DBMS कितने प्रकार के होते हैं | What are the types of DBMS in Hindi

 DBMS कितने प्रकार के होते हैं

Data models को निम्न type में classified किया जा सकता है । 

1 ) File – Based system 

2 ) Traditional data models 

3 ) Semantic data models या ER Diagram 

1 ) File Based system or Primitive Model : 

Entities या objects को records के द्वारा represent किया जा सकता है , जो कि एक साथ files में store होते हैं , object के बीच relationship को विभन्न प्रकार की directories का use करते हुए represent किया जाता है । 

2 ) Traditional datamodels : –

ये तीन प्रकार के होते हैं । 

1 ) Hierarchical data model 

2 ) Network data model 

3) Relational data model 

1. Hierarchical डाटा मॉडल : 

Hierarchical मॉडल , नेटवर्क मॉडल की तरह ही इन अर्थों में समान है कि डाटा तथा रिलेशनशिप को क्रमशः रिकॉर्डस लिंक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । Hierarchical डाटाबेस मॉडल सबसे पुराने डाटाबेस मॉडल में से है । Hierarchical मॉडल में यह मानकर चला जाता है कि रिलेशनशिप सबसे अधिक ट्री स्ट्रक्चर में ही होती है । hierarchical एक तरह का analytical graph होता है । जिसमें nodes present रहते है । तथा प्रत्येक नोडस से कई ब्रांचेस कनेक्ट होती है । Hierarchical model की निम्न properties होती ह । 

Hierarchical data model : –

 Hierarchical data Model के निम्न Features होते हैं

1 ) यह Network Data Model ds Similar होता है लेकिन इसमें records एक tree के form में होते हैं

2 ) Hierarchy एक ordered list ( multi way tree ) हैं । 

3 ) इसमें data records के रूप में represent किये जाते हैं । 

4 ) data के बीच relationship records या links के द्वारा represent की जाती है । 

5 ) Tree nodes का एक group होती है तथा एक tree में main node root node कहलाता है । 

6 ) सभी tree के roots अपने आप में single parent होते हैं , तथा इस parent के 0,1 या more children हो सकते हैं । 

7 ) Hierarchical Model में कोई भी dependent record अपनी parent record occurrence के बिना नही आ सकता । 

8 ) कोई भी dependent record एक से अधिक parent record के accuracy के साथ नही आ सकता 

9 ) एक data structure diagram में सभी record type को एक relationship set के द्वारा connect किया जाता है ।

 Hierarchical डाटा मॉडल के लाभ : 

इस डाटाबेस मॉडल के मुख्य लाभ यह है 

1. सरलता : चूंकि डाटाबेस Hierarchical स्ट्रेक्चर पर आधारित है , विभिन्न लेयर्स के बीच संबंध लॉजिकली ( अवधारणात्मक रूप से ) सरल है । इस तरह हायरीकल डाटाबेस का डिजाईन सरल है । 

2. डाटा सुरक्षाः हायरर्कीकल मॉडल पहला ऐसा डाटाबेस मॉडल था जिसमें डाटा सुरक्षा दी गई थी और इसे DBMS ने लागू किया था । 

3. डाटा शुद्धता : चूंकि हायरकीर्किकल मॉडल पेरेट / चाईल्ड ( पालक / बालक ) संबंध पर आधारित है , इसमें हमेशा पैरेंट और चाईल्ड सेंगमेंट में लिंक बनी रहती है । चाईल्ड सेगमेंट हमेशा स्वचालिक तरीके से अपने पैरेन्ट सेंगमेंट को रेफरेंस करते है । इस तरह यह मॉडल डाटा इंटीग्रिटी को बढ़ाता है । 

4. कार्यक्षमताः हायरर्कीकल डाटाबेस मॉडल बहुत ही कार्यक्षम साबित होता है , जब डाटाबेस में बड़ी संख्या में 1 : N रिलेशनशिप ( एक से कई ) हो और यूजर को फिक्स रिलेशनशिप वाले डाटा का उपयोग करके बहुत सारे ट्राजेक्शन की आवश्यकता हो । 

