नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है और उसके कितने प्रकार के होते हैं | What is network topology in Hindi

 नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है

टोपोलॉजी , किसी नेटवर्क को बनाने के लिए नोइस , केबल्स व कनेक्टिविटी उपकरणों के आपस में सम्बन्ध की व्यवस्था होती है । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि टोपोलॉजी वर्कस्टेशन्स की एक भौगोलिक सीमा के अंदर की व्यवस्था व उसके बीच सम्बन्ध की परिभाषा है । टोपोलॉजी को हम निम्नलिखित प्रकार से विभाजित कर सकते हैं : 

1. फिजिकल टोपोलॉजी 

यह नेटवर्क ट्रांसमिशन मीडिया का वास्तविक भौतिक स्वरूप होता है अर्थात् नेटवर्क किस प्रकार से दिखता

2. लॉजिकल टोपोलॉजी 

यह नेटवर्क नोड्स के बीच सिग्नल्स का लॉजिकल पाथ (  रास्ता ) है , जिससे वह स्थानान्तरित होता है । अर्थात् नेटवर्क में डेटा किस तरह से ट्रेक्ल ( यात्रा ) करता है । 

नेटवर्क टोपोलॉजी के विश्लेषण के लिये तथ्य 

बहुत से ऐसे तथ्य हैं , जो हमें हमारी आवश्यकता के अनुसार टोपोलॉजी चुनने में मदद करते हैं , वे निम्नलिखित हैं : 

( 1 ) एप्लीकेशन : यह बताता है टोपोलॉजी का इन्स्टालेशन किस आकार में सबसे अधिक उचित होगा

( 2 ) काम्प्लेक्सीटी : यह बताता है कि टोपोलॉजी तकनीकी रूप से कितनी जटिल है ? क्योंकि यह केबलिंग के इन्सटालेशन व मेन्टेनेन्स को प्रभावित करता है । 

( 3 ) परफारमेंस : यह बताता है कि सिस्टम कितना अधिक ट्रैफिक लोड सपोर्ट कर सकता है ।

( 4 ) सिस्टम ओवरहेड ( खर्च ) : यह बताता है कि अधिक क्षमता के लिए तुलनात्मक कीमत क्या होगी । 

( 5 ) बल्नेरिबिलिटी : यह बताता है कि टोपोलॉजी के फेल या डेमेज होने की सम्भावनाएं कितनी हैं । 

( 6 ) एक्सपान्डेबिलिटी ( विस्तार क्षमता ) : जब भी हम LAN को विस्तार करना चाहते हैं तो कितने आसानी से हम उसमें वर्कस्टेशन्स् ( कम्प्यूटर्स ) जोड़ सकते हैं व कितनी दूरी तक बड़ा सकते हैं , यह बताता है । 

नेटवर्क टोपोलॉजीको कितने प्रकार में बाटा गया है

फिजिकल व लॉजिकल टोपोलॉजी के कई प्रकार हैं । उनमें से कुछ कॉमन इस प्रकार हैं : 

( 1 ) बस टोपोलॉजी 

( 2 ) रिंग टोपोलॉजी 

( 3 ) स्टार टोपोलॉजी 

( 4 ) ट्री टोपोलॉजी 

( 5 ) मेश टोपोलॉजी

Bus टोपोलॉजी  क्या है 

विशेषताएँ 

1. बस फिजिकल टोपोलॉजी एक ऐसी व्यवस्था है , जिसमें एक कामन शेयर्ड केबल ( जिसे बेकबोन कहते हैं ) , इन्टरफेस यूनिटस् / ड्राप लाईन्स व टेप्स् के द्वारा सभी उपकरण जुड़े होते हैं । 

2. यह टोपोलॉजी एक परम्परागत डेटा कम्यूनिकेशन नेटवर्क में उपयोग होती है , जहां बस के एक एण्ड ( छोर ) का होस्ट उस बस से जुड़े हुए कई टर्मिनल्स् से कम्यूनिकेट करना चाहता है । 

3. बस कान्फिग्यूरेशन को मल्टिड्राप लाईन कहते हैं । 

4. यह टोपोलॉजी ईथरनेट LAN ( CSMANCD ) में उपयोग होती है । 

5. यह कन्टेनशन एक्सेस विधि जैसे CSMNCD का उपयोग करती है । 

6. बहुत से नेटवर्क बेकबोन केबल्स के दोनों दिशा में ब्रॉडकास्ट करते हैं , जिससे सभी उपकरण सिम्मल्स को सीधे प्राप्त कर सकते हैं । 

