टार्ट कैपेसिटररन मोटर Capacitor-start Capacitor-run Motor

संरचना Construction

इस प्रकार की मोटर में स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में दो समानान्तर संयोजित कैपेसिटर्स प्रयोग किए जाते हैं देखें चित्र। एक कैपेसिटर (10 से 20 माइक्रो फैरड), केवल स्टार्टिंग के समय कार्य करता है और मोटर द्वारा पूर्ण घूर्णन-गति का 75% भाग प्राप्त कर लेने पर सेन्ट्रीपयूगल स्विच के ‘ऑफ’ हो जाने से, परिपथ से बाहर हो जाता है। दूसरा कैपेसिटर (2 से 2.5 माइक्रो फैरड), मोटर के घूर्णन काल में भी स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी-क्रम में संयोजित रहता है।

कार्य प्रणाली Working System

यह मोटर प्रारम्भ में C 1+ C2, धारिता के साथ उच्च प्रारम्भिक टॉर्क तथा उच्च पॉवर फैक्टर पर चालू होती है। रनिंग के समय, उच्च मान का संधारित्र एक सेन्ट्रीफ्यूगन स्विच के द्वारा परिपथ से बाहर हो जाता है और मोटर निम्न मान के संधारित्र के साथ चालू रहती है।

विशेषताएँ Characteristics

इस मोटर का प्रारम्भिक टॉर्क, रनिंग टॉर्क से 3 गुना से अधिक उच्च होता है। स्टार्टिंग तथा रनिंग, दोनों ही काल में पॉवर फैक्टर का मान उच्च रहता है। यह मोटर, 25% अधिक लोड पर भी पूर्ण दक्षता के साथ कार्यरत रहती है

अनुप्रयोग Application

इस प्रकार की मोटर का उपयोग ऐसे कार्यों में किया जाता है जिनमें उच्च प्रारम्भिक टॉर्क आवश्यक होता है; जैसे-रेफ्रीजेरेटर, एयर कण्डीशनर, कम्प्रैसर आदि। इस मोटर का मूल्य, कैपेसिटर- स्टार्ट तथा स्थायी कैपेसिटर मोटर की अपेक्षा अधिक होता है।

घूर्णनदिशा परिवर्तन Variation in Rotating Direction

इस प्रकार की मोटर की घूर्णन दिशा, रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइंडिंग के संयोजनों की दिशा बदलकर परिवर्तित की जा सकती है।

3. शेडेड पोल मोटर

4. यूनिवर्सल मोटर क्या है

संरचना Construction

इसकी संरचना डीसी सीरीज मोटर के समान होती है और इसे एसी व डीसी किसी भी प्रकार की सप्लाई से चलाया जा सकता है यूनिवर्स मोटर को एसी सीरीज मोटर भी कहते है। डीसी सीरीज मोटर को ऐसी से प्रचलित करने के लिए उसमें निम्नलिखित सुधार किए जाते हैं।

1.फील्ड तथा आर्मेचर क्रोड, सिलिकॉन-स्टील की लेमिनेटेड पत्तियों से बनाई जाती है।

2. आमेंचर वाइंडिंग में लपेटो की संख्या बढ़ाई जाती है जिससे मोटर का टॉर्क तथा पाँवर फैक्टर सुधर सके।

3. आमेचर वाइंडिंग के श्रेणी-क्रम में कम्पेन्सेटिंग वाइंडिंग ‘फील्ड’ में स्थापित की जाती है। इसके प्रयोग से ‘आर्मेचर रिएक्शन प्रभाव का निराकृत (neutralise) किया जाता है।

4 कम्यूटेटर पर उच्च प्रतिरोध वाले कार्बन ब्रश प्रयोग किए जाते हैं; इससे कम्यटेटर पर होने वाली स्पार्किंग को कम किया जाता है।