हायरीकल डाटा मॉडल की खामियाँ : 

हायरर्कीकल मॉडल की खामियाँ इस प्रकार है : 

01. क्रियान्वयन की जटिलताः हालांकि हायरर्कीकल डाटाबेस मॉडल अवधारणात्मक रूप से सरल है और डिजाईन में भी आसान है , लेकिन अमल में लाने में काफी जटिल है । डाटाबेस डिजाईनर को फिजिकल डाटा स्टोरेज का बहुत अच्छा ज्ञान होना चाहिए । 

02. डाटाबेस मैनेजमेंट की समस्यायें : यदि आप किसी हायरर्कीकल डाटाबेस के डाटाबेस स्ट्रेक्चर में परिवर्तन करे तो आपको डाटाबेस को एक्सेस करने वाले सारे एप्लीकेशन प्रोग्राम में आवश्यक बदलाव करने होगे । इस प्रकार डाटाबेस और एप्लीकेशनस का रखरखाव बहुत कठिन हो जाता है । 

03. स्ट्रक्चरल स्वतंत्रता का अभावः स्ट्रेक्चर व आधारभूत ढांचे संबंधी स्वतंत्रता तब होती है , जब डाटाबेस स्ट्रेक्चर में परिवर्तन से DBM की डाटा एक्सेस करने की क्षमता प्राभावित नहीं होती है । हायरीकल डाटावेस सिस्टम विभिन्न डाबबेस सिस्टम में नेवीगेट करने के लिये फिजिकल स्टोरेज पाथ का उपयोग करता है । इस वजह से डाटा एक्सेस करने के लिये एप्लीकेशंस प्रोग्रामर को प्रासांगिक एक्सेस पाथ का अच्छा ज्ञान होना चाहिए । ऐसी स्थिति में यदि भौतिक ढाचा बदल जाता है , तो एप्लीकेशन भी रूपांतरित करने होगें । इस प्रकार हायरर्कीकल डाटाबेस में मूलभूत रचनागत निर्भरता के कारण डाटा स्वंत्रता के फायदे सीमित ही है । 

04. प्रोग्रामिंग संबंधी जटिलताएँ : रचनागत निर्भरता और नेविगेशनल स्ट्रक्चर के कारण डाटा एक्सेस करने के लिये एप्लीकेशन प्रोग्रामर तथा एण्ड यूजर को ठीक – ठीक इस बात की जानकारी होना चाहिए की डाटाबेस में डाटा भौतिक रूप से किस प्रकार विपरीत है । इसलिये जटिल पॉईन्टर सिस्टम का ज्ञान जरूरी है , जो प्रायः सामान्य उपयोगकर्ताओं ( जिन्हे प्रोग्रामिंग का थोड़ा या बिल्कुल ही ज्ञान नहीं है ) के बस के बाहर की बात है । 

क्रियान्वयन की सीमाएँ : आम रिलेशनशिप में से कई 1 : N फार्मेट के अनुरूप नहीं होती जो हायरीकल मॉडल की आवश्यकता है । वास्तविक जीवन में अधिक आम कई से कई ( N : N ) रिलेशनशिप को हायरीकल मॉडल में लागू करना बहुत कठिन है । इस model का main disadvantage यह है कि one to many relationship के कारण records की duplication होती है तथा link type implementation के कारण इसके design में complication होती है । सामान्यतः structure में changes होने पर aaplication program में भी changes करना होता है । 

II . Network Model : 

नेटवर्क मॉडल में रिकार्ड और रिलेशनशिप के संग्रह को लिंक से दर्शाया जाता है । और इन्हे पाइंटर्स के रूप में देखा जा सकता है । आटाबेस में रिकार्ड को मनमाने ग्राफ के संग्रह के रूप में ऑर्गनाईज किया जाता है | Network model PLEX structure पर आधारित होता है । यह रिलेशनशिप इस प्रकार परिभाषित हो जाए कि यदि किसी चाईल्ड के more then one parent हो तो ऐसी रिलेशनशिप से बने structure hierarchy एक तरह का analytic graph है जिसमें नोडस प्रजेन्ट होते है । तथा प्रत्येक नोडस से कई ब्रांच होती है तथा इसका उपयोग जिसका डेटा माडल में किया जाता है । उसे hierarchical data model कहते हैं । 

