एनर्जी मीटर (Energy Meter) क्या है
किसी वैद्युतिक परिपथ में ‘ किलो – वाट – घण्टा ‘ ( KWh ) मात्रक में विद्युत शक्ति की खपत नापने वाला यन्त्र ‘ एनर्जी मीटर ‘ कहलाता है । यह एक इन्टीग्रेटिंग प्रकार का यन्त्र है । किसी एनर्जी मीटर में निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं
प्रचालन युक्ति Driving Device
यन्त्र में एक चक्कर काटने वाली चकती होती है जिसकी घूर्णन गति , किलोवाट में विद्युत खपत के अनुक्रमानुपाती होती है ।
ब्रेकिंग युक्ति Braking Device
यह युक्ति , मापक यन्त्र को परिपथ से हटा देने पर तुरन्त ही चकती के घूर्णन को रोक देती है ।
रिकॉर्डिंग युक्ति Recording Device
यह युक्ति , विद्युत शक्ति की खपत को एक संख्या के रूप में रिकॉर्ड करती जाती है ।
एनर्जी मीटर को कितने प्रकार के होते हैं
1. डिजिटल एनर्जी मीटर (Digital Energy Meter)
2. एनालॉग एनर्जी मीटर (Analog Energy Meter)
3. इन्डक्शन एनर्जी मीटर Induction Energy Meter
i. सिंगल फेज एनर्जी मीटर
ii. थ्री – फेज एनर्जी मीटर
4. फैरेन्टी एम्पियर – घण्टा यन्त्र Ferranti Ampere – Hour Meter
5.इलिह्य -थॉमसन वाट – घण्टा यन्त्र Elihu Thomson Watt Hour Meter
डिजिटल एनर्जी मीटर क्या होता है?
डिजिटल एनर्जी मीटर ऐसे मीटर को कहते है जिसमे मापे गए विधुत उर्जा के रीडिंग को एक डिजिटल डिस्प्ले पर दिखाया जाता है। डिजिटल एनर्जी मीटर को निचे के चित्र में दिखाया गया है।
एनालॉग एनर्जी मीटर क्या होता है?
एनालॉग एनर्जी मीटर ऐसे मीटर को कहते है जिसमे मापे गए विधुत उर्जा के रीडिंग को एक पॉइंटर द्वारा स्केल पर या रिंग पर लिखित संख्या द्वारा दिखाया जाता है। एनालॉग एनर्जी मीटर को निचे के चित्र में दिखाया गया है।
एनर्जी मीटर की संरचना
चूँकि एनर्जी मीटर दो प्रकार के होते है। दोनों प्रकार के एनर्जी मीटर की संरचना एक दुसरे से बिलकुल भिन्न होती है। इस लेख में केवल एनालॉग डिजिटल मीटर के संरचना के बारे में बात करेंगे। एनालॉग एनर्जी मीटर को मुख्य रूप से चार भाग में बाटा जा सकता है :-
घुमाने वाला भाग (Driving Part)
घूमने वाला भाग (Moving Part)
रोकने वाला भाग (Breaking Part)
पंजीकृत करने वाला भाग (Registration Part
फैरेन्टी एम्पियर – घण्टा यन्त्र [Ferranti Ampere – Hour Meter ] क्या होता है?
