चुम्बक क्या है और कितने प्रकार होते हैं | What is a magnet and how many types are there in Hindi

 चुम्बक क्या है


“ एक ऐसा पिण्ड , जिसमें लोहे के छोटे – छोटे टुकड़ों को आकर्षित करने एवं स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए जाने पर उत्तर – दक्षिण दिशा में ठहर जाने का गुण विद्यमान हो , मैग्नेट या चुम्बक कहलाता है । किसी चुम्बक के ये गुणा , उसका चुम्बकत्व कहलाते हैं । 


 चुम्बकत्व का अणुक सिद्धान्त (Molecular Theory of Magnetism)


 इस सिद्धान्त के अनुसार , चुम्बक के प्रत्येक अणु में एक उत्तरी ध्रुव तथा एक दक्षिणी ध्रुव होता है अर्थात् वह एक स्वतन्त्र चुम्बक होता है । यदि किसी चुम्बक के अनेक टुकड़े कर दिए जाएँ तो प्रत्येक टुकड़ा एक स्वतन्त्र चुम्बक की भाँति व्यवहार करेगा और उसमें उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी अब होग । चुम्बक के अणुओं में विद्यमान चुम्बकत्व के लिए उसके परमाणुओं में विद्यमान इलेक्ट्रॉन्स उत्तरदायी होते हैं जो परमाणु के नाभिक के चारी और परिक्रमा गति तथा अपनी धुरी पर चक्रण गति करते रहते हैं । सामान्य अवस्था में किसी पदार्थ के अणु अनियमित स्थिति में रहते हैं और एक – दूसरे के चुम्बकत्व को निराकृत ( neutralise ) कर देते हैं । जब बाहा चुम्बकीय बलों के प्रभाव से किसी पदार्थ के अणु सरल रेखाओं में व्यवस्थित हो जाते है तो उन सबका उत्तरी ध्रुव एक ओर तथा दक्षिणी ध्रुव दुसरी और हो जाता है तो वह पदार्थ चुम्बक बन जाता है ।


चुम्बक के  गुण क्या होते हैं


1. चुम्बक , लोहे के बुरादे एवं लोहे के छोटे – छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है और उसका यह आकर्षण गुण उसके ध्रुव  पर सर्वाधिक होता है । 

2. स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया गया चुम्बक सदैव उत्तर – दक्षिण दिशा में ठहर जाता है । 

3. चुम्बक , अपने आस – पास के चुम्बकीय पदार्थों में भी चुम्बकत्व पैदा कर देता है । 

4. केवता एक घुब का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता । यदि किसी चुम्बक को छोटे – छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया जाए तो प्रत्येक टुक में दो युब होग । 

5. किसी चुम्बक को हथौड़े से पीटने , कठोर फर्श पर गिराने अथवा लाल गर्म करने से उसका चुम्बकत्व घट जाता है अथवा समाप्त हो जाता है । 

6. प्रत्येक चुम्बक के दोनों बों की ध्रुव सामर्थ्य ( pole strength ) बराबर होती है । 

7. यदि किसी उच्च सामर्थ्य बाले चुम्बक को और अधिक चुम्बकित करने का प्रयास किया जाए तो उसे और अधिक चुम्बकित नहीं कि जा सकेगा क्योंकि वह पहले ही संतृप्तावस्था ( saturation ) प्राप्त कर चुका होता है । 

8. दो गुम्बको के सजातीय ध्रुवों में प्रतिकर्षण ( repulsion ) तथा विजातीय ध्रुवों में आकर्षण ( attraction ) होता है ।


 चुम्बकों के कितने प्रकार होते हैं

 चुम्बक दो प्रकार के होते है 


1. प्राकृतिक चुम्बक Natural Magnet

 

 पृथ्वी के धरातल पर खोजे गए मैग्नेटाइट अथवा लोडस्टोन नामक पत्थर ही प्राकृतिक चुम्बक कहलाते हैं । इस प्रकार का चुम्बक , बेडौल होता है और उसमें चुम्बकीय गुण भी अल्प मात्रा में होते हैं , अत : शक्तिशाली कृत्रिम चुम्बकों के सापेक्ष , प्राकृतिक चुम्बकों का उपयोग अब नगण्य ही गया है । 


2. कृत्रिम चुम्बक Artificial Magnet 


किसी कृत्रिम विधि द्वारा चुम्बकीय पदार्थों से बनाया गया चुम्बक , कृत्रिम चुम्बक कहलाता है । यह मुख्यत : निम्नलिखित प्रकार का होता है 


