वाटमीटर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं | what is wattmeter in Hindi

 वाटमीटर क्या है

किसी वैद्युतिक परिपथ की शक्ति अर्थात् वाटेज नापने के लिए प्रयोग किया जाने वाला यन्त्र वाटमीटर कहलाता है । हम जानते हैं कि 

डी.सी. परिपथ में , वाटेज , W = V×I 

ए.सी. परिपथ में , वाटेज , W = V×I ×cosθ


इस प्रकार , डी.सी. परिपथ में एमीटर से विद्युत धारा तथा वोल्टमीटर से वाल्टेज नापकर , गणना द्वारा वाटेज ज्ञात की जा सकती है । इसी प्रका ए.सी. परिपथ में एमीटर से विद्युत धारा , वोल्टमीटर से वोल्टेज तथा पावर – फैक्टर मीटर से पावर – फैक्टर नापकर गणना द्वारा वाटेज ज्ञात की जा सकती है परन्तु , इस प्रक्रिया में कई दोष भी विद्यमान होते है जो निम्न प्रकार हैं 

1. अधिक संख्या में मापक यन्त्र प्रयोग किए जाने के कारण पाठ्यांक लेने में त्रुटि की सम्भावना बनी रहती है और साथ ही माप का यथार्थता ( accuracy ) भी निम्न स्तरीय होती है । 

2 परिपथ का संयोजन कार्य जटिल होता है । 

3. गणना करने में कुछ समय अवश्य लगता है जिसके कारण यह विधि परिवर्तनशील लोड वाले परिपथों के लिए उपयुक्त नहीं है । 


वाटमीटर्स कितने प्रकार के होते हैं


वैद्युतिक परिपथ की वाटेज को एक संकेतक के द्वारा सीधे ही एक पूर्वाकित पैमाने पर दर्शाने की व्यवस्था की जाती है जिससे कि तुरन्त हो । को कि पाठ्यांक पढ़ा जा सके । ये यन्त्र निम्न प्रकार के होते हैं । 

1. डायनमोमीटर वाटमीटर ( Dynamometer wattmeter ) , 

2.इन्डक्शन वाटमीटर ( Induction wattmeter )

3. स्थिरवैद्युतिक वाटमीटर (Electrostatic wattmeter ) 

 प्रकार के वाटमोटर्स में से केवल प्रथम दो प्रकार के वाटभीटर्स ही प्रचालन में हैं ।  


डायनमोमीटर वाटमीटर [Dynamometer Wattrmeter]  क्या है


संरचना [Construction ]

यह यन्त्र सैद्धान्तिक रूप से एक मूविंग क्वॉयल यन्त्र होता है । इसमें दो कुण्डलियाँ प्रयोग की 50 100 150 200 250 300 जाती हैं — एक तो महीन ताँबे के इनैमल्ड तार से बनी ” प्रैशर क्वॉयल ‘ या ‘ मूविंग क्वॉयल ‘ ( pressure coil or moving coil ) होती है और दूसरी ताँबे के मोटे इनैमल्ड तार से बनी ‘ करण्ट क्वायल ‘ या ‘ स्थिर क्वायल ‘ ( current coil fixed coil ) होती है । मूविंग क्वायल को न एल्यूमीनियम धातु से बने ढाँचे पर लपेटा जाता है । एल्युमीनियम ढाँचा , यन्त्र में ‘ एडी धारा supply — अवमन्दक बल ‘ पैदा करता है । मूविंग क्वायल को दो ज्वैल – बियरिंग्स पर आलम्बित धुरे पर L स्थापित किया जाता है । यन्त्र में नियन्त्रक – टॉर्क प्राप्त करने तथा मूविंग क्वॉयल को विद्युत धारा Current coil ( or ) To fixed coil of thick ) प्रदान करने के लिए फॉस्फर – ब्रोज धातु से बनी दो बाल – कमानी प्रयोग की जाती हैं । करण्ट क्वायल wire को दो भागों में बनाया जाता है और मूविंग क्वायल के चारों ओर विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करने के लिए उसके दोनों ओर लगाया जाता है । दोनों प्रकार की कुण्डलियों के अतिरिक्त यन्त्र में एक संकेतक , एक पैमाना तथा एक बाह्य प्रतिरोध भी होता है । 

 कार्य प्रणाली [Working Procedure ]

मूविंग क्वॉयल या प्रैशर क्वॉयल के श्रेणीक्रम में एक उच्च मान वाला प्रतिरोधक संयोजित करके स्रोत के समानान्तर – क्रम में संयोजित किया जाता है । करंट क्वायल या स्थिर क्वायल को स्रोत के श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है । करण्ट क्वायल द्वारा उत्पन्न होने वाला चुम्बकीय क्षेत्र , लोड में से प्रवाहित हो रही विद्युत धारा मान के अनुक्रमानुपाती होता है । जबकि प्रैशर क्वायल द्वारा उत्पन्न होने वाला चुम्बकीय क्षेत्र , लोड के सिरों पर विद्यमान विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होता है । इस प्रकार यन्त्र का विक्षेपक टॉर्क , वोल्टेज तथा करण्ट के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् 

