विद्युत धारा क्या है
अधिकांश धातुओं के परमाणुओं की अन्तिम कक्षा में केवल एक – दो इलैक्ट्रॉन्स ही होते हैं और नाभिक से न होने के कारण इनमें नाभिक के प्रति आकर्षण बल का मान काफी कम होता है । अतः ऐसे तत्त्वों के परमाणुओं में से कुछ बल लगाकर जैस – विघुत वाहक बल लगाकर , इलैक्ट्रॉन्स को गतिमान किया जा सकता है । ऐसे इलैक्ट्रॉन्स ( मुक्त इलैक्ट्रॉन्स ) , एक परमाणु से दुसरे परमाणु में होते हुए उस तत्व के टुकड़े के आर – पार प्रवाहित किए सकते हैं ।
इस प्रकार , “ किसी तत्त्व या पदार्थ में से इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाह विधुत धारा कहलाता है ।
विद्युत धारा मात्रक एवं सूत्र
I = Q/t
विद्युत धारा का प्रतीक I और S.I. मात्रक एम्पियर A(col/s) होता है । विद्युत धारा की चाल , प्रकाश की चाल के तुल्य अर्थात् 3×10⁸ मी/से होती है
विद्युत धारा की दिशा Direction of Electric Current
विद्युत धारा की दिशा धन ( – ) वस्तु के ऋण ( – ) अनु की ओर होती है परन्तु इलैक्ट्रॉन्स की खोज एवं परमाणु संरचना ज्ञात हो जाने के बाद यह पता चला कि जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्टॉसत्याग देते है वह धनावेशित ( positively charged ) कहलाती है ।
इसी प्रकार , जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन्स ग्रहण कर लेते है वह उन ऋणदेशन ( negatively charged ) वस्तु कहलाती है अर्थात् मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता वाली वस्तु , ऋणावेशित एवं इनकी कमो बाली का इनाशिन वस्तु होती है । जिस वस्तु के पास मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता है , वही दूसरी मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की कमी वाली वस्तु को मुक्त इलैक्ट्रॉन्स दे सकती है । अत : ‘ इलैक्ट्रॉन्स के बहाव ‘ की दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है ।
क्योकि इलैक्ट्रॉन्स के बहाव की दिशा , विद्युत धारा प्रवाह की प्रारम्भिक अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है और उसे बदलना भी सुविधाजनक नहीं है । अत : इस नये सिद्धान्त को इलैक्ट्रॉन्स का बहाव या विद्युत धारा का बहाव के नाम से जाना जाता है और इसके प्रवाह को दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है ।
एक एम्पियर One Ampere
यदि किसी बिन्दु से एक सेकण्ड समय में 6.28 ×10¹⁸ इलैक्ट्रॉन्स प्रवाहित हो जाएं तो विधुत धारा का मान एक एम्पियर होता है ।
विद्युत वाहक बल Electric Motive Force , EMF
किसी चालक पदार्थों में में विद्युत धारा को एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित करने वाला बल , विद्युत वाहक बल कहलाता है । यह सैल , बैटरी , जैनरेटर आदि से प्राप्त किया जाता है । विद्युत वाहक बल का प्रतीक E औ मात्रक वोल्ट V है ।
एक वोल्ट One Volt
विद्युत वाहक बल का वह मान जो एक ओह्म प्रतिरोधक वाले चालक में से एक एम्पियर ( 1A ) मान की विद्युत धारा प्रवाहित कर सके , एक वोल्ट कहलाता है ।
प्रतिरोध Resistance
यह पदार्थों का स्वाभाविक गुण है जिसके कारण वह अपने में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का विरोध करता है । प्रतिरोध का प्रतीक R और मात्रक ओह्म है ।
एक ओह्म One Ohm
यदि एक वोल्ट विद्युतवाहक बल पर किसी चालक में से एक एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसका प्रतिरोध एक ओह्म होता है ।
चालकता Conductance
पदार्थों का वह स्वाभाविक गुण , जो विद्युत धारा प्रवाह में सुगमता प्रदान करता है , चालकता कहलाता है ।
G =1/R
इसका प्रतीक G , मात्रक साइमन ( Simen ) और मात्रक का प्रतीक S होता है ।
विभव Potential
” इकाई आवेश को अनन्तता ( infinity ) से किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस बिन्दु का विभव कहलाता है । ” दूसरे शब्दों में , ” किसी वस्तु का वैद्युतिक स्तर जिससे यह निर्देशित होता है कि विद्युत धारा वस्तु से पृथ्वी की ओर अथवा पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित होगी , उस वस्तु का विभव कहलाता है । यह धनात्मक अथवा ऋणात्मक होता है
V =w/q
धनात्मक विभव Positive Potential ( + )
जब विद्युत धारा पृथ्वी की ओर प्रवाहित होती है तो वस्तु का विभव धनात्मक होता है ।
