फ्लोचार्ट क्या है
कम्प्यूटर द्वारा किसी समस्या के हल के लिए लिखे जाने वाले प्रोग्राम के लॉजिक का डिजाइन करने के लिए दो महत्वपूर्ण औजार ( tools ) होते हैं – एल्गोरिथ्म ( algorithm ) तथा फ्लोचार्ट ( flowchart ) ।
कम्प्यूटर द्वारा किसी समस्या का हल विभिन्न चरणों किया जाता है । प्रथम चरण में फ्लोचार्ट बनाया जाता है । किसी समस्या को हल करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का रेखाचित्रीय रूप फ्लोचार्ट कहलाता है ।
फ्लोचार्ट , प्रोग्राम के लॉजिक को व्यक्त ( represent ) करता है । फ्लोचार्ट में किसी समस्या के समाधान में प्रयुक्त प्रक्रियाओं , गणनाओं , निर्णय ( decision ) के बिन्दुओं आदि का प्रवाह ( flow ) प्रदर्शित किया जाता है । किसी समस्या के हल का फ्लोचार्ट उस समस्या के लिए प्रोग्राम लिखने में बड़ा सहायक होता है । अर्थात् एल्गोरिथ्म को चित्रीय ( graphicaly ) प्रदर्शित करना ही फ्लोचार्ट कहलाता है ।
फ्लोचार्ट के संकेत कौन कौन से होते है
एक सामान्य फ्लोचार्ट को बनाने के लिए विभिन्न संकेता ( symbols ) का प्रयोग किया जाता है । हर संकेत का अपना अलग कार्य व अर्थ होता है तथा वे अन्य संदर्भो में प्रयुक्त नहीं किये जाते हैं । कुछ महत्वपूर्ण संकेत निम्नलिखित हैं –
( 1 ) प्रारंभ व समाप्त ( Start and Stop ) –
इस संकेत को टर्मिनल कहते हैं । यह प्रोग्राम के लॉजिक का प्रारम्भ ( start ) व अन्त ( end ) को दर्शाता है ।
( ii ) प्रोसेसिंग बॉक्स ( Processing Box )
यह एक आयताकार ( rectangle ) बॉक्स होता है । इसके द्वारा प्रोग्राम के लॉजिक में विभिन्न अंकगणितीय और लॉजीकल एक्सप्रेशन्स ( arithmetic and logical expressions ) क्रियाओं को व्यक्त किया जाता है ।
( iii ) इनपुट / आउटपुट बॉक्स ( Input / Output Box ) –
इस संकेत द्वारा इनपुट / आउटपुट क्रियाओं को व्यक्त किया जाता है ।
( iv ) निर्णय बॉक्स ( Decision Box ) –
यदि किसी क्रिया में ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने हो जो ” हाँ ” या ” नहीं ” से सम्बन्धित हों , तो ऐसे निर्णय डिसीजन बॉक्स द्वारा प्रदर्शित किये जाते हैं ।
( v ) सबरुटीन ( Subroutine ) –
निम्नलिखित संकेत सबरूटीन्स को दिखाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है । कई बार प्रोग्राम के किसी भाग का कार्य प्रोग्राम में कई बार दोहराया जाता है , अतः ऐसे भाग को अलग मॉड्यूल ( module ) में लिख लेते हैं , जिसे सबरुटीन कहा जाता है । अतः सबरुटीन को प्रोग्राम में कई जगह प्रयुक्त कर सकते हैं ।
( vi ) कनेक्टर्स ( Connectors ) –
निम्न संकेत फ्लोचार्ट के एक भाग को सुविधापूर्वक दूसरे भाग से जोड़ने के लिए प्रयुक्त होते हैं , ये कनेक्टर कहलाते हैं । इनकी मदद से बड़े फ्लोचार्ट अधिक सरलता व स्पष्टता के साथ बनाये जा सकते हैं ।
( vii ) फ्लो लाइन ( Flow Line ) –
इनका प्रयोग प्रोग्राम में लॉजिक ( logic ) का प्रवाह ( flow ) दिखाने के लिए किया जाता ये तीर ( arrows ) के रूप में सरल रेखाएँ होती हैं जो प्रोग्राम में विभिन्न चरणों का क्रम भी बताती हैं ।
दिया गया सभी संकेत एक सामान्य फ्लोचार्ट बनाने के लिए मान्य संकेत ( standard symbols ) हैं जो अधिकांशतः फ्लोचार्ट्स में प्रयुक्त किये जाते हैं । परन्तु कई और भी संकेत हैं जो फ्लोचार्ट में प्रयुक्त किये जाते हैं , जैसे डॉक्यूमेंट कौलेट ( document collate ) , डिस्पले ( display ) , मैग्नेटिक टेप ( magnetic tape ) , पंच कार्ड ( punch card ) , ऑनलाइन स्टोरेज ( online storage ) , ONLINE STORAG ऑफलाइन स्टोरेज ( offline storage ) , मर्ज ( merge ) इत्यादि
Flowchart बनाने समय हमें कुछ बातो का ध्यान रखना पड़ता है
Flowchart बनाने के लिए भी कुछ नियम होते है, जिन्हे प्रयोग कर के हम आसानी से flowchart बना सकते है एवं समझ ने मे भी हमे आसानी होगी. कुछ नियम हैं-
1. Flowchart बनाते समय जितने भी चिन्ह का प्रयोग करते है, सभी चिन्हो को arrow के द्वारा जोड़ा जाता है जिस से हमे पता चलता है कि flowchart कौन से दिशा मे जा रहा है.
