भूमिगत केबिल्स क्या है
विद्युत उत्पादन केन्द्रों में आल्टरनेटर को मुख्य स्टैप – अप ट्रांसफॉर्मर से संयोजित करने , उद्योगशालाओं को वितरक स्टैप – डाउन ट्रांसफॉर्मर से प्रदान की जाती है । यद्यपि यह एक अधिक लागत वाली एवं कठिनाई से मरम्मत की जा सकने वाली लाइन है फिर भी सुरक्षा का दृष्टि सायह संयोजित करने तथा अधिक भीड़ – भाड़ वाले क्षेत्रों में विद्युत शक्ति के वितरण के लिए शिरोपरि लाइन की तुलना में भूमिगत लाइन को वरीयता बहुत उपयोगी लाइन है । भूमिगत केबिल्स कई प्रकार के होते है । जिनका वर्णन निम्नवत् है
भूमिगत केबिल्स की संरचना कैसे कार्य करती हैं
केबिल में निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं
कोर Core
केबिल का वह चालक भाग जिसमे से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होती है , कोर कहलाता है । कोर , एल्युमीनियम अथवा तांबे के तारों को ऐंठकर बनाई जाती है । तारों की मोटाई एवं संख्या , विद्युत धारा वहन क्षमता के अनुरूप रखी जाती है । सामान्यत : 1 – कोर , 2 – कोर 3 – कोर तथा 3.5 – कोर वाले केबिल्स बनाए जाते है ।
अचालक आवरण Insulation Covering
प्रत्येक कोर के ऊपर कागज , कैम्ब्रिक अथवा वार्निशयुक्त कागज का आवरण होता है । कैम्ब्रिक की कई पर्ते लपेटी जाती है । उच्च श्रेणी के केबिल्स में अचालक पर्तों के बीच पैट्रोलियम जैली की पर्त भी लगाई जाती है जिससे उसकी अचालकता बढ़ जाती है ।
धात्विक कवच Metallic Sheath
सभी कोर्स पर एक साथ पुन : एक कागज अथवा वार्निशयुक्त कागज की मोटी पर्त चढ़ाई जाती है और उसके ऊपर लैड अथवा लैंड – एलॉय की एक पर्त चढ़ाई जाती है , देखें चित्र । यह धात्विक पर्त , नमी को कोर तक नहीं पहुँचने देती । यह पर्त लैड के स्थान पर एल्युमीनियम की भी हो सकती है ।
बैडिंग Bedding
धात्त्विक कवच के ऊपर फाइबर तथा कागज से निर्मित पदार्थ अथवा जूट अथवा बैंडिंग कम्पाउण्ड में डूबे टाट की पर्त चढ़ाई जाती है । यह पत , धात्विक पर्त को यान्त्रिक चोटों , खरोंचों आदि से बचाती है ।
आर्मरिंग Armouring
यह गैल्वेनाइज्ड स्टील तार से बना कवच होता है जो केबिल को यान्त्रिक चोटों , दबाव आदि से सुरक्षित रखता है । यह कवच , बैंडिंग के ऊपर चढ़ाया जाता है । उच्च श्रेणी के केबिल्स में दोहरा कवच ( armouring ) ‘ भी चढ़ाया जाता है ।
सर्विंग Serving
आर्मरिंग की सुरक्षा के लिए फाइबरयुक्त पदार्थ अथवा फाइबर कम्पाउण्ड में डूबे जूट / टाट की एक अन्तिम पर्त चढ़ाई जाती है ।
भूमिगत केबिल्स का वर्गीकरण Classification of Underground Cables
केविल्स का वर्गीकरण उनके कार्यकारी वोल्टेज के आधार पर निम्न प्रकार किया जाता है
1. लो टैशन केबिल ( Low Tension or LT Cable ) 1 kV तक ।
2 हाई टेन्शन केबिल ( High Tension or HT Cable ) -1 KV से 11kV तक ।
3. सुपर टैन्शन केबिल ( Super Tension or ST Cable ) -11kv से 33kV तक ।
4. एक्स्ट्रा हाई टेन्शन केबिल ( Extra High Tension or ELIT Cable ) -33 kV से 66 kV तक ।
5. ऑयल फिल्ड एवं गैस प्रैशर केबिल ( Oil Filled and Gas Pressure Cable ) -66 kV से 132kV तक ।
6. M.L. केबिल – मिनरल इन्सुलेटेड केबिल ।
7. XLPE केबिल – क्रॉस लिंक्ड पॉली एथीलीन केबिल ।
