बंधन ऊर्जा ( Binding Energy ) की परिभाषा क्या है | Binding Energy in hindi

 बंधन ऊर्जा ( Binding Energy ) की परिभाषा

 नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को न्यूक्लिऑन ( Nucleon ) कहते हैं । अतः न्यूट्रॉन और प्रोटॉन के संयोग से किसी नाभिक के बनने में जो ऊर्जा विमुक्त होती है , उसे नाभिक की बंधन ऊर्जा कहते हैं । 

बंधन ऊर्जा का सूत्र

 🔺E = 🔺mc  जहाँ निर्वात c में प्रकाश का वेग ( 3 x 10⁸ . m / s )

बंधन ऊर्जा कितने प्रकार के होते हैं

1.गुरुत्वीय बंधन ऊर्जा

2. बॉन्ड एनर्जी; 

3. इलेक्ट्रॉन बाध्यकारी ऊर्जा; 

4. परमाणु बंधन ऊर्जा

5. क्वांटम क्रोमोडायनामिक्स बाइंडिंग एनर्जी

द्रव्यमान क्षति ( Mass Defect ) की परिभाषा

नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान उसमें उपस्थित न्यूक्लिऑनों के द्रव्यमानों के योग से सदैव कुछ कम होता है । यह कमी द्रव्यमान अंतर या द्रव्यमान क्षति कहलाती है । 

आइंस्टीन का द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण ( Mass – Energy Equation )

 सम्पूर्ण नाभिकीय ऊर्जा का मूल स्रोत है द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन आइंस्टीन ने सर्वप्रथम ज्ञात किया कि द्रव्य को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है । यदि  🔺m द्रव्यमान से प्राप्त ऊर्जा 🔺E हो , 

तो  🔺E  = 🔺mc ?, जहाँ निर्वात में प्रकाश का वेग ( 3 x 10⁸ . m / s )

 परमाणु – द्रव्यमान मात्रक ( Atomic Mass Unit amu ) नाभिक और परमाणुओं के द्रव्यमानों को एक अत्यंत छोटे मात्रक में मापा जाता है , जिसे ‘ परमाणु द्रव्यमान मात्रक ‘ ( amu ) कहते हैं । कार्बन परमाणु  के द्रव्यमान के 12 वें भाग को 1 amu कहते हैं ।

  1 amu  =1.66 x 1/10²⁷ किग्रा  = 931 MeV होता है    1 MeV = 1.6×1/10²³ जूल 

नाभिकीय ऊर्जा ( Nuclear Energy ) क्या है

 नाभिकीय विखंडन में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है । • यूरेनियम के एक परमाणु से लगभग 190 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है । तथा 1 ग्राम यूरेनियम के विखंडन से 5 x 1023 MeV ऊर्जा मुक्त होती है । इससे लगभग 2 x 104 किलोवाट घंटा ( KWh ) विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है । 

 परमाणुओं के नाभिक में विशेष प्रकार की अभिक्रिया से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग कृषि , उद्योग , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य , विद्युत् विभिन्न शांतिपूर्ण उद्देश्यों में किया जा सकता है । नाभिकों में यह विशेष प्रकार की प्रक्रिया दो तरीके से होती है , जो निम्नलिखित हैं । 

नाभिकीय विखंडन ( Nuclear Fission ) क्या है

 नाभिकीय विखंडन की खोज सर्वप्रथम जर्मन वैज्ञानिक ऑटोहॉन एवं स्ट्रासमैन ने 1939 में की ।  अपने परमाण्विक अनुसंधान के दौरान उन्होंने ज्ञात किया कि जब यूरेनियम के नाभिक पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है , तब वह लगभग दो भागों में विभक्त हो जाता है । 

 उपरोक्त दो हल्के नाभिक क्रिप्टन ( Kr ) तथा बेरियम ( Ba ) हैं । ये दोनों नाभिक तीव्र गति से दो अलग – अलग दिशाओं में चलते हैं

इस अभिक्रिया में दो हल्के नाभिक  के साथ-साथ बहुत  अधिक मात्रा में ऊर्जा  विसर्जित होती है तथा जब किसी  अस्थायी भारी नाभिक पर उच्च ऊर्जा वाले न्यू न्यूट्रॉनों की बमबारी जाती है तब वह लगभग समान दव्यमान दो भागों में विभक्त हो जाता है  इसी प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहा जाता है।

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