• स्थायी चुम्बक Permanent Magnet 


जिस चुम्बक का चुम्बकत्व गुण अनेक वर्षों तक बना रहता है वह स्थायी चुम्बक कहलाता है । ” ये चुम्बक कार्बन स्टील ( फौलाद ) , कोबाल्ट स्टील आदि से बनाए जाते हैं । इस कार्य के लिए चुम्बकीय मिश्र धातुएँ भी प्रयोग की जाती है ; जैसे – एलनिको  एवं एल्कोनैक्स 

एलनिको में ; एल्युमीनियम , निकिल , कोबाल्ट एवं लीह होता है और एल्कोनैक्स में , एल्यूमीनियम , कोबाल्ट , ताँबा एवं नीत होता है । स्थायी चुम्बका प्रायः छड , यू आकृति , बेलनाकार , हार्स – शू आकृति तथा सुई आकृति में बनाए जाते है । 

इनका उपयोग मापक याची , पावतमी , लोह के छीट टुकड़ो श्री एकत्र करने , हैडफोन , लाउडराणीकर , चुम्बकीय सुई आदि में किया जाता है । आजकल , चुम्बकीय मिश्र धातुओं के द्वारा लघु आकार वाले शक्तिशाली स्थायी चुम्बकों का निर्माण होने लगा है । 


• अस्थायी चुम्बक Temporary Magret

 

विघुत- चुम्बक एक अस्थायी चुम्बक होता है क्योकि इसका चुम्बकत्व का अस्तित्व तभी तक विद्यमान रहता है जब तक कि इसकी क्वायल में से विद्युत भार प्रवाहित होती रहती है । यह प्रायः ताँबा , एल्युमीनियम का इनैमल्ड तार से बनी क्वायल के बीच , नर्म लौह अथवा सिलिकॉन सील की अब स्थापित कर बनाया जाता है । इसकी विशेषता यह है कि इसे आवश्यकतानुसार शक्तिशाली बनाया जा सकता है । 

इसका उपयोग विद्युत हाटी , बौद्धतिक दन्त्री , चुम्बकीय चक्र , चुम्बधीय क्रेन , मोटर्स , जैनरेटर्स आदि में किया जाता है । 


चुम्बकीय पदार्थों के आधार पर कितने प्रकार में बाटा गया है 


विभिन्न चुम्बकीय पदार्थों को उनकी चुम्बकशीलता ( permeability ) के आधार पर निम्नलिखित वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है 


• लौह चुम्बकीय पदार्थ Ferro – magnetic Materials 


जो पदार्थ , किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर चुम्बक बन जाते हैं , फैरो – चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं ; जैसे- लोहा , फौलाद , निकिल , कोबाल्ट और इनकी मिश्र धातुएँ आदि । इन पदार्थों की चुम्बकशीलता ( 1 ) का मान इकाई से काफी अधिक और 1000 तक होता है । इन पदार्थों का उपयोग अस्थायी और स्थायी चुम्बक बनाने में किया जाता है । 


• अनुचुम्बकीय पदार्थ Para – magnetic Materials 


जो पदार्थ , किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर चुम्बक तो नहीं बनते परन्तु उनमें से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या में वृद्धि अवश्य होती है , पैरा – चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं ; जैसे – ताँबा , एल्युमीनियम , प्लैटिनम , चाँदी , वायु आदि । इन पदार्थों की चुम्बकशीलता का मान इकाई से कुछ अधिक होता है । इनका उपयोग चुम्बकीय मिश्र धातु ( magnetic alloy ) बनाने में किया जाता है । 


• प्रति चुम्बकीय पदार्थ Dia – magnetic Materials 


जिन पदार्थों को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर , उनमें किसी प्रकार का चुम्बकत्व पैदा नहीं होता , बल्कि उनमें से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या घट जाती है , डाया – चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं ; जैसे – बिस्मथ , एन्टीमनी , जल आदि । इन पदार्थों की चुम्बकशीलता का मान इकाई से कुछ कम होता है 


चुंबक कैसे बनाए जाते हैं?


चुम्बक बनाने की विधियाँ निम्न प्रकार हैं 


• एक स्पर्श विधि Single Touch Method 


इस विधि में एक छड़ – चुम्बक को ( किसी एक ध्रुव की ओर से ) फौलाद की छड़ पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक 50-60 बार रगड़ा जाता है जिससे कि फौलाद की छड़ चुम्बक बन जाती है , । छड़ के जिस सिरे से चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को रगड़ना प्रारम्भ किया जाता है वह सिरा उत्तरी ध्रुव बनता है । 

 

• दोहरी स्पर्श विधि Double Touch Method 


इस विधि में फौलाद की एक छड़ को दो छड़ – चुम्बकों पर निम्न चित्र के अनुसार रखा जाता है । अब लकड़ी के एक गुटके से पृथक्कृत दो अन्य छड़ – चुम्बकों को फौलाद की छड़ के मध्य बिन्दु पर रखा जाता है और उन्हें बिना उठाए छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक 50-60 बार रगड़ा जाता है । रगड़ने की क्रिया उसी बिन्दु पर समाप्त की जाती है जहाँ से वह प्रारम्भ की गई थी । 