Network data model 

1 ) यह Model ” graph data ” structure पर dependent है । 

2 ) Data को records और links के रूप में represent किया जाता है । 

3 ) Data के बीच relationship links a pointer के द्वारा represent की जाती है । दो records के बीच direct relationship किसी set के द्वारा represent की जाती है तथा इन दोनो records में एक को owner तथा दूसरे को member कहा जाता है । 

4 ) किसी set में member record more than one हो सकता है , लेकिन owner record एक ही हो सकता है 

5 ) Network Model में one to one ( 1 : 1 ) one to many ( 1 : M ) many to many ( M : M ) सभी relationship possible है 

6 ) Network model में कोई root नही होता तथा यह non hierarchical  concept पर based होता है ।

 नेटवर्क डाटामॉडल के लाभ :

 01. अवधारणात्मक सरलता : -हायरकीकल मॉडल की तरह नेटवर्क मॉडल भी अवधारणा के स्तर पर इसे सरल और डिजाईन करने में बहुत आसान है । 

2. अधिक रिलेशनशिप टाईप को हैण्डल करने में सक्षम है . नेटवर्क मॉडल एक से कई ( 1 : N ) और कई से कई ( N : N ) रिलेशनशिप को संभाल सकता है वास्तविक जीवन की स्थितियों को मॉडल करने में यह वास्तविक मदद है । 

03. डाटा एक्सेस में आसानीः हायरर्कीकल मॉडल की तुलना में डाटा एक्सेस आसान और लचीला है । कोई भी एप्लीकेशन ऑनर रिकार्ड एक्सेस कर सकती है । इसी प्रकार एक सेट के भीतर सभी मेंबर्स रिकार्ड भी एक्सेस कर सकता है । यदि सेट में किसी मेंम्बर के दो ऑनर है । ( जैसे दो विभागों के लिये कोई एक कर्मचारी काम करे ) दो एक्सेस चाहने वाला एक से दूसरे ऑनर पर जा सकता है । 

04. डाटा शुद्धताः नेटवर्क मॉडल किसी भी मेंबर को बिना ऑनर के नहीं रहने देता है । इस प्रकार यूजर को पहले ऑनर रिकार्ड परिभाषित करना चाहिए और उसके बाद मेंबर रिकार्ड । इससे डाटा की शुद्धता बनी रहती है । 

05. डाटा की स्वतंत्रताः नेटवर्क मॉडल जटिल फिजिकल स्टोरेज ब्यौरा से प्रोग्राम को अलग करने ( पूरी तरह नही तो आंशिक रूप से ही सही ) के लिये अच्छा है । यह कुछ हद तक यह सुनिश्चित करता है कि डाटा कैरेक्टरस्टीकस में परिवर्तन के कारण एप्लीकेशन प्रोग्राम में फेरबदल की आवश्यकता न हो । 

नेटवर्क मॉडल की खामियां : 

नेटवर्क मॉडल के मुख्य दोष निम्न है : 

01. सिस्टम काम्प्लेकसिटी : नेटवर्क मॉडल डाटा की नेविगेशनल एक्सेस की सुविधा देता है . जिसमें डाटा एक समय में रिकार्ड को एक्सेस करता है । यह नेवीगेशनल डाटा एक्सेस मेकेनिज्म , सिस्टम इम्प्लीमेंटेशन को बहुत जटिल बनाता है तथा डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर , डाटाबेस डिजाईनर , प्रोग्रामर्स तथा एंड यूजर्स को डाटा को एक्सेस करने के लिए इंटरनल डाटा स्ट्रक्चर से फेमेलियर होना ही चाहिए । 

