मारियप्पन थान्गावेलु का जीवन परिचय
पूरा नाम :- मारियप्पन थान्गावेलु
जन्म :- 28 जून, 1995
जन्म स्थान :- सालेम जिला, तमिलनाडु
माता का नाम :- सरोजा
उम्र :- 21 साल
नागरिकता :- भारतीय
कोच :- सत्यनारायण
खेल :- एथलेटिक्स
भाई :- कुमार ,गोपी
बहन :- सुधा
मारियप्पन थान्गावेलु का प्रारंभिक जीवन
मरियप्पन थंगावेलु का जन्म 28 जून, 1995 को तमिलनाडु के सलेम ज़िले में हुआ था. मरियप्पन थंगावेलु का परिवार बेहद गरीब था. उनकी माता सरोजा देवी ईंट उठाने का काम करती थीं. बाद वह सब्जी बेचने का काम करने लगी.
मरियप्पन थंगावेलु जब 5 साल के थे तब एक दुर्घटना में मरियप्पन थंगावेलु का पैर कट गया. । मरियप्पन थंगावेलु ने बताया था कि उस बस का चालक नशे में था.17 वर्ष तक अदालत के कई चक्कर काटने के बाद मरियप्पन के परिवार को 2 लाख रुपए मुआवज़ा मिला। पर इसमें से 1 लाख रुपए वकीलों की फीस में चले गए। बाके के 1 लाख रुपए सरोज अम्मा ने मरियप्पन के भविष्य के लिए एक बैंक खाते में जमा कर दिए। सरोजा देवी ने मरियप्पन के इलाज के लिए 3 लाख का ऋण लिया था जो 2016 तक चुकाया नहीं गया है। मरियप्पन के सतह हुए उस हादसे के बाद उनकी माँ और भाई ने मजदूरी करके उनका पालन-पोषण किया. घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए मरियप्पन के बड़े भाई टी कुमार को अपनी पढ़ाई छोड़ना पड़ी.
अपने साथ हुए हादसे के बाद मरियप्पन ने हिम्मत नहीं हारी और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाया. स्नातक की पढ़ाई के दौरान मरियप्पन के टीचर ने मरियप्पन थंगावेलु के अंदर छिपे एथलीट को पहचाना और उन्हें एथलीट बनने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद मरियप्पन ने द्रविड प्रशिक्षक सत्या नारायण से मदद ली और ट्रेनिंग शुरू कर दी.
मारियप्पन थान्गावेलु एथलीट करियर
स्कूल में मारियप्पन के शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक ‘आर राजेन्द्रम’ ने उनकी हाई जम्प खेल की प्रतिभा को जाना, और उनको बढ़ावा दिया. उन्होंने मारियप्पन को हाई जम्प की अलग अलग प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. 14 साल की उम्र में अपनी पहली ही प्रतियोगिता में मारियप्पन ने बाकि सक्षम शरीर एथलीटों के सामने दूसरा स्थान प्राप्त किया. इस जीत के बाद वे मारियप्पन अपने जिला व् स्कूल के सभी लोगों की नजर में आ गए, और सबको अचंभित कर दिया.
सन 2013 में ‘एवीएस कॉलेज ऑफ़ कला और विज्ञान’ कॉलेज के शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक ने भी मारियप्पन की इस प्रतिभा के लिए उन्हें बढ़ावा दिया. मारियप्पन इसके बाद बेंगलुरु में आयोजित ‘भारतीय राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ में हिस्सा लेने पहुंचें. इस समय मारियप्पन की उम्र मात्र 18 साल यहाँ, यहाँ उन्हें भारत के एथलीट सत्यनारायण जी ने देखा, और उनकी प्रतिभा को जान कर उन्हें अपने साथ 10 हजार प्रति माह पर रख लिया और प्रशिक्षण भी देने लगे. सत्यनारायण भारत के एक और पैरा एथलीट वरुण भाटी के भी कोच है.
कठिन ट्रेनिंग के बाद सन 2015 में मारियप्पन सीनियर लेवल की प्रतियोगिता में उतरे, और अपने पहली ही साल में वे विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी (हाई जम्प) बन गए.
मार्च 2016 में, मारियप्पा ने ट्यूनीशिया में आईपीसी ग्रांड प्रिक्स में पुरुषों की ऊंची छलांग टी 42 प्रतियोगिता में 1.78 मीटर (5 फुट 10 डिग्री) की दूरी तय कर रियो पैरालिंपिक्स के लिए क्वालीफाइंग किया। रियो पैरालिंपिक्स में, उन्होंने 1.8 9 मीटर (6 फीट 2 डिग्री) की छलांग के साथ पुरुषों की ऊंची छलांग टी 42 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
टोक्यो पैरालंपिक मरियप्पन थंगावेलु का प्रदर्शन
मरियप्पन थंगावेलु पुरुष ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में रजत जीते जिससे टोक्यो पैरालंपिक में अभूतपूर्व प्रदर्शन के बीच भारत के पदकों की संख्या 10 तक पहुंच गई . मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक अपने नाम किया जबकि अमेरिका के सैम ग्रेव ने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की कूद के साथ सोने का तमगा जीता .शरद ने 1.83 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता .
मारियप्पन थान्गावेलु के पुरस्कार
• पद्म श्री (2017) – भारत का चौथा उच्चतम राष्ट्रीय सम्मान
• युवा मामलों और खेलों के मंत्रालय से 75% से अधिक (यूएस $ 120,000)
• सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से 30% से अधिक राशि (यूएस $ 47,000)
• सचिन तेंदुलकर द्वारा स्थापित निधि से 15,000,000 डॉलर (23,000 अमेरिकी डॉलर) विभिन्न निगमों
• यशराज फिल्म्स से 10 लाख रुपये से अधिक (यूएस $ 16,000)
• दिल्ली गोल्फ क्लब से 10 लाख रुपये से अधिक (यूएस $ 16,000)