• विभाजित स्पर्श विधि Divided Touch Method

 

इस विधि में रगड़ने वाले दो छड़ – चुम्बकों के बीच कोई लकड़ी का गुटका आदि नहीं रखा जाता और दोनों छड़ – चुम्बको को , फौलाद की छड़ के मध्य बिन्दु से उसके सिरों की ओर विपरीत दिशाओं में रगड़ा जाता है । दोनों छड़ – चुम्बकों को उठाकर पुनः मध्य बिन्दु पर रखकर सिरों की ओर रगड़ा जाता है । 50-60 बार रगड़ने पर फौलाद की छड़ , चुम्बक बन जाती है । इस विधि में भी चुम्बकों की ध्रुवताएँ तथा फौलाद की छड़ में पैदा हुए 


• वैद्युत्तिक विधि  electric Method 


इस विधि में चालक समाये जाने वाली फौलात की छड़ को , एक बॉयल के बीच रखा जाता है और क्वॉयल में शक्तिशाली डी . सी . विद्युत का प्रचारित की आती है , कुछ अण्टो में फौलात की छह चुम्बक बन जाती है । यदि फौलाद की छड़ के स्थान पर नर्म लोहे की छड़ प्रयोग की जा उसमें चप्वकत्व का अस्तित्व तथी तक रहता है जब तक कि उसकी क्वॉयल में से विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है । इस प्रकार का चुम्बक विद्युत चुम्बक ( electro – magnet ) कहलाता है । 


• प्रेरण विधि Induction Method 


इस विधि में चुम्बक बनाए जाने वाली छड़ को , धायल के बीच में रखने की आवश्यकता नहीं होती । इसमें , एक अधिक लपेट वाली क्वॉवल के चीन एक गर्म लोहे की छड़ रखी होती है जिसका एक सिरा , क्वॉयल से कुछ बाहर निकला रहता है और उसी के ऊपर फौलाद की छड़ रख दी जाती है । या उपकरण पोल – चार्जर ( pole – charger ) कहलाता है । इस विधि में फौलाद की छड़ , प्रेरण द्वारा चुम्बक बनती है इसीलिए यह विधि , प्रेरण विधि कहलाती है । यह एक व्यापारिक विधि है । 


चुम्बकों का अनुरक्षण (Maintenance of Magnets )


रखाची चुप्वको का चुम्बकत्व दीर्घ अवधि तक बनाए रखने के लिए निम्न निर्देशों का अनुपालन करना चाहिए 

( 1 ) चुम्बक को कठोर फर्श पर गिरने न दें । 

( ii ) चुम्बक को लाल गर्म न करें । 

( 11 ) चुम्बक को हथौड़े आदि से न पीट । 

( iv ) भाल एवं यू आकृति के चुम्बकों को एक ‘ कीपर ‘ ( keeper ) के द्वारा तथा दो छड़ चुम्बको के विजातीय ध्रुवों को दो कोपर्स के द्वारा मिलाकर रखें । 


•भू – चुम्बकत्व Earth’s Magnetism 


जिस प्रकार परमाणुओं में विद्यमान इलैक्ट्रॉन्स , परमाणु की नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करते रहते हैं , और साथ ही अपनी धुरी पर चक्रण गति भी करते रहते हैं , तीक उसी प्रकार हमारी पृथ्वी भी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती रहती है और साथ ही अपनी धुरी पर चक्रण गति भी करती रहती है । इस प्रकार , पृथ्वी में भी चुम्बकत्व पैदा हो जाता है । पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र उस विशाल छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान होता जिसे पृथ्वी के केन्द्र के आर – पार उसके ध्रुवों तक फैला हुआ माना जाए । पृथ्वी – चुम्बक का उत्तरी ध्रुव , भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के निकट तथा उसका दक्षिणी ध्रुव , भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव के निकट होता है । इस प्रकार पृथ्वी की चुम्बकीय अक्ष उसकी भौगोलिक ध्रुवीय अक्ष से कुछ अंशों के अन्तर पर विद्यमान होती है । इसीलिए , स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया गया चुम्बक , पृथ्वी की चुम्बकीय अक्ष लगभग समानान्तर ठहर जाता है । 


चुम्बकीय  की कुछ महत्वपूर्ण पारिभाषा 


• ध्रुव Pole 


चुम्बक में जिस बिन्दु पर , चुम्बकीय बल रेखाओं की तीव्रता अधिकतम होती है , वह बिन्दु चुम्बकीय ध्रुव या ध्रुव कहलाता है । किसी चुम्बक में केवल दो ध्रुव होते हैं जो उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव कहलाते हैं और दोनों ध्रुवों की ध्रुव सामर्थ्य बराबर होती है । 


