विजय कुमार कार्णिक का जीवन परिचय, कहानी | Vijay Kumar Karnik Biography, Story in Hindi

 विजय कुमार कार्णिक का जीवन परिचय



पूरा नाम :- विजय कुमार कार्निक

जन्म तारीख :-  6 नवंबर साल 1939

पिता का नाम :- श्रीनिवास कार्णिक

माता का नाम :- ताराबाई कार्णिक

भाई :- विनोद, लक्ष्मण एवं अजय

बहन :-  वसंती

पत्नी :-  उषा कार्णिक

बेटी :-  शलाका कार्णिक

बेटा :- परेश कार्णिक

उम्र :- 80 साल

जन्म स्थान :- नागपुर, महाराष्ट्र, इंडिया

कद :- 6 फुट

वर्तमान शहर :-  नागपुर

प्रोफेशन :- रिटायर्ड इंडियन एयर फोर्स ऑफिसर

आर्मी ट्रेनिंग :- एनडीए, खड़कवासला, पुणे

सेवा वर्ष:-  26 मई 1962 से 14 अक्टूबर 1986 तक

ऑफिसर रैंक विंग कमांडर

नागरिकता :- भारतीय

जाति :-  चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु

धर्म :- हिंदू

शौक :- गोल्फ खेलना, किताबें पढ़ना

किस लिए फेमस है :- 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध

राशि :- स्कार्पियो

चेस्ट :- 44 इंच

बाईसेप्स :- 14 इंच

आँखों का रंग :-  काला

बालों का रंग :- काला एवं सफ़ेद


विजय कुमार कार्णिक का प्रारंभिक जीवन


विजय का जन्म वर्ष 1939 में 6 नवंबर को हुआ था। विजय कुमार कार्णिक का जन्म महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में हुआ था। विजय कार्निक अपने बचपन के समय से ही भारतीय सेना से जुड़ना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना किया।


 विजय कुमार कार्निक ने अपने स्कूल की पढ़ाई नागपुर शहर से की है और उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई वर्धा शहर में रहकर नागपुर यूनिवर्सिटी से की है। इन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री इन साइंस हासिल की है

विजय कुमार कार्णिक महाराष्ट्रीयन चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु  समुदाय से हैं। उनका जन्म श्रीनिवास कार्णिक (एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी) और ताराबाई कार्णिक के घर हुआ था। विजय कुमार कार्णिक के तीन भाई हैं जिनका नाम विनोद कार्णिक जो कि मेजर जनरल पद पर हैं, दुसरा भाई लक्ष्मण  जो कि विंग कमांडर पद पर है  अजय कार्णिक (एयरमार्शल) और एक बहन का नाम वसंती है। ।इन लोगों ने भारत मां की सेवा में ही अपने जीवन को बिता दिया।

विजय कुमार कार्णिक करियर


विजय कार्णिक को साल 1962 में 12 मई को इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। विजय कार्णिक ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भुज में एक स्क्वाड्रन लीडर के रूप में काम किया। विजय कुमार कार्णिक ने साल 1962 में हुए भारत और चाइना युद्ध तथा भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965 में हुए युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया था। विजय कुमार कार्णिक साल 1965 की युद्ध और विशेष तौर पर साल 1971 में हुए इंडिया और पाकिस्तान में युद्ध में दिए गए उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। साल 1967 में विजय कुमार को 6 स्क्वायरफीट में तैनात किया गया था।इसके बाद साल 1985 में 1 अक्टूबर को विजय कुमार कार्णिक को विंग कमांडर के पद पर प्रमोशन दिया गया था, तथा साल 1986 में 14 अक्टूबर के दिन विजय कुमार कार्णिक अपने पद से रिटायर हो गए थे।


भुज युद्ध सन् 1971 की कहानी


स्‍क्‍वाड्रन लीडर कार्णिक ने सन 1971 की जंग में जो किया था, उसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के बेस पर पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान ने लगातार 14 दिनों तक बम बरसाए थे. उस ऑपरेशन को पाकिस्‍तान ने ऑपरेशन चंगेज खां नाम दिया था. जानिए क्‍या थी वो घटना और स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक ने क्‍या किया था.


3 दिसंबर 1971 को पाकिस्‍तान एयरफोर्स (पीएएफ) की तरफ से ऑपरेशन चंगेज खां लॉन्‍च किया गया था. भारत के साथ यह ऑपरेशन युद्ध की शुरुआत था. पीएएफ ने भारतीय वायुसेना की 11 एयरफील्‍ड्स को निशाना बनाया था जिसमें कश्‍मीर में स्थित संस्‍थान भी शामिल था. पीएएफ ने अमृतसर, अंबाला, आगरा, अवंतिपोरा, बीकानेर, हलवारा, जोधपुर, जैसलमेर, पठानकोट, भुज, श्रीनगर और उत्‍तरलाई के अलावा अमृतसर स्थित एयर डिफेंस रडार्स और फरीदकोट में भी हमला किया था. उस समय तत्‍कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के नाम अपने संबोधन में युद्ध की घोषणा कर दी थी.