7. कुछ बसेस हालांकि यूनिडायरेक्शन ( एक दिशा में ) होती हैं अर्थात् सिग्नल्स सिर्फ एक ही दिशा में ( नीचे के उपकरण को ) ट्रेवल ( यात्रा ) करता है । 

8. बस टोपोलॉजी में बेकबोन केबल के दोनों सिरों पर एक विशेष कनेक्टर जिसे टर्मिनेटर कहते हैं , लगाते हैं । इससे सिग्नल्स के वापस परिवर्तित होने की समस्या को रोकते हैं अर्थात् इन्टरफियरेंस ( आपस में टकराना ) को । 

9. यूनिडायरेक्शनल बस में केबल इस तरह से टर्मिनेट खत्म करते हैं कि सिग्नल्स सिर्फ एक दिशा में ( नीचे की ओर ) ही ट्रेवल करें । जिससे रिफलेक्शन ( परावर्तन ) और उपकरणों के आपसी व्यवधान को रोका जा सके । 

बस टोपोलॉजी के लाभ 

( 1 ) सिंगल केबल नेटवर्क होने से इसका इन्स्टालेशन बहुत आसान होता है । 

( 2 ) यह किसी भी अन्य टोपोलॉजी की तुलना में बहुत कम केबल उपयोग करता है । 

( 3 ) बस टोपोलॉजी के किसी भी बिन्दु पर बहुत आसानी से अतिरिक्त नोड को जोड़ा जा सकता है । 

( 4 ) यह एक रेजिलियन्ट ( लचीला ) आर्किटेक्चर है अर्थात् साधारण व विश्वसनीय । 

( 5 ) यह कनटेन्शन एक्सेसिग विधि का उपयोग करता है , जिससे नेटवर्क ओवरहेड्स ( खर्चे ) बहुत कम होते हैं । 

बस टोपोलॉजी से हानियाँ 

( 1 ) रिकान्फिम्यूरेशन व फाल्ट पृथक्करण बहुत कठिन होता है । 

( 2 ) सभी नोड्स एक सेंट्रल केबल से सीधे जुड़े होते हैं , जिससे नोड्स को स्वयं यह तय करना होता है कि कौन नेटवर्क को पहले उपयोग करेगा अतः इसके लिए उनका इटेलिजेंट होना बहुत आवश्यक है । 

( 3 ) बस को पूरी क्षमता व आकार के आधार पर ही शुरू में तैयार किया जाता है , क्योंकि बाद में परिवर्तन ( जैसे नोड जोड़ना ) बहुत मुश्किल होता है । 

( 4 ) बस केबल में फाल्ट या ब्रेक सम्पूर्ण बस से जुड़े उपकरणों के बीच ट्रांसमिशन को समाप्त कर देता है । 

( 5 ) डेमेज्ड भाग सिग्नल्स का परावर्तन विपरीत ( पीछे ) दिशा में करके दोनों दिशाओं में नाईस ( व्यवधान ) उत्पन्न करता है । 

Ring टोपोलॉजी  क्या है 

विशेषताएँ 

( 1 ) रिंग टोपोलॉजी में वायरिंग इस तरह से कि जाती है कि यह एक सर्किल बने । प्रत्येक नोड अपने आगे व पीछे वाले नोड्स से जुड़ा होता है । 

( 2 ) रिंग में डेटा ( सिग्नल ) एक ही दिशा में राऊंड राबिन फैशन ( तरीके ) में ट्रेवल करता है । 

( 3 ) प्रत्येक उपकरण में एक रिसिवर व एक ट्रांसमीटर होता है और वह रिपीटर की तरह कार्य करता है जो उससे आगे के उपकरण को रिंग में सिग्नल पास करता है । 

( 4 ) प्रत्येक उपकरण पर सिग्नल की पुनः उत्पत्ति होती है अतः सिग्नल का डिजनरेशन बहुत धीमा होता है । 

( 5 ) रिंग टोपोलॉजी मुख्य रूप से टोकन पासिंग एक्सेसिंग विधि के लिए उपयुक्त होती है । 

( 6 ) रिंग फिजिकल टोपोलॉजी बहुत कम उपयोग होती है । रिंग टोपोलॉजी हमेशा ही लॉजिकल टोपोलॉजी के रूप में ही क्रियान्वित होती है । 

