ऑसिलोस्कोप या कैथोड – रे ऑसिलोस्कोप क्या है | CRO IN HINDI

 ऑसिलोस्कोप या कैथोड – रे ऑसिलोस्कोप क्या है (Oscilloscope or Cathode Ray Oscilloscope )

ऑसिलोस्कोप एक ऐसा इलैक्ट्रॉनिक यन्त्र है जिसके द्वारा डी.सी. अथवा ए.सी. वैद्युतिक राशियों की तरंग – आकृति पर्दे पर स्पष्टत : देखी जा सकती है और उसका मापन किया जा सकता है । यह वैद्युतिक एवं इलेक्ट्रॉनिक कारीगरों के लिए बहुपयोगी यन्त्र है । 

ब्लॉक डायग्राम Block Diagram 

इस यन्त्र का ब्लॉक डायग्राम चित्र में दर्शाया गया है । इसमें निम्नलिखित इकाइयाँ होती है

हॉरीजोन्टल तथा वर्टिकल इनपुट एटैन्यूएटर( Horizontal and Vertical Input Attenuator )

ये दोनों इकाइयाँ इनपुट सिग्नल के क्षैतिज एवं उर्ध्व अक्षीय अंशों को यन्त्र के एम्प्लीफायर्स के लिए आवश्यक इनपुट मान तक घटाती है । 

हॉरीजोन्टल तथा वर्टीकल एम्प्लीफायर्स (Horizontal and Vertical Amplifiers )

हॉरीजोटल एम्प्लीफायर इनपुट सिग्नल क्षैतिज अंश को x- प्लेट्स को प्रदान करने से पूर्व आवश्यक स्तर तक एम्प्लीफाई करता है । इस प्रकार वर्टिकल एम्प्लीफायर , इनपुट सिग्नल के उर्ध्व अंश को Y- प्लेट्स को प्रदान करने से पूर्व आवश्यक स्तर तक एम्प्लीफाई करता है 

सॉ – टूथ जनित्र (Saw – tooth Generator) 

यह एक ऑसिलेटर परिपथ होता है जो इनपुट सिग्नल के केवल ऊर्ध्व अंश को आवश्यक टाइम – बेस ( time – base ) प्रदान करता है और  CRO के पर्दे पर द्विआयामी ( two dimensional ) आकृति दर्शाने में सहायता प्रदान करता है । पृथक् – पृथक् फ्रीक्वेन्सी वाले इनपुट सिग्नल के लिए पृथक् – पृथक् सॉ – टूथ फ्रीक्वेन्सी या टाइम – बेस सिंगनल आवश्यक होता है । 

गेट एम्पलीफायर (Gate Amplifier) 

यह एम्पलीफायर परिपथ , सॉ – टूथ जनित्र से इनपुट प्राप्त कर उसके तुल्य फ्रीक्वेन्सी का स्क्वेयर वेव आउटपुट तैयार करता है और उसे CRT को प्रदान करता है । यह एम्प्लीफायर ऐसी व्यवस्था तैयार करता है कि इलैक्ट्रॉन बीम , केवल ट्रेस पीरियड ( trace period ) में ही पर्दे पर विद्यमान रहे , रिट्रेस पीरियड ( retrace period ) में नहीं । इस एम्प्लीफायर को ब्लैंकिंग परिपथ ( blanking circuit ) भी कहते है । 

 किसी आल्टरनेटिंग राशि के लिए शून्य से अधिकतम मान तक पहुँचने का समय , ‘ ट्रेस पीरियड ‘ कहलाता है । इसी प्रकार , शिखर मान से शून्य मान तक पहुँचने का समय रिट्स पीरियड कहलाता है । CRT में इलेक्ट्रॉन बीम को केवल ट्रेस पीरियड के लिए ही पर्दे पर उपस्थित रखा जाता है और रिट्रेस पीरियड ( वापिसी ) में उसे अधिक विक्षेपित कर पर्दे से दूर हटा दिया जाता है ।

 ट्रिगर (Trigger )

नापे जाने वाले इनपुट सिग्नल तथा टाइप – बेस सिग्नल को एक साथ प्रारम्भ करने ( synchronization ) के लिए , ट्रिगर – पल्स पैदा करने वाला परिपथ ‘ ट्रिगर ‘ कहलाता है । यह सिग्नल , बाहर से भी प्रदान किया जा सकता है और उस स्थिति में यह ‘ एक्सटर्नल ट्रिगर सिग्नल ‘ ( external trigger signal ) कहलाता है । 

