पी वी सिंधु का जीवन परिचय | P V SINDHU BIOGRAPHY IN HINDI

पी वी सिंधु का जीवन परिचय, कहानी, जीवनी, बायोग्राफी, जन्म, शिक्षा, ताज़ा खबर, टोक्यो ओलिंपिक, जाति (P V Sindhu Biography in Hindi (Tokyo Olympic, Medal, Coach, Age, Husband, Latest Update, Family, Caste, Ranking News, Next Match)

पी वी सिंधु का जीवन परिचय

नामपुसर्ला वेंकट सिंधु
जन्म5 जुलाई, 1995 [21 वर्ष]
जन्म स्थानहैदराबाद, तेलंगाना, भारत
पिता का नामपी. वी. रमण [पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी]
माता का नामपी. विजया [पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी]
भाई – बहनएक बहन – पी. वी. दिव्या
स्कूल/विद्यालयऔक्सिलियम हाई स्कूल, सिकंदराबाद
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयसेंट एन के महिला कॉलेज, मेहदीपटनम
शैक्षिक योग्यताएम.बी.
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशाअंतर्राष्ट्रीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी 
कोचपुलेला गोपीचंद 
लम्बाई (लगभग) से० मी०179 से० मी०
फीट इन्च  5′ 10
वजन/भार (लगभग)65 कि० ग्रा०

शारीरिक संरचना (लगभग)  
34-26-36
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
हाथ का इस्तेमालदांया हाथ 

पी वी सिंधु का प्रारंभिक जीवन

पी.वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता पीवी रमन्ना और मां पी. विजया अंतरराष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं. सिंधु के पिता रमन्ना वॉलीबॉल में अपने विशेष योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं. सिंधु के माता-पिता जहां वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे, वहीं उनकी बेटी ने बैडमिंटन को चुना. वर्ष 2001 में जब पुलेला गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब जीता था, सिंधु ने तभी तय कर लिया था कि वह भी बड़ी होकर शटलर बनेंगी.

गोपीचंद से पे्ररित होकर आठ साल की उम्र से ही सिंधु ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. सिंधु ने बैडमिंटन की बेसिक ट्रेनिंग सिकंदराबाद स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल इंजीनियरिंग ग्राउंड पर महबूब अली की देखरेख में शुरू की थी. लेकिन जल्द ही उन्होंने पुलेला गोपीचंद की हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था. सिंधु की अपने खेल के प्रति लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह रोजाना 56 किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर से गोपीचंद एकेडमी पहुंचती थीं.

उनकी इसी लगन को देखकर कोच गोपीचंद ने एक बार कहा था कि सिंधु के खेल का अहम हिस्सा उनका अंदाज और कभी हार न मानने की प्रवृति है. गोपीचंद एकेडमी से जुडऩे के साथ ही सिंधु का सुनहरा सफर शुरू हो गया था. उन्होंने उस दौरान अंडर-10 आयु वर्ग में कई खिताब जीते. इस दौरान उन्होंने नेशनल स्कूल गेम्स ऑफ इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अंडर-13 व अंडर-12 एकल व युगल वर्ग में कई राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए.

वर्ष 2009 में कोलोंबो में आयोजित सब – जूनियर एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंधु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रोंज [कांस्य] मेडलिस्ट रहीं.

वर्ष 2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में सिंगल्स केटेगरी में उन्होंने सिल्वर मैडल जीता. इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंधुक्वार्टर फाइनल तक पहुँची. वर्ष 2010 में ही वे उबर कप में वे इंडियन नेशनल टीम की टीम मेम्बर भी थी

वर्ष 2012 में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर अंडर-19 यूथ एशियन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम किया. 2012 के चाइना मास्टर्स सुपर सीरीज में भारतीय खिलाड़ी ने बड़ा धमाका करते हुए लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता ली जुएरुई को पराजित कर सेमीफाइनल में जगह बनाई. हालांकि सिंधु सेमीफाइनल में हार गईं, लेकिन उन्होंने अपने इरादे जता दिए थे कि वह भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां अपने नाम करने में सक्षम हैं.

इसी साल सिंधु ने श्रीनगर में हुई सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप में शिरकत की, लेकिन फाइनल में उन्हें सयाली गोखले के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. बाद में सिंधु ने खुलासा किया कि चाइना मास्टर्स के दौरान उन्हें घुटने में चोट लग गई थी, जिसे नजरअंदाज करते हुए वह जापान ओपन में और सीनियर नेशनल में खेलने उतर गईं. हालांकि फिर सतर्कता बरतते हुए सिंधु ने विश्व जूनियर चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया था.

वर्ष 2013 की शुरुआत में ही सिंधु ने मलेशियन ओपन का खिताब हासिल कर वापसी की. यह उनका पहला ग्रांप्री गोल्ड खिताब था. यह साल भारतीय खिलाड़ी के लिए बेहद यादगार रहा, जब उन्होंने गत चैम्पियन चीन की वांग यिहान को हराकर विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के महिला एकल क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया.

18 वर्षीय और 10वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने फिर क्वार्टरफाइनल में चीन की वांग शिजियान को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाने के साथ ही कांस्य पदक भी पक्का कर लिया. सिंधु इसके साथ ही विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन ग्रांप्री गोल्ड खिताब जीता. वहीं उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया.