इस यन्त्र की चकती की घूर्णन गति , ” फ्रिक्शन – कम्पैन्सेटिंग – क्वायल ‘ में से प्रवाहित हो रही विद्युत धारा के मान और समय के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होती है , इसलिए यह यन्त्र विद्युत धारा परिमाण मापक यन्त्र ( quantity of electric current measuring meter or quantity meter ) अथवा एम्पियर – घण्टा मरकरी मोटर मीटर ( ampere – hour mercury motor meter ) कहलाता है ।
इसका उपयोग केवल ऐसे डी.सी. परिपथों की विद्युत शक्ति खपत नापने के लिए किया जाता है जिनमें वोल्टेज स्थिर रहता है । यन्त्र की रिकॉर्डिंग युक्ति , किलो – वाट – घण्टा में विद्युत शक्ति की खपत व्यक्त करती है ।
सिद्धान्त [Principle]
एम्पियर घण्टा यन्त्र ( A.H.meter ) , डी.सी. . मोटर के सिद्धान्त पर आधारित होता है जिसके अनुसार किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया एक विद्युत धारावाही चालक अपने ऊपर आरोपित एक बल का अनुभव करता है जो उसे चुम्बकीय क्षेत्र से दूर ले जाने का प्रयास करता है ।
संरचना [Construction]
इसमें मुख्यतः एल्यूमीनियम अथवा ताँबा धातु से बनी एक वृत्ताकार चकती होती है जिसके केन्द्र पर एक धुरा जुड़ा होता है । पुरे का निचला सिरा , एक ज्वैल बियरिंग पर टिका होता है और उसके नीचे एक समायोजक पेच A लगा होता है । धुरै के ऊपरी सिरे से रिकॉर्डिंग प्रणाली जुड़ी होती है । चकती , पारे से भरे एक बन्द कक्ष में रखी जाती है । चकती के दोनों और ‘ C आकृति के दो शक्तिशाली स्थायी चुम्बक इस प्रकार स्थापित किए जाते है कि चकती उनके धुवों के बीच विद्यमान ‘ एयर गैप ‘ में गति कर सके , इनमें से पहला ‘ ड्राइविंग चुम्बक ‘ तथा दूसरा ‘ श्रेकिंग चुम्बक ‘ कहलाता है । पेंच के नीचे उससे जुड़ी एक करण्ट क्वॉयल होती है जो ‘ फ्रिक्शन कम्यैन्सेटिंग क्वायल ‘ कहलाती है ।
कार्य प्रणाली Working Procedure
जब लोड विद्युत धारा पेच , मरकरी चकती , पेंच तथा फ्रिक्शन कम्पैन्सेटिंग क्वायल में से होती हुई प्रवाहित होती है तो स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चकती के बाएँ भाग में घुमाव बल विकसित हो जाता है जो उसे घुमा देता है । चकती का घूर्णन , उसमें से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के मान पर निर्भर करता है । यन्त्र की रिकॉर्डिग प्रणाली के प्रति मिनट चक्करों की संख्या , चकती में से गुजरने वाली विद्युत धारा के मान तथा समय (t ) के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होती है और ‘ किलो वाट – घण्टा ‘ मात्रक में पाठ्याकं दर्शाती है । दाई ओर का चुम्बक , ब्रेकिंग बल पैदा करता है अर्थात् जब फ्रिक्शन कम्पैन्सेटिंग क्वायल में से विद्युत धारा प्रवाह बन्द हो जाता है तो यह चुम्बक , चकती को तुरन्त रोक देता है । इस प्रकार , यन्त्र के पाठ्यांक में त्रुटि पैदा नहीं हो पाती । फ्रिक्शन कम्पैन्सेटिंग क्वायल यन्त्र के घर्षण द्वारा उसके धुरे की घूर्णन गति में होने वाली कमी की क्षतिपूर्ति भी करती है ।
विशेषताएँ
1. इस यन्त्र का उपयोग केवल डी.सी , परिपथों की विद्युत शक्ति खपत नापने के लिए ही किया जा सकता है ।
2 इस यन्त्र को ऊर्ध्वाधर तल में ही स्थापित किया जा सकता है अन्यथा यह कार्य नहीं करेगा ।
इलिह्य -थॉमसन वाट – घण्टा यन्त्र [Elihu Thomson Watt Hour Meter] क्या होता है?
