इंटरनेट क्या है
TCP / IP एक ग्लोबल पब्लिक इन्टरनेट वर्क है । यह 1970 के दशक में अमरीका के रक्षा विभाग के प्रोजेक्ट ARPANET से प्रारंभ हुआ था । इन्टरनेट सूचनाओं का एक ऐसा गोदाम है , जिसमें हर उस विषय से संबंधित सूचनाएँ हैं , जिनके बारे में हम सोच सकते हैं । लोग नेट पर दुनिया में कहीं भी 1 सूचनाओं को ढूँढ सकते हैं , नई सूचनाएँ जोड़ सकते हैं व विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान – प्रदान भी कर सकते हैं । इन्टरनेट को हम इलेक्ट्रानिक वेब भी कह सकते हैं , जो लोगों व व्यापार को जोड़ता है । इसका उपयोग करके हम ई – मेल भेज सकते है व प्राप्त कर सकते है और चौबीसों घंटे विभिन्न तरह की बहुत सी गतिविधियाँ भी कर सकते हैं ।
इन्टरनेट ‘इन्टरनेशनले नेटवर्क’ (Internation. Network) का नंविन रूप है। इन्टरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटबर्क से हैं, जो दुनिया भर के लागों, करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है, अ्थात् किसी नेटवर्क के कम्प्यूटर से जुड़कर कम्यूनिकेट communicate कर सकता है अर्थान सूचनाओं आदान-प्रदान के जिस नियम का प्रयोग किया जाता है का आदान-प्रदान कर सनता है। उससे transmission control protocol या internet protocol कहते हैं
इंटरनेट का पूरा नाम क्या है?
इंटरनेट का पूरा नाम है इंटरकनेक्टेड नेटवर्क यह एक ऐसा नेटवर्क सिस्टम है जिसमें लाखों वेब सर्वरों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इन्टरनेट का इतिहास
इन्टरनेट एक बहुत तीव्र गति से बढ़ता हुआ नेटवर्क है । इसकी शुरूआत 1960 के दशक में अमेरिका के रक्षा विभाग में अन्वेषण के कार्यों के लिये हुई थी । प्रारम्भ में इसे ARPANET नाम दिया गया । 1971 में कम्प्यूटर के तीव्र विकास और अधिकता के कारण ARPANET या इन्टरनेट लगभग 10,000 कम्प्यूटर्स का नेटवर्क बना । आगे चलकर 1987 से 1989 तक इसमें लगभग 100,000 कम्प्यूटर्स शामिल हुए । 1990 में ARPANET के स्थान पर इन्टरनेट का विकास जारी रहा जो 1992 में 10 लाख कम्प्यूटर्स , 1993 में 20 लाख कम्प्यूटर्स और बाद में क्रमश : बढ़ता रहा । इन्टरनेट वास्तव में पब्लिक के लिये कम्युनिकेशन व इन्फारमेशन एक्सेस करने का सबसे तीव्र व । सस्ता माध्यम है ।
इन्टरनेट के विकास में बहुत लोगों का योगदान रहा है । इसके प्रारंभिक विकास की अवस्था 1950 के दशक की कही जा सकती है । US गवरमेंट ने USSR ( सोवियत संघ ) से स्पेस सुप्रीमेसी ( सर्वोच्चता ) पुन : प्राप्त करने के लिये ( जोकि USSR के 1957 में स्पूतनिक के लांच करने से US के हाथ से चली गई थी ) , ARPA ( एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट ऐजेन्सी ) बनायी जिसमें J.C.R. Licklider कम्प्यूटर विभाग के प्रमुख थे । इसके बाद क्या हुआ था , वह नीचे दिया गया है
इंटरनेट से संबंधित इवेंट स्टेंडर्ड ऑर्गनाइजेशन
(1) ARPA ( Advanced Research Project Agency ) -ARPANET ने ( जो इन्टरनेट का पुराना मूलभूत प्रारूप है ) को 1969 में बनाया ।