( 7 ) इसमें मुख्य बात यह है कि डेटा प्रत्येक नोड़ के लिए पासेस धू का अनुसरण करता है ना कि ट्रेवल पास्ट का । इसका अर्थ है कि सिग्नल आगे की चैनल की ओर बढ़ने से पूर्व एम्प्लिफाय ( अधिक तीव्र व मजबूत ) होता है । 

( 8 ) किसी तरह कि रूटिंग क्षमता की जरूरत नहीं होती है , मैसेज स्वतः ही नेटवर्क के अगले वर्कस्टेशन की ओर ट्रेवल करता है । 

( 9 ) रिंग में जब मैसेज नोड पर पहुंचता है तब नोड मैसेज में शामिल ऐड्रेस सूचना की जांच करता है । यदि ऐड्रेस , नोड ऐड्रेस से मिल जाता है तो वह नोड उस मैसेज को रख लेता है अन्यथा नोड सिग्नल की पुनः उत्पत्ति करके उसे नेटवर्क में आगे बढ़ा देता है , जिससे मैसेज अगले नोड को मिल सके ।

रिंग टोपोलॉजी के लाभ 

( 1 ) रिंग टोपोलॉजी का रिकन्फिग्यूरेशन व इन्टालेशन बहुत आसान होता है । 

( 2 ) रिंग में भी बस की तरह ही बहुत कम केबल लगती है अर्थात् अन्य टोपोलॉजी की तुलना में बहुत कम । 

( 3 ) प्रत्येक उपकरण सिर्फ अपने आगे और पीछे वाले दो उपकरणों से जुड़ा होता है अतः उपकरण जोड़ने व हटाने में सिर्फ दो उपकरण ही प्रभावित होते हैं । 

( 4 ) किसी भी प्रकार के वायरिंग क्लोसेट स्पेस की जरूरत नहीं होती है । 

( 5 ) यह टोपोलॉजी बहुत कम वर्कस्टेशन्स् जो कि अत्यधिक गति व कम दूरी में एक – दूसरे में जुड़े हो के लिये बहुत ही उपयुक्त है । 

रिंग टोपोलॉजी से हानियाँ 

( 1 ) सिर्फ एक नोड के फेल्यूअर हो जाने से सम्पूर्ण नेटवर्क फेल हो जाता है । 

( 2 ) रिंग के लिये अधिक जटिल हार्डवेयर्स की आवश्यकता होती है । 

( 3 ) एक नोड का फेल्यूअर अन्य सभी के लिये भी प्राबलम उत्पन्न करता है , जिससे फाल्ट को ढूंढने में तकलीफ होती है  

( 4 ) टोपोलॉजी , एक्सेस प्रोटोकाल को भी प्रभावित करती है ।

( 5 ) प्रत्येक नोड सिग्नल की पुनः उत्पत्ति करता है अतः उसमें कुछ अतिरिक्त गुण आवश्यक होते हैं ।

 Star / Radial टोपोलॉजी  क्या है 

विशेषताएँ 

( 1 ) स्टार टोपोलॉजी में सभी उपकरण डेडीकेटेड ( समर्पित ) पांईट – टू – पांईट चैनल के द्वारा सेंट्रल हब या वायरिंग कान्सनट्रेटर से जुड़े होते हैं । 

( 2 ) प्रत्येक सिग्नल को हब नेटवर्क के किसी अन्य उपकरण से प्राप्त करके उसे उचित डेस्टीनेशन ( गंतव्य ) पर पहुँचाता है । 

( 3 ) स्टार में बहुत से हब आपस में जुड़े हुए होते हैं जो ट्री या हायरआर्किकल नेटवर्क टोपोलॉजी का निर्माण करते हैं । 

( 4 ) मेश टोपोलॉजी की तरह स्टार टोपोलॉजी भी उपकरणों के बीच सीधे ट्रैफिक की आज्ञा नहीं देता है । 

( 5 ) कोई भी वर्कस्टेशन रूटिंग का निर्णय नहीं लेता है ( अर्थात् इंटेलीजेंट नहीं होता है ) , जितना भी कम्यूनिकेशन है वह केन्द्रीय हब के द्वारा ही होता है और उसके बाद फिर डेस्टीनेशन ( गंतव्य ) पर पहुंचता है । (