इस यन्त्र में एक छोटी डी.सी. मोटर प्रयोग की जाती है और इसलिए इसे वाट – घण्टा कम्यूटेटर मोटर यन्त्र ( Watt – hour commutator motor meter ) भी कहते है ।
संरचना Construction
इसमें डी.सी. मोटर की क्षेत्र – कुण्डलियाँ , लोड के श्रेणी क्रम में संयोजित की जाती हैं और इन्हें ‘ करंट – क्वायल्स ‘ ( current – coils ) भी कहते हैं । यन्त्र के घर्षण द्वारा आमेचर की Friction घूर्णन गति में पैदा होने वाली कमी की क्षतिपूर्ति के लिए , क्षेत्र कुण्डियों के compensating – श्रेणीक्रम में एक फ्रिक्शन कम्पैन्सेटिंग ‘ भी संयोजित की जाती है । डी.सी. मोटर के आमेचर को , कम्यूटेटर के द्वारा लोड के समानान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है और इसे प्रैशर – क्वायल ‘ ( pressure – coil ) कहते हैं । supply ‘ प्रैशर – क्वायल ‘ के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध मान वाला प्रतिरोधक भी सयोजित किया जाता है । मोटर की शाफ्ट पर एक ओर एक एल्युमीनियम धातु से बनी वृत्ताकार चकती लगायो जाती है । इस चकती के दोनों ओर ‘ C आकृति के दो Damping स्थायी – चुम्बक या विद्युत चुम्बक भी प्रयोग किए जाते हैं । मोटर की शाफ्ट या धुरा , magnets दो ज्वैल – बियरिंग्स पर आलम्बित होता है । धुरे के ऊपरी सिरे से रिकॉर्डिंग प्रणाली जुड़ी होती है
कार्य प्रणाली [Working Procedure ]
इस यन्त्र का विक्षेपक – टॉर्क , क्षेत्र कुण्डियों में से गुजरने वाली लोड – धारा तथा आर्मेचर वाइन्डिग के सिरों पर विद्यमान विभवान्तर के गुणनफल अनुक्रमानुपाती होता है । इस प्रकार , प्रेक्षण समयान्तराल में मोटर की शाफ्ट के द्वारा पूर्ण किए गए घूर्णनों की संख्या , वाट – घण्टा व्यक्त करती है परन्तु यन्त्र की रिकॉर्डिंग प्रणाली , किलो – वाट घण्टा मात्रक में विद्युत शक्ति की खपत रिकार्ड करती है । यन्त्र में प्रयोग किए गए ‘ C- आकृति वाले स्थायी / विद्युत चुम्बकों में से पहला ‘ ड्राइविंग चुम्बक ‘ तथा दूसरा , ब्रेकिंग चुम्बक ‘ की भाँति कार्य करता है ।
विशेषताएँ Features
1. यह यन्त्र केवल डी.सी. परिपथों की विद्युत शक्ति खपत नापने के लिए बनाया गया है ।
2. यन्त्र का प्रारम्भिक – टॉर्क उच्च होता है जिसके कारण यह यथार्थ पाठ्यांक उपलब्ध कराता है ।
इन्डक्शन एनर्जी मीटर (Induction Energy Meter)
जैसाकि इनके नाम से ही स्पष्ट है , ये यन्त्र इन्डक्शन सिद्धान्त पर आधारित होते हैं और इसलिए इनका उपयोग केवल ए.सी. परिपथों में ही प्रयोग किया जा सकता है । ये यन्त्र मुख्यत : निम्न दो प्रकार के होते हैं
1. सिंगल फेज एनर्जी मीटर
2. थ्री – फेज एनर्जी मीटर
सिंगल – फेज एनर्जी मीटर (Single – Phase Energy Meter) क्या होता है