पैनल कन्ट्रोल्स( Panel Controls)

 प्रत्येक CRO निर्माता अपने द्वारा निर्मित यन्त्र में भिन्न – भिन्न स्थतियों में लगाता है । चित्र में सामान्य पैनल कन्ट्रोल्स तथा उनकी स्थितियाँ दर्शायी गई है । मुख्य कन्ट्रोल्स का कार्य इस प्रकार है

1. Power यह एक टॉगल स्विच है जो यन्त्र की सप्लाई को ऑन ऑफ करता है । सप्लाई ऑन ‘ अवस्था में इस स्विच के दायी ओर लगा नियोन लैम्प ( LAMP ) ‘ ऑन हो जाता है । 

2. INTEN (Intensity) ‘ इल कन्ट्रोल के द्वारा पर्दे पर सिग्नल की प्रकाश तीव्रता समायोजित की जाती है । 

3. FOCUS इस कन्ट्रोल के द्वारा पर्दे पर सिग्नल को शार्पनैस ( sharpaness ) समायोजित की जाती है । 

4. X-MAG ( X – Magnificathion ) इस कन्टोल के द्वारा सिंगनल के टाइम – बेस को 1 से 5 गुना तक बढ़ाया जा सकता है । 

5. Y -IN (Y – Input ) यह वर्टिकल एम्लीफायर को इनपुट प्रदान करने के हेतु एक सॉकेट है । 

6. Y – SHIFT इस कन्ट्रोल के द्वारा पर्दे पर सिगनल के एम्प्लीट्यूड ( अर्थात् ऊर्ध्व ऊंचाई ) को समायोजित किया जाता है । 

7. DC – AC – GND यह स्थितियों वाला स्लाइड स्विच है । DC स्थिति में यन्त्र को DC इनपुट सिगनल तथा AC स्थिति में यन्त्र को AC इनपुट सिग्नल दिया जाता है । GND स्थिति में इनपुट सिग्नल ग्राउण्ड हो जाता है अर्थात् वर्टिकल एम्प्लीफापर पर नहीं पहुंचाता । 

8. VOLT/cm बह 10 स्थितियों वाला रोटरी स्विच है । इसके द्वारा वर्टिकल एम्प्लीफायर का ओवर आल एम्लीफिकेशन 50 mv / cm से 50 v / cmके बीच 10 विभिन्न मानो पर सैट किया जा सकता है । 

9. X 1 or x0.1 यह एक पुश बटन स्विच है जिसे दबाने पर यन्त्र की सूक्ष्मता 50 mV / oni . से घटकर 5 mV / em रह जाती है अर्थात् 1/10 हो जाती है । ( 0.1 स्थिति में ) । 

10. CAL यह एक पुश बटन स्विच है जिसे दबाने पर यन्त्र को 15 mV से बढ़कर 150 mV का DC सिग्नल ( XI OR 0.1 पुश बटन की स्थिति के अनुसार ) प्राप्त होता है । 

11 DC – BAL यह एक प्री – सैट प्रकार का कन्ट्रोल हैं जिसे पेंचकस के द्वारा घुमाया जाता है । इसे सिग्नल के ट्रेस की गति – रहित ‘ अवस्था प्राप्त करने के लिए सैट किया जाता है । 

12 X – POS ( X – Position ) इस कन्ट्रोल के द्वारा सिग्नल का क्षैतिज तल में डिस्प्ले नियन्त्रित किया जाता है । 

13. TRIG . LEVEL ( Trigger Level ) यह एक स्विच – सहित वोल्यूम कन्ट्रोल होता है । AUTO अर्थात् ‘ ऑफ ‘ स्थिति में बिना किसी इनपुट सिगनल के टाइम – बेस लाइन का डिस्प्ले होता है । ‘ ऑन स्थिति में ट्रिगर बिन्दु का चयन स्वयं ही किया जा सकता है

14. TIME – BASE यह एक 12 स्थितियों वाला रोटरी स्विच है । इसके द्वारा स्वीप का मान 50 ms / cm . से 0.2 us / cm . के बीच चयनित किया जाता है । यदि हॉरीजोन्टल इनपुट सिग्नल बाहर से आरोपित किया जाना हो तो इसे EXT . स्थिति में रखा जाता है । 