2. सभी flowchart एक starting एवं ending point होता है.
3. जब हम flowchart मे कुछ condition का प्रयोग करते है, तो उसका 2 exit point होता है। ऊपर की ओर, नीचे की ओर या फिर side की ओर होता है, जिसका 2 output होता है- पहला सही ओर दूसरा गलत.
4. Subroutines के अपने खुद के Flowchart होते हैं.
5. हर एक Flowchart का End Symbol हना चाहिए.
फ्लोचार्ट की विशेषताएँ कौन कौन से होते है
फ्लोचार्ट की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
( i ) फ्लोचार्ट कार्य के विभिन्न चरणों का क्रम बताता है
( ii ) फ्लोचार्ट प्रोग्राम तर्क ( program logic ) का चित्रीय वर्णन है ।
( iii ) यह प्रोग्राम के विभिन्न हिस्सों के बीच सम्बन्ध व लॉजिक का प्रवाह ( flow of logic ) प्रदर्शित करता है ।
( iv ) यह प्रोग्राम के विभिन्न चरणों को चित्रीय रूप में रेखांकित करता है अत : समझने में आसान होता है ।
( v ) फ्लोचार्ट प्रोग्राम की गलतियों को सुधारने व बदलने में सहायता करता है ।
( vi ) यह किसी भाषा विशेष के आधार पर निर्भर नहीं होता
( vii ) यह प्रोग्राम प्रलेखन ( documentation ) का एक हिस्सा है
फ्लोचार्ट के लाभ ( Advantages of Flowchart ) –
सी प्रोग्रामिंग भाषा में फ्लोचार्ट से होने वाले मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं
( i) फ्लोचार्ट किसी समस्या के समाधान को चित्रीय रूप से प्रस्तुत करता है , अत : इसे समझने में आसानी होती है ।
(i i ) चित्रीय होने के कारण , इसमें लॉजिक का प्रवाह आसानी से समझ आता है । इसी कारण इसमें गलतियाँ ( errors ) ढूँढ़ना व उनें ठीक करता अधिक आसान है ।
( iii ) विभिन्न चरणों का क्रम आसानी से समझा जा सकता है ।
( iv ) फ्लोचार्ट में सरल व सामान्य संकेत तथा संक्षिप्त कथन प्रयुक्त होते हैं , जो पढ़ने व समझने में आसान होते हैं ।
( v ) फ्लोचार्ट किसी प्रोग्रामिंग भाषा पर निर्भर नहीं होते हैं ।
( vi ) कई बार कठिन समाधानों को भी फ्लोचार्ट की मदद से चित्रीय रूप में आसानी से समझाया जा सकता है ।
फ्लोचार्ट की हानियाँ ( Disadvantages of Flowchart )
सी भाषा में फ्लोचार्ट से होने वाली मुख्य हानियाँ निम्नलिखित हैं –
( 1 ) कई बार लॉजिक फ्लो लाइन ( flow line ) का प्रयोग प्रोग्राम के लॉजिक के प्रवाह को समझने में कठिनाई उत्पन करता है ।
( ii ) बहुत बड़े फ्लोचार्ट जो एक से अधिक पेजों पर लिखे जाते हैं , वे अधिक लाभप्रद नहीं होते हैं ।
( iii ) अनुभवी प्रोग्रामर्स के लिए सामान्य समस्याओं के समाधान लिखने के लिए फ्लोचार्ट बहुत उपयोगी नहीं है ।
( iv ) किसी बड़े एवं जटिल प्रोग्राम के लिए प्रतीकों का प्रयोग करने पर फ्लोचार्ट बनाने में समय और मेहनत अधिक लगती है ।
( v ) फ्लोचार्ट में प्रतीकों ( symbols ) का प्रयोग करते हैं , इसलिए फ्लोचार्ट में थोड़ा सा भी परिवर्तन या संशोधन करना होता है तो पूरी तरह से नये फ्लोचार्ट का निर्माण करना पड़ता है ।
हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! फ्लोचार्ट क्या है और कैसे कार्य करता है हमें कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।
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