 6 ) नेटवर्क का आकार व क्षमता पूर्ण रूप से उसके सेंट्रल वर्कस्टेशन की क्षमता पर सीधे निर्भर करती है , साथ ही समरूपता का भार भी सेंट्रल सरवर पर होता है । 

( 7 ) विचारतः स्टार सामान्य टेलीफोन सर्विसेस् के समरूप ही है और वह अक्सर डेटा PBX के उपयोग द्वारा उसी लाईन पर क्रियान्वित भी होता है ।

 स्टार टोपोलॉजी के लाभ 

( 1 ) कम्यूनिकेशन में सिर्फ दो नोड होने से एक्सेस प्रोटोकॉल्स् बहुत साधारण होते हैं । 

( 2 ) प्रत्येक उपकरण को अनेकों उपकरण से जोड़ने के लिए सिर्फ एक ही लिंक व एक ही / पोर्ट जरूरी होते हैं । 

( 3 ) उपरोक्त तथ्य के कारण इसे इन्स्टाल व रिकन्फिम्यूर करना आसान होता है । 

( 4 ) नेटवर्क रबेस्ट होता है अर्थात् एक लिंक फेल होती है तो उसका प्रभाव सिर्फ उससे सम्बन्धित उपकरण पर ही पड़ता है । शेष अन्य सभी लिंक्स कार्यरत रहती हैं । 

( 5 ) उपरोक्त तथ्य के कारण फाल्ट पहचानना व फाल्ट पृथक्करण बहुत आसान होता है । 

स्टार टोपोलॉजी से हानियाँ 

( 1 ) बहुत अधिक केबलिंग की जरूरत होती है । 

( 2 ) नेटवर्क का विस्तार बहुत कठिन होता है । 

( 3 ) यदि स्टार में मुख्य नोड ( जो सभी को कंट्रोल करता है ) फेल हो जाये तो सम्पूर्ण नेटवर्क कार्य करना बन्द कर देता है । 

( 4 ) केबल तो सस्ती होती है परन्तु उसके मेन्टेनेन्स व इन्टालेशन की समस्या कीमत को बड़ा देती है ।

( 5 ) वायरिंग क्लोसेट्स , कनेक्टर्स व अन्य सहायक उपकरण बहुत अधिक लगते हैं । 

Tree / Snowflake टोपोलॉजी  क्या है 

ट्री का निर्माण दो तरीके से हो सकता है । 

( a ) बहुत सी बस टोपोलॉजीस् को आपस में चित्र 5 ( a ) के अनुसार जोड़ कर । 

(b ) बहुत सी स्टार टोपोलॉजीस् को आपस में चित्र 5 ( b ) के अनुसार जोड़ कर । यहां पर हम द्वितीय ( b ) प्रारूप को ले रहे हैं । 

विशेषताएँ 

( 1 ) ट्री में जो केंद्रीय हब होता है , वह सिर्फ सेकण्डरी हब से जुड़ा होता , ना कि सभी नोड्स से । 

( 2 ) अतः नोड्स व अन्य शेष उपकरण सेकण्डरी हब से जुड़े होते हैं । 

( 3 ) सामान्यतः मुख्य हब एक एक्टिव हब होता है । यह सिग्नल्स को भेजने से पूर्व उसे फिल्टर व रिजनरेट करता है ।  

( 4 ) सेकण्डरी हब एक्टिव था पेसिव कुछ भी हो सकता है । 

( 5 ) ट्री टोपोलॉजी का उदाहरण केबल टी.वी. टेक्नोलॉजी में हम देख सकते हैं यहां मुख्य ऑफिस की कई शाखाओं में विभक्त होती है व बाद में प्रत्येक शाखा और भी छोटी शाखाओं में विभक्त होती हैं । जब केबल को विभक्त करना हो तो हब का उपयोग करते हैं 

ट्री टोपलॉजी के लाभ 

टोपोलॉजी में वे समस्त फायदे हैं जो कि स्टार में होते हैं । इसके कुछ अतिरिक्त लाभ इस प्रकार हैं । 

( 1 ) सेन्ट्रल हब से बहुत से हल जुड़े होते हैं । इसलिए इसका विस्तार आसान होता है । 

( 2 ) नेवी ( या सब नेटवक ) पृथक पृथक होते हैं व कम्यूनिकेशन की प्राथमिकता भी निर्धारित की जा सकती है । 

