मूविंग आयरन यन्त्र (Moving Iron Instrument ) क्या है और कितने प्रकार के होते हैं

 मूविंग आयरन यन्त्र (Moving Iron Instrument ) क्या है


मूविंग आयरन यन्त्र का उपयोग डी.सी. तथा ए.सी. दोनों प्रकार की विद्युत धारा के मापन के लिए किया जाता है । इसमें वायु घर्षण अवमन्दक प्रणाली प्रयोग की जाती है । इसमें विद्युत चुम्बक प्रयोग किया जाता है । इसमें कुण्डली स्थिर रखी जाती है और लौह पत्तियाँ सचल रखी जाती हैं । यह अपेक्षाकृत कम सुग्राही होता है । इसका पैमाना आनुपातिक नहीं होता है । इसके द्वारा ली गई नाप , अपेक्षाकृत कम यथार्थ होती है । इसकी बनावट मजबूत होती है । इनका विद्युत शक्ति व्यय अधिक होता है । इसका वोल्टमीटर के रूप में अधिक यथार्थता से प्रयोग नहीं किया जा सकता 


मूविंग आयरन यन्त्र कितने प्रकार के होते हैं


इस यन्त्र में कुण्डली के स्थान पर लौह चकती अथवा लौह पत्ती , धुरे को घुमाती है । यह यन्त्र निम्न दो प्रकार का होता है 

1. आकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र 

2. प्रत्याकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र  


1. आकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र (Attraction Type Moving Iron Instrument )


कार्य सिद्धान्त Working Principle 

यह यन्त्र विद्युत – चुम्बकीय आकर्षण के सिद्धान्त पर कार्य करता है ।


संरचना Construction 


इस यन्त्र में मुख्यतः एक बड़ी कुण्डली , एक विकेन्द्रित ( eccentrie ) लौह चकती , दो ज्वैल वियरिस पर आलम्बित एक धुरा , एक संकेतक, संकेतक से जुड़े दो भार ( गुरुत्वीय नियन्त्रक प्रणाली के लिए ) , पूर्वाकित पैमाना तथा वायु अवमन्दक प्रणाली होता हैं । सभी पुर्जे चित्र के असर व्यवस्थित होते है ।  

आकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र (Attraction Type Moving Iron Instrument )


कार्य प्रणाली Working Procedure 


जब यन्त्र की कुण्डली में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करती है जो लौह चकती को आकषिर्त करता है क्योंकि लौह चकती की बनावट अण्डाकार होती है और वह अपने केन्द्र से परे एक सिरे पर धुरे में जुड़ी होती है , अतः शकतो का बड़ा भाग कुण्डली की ओर घूम जाता है । चकती के साथ जुड़ा धुरा भी घूम जाता है और धुरे से जुड़ा संकेतक , पूकित पैमाने पर विद्युत धारा का मान दर्शाता है । 


गुण Merits 


1 इस यन्त्र का उपयोग डी.सी. तथा ए.सी. दोनों प्रकार की विद्युत धारा के मापन के लिए समान रूप से किया जा सकता है क्योंकि चुम्बकीयः आकर्षण अथवा प्रत्याकर्षण , विद्युत धारा की दिशा से अप्रभावित रहता है । 

2.मूविंग क्वॉयल यन्त्र की अपेक्षा इसका मूल्य कम होता है । 3. इस यन्त्र की संरचना , मूविंग क्वॉयल यन्त्र की अपेक्षा अधिक टिकाऊ होती है । 

4. इस यन्त्र के द्वारा अधिक एम्पियर्स मान की विद्युत धारा सरलता से नापी जा सकती है । इसके लिए यन्त्र में उच्च इम्पोडेन्स बाली कुण्डों प्रयोग की जाती है 

अवगुण Demerits 


1. इस यन्त्र का पैमाना आनुपातिक नहीं होता , पैमाना प्रारम्भ में सघन होता है और बाद में खुला खुला होता जाता है । इसका कारण है । चुम्बकीय आकर्षण बल का विद्युत धारा के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होना ।

2. यन्त्र में गुरुत्वीय नियन्त्रक प्रणाली प्रयोग किये जाने के कारण पाठ्याकं में घर्षण जनित त्रुटि विद्यमान रहती है । 

3. यन्त्र में हिस्टरैसिस , फ्रीक्वेन्सी परिवर्तन तथा बिखरे हुए चुम्बकीय क्षेत्र ( stray magnetic tiek ) के कारण पाठ्याकं से कुछ त्रुटि विशवाय हो सकती है । 

4. यह यन्त्र वोल्टमीटर के रूप में अधिक यथार्थ नहीं होता क्योंकि किसी वोल्टमीटर में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा  का मान सूचका होना चाहिए जबकि इस यन्त्र के प्रचालन के लिए अधिक विद्युत धारा मान की आवश्यकता होती है ( कुण्डली के अधिक विशेष के कारण ) 


2. प्रत्याकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र Repulsion Type Moving Iron Instrument 


कार्य सिद्धान्त Working Principle 


यह यन्त्र , समान ध्रुवता वाले विद्युत – चुम्बकीय ध्रुवों में विद्यमान प्रत्याकर्षण के सिद्धान्त पर कार्य करता है ।


संरचना Construction 


इस यन्त्र में मुख्यतः एक बड़ी बेलनाकार कुण्डली , दो ज्वैल वियरिग्स पर आलम्बित एक धुरा , धुरे के साथ जुड़ी सचल पत्ती ( moving vane ) , कुण्डली , के  ढांचे से जुड़ी स्थित पत्ती ( Ned – vane ) बाल कमानी , सकेतक , पूर्वाकित पैमाना तथा वायु अवमन्दक प्रणाली होती हैं । सभी पुणे चित्र के अनुसार स्थित होते है ।

 

प्रत्याकर्षण प्रकार का मूविंग आयरन यन्त्र Repulsion Type Moving Iron Instrument


कार्य प्रणाली Working Procedure


 कुण्डली मे से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करती है जो सचल तथा स्थिर पत्तियों में समान धुवता का चुम्बकत्व पैदा करता है । समान चुम्बकीय ध्रुवों में प्रत्याकर्षण होता है जिसके फलस्वरुप धुरा तथा उसके साथ जुड़ा संकेतक घूम जाता है और वह एक पूर्वाकित पैमाने पर विद्युत धारा का मान दर्शाता है । इस यन्त्र से ए . सी . विद्युत धारा नापी जाए तो उसकी प्रवाह दिशा परिवर्तित होने पर भी सचल तथा स्थिर पत्तियों में एक समान ध्रुवता वाला चुम्बकत्व पैदा होता है और चुम्बकीय प्रत्याकर्षण , यथावत् विद्यमान रहता है ।


विशेषताएं


इस यन्त्र के गुण तथा अवगुण आकर्षण प्रकार के यन्त्र के समान ही होते है । एक अतिरिक्त विशेषता यह है कि यह यन्त्र , आकर्षण प्रकार के मूविग आयरन मन्त्र की अपेक्षा अधिक सुपाही होता है क्योकि प्रत्याकर्षण की क्रिया , आकर्षण क्रिया की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से सम्पन्न होती है । 

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