प्राथमिक मेमोरी क्या है और कितने भागों में बांटा गया है?

प्राथमिक मेमोरी क्या है


यह मेमोरी कम्प्यूटर की महत्वपूर्ण मेमोरी हैं। इस मेमोरी के द्वारा ही कम्प्यूटर स्टार्ट होता है। इस मेमोरी के अन्दर कम्प्यूटर के स्टार्ट होने की पूरी विधि लिखी रहती है। इस मेमोरी

को वोलेटाइल और नोन वोलेटाइल में विभाजित किया गया वह मेमोरी जो CPU से सीधे जुड़ी होती है उसे मेन मेमोरी कहते हैं। कम्प्यूटर की मेमोरी के इस भाग में स्टोरेज रजिस्टर (सेल) का समूह होता है। इसमें से प्रत्येक सेल को एड्रेस के द्वारा परिभाषित किया जाता है, जिसके कारण कंट्रोल यूनिट किसी भी रजिस्टर में लिख सकती है या रजिस्टर से पढ़ सकती है। कम्पोनेंट के आधार पर यह चार तरह से निर्मित की जा सकती है

(A) कोर मेमोरी (मेग्नेटिक फेराईट)

(B) सेमीकन्डक्टर मेमोरी।

(C) Random access Memory(RAM):

(D) Read Only Memory (ROM)

(A) कोर मेमोरी :

कई सारे सेलों से मिलकर मेमोरी का‌निर्माण होता है, जिसका प्रत्येक सेल एक बिट को स्टोर करता है। ये सेलस् एड्रेसेबल वर्ड्स के समूह में संगठित की जा सकती हैं तथा प्रत्येक वर्ड बिट्स का एक क्रमबद्ध समूह होता है। मेमोरी यूनिट में बायनरी स्टोरेज सेल की तरह उपयोग होने वाले एक मुख्य अवयव को मेग्नेटिक कोर कहते हैै

मैग्नेटिक कोर 0.4 से 0.8 मिमि व्यास का, छोटा टोरोइड (गोला) होता है जो फेरो मैनेटिक पदार्थ का बना होता है। ऐसी भौतिक संख्या जो मेग्नेटिक कोर को बायनरी स्टोरेज के लिए उपयुक्त बनाती है, उसे मेग्नेटिक प्रापर्टी कहते हैं। मेग्नेटिज्म (चुम्बकत्व) की एक दिशा 0 तथा दूसरी दिशा । बायनरी नम्बर को प्रदर्शित करती है। जब फेराइट (लोहे) की रिंग से गुजरने वाले वायर में करंट प्रवाहित किया जाता है, तब इसे मेग्नेटाईज (चुम्बकीय) किया जा सकता है।

(B) सेमीकंडक्टर मेमोरीज :

कम्प्यूटर डिजाइनर कम्प्यूटर के आकार को छोटा करने का प्रयास करते हैं, जिसके‌ कारण सेमीकंडक्टर मेमोरी का विकास होता है। इन मेमोरी का‌ विकास सत्तर के दशक के मध्य हुआ, और बाद में फेराइट कोर मेमोरी के स्थान पर इसका प्रयोग किया गया और इसके बाद इसे बहुत प्रसिद्धि मिली। इसमें स्टोरेज तकनीक फेराइट कोर मेमोरी की तरह ही होती है, परन्तु कोर मेमोरी प्रकृति में मेग्नेटिक (चुम्बकीय) होती है, जबकि सेमीकंडक्टर मेमोरी इलेक्ट्रॉनिक होती है, इसलिए ये मेमोरी ज्यादा तेज होती हैं। सेमीकंडक्टर मेमोरी में प्रत्येक बिट (0 या 1) सेल में स्टोर (संग्रह) होता है। सेल एक बहुत छोटा (माइक्रोस्कोपिक) इलेक्ट्रानिक सर्किट है, जिसकी दो अवस्थाएँ होती हैं। ये दो अवस्थाएँ ‘इलेक्ट्रिक चाड’ और ‘इलेक्ट्रिक नाट चार्जूड’ हैं, जो क्रमशः 1 और 0 के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।

एक विशेष तरह की सेमीकंडक्टर मेमोरी में मेमोरी सेल के आयताकार अरे संग्रह होते हैं। एक ट्रांजिस्टर या सर्किट एक सामान्य मेमोरी सेल है, जिसमें चार्ज को संग्रह करने की क्षमता होती है और साथ ही यह 1 बिट को स्टोर करने के लिए उपयोग होता है। ट्रांजिस्टर एक कंट्रोल इलेक्ट्रानिक स्विच है, जो सिलिन जैसे सेमीकंडक्टर के उपयोग द्वारा बनता है।

RAM का मतलब क्या होता है ?

(C) Random access Memory(RAM):

RAM का पूरा नाम Random Access Memory होता हैं. इसे Main Memory और प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं. RAM में CPU द्वारा वर्तमान में किये जा रहे कार्यों का डाटा और निर्देश स्टोर रहते हैं. यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं. इसलिए इसका डाटा Direct Access किया जा सकता है.