5. स्टेटर में ‘इन्टरपोल’ प्रयोग किए जाते है जिन पर इन्टरपोल वाइंडिंग स्थापित कर उन्हें आर्मेचर के श्रेणी-क्रम में संयोजित किया जाता है।इससे मोटर का कम्यूटेशन सुधारा जाता है।

6 आर्मेचर तथा फील्ड के बीच ‘एयर गैप’ को यथा सम्भव कम किया जाता है।

कार्यप्रणाली Working System

यूनिवर्सल मोटर उसी सिद्धान्त पर कार्य करती है जिस पर कि डी.सी. सीरीज मोटर अर्थात् स्टेटर तथा आम्मेचर द्वारा स्थापित चुम्बकीय फ्लक्सेज की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप आर्मेचर में टॉर्क पैदा हो जाता है। इस मोटर को चाहे डी.सी. से प्रचालित किया जाए अथवा ए.सी. से, प्रत्येक दशा में एक ही दिशा में कार्य करने वाला टॉर्क पैदा होता है।

विशेषताएँ Characteristics

यूनिवर्सल मोटर की घूर्णन-गति, लोड के व्युक्रमानुपाती होती है अर्थात् पूर्ण लोड पर कम तथा शून्य लोड पर अधिकतम होती है। इस प्रकार की मोटर को शून्य लोड पर प्रचालित नहीं करना चाहिए क्योकि शून्य लोड पर इसकी घूर्णन- गति भयानक रूप से बढ़ सकती है। यूनिवर्सल मोटर निम्न फ्रीक्वेन्सी स्रोत पर अच्छा कार्य कर सकती है, परन्तु भारत में ख्त्रोत फ्रीक्वेन्सी का मान 50 Hz होने के कारण सामान्यत: 50 Hz फ्रीक्वेन्सी पर कार्य करने वाली मोटर्स ही बनाई जाती है।

यूनिवर्सल मोटर की ब्रेकिंग प्रणाली Braking System of Universal Motor

यूनिवर्सल मोटर का प्रयोग विभिन्न प्रकार के हस्त औजारों में किया जाता है। इनपुट पावर को हटाने के एकदम बाद में मोटर की लीडो को आपस में शॉर्ट करने से मोटर बहुत तीव्रता से बन्द हो जाती है। हस्त औजारों के निर्माणकर्ता अपने औजारो के साथ ब्रेकिंग के लिए इस तकनीक काहे प्रयोग करते हैं। वे पावर स्विच के साथ एक अन्य कॉर्टैक्ट सैट को भी जोड़ते हैं जोकि पावर स्विच के ऑफ होने की स्थिति में मोटर की लीडो को आपस मे संयोजित कर देता है जिसके फलस्वरूप मोटर तेजी से रुक जाती है।

इस विधि का प्रयोग प्रेरण मोटर के लिए किया जाना सम्भव नहीं है। इसलिए इस प्रकार की मोटरों को रोकने के लिए विद्युत बेक का प्रयोग करते हैं, जिसके लिए ब्रेकिंग परिपथ की आवश्यकता होती है। मूलत: इन मोटरों को ऑफ करने के लिए स्थिर (stationa) चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न किया जाता है। इन मोटरों में उच्च अनुरक्षित कम्यूटेटर ब्रश होने के कारण यूनिवर्सल मोटरो का प्रयोग फूड मिक्सर, पावर टूल आदि में किया जाता है क्योंकि इनमें उच्च स्टार्टिंग टॉ्क की आवश्यकता होती है।

यूनिवर्सल मोटर के दोष एवं उनका निवारण

Faults of Universal Motor and their Remedies

यूनिवर्सल मोटर में ओपन वाइंडिंग, शॉर्ट वाइंडिंग, कार्बन ब्रशो का घिसना एवं बियरिंग का सूखना/चिसना आदि दोष उत्पन्न हो सकते है इसकी ओपन एवं शॉर्ट वाइंडिंग का परीक्षण करने के लिए ओह्म मीटर का प्रयोग किया जाता है। ओह्म मीटर ओपन स्थिति में अति उच्च प्रतिरोध एवं शॉर्ट स्थिति मे अति निम्न प्रतिरोध प्रदर्शित करता है। इनकी जॉँच करके वाइंडिंग सम्बन्धी दोषो को दूर किया जा सकता है इसके अतिरिक्त कार्बन ब्रशो एवं बियरिंग के घिस जाने पर उन्हे बदलकर नये ब्रश एवं बियरिंग लगाने से इससे सम्बन्धित दोषों को दूर करके यूनिवर्सल मोटर की पुनः प्रचालन ( operation) योग्य बनाया जा सकता है।