( 3 ) उपरोक्त तथ्य के अनुसार समय प्रभावी डेटा को नेटवर्क को एक्सेस करने के लिए प्रतीक्षा नहीं करना होती है । 

ट्री टोपोलॉजी से हानियाँ 

ट्री टोपोलॉजी से वे सभी हानियाँ होती हैं जो कि स्टार टोपोलॉजी में होती हैं । इसके अतिरिक्त कुछ इस प्रकार हैं : 

( 1 ) सभी सबसेक्शन की रूट सेक्शन पर निर्भरता होती 

( 2 ) बड़ी – बड़ी बांच नेटवर्क की गति को कम करती है ।

 Mesh टोपोलॉजी  क्या है 

विशेषताएँ 

( 1 ) पत्येक उपकरण की प्रत्येक उपकरण से डेडीकेटेड पाईट टू – पॉईट लिंक होती है । 

( 2 ) डेडीकेटेड से तात्पर्य है कि वह लिंक सिर्फ दो उपकरणों के बीच के ट्रैफिक को ही ले जाती हो । 

( 3 ) मेश टोपोलॉजी एक हायब्रिड ( मिश्रित ) मॉडल है , जिसमें सभी तरह की टोपोलॉजी होती है । 

( 4 ) एक पूर्ण रूप से जुड़े हुए मेश नेटवर्क में 10-1 ) / 2 फिजिकल चैनल्स होते हैं जो उपकरणों को जोड़ते हैं । 

( 5 ) नेटवर्क के प्रत्येक उपकरण में 11 इनपुट / आउटपुट पोर्ट होते हैं । 

मेश टोपोलॉजी के लाभ 

( 1 ) यह रवेस्ट है अर्थात् फाल्ट सहन करने का क्षमता बहुत अधिक होती है । जैसे मीडिया फेल्यूर की स्थिति में सिग्नल किसी दूसरे रास्ते से जा सकता है । 

( 2 ) यो उपकरणों के बीच डेडीकेटेड ( समर्पित ) लिंक्स यह बात तय करती है कि प्रत्येक कनेक्शन सिर्फ अपना ही डेटा लोड ले जाता है । जिससे ट्रैफिक की समस्या को हल कि या जाता है । 

( 3 ) प्रायवेसी व सिक्यूरिटी बहुत अधिक होती है अर्थात् प्रत्येक मैसेज डेडिकेटेड लाईन से ट्रैवल ( यात्रा ) करता है व उसे सिर्फ वही नोड देख सकता है , जिसे इसे प्राप्त करना है । 

( 4 ) पांईट – टू – पांईट लिंक्स् होने से फाल्ट को पहचानना व पृथक्करण आसान होता है । 

( 5 ) इस नेटवर्क को हम अन्य किसी भी तरह के नेटवर्क के रूप में उपयोग कर सकते हैं । 

मेश टोपोलॉजी से हानियाँ 

( 1 ) इन्टालेशन व रिकन्फिग्यूरेशन बहुत अधित कठिन होता है । 

( 2 ) नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर पर बहुत अधिक लोड होता है । 

( 3 ) इसमें अत्यधिक केबलिंग व I / O पोर्ट की आवश्यकता होती है । 

( 4 ) अत्यधिक वायरिंग जरूरत से ज्यादा जगह ( दिवाल में , छत में व जमीन पर ) लेती है । 

( 5 ) यह सबसे अधिक महंगा नेटवर्क है ।

FAQ

Q. 1 कौनसी टोपोलॉजी सरवर कंप्यूटर के हिसाब से सबसे बेहतर होता है?

Ans स्टार टोपोलॉजी

Q.2 नेटवर्क टोपोलॉजी में किसकी संचरण गति उच्चतम होती है?

Ans लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) 

Q.3 बड़े नेटवर्क के लिए कौन सा टोपोलॉजी प्रयोग किया जाता है?

Ans डेज़ी चैन स्कीम (Daisy Chain Scheme]

Q.4  star Topology होस्ट कम्प्यूटर क्या कहलाता है ?

Ans Star topology में एक Host Computer होता है, जो विभिन्न कम्प्यूटरों से जुड़कर उनको नियंत्रित करता है। Local Network आपस में एक दूसरे से जुडे़ नहीं होते हैं, बल्कि इन सभी को Host Computer से ही जोडा़ जाता है। Star Topology में Host Computer को जोड़ने में cable की लागत कम लगती है।

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