मिल्खा सिंह जीवनी | Biography of Milkha Singh in Hindi

 

मिल्खा सिंह जीवनी


नाम :-     मिल्खाा सिंह 

 उपनाम :-  फ़्लाइंग सिख 

 जन्म :-    20 नवम्बर 1935

 जन्म स्थान :-   पाकिस्तान 

milkha singh   :-   height 1.83 m

 वजन   :-   70 kg

 कर्म भूमि   :-  भारत

 पत्नी     :-     निर्मल कौर

milkha singh son   :-  1 बेटा, 3 बेटियां

 

मिल्खा सिंह जीवनी


प्रारंभिक जीवन 


फ्लाइंग सिख’ नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का जन्म साल 1929 में पाकिस्तान के मुजफरगढ़ के गोविंदपुरा में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाईयों का सामना किया. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त उनको भारत आना पड़ा लेकिन उस दौरान उन्होंने 14 में से आठ भाई बहनों और माता-पिता को खो दिया.

इन सब यादों के साथ वो भारत आए और सेना में शामिल हो गए. सेना में भर्ती होना मिल्खा सिंह का सबसे जबर्दस्त फैसला था. इस फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी और एक क्रॉस-कंट्री रेस ने उनके प्रभावशाली करियर की नींव रखी. इस दौड़ में 400 से अधिक सैनिक शामिल थे और इसमें उन्हें छठा स्थान हासिल किया था.

साल 1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सेना ने मिल्खा सिंह को जूनियर कमीशंड ऑफिरसर के तौर पर प्रमोशन कर सम्मानित किया। बाद में उन्हें पंजाब के शिक्षा विभाग में खेल निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। और इसी पद पर मिल्खा सिंह साल 1998 में रिटायर्ड हुए।

मिलखा सिंह ने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। जिसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें “उड़न सिख” कह कर पुकारा। उनको “उड़न सिख” का उपनाम दिया गया था। आपको बता दें कि 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ में 40 सालों के रिकॉर्ड को जरूर तोड़ा था, लेकिन दुर्भाग्यवश वे पदक पाने से वंचित रह गए और उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ था। अपनी इस असफलता के बाद मिल्खा सिंह इतने नर्वस हो गए थे।

उन्होंने दौड़ से संयास लेने का मन लिया, लेकिन फिर बाद में दिग्गज एथलीटों द्धारा समझाने के बाद उन्होंने मैदान में शानदार वापसी की। इसके बाद साल 1962 में देश के महान एथलीट जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मैडल जीतकर देश का अभिमान बढ़ाया। साल 1998 में मिल्खा सिंह द्धारा रोम ओलंपिक में बनाए रिकॉर्ड को धावक परमजीत सिंह ने तोड़ा।

भारत के महान धावक और तीन बार के ओलंपियन मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, उन्हें कोविड-19 से संबंधित संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में उनका कोविड संक्रमण का इलाज चल रहा था, कोविड सेंटर के आईसीयू इकाई से बाहर ले जाने के दो दिन बाद, मिल्खा सिंह की हालत शुक्रवार को ज्यादा बिगड़ गई और देर रात उनका निधन हो गया।

मिल्खा सिंह आईसीयू में थे, बृहस्पतिवार देर रात ऑक्सीजन का लेवल गिरने के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें बुखार हो गया था।

19 मई को उनका कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई, हालत में सुधार के बाद उन्हें घर लाया गया लेकिन 4 जून को फिर से उन्हें भर्ती किया गया।

उनकी पत्नी और पूर्व भारतीय वॉलीबॉल कप्तान निर्मल कौर (Nirmal Kaur) भी 21 मई को कोविड वायरस की चपेट में आ गई थी, पिछले रविवार को कोविड से जुड़े गंभीर संक्रमण के कारण चंडीगढ़ में एक चिकित्सा सुविधा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। निर्मल कौर 85 वर्ष की थी।


मिल्खा सिंह फिल्म


भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह ने अपनी बेटी सोनिया संवलका के साथ मिलकर अपनी बायोग्राफी ‘The Race Of My Life’ लिखी थी। मिल्खा सिंह के इस किताब से प्रभावित होकर बॉलीवुड के प्रसिद्द निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने उनके प्रेरणादायी जीवन पर एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम ‘भाग मिल्खा भाग’ था। यह फिल्म 12 जुलाई, 2013 में रिलीज हुई थी। फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता फरहान अख्तर ने निभाया था। यह फिल्म दर्शकों द्धारा काफी पसंद की गई थी, इस फिल्म को 2014 में बेस्ट एंटरटेनमेंट फिल्म का पुरस्कार भी मिला था।


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पुरस्कार :


        मिल्खा सिंह 1959 में ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किये गये


रिकॉर्ड, पुरस्कार और सम्मान


• वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में – प्रथम

• वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम

• वर्ष 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों की 440 गज रेस में – प्रथम

• वर्ष 1959 में – पद्मश्री श्री पुरस्कार

• 400 मीटर में वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम

• वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में – प्रथम

• वर्ष 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में – द्वितीय

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