( 2 ) NSF ( नेशनल साईस फाउंडेशन ) – ARPANET बहुत तेजी से विस्तृत हुआ और बहुत सी नागरिक संस्थाओं जैसे यूनिवर्सिटीस व नेटवर्किंग कम्पनियों ने उसे एक्सेस करना चाहा तब इस नेटवर्क ( अर्थात् इंटरनेट ) का सम्पूर्ण एडमिनिस्ट्रेशन NSF को दे दिया गया । NSF ने इसके लिए फंड भी दिया था ।
( 3 ) InterNIC ( इन्टरनेट नेटवर्क इन्फारमेशन सेन्टर ) –शुरू में इन्टरनेट का एडमिनिस्ट्रेशन NSF के पास था , परन्तु बाद में वह InterNIC को स्थानांतरित कर दिया गया । यह नेटवर्क साल्युशन इनकार्पोरेशन ( NSI ) व यूएस गर्वनमेन्ट का एक संयुक्त प्रक्रम है । NSI एक ऐसी संस्था है , जो वर्तमान समय में DNS ( डोमेन नेम सिस्टम ) के अन्तर्गत होने वाले डोमेन नेम्स के रजिट्रेशन के समस्त कोआर्डिनेशन के लिए जवाबदार है । InterNIC वास्तव में टॉप लेवल डोमेन जैस .com , .edu , .net , .gov .org के रजिस्ट्रेशन व नियंत्रण के लिए जवाबदार है ।
( 4 ) isoC ( इन्टरनेट सोसायटी ) -यह संस्था इन्टरनेट से जुड़ी हुई बहुत सी अन्य संस्थाओं को सहयोग व निर्देशित करती है ।
( 5 ) IAB ( इन्टरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड ) – कोई भी नेटवर्क इंटरनेट से सिर्फ उन नियमों और स्टेंडर्ड के द्वारा जुड़ सकता है , जो IAB ने निर्धारित किए हैं । IAB , ISOC के प्रति भी जवाबदार है व इंटरनेट के आर्किटेक्चर की देखरेख करता है ।
( 6 ) IETF ( इन्टरनेट इंजिनियरिंग टास्क फोर्स ) – यह IAB के प्रति जवाबदार है व ऐसे इन्टरनेट प्रोटोकॉल्स को परिभाषित करता है , जो TCP / IP प्रोटोकॉल सूट , डोमेन नेम सिस्टम ( DNS ) इत्यादि को परिभाषित करते हैं ।
( 7 ) IANA ( इन्टरनेट एसाईंड नम्बर्स अथोरिटी ) – यह बहुत जल्दी ICANN ( इन्टरनेट कारपोरेशन फॉर एसाईंड नेम्स् एण्ड नम्बर्स ) में परिवर्तित होने वाला है । IANA , DNS का रजिस्ट्रेशन व IP एड्रेस के नियंत्रण इत्यादि कार्य को कोआर्डिनेट करता है । NSI के अलावा IANA भी उपरोक्त कार्य करता है ।
इंटरनेट की शुरुवात कब हुआ?
Internet की शुरुवात January 1, 1983 से हुई. जब ARPANET ने TCP/IP को adopt किया January 1, 1983 में, और उसके बाद researchers ने शुरू किया उन्हें assemble करने का काम. उस समय उसे “network of networks” कहा जाता था, बाद में आज के modern समय में उसे Internet के नाम से जाना जाता है.
भारत में इन्टरनेट कब आया?
भारत में इन्टरनेट की शुरुआत 14 अगस्त 1995 को हो गयी थी लेकिन सार्वजानिक रूप से इसे 15 अगस्त 1995 को “विदेश संचार निगम लिमिटेड” यानि VSNL द्वारा चालू किया गया था। तब इन्टरनेट का इस्तेमाल महत्वपूर्ण सूचनाओं के आदान प्रदान करने के लिए किया गया था और इसकी स्पीड मात्र 8-10 kbps थी।
जब भारत में इन्टरनेट की शुरुआत हुई थी तब इससे मात्र 20-30 कंप्यूटर ही जुड़े थे और इन्टरनेट कनेक्शन का खर्च भी बहुत ज्यादा था, और 9-10 kbps स्पीड के इन्टरनेट का मासिक खर्चा 500-600 रूपये के आसपास था, जो कि उस समय के हिसाब से बहुत ही ज्यादा था.
