कंप्यूटर वायरस क्या है और कितने प्रकार के होते हैं? कंप्यूटर वायरस के उपचार क्या है?

कम्प्यूटर वायरस क्या है।

कम्प्यूटर वायरस वह होता है जो कि कम्प्यूटर की मेमोरी में स्थित सभी प्रोग्रामों अथवा डाटा या इनफार्मेशन को अपने संक्रमण से प्रभावित करता है। जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में वायरस इनफेक्शन या वायरल फिवर होने पर हमारे शरीर में वायरस पूरे शरीर के अंदर फैल जाते हैं हमारे शरीर को अनेकों तरीकों से नुकसान पहुंचाते हैं जैसे ही कम्प्यूटर वायरस कम्प्यूटर की आंतरिक कार्य प्रणाली को प्रभावित करते हैं । जैसे वायरस हमारे शरीर में बहुत तेज गति से बढ़ते‌ हैं वैसे ही कम्प्यूटर में इनके बढ़ने की गति काफी तेज होती है और पूरे कम्प्यूटर में आसानी से फैल जाते है।

इसका पूरा नाम Vital Information Resources Under Size” होता है 

वायरस होने पर कम्प्यूटर मे निम्न प्रोबलम आती हैं।
1. प्रोग्राम को मेमोरी में लोड किये बगैर ही उपलब्ध मेमोरी रैम का घट जाना। ।
2. बिना किसी कारण के फाईल का आकार परिवर्तित होना ।
3. फाईलों की संख्या में अपने आप परिवर्तन होना ।
4. की-बोर्ड का अचानक अवांछित रूप से कार्य न करना।
5. कम्प्यूटर सिस्टम का हैंग हो जाना ।
6. कम्प्यूटर का अपने आप धीमी गति से कार्य करना ।
7. कम्प्यूटर प्रोग्राम अथवा डाटा का परिवर्तन अथवा नष्ट होना। ।


कम्प्यूटर वायरस का इतिहास :

वायरस शब्द का कम्प्यूटर में उपयोग सबसे पहले एक इंगलिस राईटर केविक गेरोल्ड ने अपनी पुस्तक “whcn Harlie Wasare” में सन् 1972 में किया। उन्होंने परिकल्पनाओं के तौर पर इस पुस्तक में एक कम्प्यूटर प्रोग्राम का नाम वायरस रखा था । जब टेलीफोन की घंटी मनमाने ढ़ग से तब तक बजता था जब तक कि टेलीफोन के तारों से जुड़ा कोई कम्प्यूटर नेटवर्क उसे नहीं मिल जाता था. इसके बाद सन् 1588 में कम्प्यूटर जगत के लिये एक विशेष ऐतिहासिक महत्व का समय रहा। इस वर्ष में कुछ अनजाने साफ्टवेयर प्रोग्राम बिना किसी पूर्वसूचना के कम्प्यूटर के क्षेत्र में आए, ऐसे साफ्टवेयर प्रोग्राम को न पहले कभी देखा था और न ही

इनके बारे में कोई जानकारी थी। इस प्रकार के अति सूक्ष्म प्रोग्राम विश्व की इनफार्मेशन टेक्नॉलाजी को अधिक प्रभावित किया । इन सभी अनजाने साफ्टवेयर प्रोग्राम को वायरस कहा गया ।

वायरस प्रोग्राम की शुरूआत पाकिस्तान से हुई मानी जाती है। सन् 1988 के इस बहुचर्चित प्रोग्राम का नाम सीब्रेन था। इस खतरनाक वायरस प्रोग्राम के बाद भी अनेक वायरस प्रोग्राम के क्षेत्र में आये।

कंप्यूटर वायरस कितने प्रकार के होते हैं


कंप्यूटर वायरस के प्रकार :-

1. Boot Sector Virus
2. File Virus
3. Table Partition Virus

1. Boot SectorVirus:-

यह वायरस हार्ड डिस्क या डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम की बुट फ्लापी के शून्य सेक्टर में अपना संक्रमण फैलाते हैं। यह वायरस हार्ड डिस्क में मौजूद पार्टीशन टेबल को बदल देते हैं। ये वायरस कम्प्यूटर के स्टार्ट होते ही सबसे पहले आपरेटिंग सिस्टम के पी. सी. कम्प्यूटर में कुछ आंतरिक निर्देश उसकी रीड ओनली मेमारी में संग्रहित होते हैं और कम्प्यूटर के आपरेशन के लियेम महत्वपूर्णनिर्देश कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क या डिस्क आपरेटिंग सिस्टम के शून्य सेक्टर में जाकरके
स्टार्टअप प्रोग्राम के ढूढ़ते हैं । यदि शून्य सेक्टर में वायरस मौजूद है तो स्टार्टअप प्रोग्राम के स्थानपर वायरस मेमोरी के महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित हो जायेगा तथा इसके पश्चात् ही स्टार्टअप प्रोग्राम पर स्थापित हो जायेगा।

