भारत में IT नियमों में हालिया में क्या बदलाव हुए हैं? और इसकी आवश्यकता और प्रभाव क्या है |

 भारत में IT नियमों में हालिया बदलाव 

 • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यानि यानी फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम आदि तथा डिजिटल न्यूज़ आउटलेट्स के लिए नए इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम 26 मई से लागू हो गए हैं जिसके बाद से ही ये चर्चा में हैं

 • इस संबंध में फरवरी में दिशा – निर्देश जारी किये गए थे जिनके तहत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स को ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म बनाना पड़ेगा जिसमें कि एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी , चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर और एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन की नियुक्ति करना शामिल था



नए नियम क्या हैं ? 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा भी इन प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ताओं से प्राप्त शिकायतों और की गई कार्रवाई पर मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था इसके अलावा इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स के लिए भी संदेश के प्रथम प्रवर्तक ( first originator ) को ट्रैक करने हेतु प्रावधान करना था यदि नए नियमों में से किसी एक का भी पालन नहीं किया जाता है तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत सोशल मीडिया मध्यस्थों को प्रदान की जाने वाली क्षतिपूर्ति ख़त्म हो जाएगी


इसके अलावा , आईटी नियम की धारा 4 ( क ) के तहत महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी ( CCO ) नियुक्त करना अनिवार्य है , जो मध्यस्थ द्वारा उचित परिश्रम आवश्यकताओं का पालन करने में विफल होने पर उत्तरदायी होगा


आईटी एक्ट की धारा 79 क्या है ? 

आईटी एक्ट की धारा 79 , कतिपय मामलों में मध्यवर्ती को दायित्व से छूट देती है अर्थात् इसके अनुसार किसी भी मध्यस्थ को उसके प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध या होस्ट की गई किसी तीसरे पक्ष की जानकारी , डेटा या संचार लिंक के लिए कानूनी या अन्यथा उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा 

• दरअसल , आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत इन्हें इंटरमीडियरी के नाते लाइबलिटी से छूट मिली हुई है । अगर ये कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं तो इनका इंटरमीडियरी स्टेटस छिन सकता है और ये भारत के मौजूदा कानूनों के तहत आपराधिक कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं

• धारा 79 के तहुत दी गई सुरक्षा तब प्रभावी नहीं होगी जब मध्यस्थ को , सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा सूचित या अधिसूचित होने के बावजूद , प्रश्नाधीन सामग्री तक पहुँच को तुरंत हटाया नहीं जाता है के साथ • मध्यस्थ को इन संदेशों या अपने मंच पर मौजूद सामग्री के किसी भी सबूत छेड़छाड़ करने पर उसे अधिनियम के तहत सुरक्षा नहीं मिलेगी 

IT अधिनियम , 2000 के बारे में 

• यह कानून 17 अक्तूबर , 2000 को लागू किया गया 

• यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक लेन – देन को प्रोत्साहित करने , ई – कॉमर्स और ई – ट्रांजेक्शन के लिये कानूनी मान्यता प्रदान करने , ई – शासन को बढ़ावा देने , कम्प्यूटर आधारित अपराधों को रोकने तथा सुरक्षा संबंधी कार्य प्रणाली और प्रक्रियाएँ सुनिश्चित करता है 

• इसकी धारा 79 में कुछ मामलों में मध्यवर्ती संस्थाओं को देनदारी से छूट के बारे में विस्तार से बताया गया है साथ ही 79 ( 2 ) ( c ) के मुताबिक़ , मध्यवर्ती संस्थाओं को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए उचित तत्परता बरतनी चाहिये तथा केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अन्य दिशा निर्देशों का भी पालन करना चाहिये

इसमें अधिसूचित नियम सुनिश्चित करते हैं कि उनके मंच का इस्तेमाल आतंकबाद , उग्रवाद , हिंसा तथा अपराध के लिये नहीं किया जाता है

 • अधिनियम की धारा 67 किसी भी अश्लील सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन या पारेषण ( transmission ) को प्रतिबंधित करती है

भारत में IT नियमों में बदलाव की आवश्यकता क्यों ? 