15. VERNIER यह कन्ट्रोल , टाइम – बेस सलैक्टर स्विच के साथ ‘ फाइन – कन्ट्रोल ‘ का कार्य करता है । 

16. SYNC : इसमें तीन पुश बटन है जिनमें INT./EXT..+/- , NORM / TV ( Normal / TV ) स्विच हैं । INT./EXT . स्विच का दबाने पर यन्त्र में बाह्य सिक सिग्नल दिया जा सकता है । +/- स्विच , धन अथवा ऋण अर्द्ध – चक्र से ‘ ट्रिगर ‘ प्रारम्भ करने के लिए है । NORM / TV स्विच को दबाने पर यन्त्र TV मोड में कार्य करता है अर्थात् ‘ लाइन फ्रीक्वेन्सी ‘ 15625c / s हो जाती है । 

17. STAB यह एक प्री – सैट कन्ट्रोल है । इसकी AUTO स्थिति में बेस – लाइन प्राप्त होती है । अन्य स्थिति में बेस लाइन प्राप्त नहीं होती । 

18. HOR . IN ( Horizontal Input ) इस सॉकेट के द्वारा बाह्य हॉरीजोन्टल इनपुट यन्त्र को प्रदान किया जाता है । 

19. EXT . SYNC . ( Exterani – Syne . ) इन दो सॉकेट्स के द्वारा बाह्य सिक – सिग्नल यन्त्र को प्रदान किया जाता है । 

उपयोग Use 

CRO का उपयोग अनेक कार्यों के लिए किया जा सकता है जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं 

( i ) .सी. वोल्टेज मापन ( A.V.Voltage Meaurement ) 

( a ) ए.सी. वोल्टेज को Y -IN सॉर्किट में दें , 

( b ) DC – AC – GND सलैक्टर स्विच को AC पर रखें , 

( c ) Y – SHIFT के द्वारा तरंग आकृति के निचले अंश को निकटतम ग्राफ लाइन पर समायोजित करें , 

( d ) VOLTS / cm कन्ट्रोल को ऐसी स्थिति में सैट करें कि सिग्नल का उपयुक्त एम्प्लीट्यूड पर्दे पर दिखाई दे । 

( ii ) डी.सी. वोल्टेज मापन ( D.C. Voltage Measurement ) 

( a ) डी.सी. वोल्टेज इनपुट को ग्राउण्ड सॉकेट पर दें । 

( b ) DC – AC – GND सलैक्टर स्विच को DC पर रखें । 

( c ) Y – SHIFT तथा TIME – BASE कन्ट्रोल्स को ऐसी स्थितियों में रखें कि पदें के मध्य में एक क्षैतिज लाइन दिखाई दे । यह लाइन , शून्य डी.सी. वोल्टेज दर्शाती है । अ

( d ) इनपुट प्रोब को GROUND सॉकेट से निकालकर V – IN सॉकेट में लगाएँ । 

( e ) VOLTS / cm कन्ट्रोल को आवश्यकतानुसार सैट करे । क्षैतिज लाइन , मध्य रेखा के ऊपर या नीचे दिखाई देगी ( डी.सी. के अनुसार ) । की ध्रुवता

( iii ) टाइम पीरियड तथा फ्रीक्वेंसी मापन ( Time Period and Frequency Measurement ) 

( a ) सिगनल को भी IN सॉर्किट में दें । 

( b )TIME – BASE कन्ट्रोल को ऐसी स्थिति पर रखें कि पर्दे पर लगभग दो साइकिल प्रकट हों । 

( c ) Y – SHIFT को ऐसी स्थिति में सैट करें कि सिग्नल मध्य रेखा से प्रारम्भ हो । ‘ सिग्लन का उपयुक्त एम्प्लीट्यूड दिखाई दे । 

( d ) VOLTS / cm कन्ट्रोल को ऐसी स्थिति में सैट करें कि सिग्नल का उपयुक्त एम्प्लीट्यूड पर्दे पर दिखाई दे ।  

( e ) X – SHIFT को ऐसी स्थिति में सैट करें कि सिगनल , किसी एक ऊर्ध्व रेखा से प्रारम्भ हो । 

( f ) अब , एक पूर्ण चक्र ( cycle ) की क्षतिज दूरी ना । 

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