वर्ष 2014 में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिंधु सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रहीं. हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें हार झेलनी पड़ी, लेकिन सिंधु ने इसके तुरंत बाद हुई विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में लगातार दूसरा रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया. वह विश्व चैम्पियनशिप में लगातार दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं.

2015 में सिंधु अपने पहले सुपर सीरीज टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची. उन्होंने सेमीफाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन को हराकर डेनमार्क ओपन के फाइनल में जगह बनाई. फाइनल तक पहुंचने के लिए सिंधु ने शीर्ष वरीय खिलाडि़यों को हराया था. हालांकि उन्हें फाइनल में गत विजेता ली जुएरुई के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन में अपना खिताब भी बरकरार रखा.

इस वर्ष की शुरुआत में ही अर्थात् जनवरी, 2016 में मलेशिया मास्टर्स ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड वोमेन्स सिंगल जीता।  प्रीमियर बैडमिंटन लीग में चेन्नई समशेर टीम की सिंधु कप्तान बनी और 5 मैच जीते और टीम को सेमीफाइनल में पहुँचाया, परन्तु यहाँ उनकी टीम देल्ही एसर्स से हार गयी.।अपने क्वार्टर फाइनल मैच में उन्होंने विश्व की नंबर 2 खिलाड़ी Wang Yihan को हराया ।18 अगस्त, 2016 को 2016 समर ओलंपिक्स में जापान की Nozomi Okuhara को वोमेन्स सिंगल में हराया।सिंधु ने सिल्वर मैडल जीता और वे देश की सबसे कम उम्र वाली मैडल विजेता खिलाड़ी बनी

साल 2017 में आयोजित इंडिया ओपन में सिंधु का सामना एक बार फिर ओलंपिक चैम्पियन कैरोलिना मालिन से हुआ, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी ने उसे हराकर बदला चुकता कर लिया. इसके बाद स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में सिंधु, जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा से हारकर रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

यह उनके करियर की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही. इसी साल आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंधु को कृष्णा जिले का डिप्टी कलेक्टर मनोनीत किया. साल के अंत में सिंधु ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की. वह दुबई में हुई वल्र्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

2019 की शुरुवात में ही भारत में पीबीएल का आयोजन हुआ था, जहाँ सिन्धु को नीलामी के दौरान हैदराबाद हन्टर्स ने खरीदा था. सिन्धु इस पूरी सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया था, वे सेमीफाइनल तक पहुँच गई थी. यहाँ उनका मुकाबला मुंबई रॉकेट्स से हुआ था, जिनसे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

2019 की शुरुआत में पहला बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय मैच इंडोनेशिया मास्टर ओपन है. जिसमें सिंधु क्वार्टर फाइनल तक पहुँच भी गई. लेकिन यहाँ उनकी प्रतिस्पर्धा स्पेन की गोल्ड मेडलिस्ट कैरोलिना मारिन से हुआ, जहाँ मारिन के मास्टर स्ट्रोक के सामने सिन्धु टिक नहीं पाई और उन्हें इंडोनेशिया मास्टर से बाहर होना पड़ा. सिन्धु ने इस खेल के लिए विशेष तैयारी की है, उनकी इच्छा है कि उनके 2019 की शुरुआत इंडोनेशिया ओपन ख़िताब के साथ हो

राष्ट्रमंडल खेल 2022 बैडमिंटन फाइनल पीवी सिंधु स्वर्ण पदक जीता

पीवी सिंधु बनाम मिशेल ली राष्ट्रमंडल खेल 2022 बैडमिंटन स्वर्ण पदक मैच लाइव स्कोर: पीवी सिंधु ने मिशेल ली को 21-15, 21-13 से हराकर अपना पहला एकल स्वर्ण पदक जीता।

डबल ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु महिला एकल बैडमिंटन फाइनल में कनाडा की मिशेल ली से भिड़ते हुए अपना पहला सीडब्ल्यूजी एकल स्वर्ण पदक जीतने पर नजर गड़ाए हुए हैं। 

पी. वी. सिंधु टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता

भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया है।  उन्होंने कांस्य पदक के लिए खेले गए मुकाबले में चीन की हे बिंग जियाओ को 21-13,21-15 से हराया। 

पी. वी. सिंधु का पदक रिकॉर्ड

• 2021 रियो टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक

• 2016 रियो डी जिनेरियो ओलंपिक में रजत पदक

• 2017 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक

• 2013 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक

• 2014 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक

• 2014 एशियन गेम्स में कांस्य पदक

• 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक

पी. वी. सिंधु अवार्ड्स और सम्मान 

अर्जुन अवार्ड (2013) , पद्म श्री (2015) ,FICCI की तरफ से स्पोर्ट पर्सन ऑफ़ दी इयर का सम्मान (2014), NDTV की तरफ से इंडियन ऑफ़ दी इयर का सम्मान (2014), बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 10 लाख का पुरस्कार (2015), बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 5 लाख का पुरस्कार (2016) ,राजीव गांधी खेल रत्न पुरुस्कार (2016)

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FAQ

1. पी वी सिंधु का जन्म कब हुआ था?

Ans 5 July 1995

2. पीवी सिंधु की एज कितनी है?

Ans 27 years

3. बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु का पूरा नाम क्या है?

Ans पुसरला वेंकट सिंधु

4. पीवी सिंधु कौन से राज्य की है?

Ans हैदराबाद

5. पीवी सिंधु के कोच का नाम

Ans महबूब अली

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