एक के बाद एक बार हमला

कई जगहों पर हमले के साथ ही पाकिस्‍तान ने गुजरात के कच्‍छ में स्थित भुज के रुद्र माता एयरफोर्स बेस पर हमला बोला. पीएएफ ने इस एयरबेस पर 14 दिनों तक 35 बार हमला किया. हमले में उसने 92 बमों और 22 रॉकेट्स को दागा. 72 घंटे के अंदर 300 महिलाओं को इस एयरबेस को फिर से तैयार करने का जिम्‍मा सौंपा गया. पास के मधापुर गांव की इन महिलाओं ने इसे फिर से तैयार करा दिया. उस समय इस एयरबेस के कमांडर स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक थे.


स्‍क्‍वाड्रन लीडर कार्णिक असली हीरो

स्‍क्‍वाड्रन लीडर कार्णिक ने अपने दो ऑफिसर्स और 50 वायुसैनिक और डिफेंस सिक्योरिटी के 60 जवानों के साथ मिलकर पाकिस्‍तान की तरफ से बमबारी के बीच ही इस एयरबेस को फिर से ऑपरेशनल रखने का मिशन पूरा किया था. एयरफील्‍ड पूरी तरह से नष्‍ट हो चुकी थी लेकिन स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कार्णिक के नेतृत्‍व में ये फिर से तैयार हो चुकी थी.


विजय कुमार कार्णिक एवं फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया


बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन स्टारर ‘भुजः द प्राइड ऑफ इंडिया’ का ट्रेलर 12 जुलाई को लॉन्च हुआ. ट्रेलर देखने के बाद फैस बेसब्री से फिल्म आने का इंतजार कर रहे हैं. फिल्म स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 12 अगस्त को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज होगी. फिल्म में अजय देवगन ने स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक का किरदार निभा रहे हैं.


फिल्म में अजय देवगन के अलावा, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, प्रणिता सुभाष, श्रद्धा कपूर, एमी विर्क, राणा दग्गुबाती, शरद केलकर समेत कई बड़े सेलेब्स शामिल है. सब फिल्म में अहम किरदार निभा रहे हैं. फिल्म रियल लाइफ की घटना पर आधारित है. फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित है. इस युद्ध के हीरो स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक थे. यहां हम आपको इस जांबांज हीरो के बारे में बताने जा रहे हैं.

जैसा की हम सभी जानते हैं कि साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के रूप में जाना जाता है. ये युद्ध भारत के मित्रा वाहिनी बल और पाकिस्तानी सेना के बीच हुआ. युद्ध की शुरुआत 11 भारतीय एयर स्टेशन पर पाकिस्तानी हमले से हुई. पाकिस्तानी सेना ने अपने इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन चंगेज खान के नाम से किया. ये युद्ध भार 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक हुआ.


इसी एयरबेस के कमांडर स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक थे. भारतीय वायुसेना, सीमा सुरक्षा बल से मदद लेना चाहती थी लेकिन उनके पास भी ज्यादा जवान नहीं थे. भुज के पास के गांव माधापुर के लोगों ने भारतीय वायुसेना की मदद की और 72 घंटे के भीतर 300 महिलाओं को इस एयरबेस को फिर से तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई और उन्होंने उसे पूरा भी किया.


भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया डिजनी प्लस हॉटस्टार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़


साल 2021 में 13 अगस्त को अजय देवगन के द्वारा अभिनीत फिल्म ‘भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया’ डिजनी प्लस हॉटस्टार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ होगी।

माधवपुर महिला सम्मान

जब वर्ष 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान का युद्ध समाप्त हो गया, तो उसी दिन उस समय की वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी भुज एयरवेज पर गई और वहां पर माधवपुर की महिलाओं को “झांसी की रानी” कहकर संबोधित किया और हर महिला को उस समय ₹50,000 इनाम के तौर पर उनके काम के लिए दिए गए और उनका उत्साहवर्धन किया गया।


यह पढ़ें

• मीराबाई चानू का जीवन परिचय

• पी.बी.सिधु  का जीवन परिचय

• लवलीना बोरगोहेन का जीवन परिचय

• रवि कुमार दहिया का जीवन परिचय

• बजरंग पुनिया का जीवन परिचय

Leave a Comment