संरचना Construction
यह सिंगल – फेज ए.सी. स्रोत पर कार्य करने वाला यन्त्र है । इसमें , ‘ U’- आकृति का एक विद्युत – चुम्बक M , होता है जिसे ‘ प्रैशर – क्वॉयल ‘ से उत्तेजित किया जाता है । ‘ प्रैशर – क्वॉयल ‘ , महीन इनमल्ड ताँबे के तार से अधिक लपेट लगाकर तैयार की जाती है और इसे स्रोत के समानान्तर – क्रम में संयोजित किया जाता है । इसलिए , इस विद्युत – चुम्बक को ‘ शंट – चुम्बक ‘ भी कहते हैं । दूसरा विद्युत – चुम्बक M , होता है जो ‘ E- आकृति का होता है जिसे ‘ करण्ट – क्वायल ‘ से उत्तेजित किया जाता है । ‘ करण्ट – क्वायल ‘ , मोटे इनमल्ड ताँबे के तार से कम लपेट लगाकर तैयार की जाती है । इसीलिए , इस विद्युत – चुम्बक को सीरीज – चुम्बक ‘ भी कहते हैं । दोनो चुम्बकों के बीच एल्यूमीनियम धातु से बनी एक वृत्ताकार चकती होती है जो दो ज्वैल – बियरिंग्स पर आलम्बित धुरे पर जड़ी होती है । चकती पर एक ओर C आकृति का एक N स्थायी – चुम्बक लगाया जाता है जो ‘ ब्रेकिंग – चुम्बक ‘ की भाँति कार्य करता है । यन्त्र का संयोजन चित्र के अनुसार किया जाता है ।
कार्य प्रणाली Working Procedure
जब यन्त्र को ए.सी. स्रोत तथा लोड के मध्य संयोजित किया जाता है तो करण्ट क्वायल ‘ , लोड – करण्ट के अनुक्रमानुपाती तथा प्रेशर क्वायल ‘ स्रोत वोल्टेज के अनुक्रमानुपाती चुम्बकीय – फ्लक्स पैदा करती है । एल्युमीनियस चकती में उत्पन्न एडी – करण्ट तथा उक्त चुम्बकीय क्षेत्रों की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप चकती में घुमाव – बल विकसित हो जाता है और वह घूर्णन करने के लगती है । चकती को घूर्णन – गति लोड – करण्ट पर निर्भर करती है । चकती एवं उसके साथ जुड़े धुरे के घूर्णनों की संख्या रिकॉर्ड करने के लिए धुरे के ऊपरी सिरे पर रिकॉर्डिंग प्रणाली जुड़ी होती है । आजकल अधिकांश यन्त्रों में संख्यात्मक रिकॉर्डिंग प्रणाली प्रयोग की जाती है ।
विशेषताएँ Features
( i ) यह यन्त्र केवल सिंगल – फेज ए.सी. परिपथों की विद्युत – शक्ति खपत नापने के लिए प्रयोग किया जाता है ।
( ii ) एक ‘ किलो – वाट – घण्टा ‘ ( kWh ) के लिए यन्त्र की चकती द्वारा पूर्ण किए गए चक्करों की संख्या , यन्त्र – नियतांक कहलाती है और यह नियतांक , यन्त्र के खोल पर अंकित रहता है ।
एक किलो – वाट – घण्टा = चकती द्वारा पूर्ण किये गये चक्कर /यन्त्र -नियतांक
( iii ) यन्त्र के पावर – फैक्टर के समंजन के लिए ‘ शंट – चुम्बक ‘ पर ‘ शेडिंग – रिंग ‘ भी प्रयोग की जा सकती है ।
( iv ) थ्री – फेज ए.सी. परिपथ की विद्युत – शक्ति खपत नापने के लिए तीन सिंगल – फेज एनर्जी मीटर्स प्रयोग किए जा सकते हैं ।
3 – फेज एनर्जी मीटर (3 – Phase Energy Meter )क्या होता है?