बूट वायरस कम्प्यूटर की मेमोरी में तब भी स्थापित हो सकता है जब किसी भी अन्य डिस्क से बूट करने का प्रयास करें क्योंकि ऐसी स्थिति में कम्प्यूटर डिस्क का शून्य सेक्टर कम्प्यूटर को डिस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम को पढ़ने का प्रयास करते हैं और इस समय वायरस प्रोग्राम पढ़कर नान-सिस्टम डिस्क इरर प्रदर्शित करेगा परंतु तब तक वायरस मेमोरी में स्थापित हो चुका होगा । इस दशा में बूट डिस्क के प्रयोग से मेमोरी में मौजूद वायरस डिस्क में प्रवेश कर जाता है।

अभी तक के बूट सेक्टर वायरस जिनकी जानकारी प्राप्त हैं:-
1. पाकिस्तानी ब्रेन और अशट वायरस
2. येल एलोमेड़ा
3. डैनजूड वायरस
4. वैक्सीना वायरस
5. निकॉल्स वायरस
6. स्टोन वायरस
7. वायसिंग बाल (पिंगपाग वायरस)
8. जैरूसलेश वायरस
9. गोल्डन मेह वायरस
10. पेटागन वायरस
11. ओहियो वायरस
12. इजरायली बूट वायरस
13. जैरूसलेम वायरस ।

फाईल वायरस :-

यह Com, Exe, Sys, OVL, Bin, file पर अटैक करते हैं। यह वायरस फाईल से स्वयं को जोड़ लेता है और पहले स्वयं execute होता है और फिर फाईल को execute होने देता है।

कुछ फाईल वायरस निग्न हैं :-

1. 17xx virus (Com) file virus, xx का अर्थ 01 04

2. अप्रैल फस्स्ट (Exe file virus)

3. जैरूसेलम संस्करण “I” (Com और EXE वायरस)

4. ली हाई वायरस

5. रेनड्राप वायरस

कुछ फाईल वायरस फाईल पर अटैक के साथ बूट एरिया में भी अटैक करते हैं जैसे- 648 चारारस |

अन्य वायरस :

बूट सेक्टर व फाईल वायरस के अलावा कूछ अन्य वायरस भी होते हैं जो कम्प्यूटर में स्टोर प्रोग्राम तथा डाटा को नुकसान पहुंचाते हैं । जैसे ट्रोजन, वर्म आदि ।

ट्रोजन

ये प्रोग्राम उपयोग के समय बड़े आकर्षक रूप के भिन्न-भिन्न प्रकार के बर्ड प्रोसेसर या डाटाबेस प्रोग्राम होने के दावा/भ्रम पैदा कर देते हैं। परंतु वास्तव में यह चालाकी से बनाये हुये वायरस होते हैं।

वर्म :-

ये लम्बी दूरी तय करने की क्षमता रखते हैं पर ये ज्यादातर लम्बे कम्प्यूटर नेटवर्क पर अटैक करते हैं। इस तरह के एक कम्प्यूटर नेटवर्क से दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क पर आसानी से फैलते रहते हैं। यह एक प्रकार के अत्याधुनिक वायरस हैं जिनमें सूक्ष्म निर्देश होते हैं जिनसे ये हर प्रकार की क्रिया करने में सक्षम होते हैं। इस प्रकार के वायरस ज्यादातर यूनिवर्स आपरेटिंग सिस्टम पर आधारित कम्प्यूटर नेटवर्क पर अटैक करते हैं।

वायरस का, पता लगाना :-स्केनिंग/खोजी प्रोग्राम बूट व फाईल वायरसों के अटैक को रोकने या उनके मौजूद होने का प्रभाण विभिन्न खोजी प्रग्राम के माघ्यम से लगाया जाता है । इनमें कुछ कुछ खोजी स्केनिंग प्रोग्राम निम्न हैं :-

Boot-P, IVT Chk, M-Verify, PMRP, Nuspr memory, PHD

(BSRECOV)

कंप्यूटर वायरस के उपचार क्या हैं

Computer Virus के उपचार :-

Vac 648

Vac STONE

Vac 8290

Vac 1701

1. इंटफाईल वैक्सीन प्रोग्राम

2, टर्बों वैक्सीन

3. पर्ल और सुपर वैवसीन

1) IntfileVacine Program;- 

एकंसलेटर का इंटफाईल वैक्सीन प्रोग्राम सभी 19xx सिरीज के वायरसों का निदान करने में सक्षम है। साथ ही 648, जैरुसेलम, को भी नष्ट करता है।इन्हीं का इंटबूट वैक्सीन प्रोग्राम खतरनाक बूट क्षेत्र के वायरसों का निदान करता हैइनमें प्रमुख है” बैन बायरस ब्राउसिंग बॉल 8290 और जोशी वायरस जिसकी कीमत 750 रूपये है।

2)Turbo Vaccine Program:-

मद्रास के एपेक्स सिस्टम और साफ्टवेयर को टर्बो वैक्सीन सभी प्रकार के बूट क्षेत्र फाईल वायरस से छुटकारा दिलाने में सक्षम है। साथ ही ट्रोजन एवं वर्म प्रोग्राम का भी यह निदान कर  सकता है। इस 500 रूपये में खरीदा जा सकता है ।

3)Perl and Super Vaccine:-

मद्रास के कम्प्यूटर पर्ल का पर्ल और सुपर वैक्सीन प्रोग्राम सभी के बूट क्षेत्र और अन्य फाईल वायरस को हटाने और उनके प्रभाव को रोकने में सक्षम है। प्रत्येक वैक्सीन प्रोग्राम की कीमत 2000 रूपये है ।


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