स्क्विरल केज प्रेरण मोटर Squirrel Cage Induction Motor
3 – फेज स्क्विरल केज प्रेरण मोटर में निम्न दो मुख्य भाग होते हैं
1.स्टेटर 2.रोटर
स्टेटर Stator
प्रेरण मोटर का स्थिर वाला भाग स्टेटर कहलाता है , देखें चित्र । स्टेटर में 3 – फेज वाइण्डिग्स , ग्लेमिनेटेड लौह – क्रोड पर स्थापित की जाती है को , लोहे अथवा कास्ट – आयरन से बने ‘ प्रेम ‘ या ‘ योक ‘ ( frame or yoke ) पर कस दिया जाता है । सभी वाइण्डिग्स – सैट को आपस श्रेणी क्रम में संयोजित कर कुल ( 6 संयोजक – सिरे ( terminals ) निकाल लिए जाते हैं और उन्हें फ्रेम पर बने ‘ टर्मिनल बॉक्स ‘ में ले जाया जाता है । इन संयोजक सिरों को आवश्यकतानुसार ‘ स्टार ‘ अथवा ‘ डेल्टा ‘ संयोजन में संयोजित किया जा सकता है
रोटर Rotor
मोटर का घूर्णन गति करने वाला भाग रोटर कहलाता है । स्क्विरल केज मोटर के रोटर की संरचना , गिलहरी के पिंजरे ( squirre’s cage ) के समान होने के कारण ही इस रोटर का नाम स्क्विरल केज रोटर रखा गया और इस रोटर के नाम पर इस प्रकार की मोटर का नाम बिरल केज मोटर रखा गया । ये रोटर निम्न दो प्रकार के होते हैं
1. सिंगल केज रोटर तथा 2. डबल केज रोटर
सिंगल केज रोटर Single Cage Rotor
इस प्रकार के रोटर में लेमिनेटेड लौह – क्रोड से बना एक खोखला बेलनाकार ( पाइप जैसा ) भाग होता है । इसमें ताँबे की छड़ें स्थापित की जाती हैं और छड़ों के दोनों ओर के सिरे , ताँबे से बने छल्लों पर ब्रेजिंग अथवा वैल्डिग के द्वारा जोड़ दिए जाते हैं , देखें चित्र । रोटर छड़ों को धात्विक छल्लों के द्वारा शॉर्ट – सर्किट कर दिए जाने के कारण वे रोटर वाइण्डिग्स की भाँति कार्य करते हैं । कुछ लघु आकार वाली स्क्विरल केज मोटर्स में ताँबे के स्थान पर एल्युमीनियम से बने छल्ले तथा चालक छड़ें प्रयोग की जाती है ।
रोटर को वैद्युत स्रोत से संयोजित नहीं किया जाता और ट्रांसफॉर्मेशन प्रक्रिया से इनमें स्टेटर के द्वारा वि.वा.ब. प्रेरित होता है । रोटर के चुम्बकीय क्षेत्र तथा टॉर्क को एक समान ( uniform ) स्वभाव वाला रखने के लिए चालक छड़ों को शाफ्ट के ठीक समानान्तर स्थापित नहीं किया जाता । अपितु कुछ ऐठी हुई ( skewed ) अवस्था में स्थापित किया जाता है ।
डबल केज रोटर Double Cage Rotor
इस प्रकार के रोटर में चालक छड़ों की दो पर्ते होती है । छड़ों की बाह्य पर्त ‘ आउटर केज ‘ ( outer cage ) तथा भीतरी पर्त ‘ इनर केज ‘ ( inner cage ) कहलाती हैं , देखें चित्र । बाह्य पर्त के चालक उच्च प्रतिरोध वाली धातु , जैसे पीतल के बनाए जाते हैं और भीतरी पर्त के चालक ताँबे के बनाए जाते हैं । इस प्रकार , चालकों की बाह्य पर्त , उच्च प्रतिरोध एवं निम्न रिएक्टेन्स वाली तथा भीतरी पर्त , निम्न प्रतिरोध एवं उच्च रिएक्टेन्स वाली बन जाती है ।स्टार्टिग के समय रोटर फ्रीक्वेन्सी का मान , स्टेटर फ्रीक्वेन्सी के बराबर होता है , अत : भीतरी केज अधिक इण्डक्टिव रिएक्टेन्स के कारण विद्युत धारा प्रवाह के लिए अधिक अवरोध प्रस्तुत करता है । फलतः विद्युत धारा अधिकांश अंश , अधिक प्रतिरोध वाले बाह्य केज में से प्रवाहित होता है और मोटर का स्टार्टिग टॉर्क उच्च रहता है ।
जब मोटर की गति बढ़ती है तो रोटर फ्रीक्वेन्सी का मान घट जाता है जिससे भीतरी केज का रिएक्टेन्स भी घट जाता है
परिणामतः , विद्युत धारा का अधिकांश अंश , भीतरी केज में से प्रवाहित होने लगता है और वह मोटर के रनिंग टॉर्क को बनाए रखता है ।
विशेषताएँ Features
( i ) दोनों की प्रकार की मोटर्स की गति शून्य , लोड से पूर्ण लोड तक नियत रहती है ।
( ii ) सिंगल केज मोटर की अपेक्षा डबल केज मोटर का स्टार्टिग टॉर्क उच्च होता है ।
( iii ) रोटर चालकों का प्रतिरोध उच्च होने पर , उच्च स्टाटिंग टॉर्क प्राप्त होता है ।
उपयोग Uses
( 1 ) सिंगल केज मोटर्स का उपयोग ऐसे सभी कार्यों के लिए किया जाता है जिनमें लोड , पहले से ही आरोपित न हो ; जैसे- लेथ मशीन , ड्रिल मशीन , ग्राइण्डर , सॉ मिल , वाटर पम्प आदि ।
( ii ) डबल केज मोटर्स का उपयोग पूर्व आरोपित हल्के लोड वाले कार्यों के लिए किया जाता है ; जैसे- स्लॉटर , टैक्सटाइल मिल्ल , कटिंग टूल मशीन आदि ।
स्क्विरल केज मोटर में दोष Defect in Squirrel Cage Motor
कभी – कभी स्क्विरल केज मोटर का रोटर , स्टार्ट नहीं हो पाता । इसका मुख्य कारण है गलत डिजाइनिंग अर्थात् , रोटर तथा स्टेटर स्लॉट्स की संख्याओं में एक उभयनिष्ठ गुणक ( common factor ) होना । इस दोष को दूर करने के लिए रोटर स्लॉट्स की संख्या रूढ़ अर्थात् 11,13,17,23 आदि होनी चाहिए । ( रूढ़ संख्या – जिसके गुणनखण्ड न होते हो ।)