8. PVC केबिल- पॉली विनायल क्लोराइड केबिल ।
भूमिगत केबिल्स कितने प्रकार के होते हैं
बैल्टेड केबिल Belted Cable
इसमें प्रत्येक कोर तथा सभी कोर संयुक्त रूप से कागज की पट्टियों ( belt ) द्वारा इन्सुलेट की जाती है
‘ H’- eke ej ke e kes efyeue H – Type Cable
इस प्रकार के केबिल की प्रत्येक कोर पर अचालक पर्त चढ़ाने के बाद उस पर छिद्रयुक्त धात्विक कवर ( hochtadler ) चढ़ाया जाता है । केबिल के रिक्त स्थान में फाइबर मिश्रण भरकर सभी कोर्स के ऊपर एक लैड कवच चढ़ाया जाता है , शेष संरचना बैल्टेड केबिल के समान रहती है । इस प्रकार के केबिल 66 kV लाइन में प्रयोग किए जाते हैं ।
SL केबिल SL Cable
इस प्रकार के केबिल में प्रत्येक कोर पर अचालक पर्त , धात्विक खोल , बैडिंग तथा आर्मरिंग की जाती है । सभी कोर्स पर संयुक्त रूप से धात्विक खोल ( लैड खोल ) नहीं चढ़ाया जाता परन्तु संयुक्त आमरिंग अवश्य की जाती है । ऐसे केविल्स पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होते हैं ।
HSO केबिल HSO Cable
इस केबिल की कटाक्ष आकृति गोल न होकर त्रिभुजाकार रखी जाती है । जिससे इसका वजन एवं ऊष्मीय प्रतिरोध ( thermal resistance ) घट जाता है । इसकी संरचना SL केबिल के समान होती है ।
PILC केबिल Paper Insulated Lead Cover Cable
यह सामान्य प्रकार का पेपर इन्सुलेटेड , बैल्टेड प्रकार का केबिल है । इसमें आर्मरिंग नहीं होती । यह निम्न ( 250V ) तथा मध्यम ( 650V ) वोल्टेज के लिए उपयुक्त होता है ।
PILCSTA केबिल Paper Insulated Lead Covered Single Tapped Armoured Cable
यह चित्र में दर्शाया गया बैल्टेड केबिल ही है । इसका उपयोग 11kV तक किया जाता है ।
PIL CDTA केबिल Paper Insulated Lead Covered Double Tapped Armoured Cable
यह दुहरी आर्मरिंग युक्त बैल्टेड केबिल होता है । इसका उपयोग 33kV तक किया जाता है ।
ऑयल – फिल्ड गैस – प्रैशर केबिल Oil – Filled Gas – pressure Cable
यह PILCDTA प्रकार का केबिल होता है जिसमें लैड आवरण के अन्दर फाइबर / जूट पदार्थ के स्थान पर ट्रांसफार्मर ऑयल भरा जाता है । इसका उपयोग 66 KV से 220V तक किया जाता है । इसकी स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि केबिल के सिरे भली प्रकार सील कर दिए जाएं जिससे कि केबिल का ऑयल ‘ लीक ‘ न हो सके ।
PVC केविल
वर्तमान समय में ये सर्वाधिक प्रचलित केबिल हैं और इनका उपयोग 11 KV तक किया जाता है । इस केबिल की प्रत्येक कोर को पृथक् – पृथक् पी वी सी. . से इन्सुलेट करने के बाद सभी कोर्स को पुन : पी . वी.सी. से इन्सुलेट किया जाता है । इस पर्त के ऊपर गैल्वेनाइन्ड स्टोल तार से आयरिंग की जाती है और आमरिंग के ऊपर पुन एक पी वी.सी. पतं चढ़ा दी जाती है । इनका उपयोग कैदरप्रूफ ‘ तथा अन्डरग्राउण्ड केबिल के रूप में किया जा सकता है ।
3½ कोर PILCDTA केविल 3½ Core PILCDTA Cable
यह कार बाला दुहरो आमरिंग बुझा वैल्टेड केबिल है । इसमें तीन कोर तो सामान्य मोटाई की होती है जबकि चीची कोर , अन्य तीन कोर्स से आणी मीटई को होती है । इसीलिए यह साये तीन कोर केबिल कहलाती है । इसमें तीन मुख्य कोर्स तो तीन फेज लाइन्स के लिए प्रयोग की जाती है और चौथी कोर , न्यूटन के लिए प्रयोग की जाती है । इसका प्रयोग उद्योगकालाओं में मुख्यन वोल्टेज ( 4650 V तक ) थैलन्नड – लोड संयोजित करने के लिए किया जाता है ।
