वैद्युतिक वायरिंग क्या है और वैद्युतिक वायरिंग सम्बन्धी भारतीय विद्युत नियम

वैद्युतिक वायरिंग  क्या है

वर्तमान युग में विद्युत शक्ति का महत्त्व इतना बढ़ गया है कि यह हमारे देनिक जीवन (विशेषकर शहरी जीवन) की एक मूলभूत आवश्यकता बन गई है यह विद्युत शक्ति, विद्युत उत्पादन केन्द्रों से पारेषण एवं वितरण (transmission and distnbution) लाइना के द्वारा उपभोग स्थल तक पहुचायी जाती है। विद्युत शक्ति का महत्व इतना बढ़ गया है कि वितरण प्रणालो की विद्युत ठपलब्ध ने होने को स्थिति में उपभोकता स्वयं के‌ छोटे-छोटे डीजल/मिट्टी का तेल चालित इंजन-जनित्र सैट के द्वारा विद्युत शक्ति की आपूर्ति कते हैं।

किसी भवन, कार्यालय उद्योगशाला आदि में विद्युत शक्ति के उपभोग की सुविधा उपलब्ध करना ही वैघुतिक बायरिंग अथवा ‘वायरिंग ‘ कहलाता है।

वैघुतिक बायरिंग की स्थापना पूर्ण सुरक्षा गुणांक एवं ‘भारतीय विघुत नियमो (Indian electricity rulcs) के अन्तर्गत सम्पन्न की जानी चाहिए

वैद्युतिक वायरिंग

वैद्युतिक वायरिंग सम्बन्धी भारतीय विद्युत नियम
Indian Electricity Rules Related to Electrical Wiring

BIS. (Bureau of Indian Standards) I.S. 732-1963, l.S. 4648 एवं NE code (National Electrical Code) के अंतर्गत वघुतिक वायरिंग की स्थापना के सम्बन्ध मे कुछ नियम बनाये है जिनका सार निम्न प्रकार है।


1. वैघुतिक वायरिंग की स्थापना एवं उसका मरम्मत कार्य किसी लाइसेंस-धारी ठेकेदार से ही कराया जाना चाहिए।


2 वैघुतिक यायरिंग में प्रयुक्त सहायक सामग्री l.S.I. चिन्हयुक्त होनी चाहिए।


3. वैद्युतिक वायरिंग को उप-परिपथों में विभका किया जाना चाहिए और ‘लाइट-एण्ड-फैन’ तथा ‘पावर के लिए पृथक्-पृथ्यक् उप परिपथ तैयार किये जाने चाहिए।


4. ‘लाइट- एण्ड-फैन’ के प्रत्येक उप परिपद में 10 से अधिक और ‘पाँवर’ के प्रत्येक उप- परिपथ में 2 से अधिक उपभोग बिन्दु नहीं होने चाहिए।


5 ‘लाइट एण्ड फैन उप-परिपथ का कुल लोड 800 वाट और पॉवर’ उप परिपय का कुल लोड 3000 वाट से अधिक नहीं होना चाहिए


लोड की गणना निम्नवत् की जाती है
(1) लैम्प-60 W
(I) सॉकेट-100 W
(ii) फ्लोरोसेन्ट र्यूब-40 W
(IV) छत का पंखा-60 W
(v) मरकरी वेपर लैम्प-80W
(v) पावर सॉकेट-1000W


6. कंट्रोल स्विच-बोर्ड की फर्श से ऊँचाई 1.3 मीटर होनी चाहिए और यह कक्ष के प्रवेश दवार के निकट बॉई ओर स्थापित किया जाना चाहिए।


7.स्नानघर में स्थापत लेम्प आट का स्विच, स्नानचर के बाहर की दीवार पर स्थापित किया जाना चाहिए। यदि स्विच घर  स्थापित करना आवश्यक हो तो यह पूर्णतया जलरोधी (water-proof) होना चाहिए।


8.गैलरी, बरामदा, पाचे, टेरस, बालकनी आदि में लाइट का स्विच यथासम्भय पर के अन्दर स्थापित किया जाना चाहिए। यदि स्विच घर  केबाहर स्थापित करना आवश्यक हो तो वह पूर्णतया जलरोधी एवं बायुमण्डलीय प्रभावो से अवमुक्त (weather-proof) प्रकार का होना चाहिए।