 

विशेषताएँ [Features] 

1. इस यन्त्र का पैमाना अनुपातिक होता है । 

2. इस यन्त्र का उपयोग डी.सी. अथवा ए.सी. स्रोत पर समान रूप से किया जाता सकता है क्योंकि ए.सी. में विद्युत धारा प्रवाह की दिशा परिवर्तन का , परिणामी टॉर्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ( ‘ प्रैशर ‘ तथा ‘ करण्ट ‘ दोनों क्वॉयल्स में विद्युत धारा प्रवाह की दिशा एक साधा परिवर्तित होने के कारण ) । 

3. इस यन्त्र का उपयोग , बोल्टमीटर के रूप में किया जा सकता है परन्तु एमीटर के रूप में नहीं , क्योंकि यन्त्र की मूविंग क्वायल में से विद्युत धारा की अधिक मात्रा प्रवाहित नहीं की जा सकती है । 

4. फ्रीक्वेन्सी परिवर्तन से इस यन्त्र के पाठ्यांक में त्रुटि आ जाती है ।

इन्डक्शन वाटमीटर [Induction vrattmeter] क्या है

संरचना [Construction] 

इस यन्त्र में दो विद्युत – चुम्बक प्रयोग किए जाते हैं जिन्हें ‘ प्रैशर दवायल ‘ तथा ‘ करण्ट क्वायल ‘ से उत्तेजित किया जाता है । दोनों विद्युत चुम्बकों के बीच , एल्युमीनियम धातु से बनी एक वृत्ताकार चकती , दो ज्वैल – बियरिंग्स पर आलम्बित धुरे पर जड़ी जाती है । धुरे के साथ ही एक संकेतक जुड़ा होता है जो  एक पूर्वांकित पैमाने पर परिपथ दर्शाता है । नियन्त्रक टॉर्क पैदा करने के लिए , धुरे के साथ दो rings बाल – कमानियाँ लगाई जाती हैं । 

कार्य प्रणाली [Working Procedure ]

यह यन्त्र , सिंगल फेज इन्डक्शन मोटर के सिद्धान्त पर कार्य करता है । ‘ करण्ट क्वायल ‘ में लोड विद्युत धारा प्रवाहित होती है और ‘ फ्रेशर क्वायल ‘ में से वोल्टेज के अनुपातिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है । चित्र इन्डक्शन वाटमीटर दोनों प्रकार की कुण्डलियों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय फ्लेक्सेज का छेदन , एल्युमीनियम की चकती के द्वारा होता है और फलस्वरूप उसमें ‘ एडी धारा पैदा हो जाती है । चुम्बकीय फ्लेक्सज तथा ‘ एडी धारा ‘ की आपसी प्रतिक्रिया के कारण एक विक्षेपक – टॉर्क विकसित हो जाता है जो चकती को घुमा देता है । धुरे से जुड़ा नगण्य भार वाला संकेतक , पूर्वांकित पैमाने पर परिपथ की वाटेज दर्शाता है क्योंकि विक्षेपक टॉर्क , T xvx / होता है । ‘ प्रैशर क्वॉयल ‘ द्वारा उत्तेजित विद्युत – चुम्बक की मध्य भुजा पर कुछ ‘ शेडेड रिस ‘ ( shaded rings ) स्थापित किए जाते हैं जिनका उद्देश्य , सिंगल फेज इन्डक्शन मोटर की भाँति एक फेज वाली सप्लाई के वोल्टेज तथा करण्ट में फेज – अन्तर ( phase differnce ) पैदा करना होता है । इन रिंग्स की स्थिति को समायोजित करके , प्रैशर क्वायल के फ्लक्स को सप्लाई वोल्टेज से 90 ° पीछे रखा जा सकता है । 


विशेषताएँ [Features] 

1. इन्डक्शन सिद्धान्त पर आधारित होने के कारण इस यन्त्र का उपयोग केवल डी.सी. परिपथों में ही किया जा सकता है । 

2. इस यन्त्र में अवमन्दन ( damping ) के लिए पृथक् से कोई व्यवस्था नहीं की जाती है , क्योंकि एल्युमीनियम चकती में पैदा हुई एडी करन्ट , स्वत : ही ” एडी धारा अवमन्दक बल ‘ भी उत्पन्न करती रहती है । 

3. अधिक वोल्टेज एवं अधिक धारा वाले परिपथों में वाटेज के मापन के लिए इस यन्त्र के साथ ‘ करण्ट ट्रांसफार्मर ‘ एवं ‘ पोटैशियल ट्रांसफॉर्मर ‘ ( CT . and P.T. ) प्रयोग किए जाते हैं । 



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