3 – फेज ए.सी. परिपथों में विद्युत – शक्ति की खपत नापने के लिए निम्न दो प्रकार के यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं
( i ) 3 – फेज , 3 – तार एनर्जी मीटर ( 3 – Phase , 3 – Wire Energy Meter ) यह यन्त्र 3 – फेज , संतुलित लोड वाले ए.सी. परिपथों में विद्युत – शक्ति की खपत ‘ किलो – वाट – घण्टा ‘ मात्रक में नापने के लिए प्रयोग किया जाता है ।
संरचना Construction
इस यन्त्र में दो सिंगल – फेज एनर्जी मीटर्स को संयुक्त कर दिया जाता है । इसमें दो करण्ट – क्वॉयल ‘ तथा ‘ दो प्रैशर – क्वॉयल ‘ प्रयोग की जाती है परन्तु चकती , धुरा , स्थायी – चुम्बक तथा रिकॉर्डिंग – प्रणाली इकहरी ही रखी जाती है ।
कार्य प्रणाली Working Procedure
यन्त्र की चकती की घूर्णन – गति , दोनों ‘ करंट क्वायल्स ‘ में से प्रवाहित हाने वाले लोड – करंट पर निर्भर करती है । यन्त्र की प्रैशर – क्वॉयल्स ‘ फेज – टू – फेज संयोजित होती हैं और एक फेज उभयनिष्ठ ( common ) रखा जाता है । 3 – फेज , 4 – तार एनर्जी मीटर ( 3 – Phase , 4 – Wire Energy Meter )
संरचना Construction
इस यन्त्र में तीन स्वतन्त्र सिंगल – फेज एनर्जी मीटर होते हैं । तीनों यन्त्रों में पृथक् – पृथक् ‘ करंट – क्वायल ‘ , ‘ प्रैशर – क्वायल ‘ , चकती , ब्रेकिंग – चुम्बक प्रयोग किए जाते हैं परन्तु तीनों चकतियाँ एक ही धुरे और एक ही रिकॉर्डिंग प्रणाली से जुड़ी होती हैं
कार्य प्रणाली Working Procedure
यन्त्र की तीनों चकतियों में उत्पन्न हुआ घुमात – बल , धुरे को घुमाता है और धुरे से जुड़ी रिकॉर्डिंग प्रणाली , तीनों फेजेज की कुल विद्युत – शक्ति खपत को रिकॉर्ड करती है । इस यन्त्र का उपयोग असन्तुलित लोड वाले ए.सी. परिपथों में किया जाता है ।
एनर्जी मीटर्स के सामान्य दोष [Common Errors of Energy Meters ]
Creeping Error
जब लोड उपस्थित न होने पर भी डिस्क घूर्णन करने लगे तो यह दोष क्रीपिंग दोष कहलाता है । इस दोष के निवारण के लिए डिस्क में कुछ छिद्र बना दिए जाते हैं ।
गति षदो Speed Error
डिस्क का निर्दिष्ट गति की अपेक्षा कम अथवा अधिक गति पर घूर्णन करना , गति दोष कहलाता है । इस दोष के निवारण के लिए डैम्पिग मैग्नेट प्रयोग किए जाते हैं जिनके द्वारा डिस्क की घूर्णन गति को समायोजित किया जा सकता है ।
फेज दोष Phase Error
जब प्रैशर क्वायल में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा , वोल्टेज से सही 90 नहीं पिछड़ती तो यन्त्र में फेज दोष पैदा हो जाता है । इस दोष के निवारण के लिए प्रैशर क्वायल के श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधक का मान बढ़ाया जाता है ।
घर्षण दोष Frictional Error
यन्त्र की बियरिंग अथवा यान्त्रिक प्रणाली में स्नेहक की कमी से पैदा होने वाला दोष , घर्षण दोष कहलाता है । इस दोष के कारण डिस्क की घूर्णन गति घट जाती है इस दोष के निवारण के लिए बियरिंग तथा यान्त्रिक प्रणाली में उपयुक्त स्नेहक डाला जाता है तथा प्रणाली के पेचों को समायोजित किया जाता है ।
तापमान दोष Temperature Error
लोड करण्ट का मान , निर्धारित सीमा से अधिक हो जाने पर करण्ट क्वायल ‘ अधिक गर्म हो जाती है और यन्त्र शोर पैदा करने लगता है । यन्त्र द्वारा शोर पैदा करना इस बात का संकेत है कि लोड घटाया जाए अन्यथा यन्त्र सही विद्युत शक्ति खपत नहीं दर्शाएगा , इसके अतिरिक्त यन्त्र फुक भी सकता है ।
हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! एनर्जी मीटर (Energy Meter) क्या है और कितने प्रकार के होते हैं हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।
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