• चुम्बकीय अक्ष Magnetic Axis 


किसी चुम्बक के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक सरल रेखा चुम्बकीय अक्ष कहलाती है । 


• चुम्बकीय – उदासीन – अक्ष Magnetic Neutral Axis 


चुम्बक के केन्द्र बिन्दु से होकर जाने वाली तथा चुम्बकीय अक्ष के लम्बवत् काल्पनिक अक्ष चुम्बकीय उदासीन अक्ष कहलाती है ।


• चुम्बकीय बल रेखा Magnetic Line of Force


 यह एक बन्द काल्पनिक चक्र है जो चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुण से दक्षिणी धुष की और सथा भुस्यक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी पुत्र को और पूर्ण होता है . ऐसा माना जाता है । दूसरे शब्दों में ” चुम्बकीय बल रेखा एक ऐसा निष्कोण व है जिसके किसी बिन्दु पर रखीची गई स्पर्श रेखा ( tangent ) उस बिन्दु पर कार्यरत चुम्बकीय क्षेत्र को दिशा को इंगित करती है । ” 

चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण 


1. चुम्बकीय बल रेखा सदैव चुम्बक के बाहर उत्तरी धुप से दक्षिणी ध्रुव को और तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर चलती है । 

2 सभी चुम्बकीय बल रेखाएं बन्द परिपथ बनाती है । 

3. दो चुम्बकीय बल रेखाएं एक – दूसरे को नहीं काटती । क्योकि रेखाओं के बीच प्रतिकर्षण विद्यमान रहता है । 

4. चुम्बकीय बल रेखा अपना परिपथ , किसी चुम्बकीय पदार्थ के माध्यम से पूरा करने का प्रयास करती है । 

5. चुम्बकीय बल रेखा में तनाव होता है । 

6. जिस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र को तीव्रता शून्य होती है , वहां कोई चुम्बकीय बल रेखा नहीं होती । 

7. चुम्बकीय बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा , उस विन्दु पर कार्यरत चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को इंगित करती है । 


• चुम्बकीय क्षेत्र Magnetic Field 


किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र , जिसमें उसके प्रभाव को अनुभव किया जा सके . चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है । यह क्षेत्र , चुम्बकीय बल रेखाओं से निर्मित होता है । किसी चुम्बकीय क्षेत्र में एक चुम्बकीय सुई रख दी जाए तो वह सदैव एक निश्चित दिशा में ( उस बिन्दु पर कार्यरत चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में ) ठहर जाती है । 


• चुम्बकीय फ्लक्स Magnetic Flux


 चुम्बकीय क्षेत्र में किसी चुम्बकीय बल रेखा के लम्बवत् तल में से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की कुल संख्या , चुम्बकीय फ्लक्स कहलाती है । इसका प्रतीक ø है ( फाई ) है और इसका SI मात्रक वैबर ( wh ) है । इसका एक अन्य मात्रक मैक्सवेल भी है ।

 1 वैबर = 10⁸ मैक्सवैल 


• चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व Magnetic Flux Density 


चुम्बकीय क्षेत्र में किसी चुम्बकीय बल रेखा के लम्बवत् तल के इकाई क्षेत्रफल में से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या , उसका चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व कहलाती है । इसका प्रतीक B है और इसका डा मात्रक वैबर / मी² ( wbim ) या टैसला ( tesla ) है 

 1 टैसला -1 वैबर / मी²

B = ø/a 


यहाँ , B = चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व , वैबस / मी² में , 

ø- चुम्बकीय फ्लक्स , वैवर्स में 

a- चुम्बकीय बल रेखा के लम्बवत् तल का क्षेत्रफल , मी में ।


• चुम्बकीय प्रेरण Magnetic Induction 


जब किसी चुम्बक को किसी लौह पिण्ड के निकट लाया जाता है अथवा लौह पिण्ड को चुम्बक के निकट लाया जाता है तो उस लौह पिण्ड में भी विपरीत ध्रुवता का चुम्बकत्व पैदा हो जाता है ; यह क्रिया चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है । इस क्रिया के लिए चुम्बक तथा लौह पिण्ड का आपसी स्पर्श आवश्यक नहीं है , केवल निकटता ही पर्याप्त होती है । वास्तव में चुम्बक , लौह पिण्ड में विपरीत ध्रुवता का चुम्बकत्व प्रेरित कर देता है और दो चुम्बकों के विजातीय ध्रुवों में आकर्षण पैदा हो जाता है ।  

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