यह भूमिगत केबिल में दोष एवं उन्हें खोजना Underground Cable Faults and their Location
सिरोपार लाइन के दोष तो लाइन के निरीक्षण से ही पता चल जाते हैं परन्तु भूमिगत लाइन के ‘ दोष ‘ एवं ‘ दोष – स्थल ‘ को खोजना कठिन कार्य है । मिगत लाइन में निम्न तीन प्रकार के दोष पैदा हो सकते है । ओपन सकिट दोष , 2. शॉर्ट सर्किट दोष , 3. ‘ अर्थ ‘ दोष । |
1. ओपन सकिट दोष ( Open Circuit Pault )
यदि भूमिगत केबिल का एक या अधिक तार किसी दुर्घटनावश कट जाए तो ओपन सर्किट दोष कहलाता है । दुर्घटना स्थल की खोज , लाइन के निरीक्षण से ही की जाती है और कटे हुए केबिल तार को जोड़कर पुनः विद्यमान कापाउण्ड से सील कर दिया जाता है । सीलिंग के लिए , डिवाइडिंग – बॉक्स भी प्रयोग किया जाता है ।
2. शॉर्ट सर्किट दोष ( Short circuil Pault )
यदि ओवरलोडिंग अथवा अन्य किसी कारण से केबिल की दो ‘ कोर्स ‘ आपस में स्पर्श करने लगे तो यह शॉर्ट सर्किट दोष कहलाता है । इस दोष की खोज के लिए , सर्वप्रथम लाइन के दोनों सिरों के संयोजन खोल दिये जाते हैं । अब मल्टीमीटर को ओहा रेंज में रखकर , क्रमशः प्रत्येक दो तारों में विक्षेप देखा जाता है । दोषी तारों के लिए मल्टीमीटर विक्षेप दर्शाएगा , अन्य के लिए नहीं । दोषी तारों का पता चल जाने के बाद पोस्ट – ऑफिस – बॉक्स अथवा इलैक्ट्रॉनिक मल्टीमीटर से तारों का प्रतिरोध नापकर , सम्भावित दोष स्थल का अनुमान लगाया जाता है और अनुमानित स्थल पर खुदाई करके केबिल के दोष को दूर किया जाता है
3. ‘ अर्थ’दोष ( ‘ Earth Fault )
यदि इन्सुलेशन टूट जाने अथवा जल जाने के कारण केबिल की कोई कोर , उसके धात्विक ‘ आर्मर ‘ को स्पर्श करने लगे तो यह दोष ‘ अर्थ ‘ दोष कहलाता है । इस दोष की खोज के लिए भी सबसे पहले लाइन के दोनों सिरों के संयोजन खोल दिये जाते है । अब मल्टीमीटर को ओहा रेंज में रखकर , एक लीड ‘ को ‘ आमर ‘ से जोड़ दिया जाता है और दूसरी ‘ लीड ‘ को क्रमश : प्रत्येक कोर से जोड़ा जाता है । जिस कोर के साथ मल्टीमीटर विक्षेप दर्शाता है , वही कोर दोषयुक्त है । दोषयुक्त तार का पता चल जाने के बाद या तो पोस्ट ऑफिस – बॉक्स अथवा इलैक्ट्रॉनिक मल्टीमीटर से तार व ‘ आर्मर ‘ के बीच का प्रतिरोध नापकर , सम्भावित दोष स्थल का अनुमान लगाया जाता है । पोस्ट – ऑफिस – बॉक्स के द्वारा दोष – स्थल की खोज के लिए किया गया परीक्षण , ‘ पुरे लूप परीक्षण ‘ कहलाता है ।
यहां भी पढें
1.वैद्युतिक वायरिंग क्या है और वैद्युतिक वायरिंग सम्बन्धी भारतीय विद्युत नियम
2. केबिल क्या है और इसकी कितने प्रकार के होती है?
हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! भूमिगत केबिल्स क्या है और उसके कितने प्रकार के होते हैं हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।
आपको इस article के बारे में कुछ भी प्रश्न पूछना हैै तो हमें नीचे comments कर सकते हैं
66kv लाइन में प्रयोग किए जाने वाला केबल है
बैल्टेड केबिल
भूमिगत लाइन को कितने वोल्टेज तक स्थापित की जाती है
66kv