जबकि आज के समय में इन्टरनेट प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में पहुँच चूका है और पढाई से लेकर व्यापार, चिकित्सा, तकनीक, सरकारी कार्यों इत्यादि तक में इन्टरनेट का प्रयोग होने लगा है
इन्टरनेट के गुण
( 1 ) इन्टरनेट के लिए कोई भी केन्द्रीय नियंत्रण संस्था नहीं है
( 2 ) यह पूरी तरह से बढ़ते हुए यूजर्स व बढ़ते हुए ट्रेफिक को नियंत्रित करने में पूरी तरह सक्षम है । इस गुण को टेक्नोलाजी की स्केलेबिलिटी कहते हैं ।
( 3 ) यह यूजर के गुण – धर्म निर्धारित नहीं करता है । अतः यूजर एक मशीन , एक व्यक्ति या कोई व्यापारिक एन्टीटी कुछ भी हो सकता है ।
( 4 ) ऐसे बेकबोन नेटवर्क्स जिनसे इन्टरनेट बनता है , वह प्रायवेट कम्पनीज के स्वामित्व व नियंत्रण में होते हैं । इनमें मुख्य रूप से MC . Worldcom व Sprint शामिल है ।
( 5 ) प्रायवेट कम्पनीज अक्सर भौतिक लाईन शेयर करती हैं और वे अक्सर क्षेत्रीय टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों ( जैस RBOCs ) से लाईन लीज ( किराये ) पर लेती हैं ।
( 6 ) इन्टरनेट पर बेकबोनलाईन जिस बिन्दुपर लिंक्ड होती है , उसे NAPS ( नेटवर्क एक्सेस पाईंट ) कहते है , जहां पर ISPS ( इन्टरनेट सर्विस प्रोवाईडर ) ट्रेफिक एक्सचेंज करते है
( 7 ) इन्टरनेट के लिए TCP / IP एक स्टेंडर्ड प्रोटोकाल सूट है ।
इन्टरनेट के टूल्स
( 1 ) इन्फारमेशन रिट्विल टूल्स- FTP & GOPHER
( 2 ) कम्युनिकेशन टूल्स E – MAIL , TELNET & USENET .
( 3 ) मल्टिमीडिया इन्फारमेशन टूल्स- www ( वर्ल्ड वाइड वेब ) ।
( 4 ) इन्फारमेशन सर्च टूल्स- WAIS , ARCHIE , VERONICA .
इन्टरनेट के लाभ
( 1 ) यह सम्पूर्ण विश्व को जोड़ने का एकमात्र तरीका है ।
( 2 ) कम्युनीकेशन का सबसे सस्ता तरीका है ।
( 3 ) कम्युनीकेशन का सबसे तीव्र तरीका है ।
( 4 ) पब्लिक के द्वारा नियंत्रित है अर्थात् सर्वसामान्य स्टेंडर्ड्स का ही पालन किया जाता है , क्योंकि किसी का स्वामित्व नहीं है ।
( 5 ) शिक्षा व व्यापार का सर्वोत्तम माध्यम है ।
( 6 ) इन्टरनेट के साथ कार्य करने के लिये बहुत अधिक ज्ञान व तकनीक का होना आवश्यक नहीं है ।
इन्टरनेट से हानियाँ
( 1 ) अपर्याप्त सुरक्षा अर्थात् हेकर्स व क्रेकर्स का अत्यधिक खतरा रहता है
( 2 ) इस पर बहुमूल्य सूचना की तुलना में गारबेज ( कचरा ) बहुत अधिक है ।
( 3 ) कभी – कभी आर्गेनाईजेशन की प्रोडक्टिविटी का कम होना , क्योंकि कर्मचारी अधिकांशतः नेट सर्किंग व्यापारिक कार्य के लिये न करते हुए सिर्फ मनोरंजन के लिये करते हैं ।
( 4 ) समय का नुकसान , क्योंकि सूचनाओं को ढूंढ़ने व प्राप्त करने में बहुत अधिक समय लगता है ।
( 5 ) इन्टरनेट का नशा समाज व स्वास्थ्य दोनों के लिये नुकसानदायक है ।