5. 
रिपल्शन मोटर   कितने प्रकार के होते हैं


1.
सामान्य रिपल्शन मोटर    
2. कम्पेन्सेटेड रिपल्शन मोटर
3.  रिपल्शनस्टार्ट इण्डकरन मोटर 
4. रिपल्शन इंडक्शन मोटर

रिपल्शन मोटर

हम जानते हैं कि समान चुंबकीय ध्रुवों मैं प्रतिकर्षण विद्यमान होता है इसी सिद्धांत के आधार पर यह मोटर कार्य करती है यद्यपि रिपल्शन मोटर की बनावट जटिल तथा मूल अधिक होता है तो भी उस पर प्रारंभिक टॉर्क  निम्न प्रारंभिक विद्युत धारा अधिक लोड वाहक क्षमता तथा सरल घूर्णन दिशा परिवर्तन आदि गुणों के कारण उद्योगों में इसका प्रयोग होता है।

संरचना Construction

इसमें एक स्टेटस होता है जिस की संरचना सामान प्रकार की सिंगल फेस मोटर के समान होती है स्टेटर के बीच एक आर्मेचर कमयुटेटर तथा दो कार्बन ब्रशज होते हैं आर्मेचर वाइंडिंग को कार्बन ब्रश के दौरा शॉर्ट सर्किट कर दिया जाता है कार्बन ब्रशज को स्थिति की चुंबकीय अंश से लगभग 20 अंश के अंतर पर स्थापित किया जाता

कार्यप्रणाली Working System

जब स्टेटर को एकल-फेज ए.सी. सस्रौत से संयोजित किया जाता है तो वह एक प्रत्यावती (अल्टरनेट) चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करता है इस प्रत्यावती चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा ‘ट्रासफर्मिशन प्रक्रिया’ के कारण आमेंचर वाइंडिंग में वि.वा.य. प्रेरित हो जाता है जो अपना स्वपं का चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करता है। लेज के नियमानुसार, आमेंचर द्वारा स्थापित चुम्बकीय क्षेत्र तथा मुख्य चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे को प्रतिकषण करने वाते स्वभाव के होते हैं फलत: आमेचर में प्रतिकर्षण प्रक्रिया के कारण टॉर्क उत्पन्न हो जाता है और रोटर, घूर्णन-गति करने लगता है।

घर्णनदिशा परिवर्तन Variation in Rotating Direction

यदि कार्बन ब्रशेज को खिसकाकर दाई ओर से स्टेटर चुम्बकीय अंश के 20″ बाई ओर कर दिया जाए तो मोटर की पूर्णन दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार स्टेटर या रोटर वाइंडिंग के संयोजनों को दिशा परिवर्तित किए बिना ही, मोटर की घूर्णन-दिशा परिवर्तित की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, कार्बन ब्रशेज को स्टेटर चुम्बकीय अंश को ओर थोड़ा सा खिसकाने पर मोटर की घूर्णत-गति कम हो जाती है। यदि कार्वन ब्रशेज को खिसकाकर स्टेटर तथा रोटर की चुम्बकीय अशों को सरेखीय कर दिया जार तो मोटर की घूर्णन-गति को शून्य तक घटाया जा सकता है। इस प्रकार, रिपल्शन मोटर की घूर्णन-गति को अधिकतम दक्षिणावर्त-शुन्य-अधिकतम वामावर्तं (maximum clockwise-zero-maximum anticlockwise) के बोच परिवर्तित किया जा सकता है।

