रेक्टिफायर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं | What is rectifier and how many types are there in hindi

 रेक्टिफायर क्या है


डायोड एक एकदिशीय ( unidirectional ) युक्ति है अर्थात् इसमें से विद्युत धारा का प्रभावी प्रवाह केवल एक ही दिशा में होता है । अत : इसका उपयोग ए.सी. को डी.सी. में परिवर्तित करने के लिए किया जा सकता है ।

 “ ए.सी. को डी.सी. में परिवर्तित करने के लिए बनाया गया इलैक्ट्रॉनिक परिपथ , दिष्टकारी परिपथ ( rectifier circuit ) कहलाता है । “


रेक्टिफायर का अविष्कार और इतिहास


रेक्टिफायर के अविष्कार का जनक पीटर कॉपर हैविट को माना जाता है। इन्होंने 1902 में इसे सबसे पहले मरक्यूरी आर्क रेक्टिफायर्स में इस्तेमाल में लिया था। मरक्यूरी आर्क रेक्टिफायर एक ऐसा इलेक्ट्रिक रेक्टिफायर होता है जोकि ए.सी. को डी.सी.  में परिवर्तित करने का काम करता है।


 रेक्टिफायर को कितने प्रकार के होते है


रेक्टिफायर परिपथ मुख्यत : निम्न चार किस्मों के होते हैं 

1. हाफ – वेव दिष्टकारी ( half wave rectifier ) , 

2. फुल – वेव दिष्टकारी ( full wave rectifier ) , 

3. ब्रिज दिष्टकारी ( bridge rectifier ) तथा 

4. 3 – फेज दिष्टकारी ( three phase rectifier ) 

 दिष्टकारी परिपथों के अतिरिक्त , वोल्टेज डबलर तथा वोल्टेज मल्टीप्लायर प्रकार के दिष्टकारी परिपथ भी होते हैं जो दिष्टकारी के साथ – साथ क्रमश : द्विगुणित एवं बहुगुणित आउटपुट डी.सी. वोल्टेज प्रदान करते हैं 


हाफ – वेव दिष्टकारी Half – Wave Rectifier 


जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है , इस परिपथ में केवल एक डायोड प्रयोग किया जाता है । जब डायोड का एनोड धनात्मक होता है ( फॉरवर्ड बायस अवस्था ) , तो परिपथ में से विद्युत धारा प्रवाहित होती है और एनोड के ऋणात्मक होने पर ( रिवर्स बायस अवस्था ) परिपथ में से विद्युत धारा । प्रवाहित नहीं होती । इस प्रकार , प्रत्येक ए.सी. चक्र का ऋण अंश विलुप्त अर्थात् रेक्टीफाई हो जाता है और आउटपुट में केवल धन ( + ) अर्द्ध चक ही उपस्थित होते हैं । यह डी.सी. आउटपुट , घटते – बढ़ते स्वभाव वाला अर्थात् पल्सेटिंग ( pulsating ) होता है । आउटपुट में फिल्टर परिपथ प्रयोग करके पल्सेटिंग डी.सी. को शुद्ध डी.सी. में परिवर्तित कर लिया जाता है । 


हाफ - वेव दिष्टकारी Half - Wave Rectifier


 फुल – वेव दिष्टकारी Full – wave Rectifier 


जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है , इस परिपथ में दो डायोड्स तथा एक ऐसा मेन ट्रांसफॉर्मर प्रयोग किया जाता है जिसकी सेकेण्डरी वाइण्डिग में से एक मध्य संयोजक सिरा ( centre tape ) निकाला गया हो । मध्य सिरे को ‘ ग्राउण्ड ‘ कर दिया जाता है । जब सेकेण्डरी वाइण्डिग का सिरा 1 धन ( + ) होता है , तो डायोड D1 , कार्य करता है और डी.सी , आउटपुट प्रदान करता है । दूसरे अर्द्ध ए.सी. चक्र में जब सेकेण्डरी वाइण्डिग का सिरा 3 धन ( + ) होता है , तो डायोड D2. कार्य करता है और डी.सी. आउटपुट प्रदान करता है । इस प्रकार , ए.सी. इनपुट के प्रत्येक चक्र के दोनों अर्द्ध चक्रों ( धन तथा ऋण ) के लिए डी.सी. आउटपुट प्राप्त होता है और इसीलिए यह फुल – वेव रेक्टीफायर कहलाता है । 

 हाफ – वेव परिपथ की अपेक्षा फुल – वेव परिपथ , दो गुना धारा आउटपुट प्रदान करता है । इसकी रिपिल फ्रीक्वेन्सी ( ripple frequency ) , इनपुट ए.सी. फ्रीक्वेन्सी की दो गुनी होती है अत : इस परिपथ में छोटा फिल्टर परिपथ ही पर्याप्त होता है । 

फुल - वेव दिष्टकारी Full - wave Rectifier


रिपिल फ्रीक्वेन्सी Ripple frequency 


दिष्टकारी से प्राप्त आउटपुट डी.सी. , तो होता है , परन्तु उसका वोल्टेज एवं धारा मान , शून्य तथा शिखर मान के बीच परिवर्तित होता रहता है जिसे पल्सेटिंग डी.सी. कहते है । “ आउटपुट में प्राप्त प्रति सेकण्ड पल्सेज की संख्या , रिपिल फ्रीक्वेन्सी कहलाती है । ‘ हाफ – वेव , फुल एवं 3 – फेज दिष्टकारियों की रिपिल आवृत्तियाँ , इनपुट आवृत्ति की तुलना में क्रमश : बराबर , दो गुनी एवं 3 गुनी होती हैं । 


ब्रिज दिष्टकारी Bridge Rectifier 


जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है , इस परिपथ में चार डायोड्स प्रयोग किए जाते हैं और किसी मध्य सिरा युक्त मेन ट्रान्सफॉर्मर की आवश्यकता नहीं होते हैं
 यह परिपथ , फुल – वेव रेक्टीफिकेशन करता है । 


 3 – फेज दिष्टकारी 3 – Phase Rectifier 


3 – फेज सप्लाई को रेक्टीफाई करने के लिए 3 – फेज दिष्टकारी परिपथ प्रयोग किया जाता है । ब्रिज प्रकार के 3 – फेज दिष्टकारी परिपथ में 6 डायोड्स प्रयोग किए जाते हैं ।

इस परिपथ में ‘ न्यूट्रल ‘ प्रयोग नहीं किया जाता । अत : परिपथ की कार्यप्रणाली किन्हीं दो फेजेज के बीच देखें , तो यह ठीक फुल – वेव ब्रिज दिष्टकारी के समान है । 


उपयोग Use


 डायोड दिष्टकारी का उपयोग बैट्री चार्जर , बैट्री एलीमिनेटर , मल्टीमीटर , आल्टरनेटर फील्ड परिपथ , रेक्टीफायर टाइप मीटर , इमरजेन्सी लैम्प आदि में किया जाता है । इन सभी कार्यों में अपनी विशेषताओं के कारण ब्रिज प्रकार के दिष्टकारी परिपथों को वरीयता प्रदान की जाती है ।


हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! रेक्टिफायर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं   हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।


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