जब हम इस बदलाव की जरूरत के बारे में बात करते हैं तो हमें साल 2004 में हुए एक मामले को देखना होगा । साल 2004 में आईआईटी के एक छात्र ने bazee.com साइट पर एक अश्लील वीडियो क्लिप डाली । 

• इस मामले में छात्र के साथ वेबसाइट के सीईओ और मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया था । साल 2005 में दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि इस मामले में वेबसाइट के खिलाफ अश्लील प्रकृति के वीडियो को लिस्ट करने का मामला बनता है ।

• वेबसाइट के सीईओ को आईटी एक्ट की धारा 85 के तहत दोषी माना गया था । आईटी एक्ट की धारा 85 के मुताबिक अगर कोई कंपनी अधिनियम के तहत अपराध करती है तो उस समय कार्यकारी अधिकारियों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी । इस निर्णय को साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने पलटा और माना कि इस मामले में वेबसाइट के अधिकारियों को दोषी नहीं माना जा सकता । क्योंकि वेबसाइट के अधिकारी प्रत्यक्ष तौर पर इस कृत्य में शामिल नहीं थे

• सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के मद्देनजर अधिनियम में धारा 79 को जोड़ा गया ।

 भारत में IT नियमों के प्रभाव / फेसबुक, इन्स्टाग्राम एवं ट्विटर बंद होने का कारण

इसके प्रभाव के बारे में बात करें तो सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज बिना किसी व्यवधान के काम करते रहेंगे । लोग बिना किसी व्यवधान के कंटेंट पोस्ट और शेयर कर सकेंगे । 

ट्विटर , फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया कंपनियों ने अब तक resident grievance officer , मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की है , जबकि घोषित नए नियमों के तहत ऐसा जरूरी है ।

• भारत द्वारा प्रस्तावित उपायों में से कोई भी कंपनियों के सामान्य कामकाजे को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेगा और आम उपयोगकर्ताओं के लिए कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

 • कंपनियों को देश के कानून का पालन करना होगा


निष्कर्ष 

वर्तमान में न सिर्फ दुनिया बल्कि भारत भी जिस तेज़ी के साथ डिजिटलीकरण और सोशल मीडिया के इस्तेमाल की ओर बढ़ रहा है , तो ऐसे में ज़रूरी है कि इनके उपयोग तथा लोगों की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतेज़ाम किये जाएँ । सोशल मीडिया के निरंतर बढ़ते इस्तेमाल से इनके ज़रिये होने वाले विभिन्न शोषणों की समस्या भी आये – दिन सुनाई पड़ती रहती है । ऐसे में पीड़ित को यह नहीं पता कि वह किससे शिकायत करे और कहाँ उनकी समस्या का समाधान होगा । इसे देखते हुए नए नियमों के तहत इन कंपनियों द्वारा भारत में कंप्लायंस तथा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने का प्रावधान एक सकारात्मक कदम कहा जा सकता है । इसके अलावा शिकायत समाधान , आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी , कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना आदि नियम हैं 

• कई सोशल मीडिया कंपनियों भारत में काम तो करती हैं लेकिन दिशा – निर्देशों के पालन के लिए मुख्य कार्यालय से हरी झंडी का इंतेज़ार करती हैं । इनमें से ज़्यादातर के अपने खुद के फैक्ट चेकर होते हैं जिनकी ये न तो पहचान बताती हैं और न ही तथ्यों की जाँच का तरीका । 

• इसके अलावा कई बार इन साइट्स पर डाले जाने वाले पोस्ट्स आपत्तिजनक होने पर भी इन कंपनियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है किन्तु अब अगर कोई ट्वीट , फेसबुक पोस्ट या इंस्टाग्राम पर पोस्ट स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करता है , तो कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा सामग्री साझा करने वाले व्यक्ति के साथ – साथ कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का अधिकार होगा 

इसके विपरीत कुछ आलोचकों का मानना है कि इन नियमों के दुरुपयोग की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है और ऐसी स्थितियों भी पैदा हो सकती हैं , जहाँ इन कंपनी तथा इनके कर्मचारियों को बिना किसी गलती के ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है और नियमों का दुरुपयोग व्यक्तिगत लाभ लेने के लिये किया जा सकता है

Leave a Comment