9. घर के बाहर स्थापित सभी लाइट-प्वाइ्ट जलरोधी प्रकार के होने चाहिए।


10. सॉकेट सामान्यतः 3 पिन वाला ही स्थापित किया जाना चाहिए और उसका ‘भू-सयोजन पिन आवश्पक रूप से ‘अर्थ किया जाना चाहिए।लाइट एण्ड फैन परिपय में 5A तथा पावर परिपय में 15 A, 240V रेटिंग सकिट स्थापित किया जाना चाहिए। यदि सर्किट को 1.3 मीटर से कम ऊचाई पर स्थापित करना अपेक्षित हो तो यह ढक्कनपयुक्त होना चाहिए।


11. छत के पंखों के ब्लेडस् तथा फर्श के बौच न्यूनदम 2.4 मीटर और अधिकतम 3.0 मोटर अन्तर रखा जाना चाहिए।


12 . वायरिंग में प्रपुक्त सभी धात्विक आवरण आवश्यक रूप से ‘अर्थ किए जाने वाहिए।


13. सभी प्रकार को लाइट को फर्श से ऊँचाई 2.25 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।


14.अर्थ चालक को कोई फ्यूज या स्विच आदि संयोजित नहीं किया जाना चाहिए।


15. लाइव या फेज चालक में फ्यूज लगाया जाना चाहिए और सभी प्रकार की नियन्त्रक युक्तियोँ (स्विच आदि ) इसी चालक पर स्थापित की जानी चाहिए।


16 प्रत्येक उप-परिपय का वितरण-बोर्ड पृथक् होना चाहिए।


17. 3- फेज ए.सी. लाइन में, यथासम्भव प्रत्येक फेज पर लोड सन्तुलित रखना चाहिए और तीनो फेजो को क्रमशः लाल ,पिला तथा नीला रंग द्वारा चिन्हित किया जाना चाहिए अथवा इन रंगो के तार प्रयोग किये जाने चाहिए।


18. कार्यशालाओं में मशीनों की मोटर्स के नियन्त्रक स्विच तथा स्टार्टर ऐसी ऊँचाई तथा स्थान पर स्थापित किये जााने चाहिए जो कारीगर को आसान पहुंच में हो।


19. मय्यम तथा उच्च बोल्टेज (क्रमश 650V, II000 V) पर कार्य करने बाती मशीन, ट्रांसफार्मर आदि को दोहरों आर्थिंग की जानी चाहिए।


20. 250V से अधिक वोल्टेज पर कार्य करने बाली मशीनी के नियन्त्रक स्विच पर उच्च वाल्टेज चेतावनी पट्ट आवश्पक रूप से लगया जाना चाहिए।


21. किसी भी प्रकार की नयी स्थापित वैघुतिक वायरिंग सप्लाई चालू करने से पूर्व, मैगर नामक य्त्र द्वारा धारा-लोकेज परीक्षण अकश्य  कियाजाना चाहिए। ‘लीकेज-धारा’ का मान परिपथ की कुल धारा में 1/15000 वें अश से अधिक नहीं होना चाहिए।


22. लाइट एण्ड फैन तथा पॉवर’ बैद्युतिक बायरिंग की स्थापना भारतीय विद्युत अधिनियम 1956 के अन्तर्गत ही की जानी चाहिए।


23. शायरी में अधिकाधिक पेच ही प्रयोग किये जाने चाहिए और उन्हे हथाड़े से ठोकना नहीं चाहिए।


24. लकड़ी के बोर्ड, टीक-वुड से बने होने चाहिए और सब ओर से वानिश आलेपित होने चाहिए। सधारण बार्ड को मोटाई 4 सेमी से कम नहीं होना चाहिए तथा कब्जायुक्त बोर्ड की मोटाई 6.5 तथा 8 सेमी के बीच होनो चाहिए।


25. वायरिंग करने से पूर्व उसका ले-आउट तथा परिपथ तैयार किया जाना चाहिए।


26.l.E 85 के अन्तर्गत शिरोपरि लाइन में दो पोल्स के बोच 67 मी (220 फुट) से अधिक दूरो नहीं होनी चाहिए।

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