विधुत फ्यूज की परिभाषा
तार का छोटा टुकड़ा जो परिपथ में श्रेणी क्रम में प्रयुक्त होता है जो अति धारा की उपस्थिति में पिघल कर परिपथ को ओपन करता है फ्यूज कहलाता हैं
फ्यूज क्या होता है
एक सुरक्षा युक्ति है जो किसी वैद्युतिक परिपथ को ‘शॉर्ट-सर्किट’ अथवा ‘ओवरलोड’ (short-circuit or overload) परिस्थितियों में सुरक्षा करती है। किसी केबिल अथवा तार में से उसको विद्युत धारा वहन क्षमता (current carrying capacity) से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर वह तार गर्म हो जाता है और उसका अचालक आवरण पिघलकर जलने लगता है जिससे भवन में भी आग लग सकती है। ऐसी स्थिति में फ्यूज, सुरक्षा प्रदान करता है और स्वयं पिघलकर टूट जाता है और परिपथ में से विद्युत धारा प्रवाह समाप्त कर देता है।
फ्यूज किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
फ्यूज ऊष्मीय प्रभाव के सिद्धांत पर कार्य करता है
फ्यूज की तार विद्युत उपकरणों को कैसे बचाती है
फ्यूज युक्ति में प्रयोग किया गया निम्न गलनांक वालो धातु का तार, निर्धारित मान से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर स्वयं पिघलकर टूट जाता है और केबिल्स के अचालक को पिघलने एवं उसमें आग लगने से बचा लेता है।
फ्यूज तार किस धातु का बना होता है
फ्यूज तार के रूप में टिन-लैंड (भिन्न धातु) तार, एल्युमीनियम तार अथवा टिन आलेपित ताँबे का तार प्रयोग किया जाता है। इनकी विद्युत धारा बहन क्षमता पृथक्-पृथक् होती हैं जो तार की मोटाई पर निर्भर करती है
फ्यूज कितने प्रकार के होते हैं
किट-कैट फ्यूज Kit-kat Fuse क्या है
यह सबसे अधिक प्रचलित प्रकार का फ्यूज है। इसमें दो भाग होते हैं आधार (base) तथा टॉप या फ्यूज कैरियर (top or fuse carrier)। ‘आधार’ पोसिलेन का बना होता है और इसे फेज लाइन के श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है। ‘टॉप’ पोसिलेन अथवा वैकेलाइट (निम्न विद्युत धारा क्षमता, 15 A तक वाले फ्युजों में) का बना होता है और इसमें फ्यूज तार कसा जाता है। ये फ्यूज 5 A से 3000 A क्षमता तक बनाए जाते है।
कार्टिज फ्यूज Cartridge Fuse क्या है
यह पूर्णतः वायु-रुद्ध (air tight) प्रकार का फ्यूज है। इसमें प्राय: ताँबा व टिन (63% व 37%) को मिश्रधातु का तार, काँच अथवा पोर्सिलेन की ट्यूब में बन्द कर दिया जाता है। इस प्रकार, बाहरी वातावरण का फ्यूज-तार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और उसका ऑक्सीकरण भी नहीं हो पाता। फ्यूज जल जाने की स्थिति दर्शाने के लिए इसमें एक ‘इण्डेक्स वृत्त’ (Index circle) होता है और उसके सामने, फ्यूज तार के पीछे एक सफेद कागज लगा होता है। फ्यूज जल जाने पर कागज काला पड़ जाता है। इस प्रकार फ्यूज को बिना खोले ही उसके जल जाने का पता चल जाता है। कार्टिज फ्यूज लगाने के लिए ‘फ्यूज कैरियर’ (fuse carrier) तथा ‘आधार’ (base) किट-कैट फ्यूज की भांति ही होता है।
ये फ्यूज प्राय: 2A से 60A क्षमता तक बनाए जाते हैं। फ्यूज उड़ने के समय होने वाली स्पार्किग को कम करने के लिए फ्यूज की ट्यूब में एक पाउडर जैसा अचालक पदार्थ भरा जाता है। एक बार फ्यूज जल जाने पर उसका दुबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता।
कार्टिज फ्यूज, ‘डी’ प्रकार के भी होते है जिनका उपयोग मशीन में किया जाता है। इनमें फ्यूज को एक कैप’ में लगाकर ‘फ्यूज-जैक’ में कस दिया जाता है। कैप में एक धात्विक क्लैम्प होता है जो बैकेलाइट खोल में जड़ा होता है और उसी में कांच की ट्यूबनुमा फ्यूज का एक गिर फैसाया जाता है।
एच.आर.सी. फ्यूज (H.R.C. Fuse ) क्या है
इसका पूरा नाम ‘हाई रप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज’ (high rupturing capacity fuse) है। यह कार्टिज फ्यूज की भांति ही वायुरुद्ध कांच अथवा पोर्सिलेन की ट्यूब में स्थापित किया जाता है। तार के चारों ओर अचालक चूर्ण भरा होता है। इस फ्यूज की विशेषता यह है कि यह निर्धारित विद्युत धारा मान से लगभग दो गुनी विद्युत धारा भी कुछ क्षणों तक सह सकता है परन्तु विद्युत लाइन में पैदा हुए दोष के तीन-चार क्षण में दूर न होने पर फ्यूज उड़ जाता है। इस प्रकार के फ्यूज 30 A से 1000 A विद्युत धारा क्षमता में बनाए जाते हैं। इनका उपयोग प्राय: नंगे तारों वाली लाइन के उप-केंद्रों (sub-stations) पर किया जाता है।
किसी केबिल अथवा तार में से उसको विद्युत धारा वहन क्षमता (current carrying capacity) से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर वह तार गर्म हो जाता है और उसका अचालक आवरण पिघलकर जलने लगता है जिससे भवन में भी आग लग सकती है। ऐसी स्थिति में फ्यूज, सुरक्षा प्रदान करता है और स्वयं पिघलकर टूट जाता है और परिपथ में से विद्युत धारा प्रवाह समाप्त कर देता है।