इन्टरनेट -2 UCAID ( यूनिवर्सिटी फार एडवांस इन्टरनेट डेवलपमेन्ट ) का एक ऐसा प्रोजेक्ट जो एक बहुत तीव्र गति के नेटवर्क के निर्माण के लिए है । इसका उपयोग अन्वेषण , सहयोग व शिक्षा के लिए कुछ नये – नये एप्लिकेशन्स निर्माण के लिए किया जाता है । इन्टरनेट 2 को अमरीका की लगभग 150 यूनिवसिटी सपोर्ट करती हैं ।
इन्ट्रानेट क्या है
किसी आर्गेनाइजेशन का एक प्रायवेट TCP/IP नेटवर्क जो कि इंटरनेट की सभी टेकनोलॉजी (जैसे वेब सर्वर व वेब ब्राउजर्स) का उपयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान व परस्पर सहयोग के लिये करता है।
इन्ट्रानेट के गुण
(1) यह ऐसे सभी प्रोटोकॉल्स व सर्विसेस का उपयोग करता है,जो पब्लिक इन्टरनेट के हैं, जैसे ई-मेल,न्यूज, चेटसम वेब पेजेस।
(2) इसका उपयोग कम्पनी-पॉलिसिस् व न्यूज-लेटर्स को पब्लिश करने, प्रोडक्ट सूचना के साथ-साथ सेल्स व मार्केटिंग स्टाफ देने के लिए, टेक्निकल सपोर्ट व ट्यूटोरियल्स के लिये और इसके अलावा ऐसी सभी गतिविधियों के लिये जो हम सोच सकते हैं और वह स्टेंड्र्ड वेव सरवर व वेब ब्राऊजर वातावरण में उपयुक्त हो, करते हैं।
(3) इस नेटवर्क में सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल होता है।
(4) सभी प्रोटोकाल्स् इन्टरनेशनल स्टेडंर्ड पर आधारित होते हैं
जैसे TCP/IP इत्यादि।
(5) इंट्रानेट सामान्यतः किसी आर्गेनाइजेशन को एकीकृत करने के लिये बनाया जाता है अर्थात् ऐसा आर्गेनाइजेशन जिसकी बहुत अधिक ब्रांच हों व अलग-अलग जगह पर हों, को एकरूप प्रदर्शित करने हेतु।
इंट्रानेट के लाभ
(1) प्रायवेट होने के कारण कम खर्चिला कम्युनीकेशन देता है।
(2) आर्गेनाईजेशन में हमेशा नई व समय पर सूचनाओं का आदान-प्रदान सम्भव है।
(3) इलेक्ट्रानिक सहयोग से बहुत सी समस्याओं का समाधान सम्भव है, जैसे एक ही तरह के कार्य में दूरी, सूचनाओं के कई वरशन्स व कई कापी और सभी के प्रयासों को एकीकृत करना इत्यादि।
4) इन्ट्रानेट की एकीकृत सुरक्षा प्रक्रिया कारपोरेट डेटा के अनुचित उपयोग को तो रोकता ही है व साथ-साथ सम्पूर्ण सिस्टम इंटिग्रिटी को भी बढ़ाता है।
(5) पब्लिक नेटवर्क की तुलना में बहुत अधिक प्रायवेसी
(गोपनीयता)।
(6) पब्लिक नेटवर्क की तुलना में नियंत्रण आसान ।
(7) पब्लिक नेटवर्क की तुलना में फाल्ट रिकवरी आसान।
इन्ट्रानेट से हानियाँ
(1) प्रारंभिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत बहुत अधिक आती है।
(2) इसका नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन बहुत कठिन है।
(3) बहुत अधिक तकनीकी दक्ष व्यक्तियों की आवश्यकता है।
(4) जो बहुत पुराने स्वामित्व वाले नेटवर्क हैं, उनमें उनके अनुरूप बहुत अधिक सॉफिस्टीकेटेड टूल्स का होना।
(5) इसका विस्तार महंगा व कठिन होता है।