ऋणात्मक विभव Negative Potential ( – )
जब विद्युत धारा पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित होती है तो वस्तु का विभव ऋणात्मक होता है ।
विभवान्तर क्या है
जब किसी चालक ( या प्रतिरोधक ) में से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसके सिरों के विभवों में कुछ अन्तर पैदा हो जाता है जिसे विभवान्तर कहते हैं । विभवान्तर का प्रतीक V और मात्रक वोल्ट ( V ) है ।
एक वोल्ट One Volt
किसी एक ओह्म प्रतिरोध मान वाले चालक में से एक एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसके सिरों पर पैदा हुए विभवान्तर का मान एक वोल्ट होता है ।
वोल्टेज Voltage
विभवान्तर अथवा विद्युत वाहक बल का वोल्टस् में व्यक्त किया गया मान वोल्टेज कहलाता है ।
विभवान्तर एवं विद्युत वाहक बल में अन्तर Difference between PD and EMF
किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाह का मान शून्य होने पर विभवान्तर का मान भी शून्य होता है जबकि विद्युत वाहक बल का मान शून्य होना आवश्यक नहीं होता ।
विद्युत धारा कितने प्रकार के होते हैं
विधुत धारा मुख्यतः निम्न दो प्रकार की होती है
दिष्ट धारा Direct Current ; D.C.
जिस विद्युत धारा का मान और दिशा नियत रहती है वह दिष्ट धारा कहलाती है । यह सैल , बैट्री , जनित्र आदि से प्राप्त की जाती है । इसका उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग , आर्क वैल्डिंग , बैट्री चार्जिंग , इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रचालन आदि में किया जाता है ।
प्रत्यावर्ती धारा Alternating Current ; A.C.
जिस विद्युत धारा का मान और दिशा एक नियत दर पर परिवर्तित होते रहते हैं वह ए सी कहलाती है । यह आल्टरनेटर ( ए . सी . जनित्र ) से प्राप्त की जाती है । इसका उपयोग घरेलू , औद्योगिक आदि क्षेत्रों में प्रकाश , ऊष्मा , ठण्डक , यान्त्रिक ऊर्जा आदि प्रदान करने वाले उपकरणों को प्रचालित करने के लिए किया जाता है ।
विद्युत धारा के प्रभाव Effects of Electric Current
विद्युत धारा के प्रभाव निम्न प्रकार हैं
ऊष्मीय प्रभाव Heating Effect
“ प्रत्येक चालक स्वयं में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का कम या अधिक विरोध करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्म हो जाता है । यह विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाता है । ” इस प्रभाव का उपयोग इलैक्ट्रिक प्रैस , इलैक्ट्रिक आयरन , हीटर , बल्ब आदि में किया जाता है । बल्ब तो ऊष्मा के साथ – साथ प्रकाश भी उत्पन्न करता है ।
चुम्बकीय प्रभाव Magnetic Effect
“ विद्युत धारावाही चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है । यह विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहलाता है । ” इस प्रभाव का उपयोग विद्युत घण्टी , विद्युत चुम्बक , पंखा , मोटर , जनित्र आदि में किया जाता है ।
रासायनिक प्रभाव Chemical Effect
अम्लीय विलयनों में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विलयन में घुले पदार्थ अपने अवयवों में विभाजित हो जाते हैं , यह विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहलाता है । इस प्रभाव का उपयोग सैल , विद्युत्लेपन ( विद्युतरंजन ) , धातु निष्कर्षण आदि कार्यों में किया जाता है ।
किरण प्रभाव Ray Effect
” जब अधिक वोल्टता एवं अधिक फ्रीक्वेन्सी वाली विद्युत धारा वायु – शून्य नली में से प्रवाहित की जाती है तो एक विशेष प्रकार की किरणे X – rays पैदा होती हैं । यह विद्युत धारा का किरण प्रभाव कहलाता है । ” इस प्रभाव का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में हड्डियों का छाया – चित्र प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
गैस आयनीकरण प्रभाव Gas lonisation Effect
” किसी विसर्जन नलिका में भरी मरकरी वेपर गैस , सोडियम वेपर गैस आदि में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर गैस का आयनीकरण हो जाता है । यह विद्युत धारा का आयनीकरण प्रभाव कहलाता है । ” इस प्रभाव का उपयोग उच्च प्रकाश तीव्रता वाले बल्बों में किया जाता है ।
विद्युत धारा के कुछ अन्य प्रभाव भी होते हैं जैसे शरीर में झटका लगना । इसका उपयोग मानसिक रोगों की चिकित्सा में किया जाता है ।