वोलेटाइल को अस्थाई मेमोरी कहा जाता है। यह मेगोरी अपने आप खत्म हो जाता है जिसके अंदर किसी इनफर्मेशन को स्टोर नही कर सकते हैं। उसको वोलेटाइल मेमोरी कहते हैं वोलेटाइल मेमोरी के अन्तर्गत रेम मेनोरी आरती है। (Ram -Random access memory) रेम मेनोरी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिये जगह प्रोवाइड करता है। कम्यूटर स्विच ऑन करने पर यह मेमोरी कार्य करना प्रारंभ कर देती है और स्वच बंद करने पर क्या कार्य करना बंद कर देती है।

RAM किसने बनाया? (Who Invented RAM)

सं 1967 में पहलीबार RAM का अबिष्कार किये Robert Heath Dennard ने. वो एक American electrical engineer और Inventor है. वो बनाये थे dynamic random access memory या DRAM को. जिसके लिए वो transistor का इस्तेमाल किये थे.

RAM कितने प्रकार की होती है ?

रेम के दो मुख्य प्रकार होते है।

1) SRAM स्टेटिक रेम

2) DRAM डायनमिक रेम

SRAM स्टेटिक रेम:-

SRAM का पूरा नाम Static Random Access Memory होता हैं. जिसमें शब्द “Static” बताता हैं कि इस RAM में डाटा स्थिर रहता हैं. और उसे बार-बार Refresh करने की जरूरत नही पडती है.

जब एक मेमोरी सेल में एक विट संगृहीत हो जाती है। तो यह उसमें तब तक विद्यमान रहती है जब तक चिप को पांवर उपलबध रहंता है। स्टेटिक RAM को कम रिफ़्रेश करने की आवश्यकता होती है यह RAM का महैंगा प्रकार है । यह DRAM से तेज कार्य करती है क्याकि इसका एक्सेस टाइम कम होता है यह कम स्थान घेरती है। इसलिए इसका उपयोग कैश मेमारी के रूप में होता है। यह बायपोलर सेमीकंडक्टर एवं मेटल ऑक्साइड अर्धचालक से बना होता है।

DRAM डायनमिक रेम :-

DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory होता हैं. जिसमे शब्द “Dynamic” का मतलब होता हैं चलायमान. अर्थात हमेशा परिवर्तित होते रहना. इसलिए इस RAM को लगातार Refresh करना पडता हैं. तभी इसमें डाटा स्टोर किया जा सकता है.

डॉयनमिक RAM में बिट्स बहुत जल्दी खत्म हो जाती है चाहे पॉवर सप्लाई लगातार हो रही हो इसलिए इसे बार बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है। यह SRAM से संस्ती है।SRAM की तुलना में कम संग्रहण क्षमता होती है। डाटा मेमोरी के रूप में उपयोग में लाई जाता है. इसका निर्माण कैपेसिटरर्स मेमोरीज तथा मेटल ऑक्साइड अर्धचालको से होता है।

Computer ROM

  ROM का मतलब क्या होता है

(D) Read Only Memory ROM :-

ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता है. इसका डाटा केवल पढ़ा जा सकता है. इसमें नया डाटा जोड़ नहीं सकते हैं. यह एक Non-Volatile Memory होती है. इस मेमोरी में कम्प्यूटर फंक्शनेलिटी से संबंधित दिशा निर्देश स्टोर रहते है.

यह स्थायी मैमोरी है। यह मेमोरी अपने अंदर इनफार्मेशन को स्थायी रूप से स्टोर रखता है। रोम नाम की मेमोरी को Non-Volatile Memory कहते हैं। रोम  यह मेमोरी चिप के रूप में रहती है जो कि मदर बोर्ड में पहले से लगी रहती है। इस मेमोरी के अंदर पहले से बना बनाया प्रोग्राम स्टोर रहता है जिसे कि BIOS कहते हैं। BIOS (Basic Input Output System) इस Program के अंदर कम्प्यूटर की इनफार्मेशन स्टोर रहती है। इसी Program की सहायता से कम्प्यूटर स्टार्ट भी होता है । यूजर्स द्वारा इसमे परिवर्तन नहीं किये जा सकते है।

Rom कितने प्रकार की होती है

ROM तीन प्रकार के होते हैं

  1. MROM
  2. PROM
  3. EPROM
  4. EEPROM

1.MROM-(MASKED READ ONLY MEMORY):

इस ROM का पहले बहुत प्रयोग होता था लेकिन अब कोई इसे प्रयोग नहीं करता है यह read only memory hard wired devices है जिसमें से पहले से pre-programmed data और instruction store किया जाता है। उस समय में इस प्रकार के मेमोरी बहुत महंगे होते थे लेकिन आज के समय में ये कहीं नहीं मिलते हैं।

2. PROM [Prograr.able Read Only Memory]:-

इस मेमोरी के अंदर लिखे हुये प्रोग्राम को डिलीट व मॉडीफाई करने की सुविधा नहीं रहती है मगर नये प्रोग्राम इसके अन्दर लिखे जा सकते हैं। जब एक बार PROM का उपयोग कर लिया जाए तो इसे हटाया नही जा सकता।

3. EPROM [Erasable Programable Read Only Memory] :-

इसके अदर लिखे हुये प्रोग्राम को डिलीट कर सकते हैं, मॉडी फाई कर सकते हैं और नये प्रोग्राम लिख भी सकते हैं।

4. EEPROM [Electrical Erasable Programable Read Only Memory):-

इसके अंदर लिखे हुये प्रोग्राम को इलेक्ट्रिक सिगंनल के द्वारा डिलीट करवाया जाता है‌ और नये प्रोग्राम भी लिख सकते हैं। 

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