02 स्ट्रक्चरल स्वतंत्रता की अनुपस्थिति : चूंकि डाटाबेस नेटवर्क मॉडल में डाटा एक्सेस करने की विधि नेविगेशनल सिस्टम है , तो अधिकतर स्थितियों में डाटाबेस पर कोई भी संरचनात्मक परिवर्तन कठिन होता है तथ कुछ स्थितियों में यह असंभव होता है । यदि डाटाबेस संरचना में परिवर्तन किए जाते हैं , तो सभी एप्लीकेशन प्रोग्रामों को डाटा एक्सेस करने के पहले संशोधित करने की आवश्यकता होती है । इस तरह यदि नेटवर्क डाटाबेस प्राप्त करने में असफल रहता है । मॉडल डाटा स्वतंत्रता प्राप्त करने में सफल हो जाता है , तो भी यह संरचनात्मक स्वतंत्रता बात प्राप्त करने में असफल रहता है

3 ) Relationship model relational algebra पर Based होती है । 

4 ) Use को Database के use में लिए database के structure को जानना जरूरी नहीं होता है । 

5) Use इन structures को किसी भी प्रकार से change नहीं कर सकता है । 

6) इस model में entity तथा उनके बीच की relationship represent करने के लिए relation एक मात्र Datastructure कहा जाता है । 

7 ) Relation की Row को tuples तथा columns को attribute कहा जाता है । 

8 ) प्रत्येक attribute का relation में distinctname होता है । 

9 ) किसी column या attribute की value जिस value group में से ली जाती है । उसे domain कहा जाता है ।  

Relational data model : 

Relational data model table concept पर आधारित है । इसे Mr. E.E. Code ने बनाया था relational database table , tuples ( row ) पर आधारित होता है । और इसके आधार पर बने relational database में understanding easy flexible , remebering गुण आ जाता है । यह step by step processing है । यह मॉडल डाटा और उन डाटा के बीच संबंधों को दर्शाने के लिए टेबल के संग्रह का उपयोग करता है । प्रत्येक टेबल में कई कॉलम होते हैं और प्रत्येक कॉलम का विशिष्ट नाम होता है ।

रिलेशनल मॉडल के गुण 

रिलेशनल मॉडल के निम्न गुण होते हैं 

1. संपूर्ण डाटा , टेबल के रूप में प्रदर्शित किया जाता है । 

2 डाटा के बीच रिलेशनशिप को कॉलम वेल्यू से दर्शाया जाता है । 

3. यह डाटाबेस में फेरबदल की स्थिति में एप्लीकेशन प्रोग्राम में बदलाव लाने की आवश्यकता को खत्म कर देता है । 

4. यूजर को डाटाबेस को उपयोग करने के लिए भौतिक रचना स्वरूप की ठीक – ठीक जानकारी होने की आवश्यकता नहीं होती है

5. भौतिक रचना स्वरूप में किए गए किसी भी फेरबदल के खिलाफ यूजर्स को संरक्षण मिलता 

6. रिलेशनल डाटा मॉडल में एंटीटी और उनके बीच रिलेशनशीप दोनों को दर्शाने के लिए केवल रिलेशनल डाटा स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाता है । 

7. रिलेशन्स की पत्तियों को रिलेशन के tuples के रूप में और कॉलम को इसके गुणों के रूप में उल्लेखित किया जाता है । 

8 रिलेशन का प्रत्येक गुण का अपना विशिष्ट नाम होता है । 

9. एट्रीब्यूट या कॉलम के लिए वेल्यू . वेल्यूज के सेट में से निकाली जाती है । इस सेट को डोमेन कहते है । 

रिलेशनल मॉडल के लाभ : 

रिलेशनल मॉडल के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं 

 डांचागत या रचनात्मक स्वतंत्रता : रिलेशनल मॉडल नेविगेशन डाटा एक्सेस सिस्टम इस Model में link implementation के कारण records को add करना तथा delete करना difficult होता है . इस structure के अंदर traversing difficult होती है । क्योंकि इसकी navigational access technique अधिक complicated होती है , इस structure में किसी भी प्रकार के changes होने पर application program में changes आवश्यक है । 

3) Semantic data models या ER Model : 

इसे artificial ( A – I ) Intelligence researches द्वारा developed किया गया । इसका use general knowledge को represent करने के लिए किया जाता है ।

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