रिपल्शन मोटर्स की प्रकार Types of Repulsion Motors

सभी प्रकार की रिपल्शन मोटर् में स्टेटर को संरचना लगभग एक जैसी होती है, परन्तु रोटर या आम्मेंचर की संरचना में भिन्नता विद्यमान होती है, इस आधार पर रिपल्शत मोटर्स को निम्न चार वर्गों में बर्गींकृत किया जा सकता है।

सामान्य रिपल्शन मोटर Plain Repulsion Motor

इस प्रकार की मोटर के रोटर की सरचना उपर्युक्त शीर्षक में वरणित मोटर के समान होती है अर्थात् कार्वन ब्रशेज को ‘शॉर्ट सर्किट’ कर दिया जाता है। इसका प्रारम्भिक टॉर्क उच्च तथा प्रारम्भिक विद्युत धारा निम्न होती है इसका उपयोग क्रेन आदि में किया जाता है।

कम्पेन्सेटेड रिपल्शन मोटर

इस प्रकार की मोटर के स्टेटर पर कम्पेन्सेटिंग वाइंडिंग भी स्थापित को जाती है और उसे कन्यूटेटर पर दो अतिरिक्त कार्बन ब्रश लगाकर आम्मेचर के श्रेणी-क्रम में संयोजित किगा जाता है। कम्पेन्सेटिंग वाइंडिंग के उपयोग से मोटर का पॉवर फैक्टर सुधर जाता है और गति-नियमन’ ( लोड परिवर्तन से गति प्रभावित होना) अच्छा हो जाता है।

रिपल्शनस्टार्ट इण्डक्शनरन मोटर Repulsion-start Induction-run Motor

इस प्रकार की मोटर में वाइंडिंग पर एक तांबे की छल्ला इस प्रकार स्थापित किपा जाता है कि वह मोटर द्वारा पूर्ण घूर्णन-गति का 75% भाग प्राप्त कर लेने पर वाइंडिंग को ‘शार्ट-सर्किट’ कर देता है, इस स्थिति में मटर सामान्य इण्डक्शन मोटर की भोति कार्य करती है। कुछ मोटर्स में ऐसी व्यवस्था भी की मोटर का प्रारम्भिक टॉर्क, पूर्ण लोड का 3 से 3.5 गुनी तक होता है तया प्रारम्भिक विद्युत धारा, पूर्ण लोड विद्युत धारा की 2 से 2.5 गुता तक होती है

रिपल्शनइण्डक्शन मोटर Repulsion-induction Motor

इस प्रकार की मोटर के रोटर पर दो प्रकार की वाइंडिंग स्थापित की जाती हैं. एक तो सामान्य आम्मेचर वाइंडिंग और दूसरी डीप-केजे वाइंडिंग। प्रारम्भ में केवल आर्मेचर वाइंडिंग ही कार्य करती है क्योंकि इस समय फेज वाइंडिंग का रोटर-रिएक्टेन्स उच्च होता है। इस प्रकार, मोटर का प्रारंम्भिक टॉके उच्च रहता है। जब मोटर पूर्ण घुर्णन-गति प्राप्त कर लेती है तो केज वाइंडिंग प्रभावी हो जाती है जिससे मोटर परिवर्ती लोड पर भी अच्छा दौर प्रदान करती है तीन प्रकार की रिपल्शन मोटर की तुलनात्मक विशेषताएं टॉर्च गति बकरों द्वारा दर्शाई गई है इस मोटर का प्रयोग मशीन  टूल्स, रेफ्रिजरेटर, लेथ,एयर कंडीशन आदि में किया जाता है 

6. एकल-फेज स्लिप -रिंग इण्डक्शन मोटर।

हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! सिंगल फेज इंडक्शन मोटर क्या है और कितने प्रकार के होती हैहमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।

आपको इस article के बारे में कुछ भी प्रश्न पूछना हैै तो हमें नीचे comments कर सकते हैं

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