तकनीकी दृष्टि से कम्प्यूटर को कितनी पीढ़ियों में बाँटा गया है?
लेंग्वेज (भाषा) की पीढ़ियाँ
(अ) प्रथम पीढी की लेंग्वेज (1940-50) [मशीन लेंग्वज]:
(1) इस पीढ़ी की लेंग्वेज को मशीन या लो लेवल लेंग्वेज
कहते हैं।
(2) यह लेंग्वेज मशीन विशेष पर निर्भर करती थी।
3) यह ऐसी पहली प्रोग्रामिंग लेंग्वेज थी, जिसमें बायनरी कोड 0 व 1 का उपयोग किया गया।
(4) इन लेंग्वेज में बहुत ही तकनीकी व विशेषज्ञ व्यक्ति ही कार्य कर सकते थे।
(5) साधारण यूजर (उपयोगकर्ता) का इन लेंग्वेज में कार्य करना बहुत मुश्किल था।
(6) इन्हें सीखना बहुत कठिन था
(7) इन्हें लिखना, पढ़ना व इनकी त्रुटियाँ ढूँढना बहुत कठिन
कार्य होता था ।
(৪) प्रोग्रामर के समय के रूप में ये बहुत ही महँंगी लेंग्वेंज धीं।
बहुत कठिन था।
(ब) द्वितीय पीद़ी की लेंग्बेज (1950-1960) [ऐसेम्बली लेंग्बेज]:
(1) ये लेंग्वेज 0, 1 व कुछ विशेष चिन्ह जिन्हें निमोनिक
कहते हैं (जैसे-ADD, SUB, LOAD, SUM इत्यादि)
का उपयोग करती हैं । इसलिये इन्हें सिम्बॉलिक लेंग्वेज
कहते हैं।
(2) ये लेंग्वेज विशेष मशीन व विशेष माइक्रोप्रोसेसर
(सी. पी.यू.) को आधार मानकर बनायी जाती हैं। जैसे-
(i) INTEL (IBM) माइक्रोप्रोसेसर के लिये विशेष ऐसेम्बली
लेंग्बेज।
(ii) MOTOROLA (APPLE) माइक्रोप्रोसेसर के लिये
विशेष ऐसेम्बली लेंग्बेज।
(3) एक लेंग्वेज ट्रांसलेटर (बदलने वाला) जोकि ऐसेम्बलर
कहलाता है, यह ऐसेम्बली लेंग्वेज प्रोग्राम को मशीन लेंग्वेज में बदलने के लिये जरूरी होता है।
(4) इस लेंगवेज में प्रोग्रामर को प्रोग्रामिंग के लिए, किसी विशेष के कंप्यूटर के लिये बहुत आसानी व कंट्रोल होता है किंतु यहाँ पर कोई विशेषज्ञ व्यक्ति ही प्रोग्रामिंन का सकता है।
(5) न्यूमेरिक (नम्बर) कोड की जगह पर ऐल्फाबेट्स के उपयोग से उन्हें याद रखना आसान हो गया। फिर भी साधारण यूजर के लिये यह बहुत कठिन होती है
(6) इसे सीखना बहुत कठिन था।
(7) इसे लिखना, पढ़ना व इसमें त्रुटियाँ ढूँढना कठिन था।
(৪) इसकी कीमत (प्रोग्रामर के समय के रूप में) बहुत न्या
(9) यह सिस्टम सॉफ्टवेयर में भी उपयोग की जातौ है।
(10) इसे आज भी कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग विधि के रूप में मशीन आधारित लंगवेज में उपयोग किया जाता है।
(स) तृतीय पीढ़ी की लेंगवेज (1960-1970) [हाई लेवल लेंगवेज]
(1) यह इंग्लिश के समान लेंगवेज है व इसमें बायनरी सिस्टा
का उपयोग नहीं होता है।
(2) यह एक पोर्टेबल (अर्थात् मशीन पर निर्भर नहीं रहने वाली लेंगबेज है।
(3) यहाँ पर लेंगवेज ट्रांसलेटर के रूप में इन्टरप्रिंटर या कम्पाईलर का उपयोग किया जाता है।
4) यह सामान्यतः पेशेवर प्रोग्रामर के द्वारा उपयोग की
जाती है।
(5) अभी भी इसे साधारण यूजर को उपयोग करने में कुछ
समस्या थी।
(6) इसे सीखना कठिन होता है।
(7) इसे पढ्ना, लिखना व इसमें त्रुटियाँढूँढना कठिन होता है।
(8) इन लेंगवेजों को बैच प्रक्रिया के द्वारा बनाया जाता है।
(9) ये सभी सामान्यतः प्रोसीजर लेंग्बेज होती हैं।
(10) उदाहरण BASIC, ALGOL, COBOL, FORTRAN.
PASCAL, POL, BCPL, B.CIRI
(द) चौथी पीढ़ी की लेंगवेज ( 1970-|980) [परिष्कृत हाई लेवल लेगवेज)
(1) तीसतरी पीढ़ी की लेंगवेज की तुलना में इनमे बहुत अधिक सुधार घा।
(2) ये भी मशीन से स्वतंत्र लेंगवे न हैं।
(3) इनमें लेंगवेज ट्रांसलेटर जैसे इन्टरप्रिंटर वा कम्पाईलर का
उपयोग किया जाता है।
(4) यह भी सामान्यतः पेशेवर प्रोग्रामर के द्वारा उपयोग की
जाती है।
(5) साधारण यूजर इसको आसानी से उयोग कर सकते हैं।
(6) इसे सीखना आसान होता है।
(7) इसे लिखना पढ़ना व इसमें त्रुटियाँ ढूँवना अधिक
आसान होता है।
(৪) इन लेंगवेजों का उपयोग ऑनलाईन डेवलपमेंट (प्रोग्राम
बनाना) में किया जाता है।
(9) ये सामान्यतः नानप्रोसीजर लेंगवेज होती है।
(10) ये सामान्यतः डेटाबेस पर आधारित होती है ।
( 11) इन लेंगवेजों में कुछ विशेष गुण शामिल किये हैं
जैसे- क्यूरी लेंगवेज, रिपोर्ट जनरेटरसग, OPP लेंगेज,
पेरेलल प्रोसेसिंग लेंगवेज, एप्लीकेशन जनरेटर।
(12) उदाहरण – C++, KLI, RPO, स्मॉल टॉक, SQL
इत्यादि।
(इ) पाँचवी पीढ़ी की लेंगवेज (1980-2000) [आर्टीफीशियल इन्टेलिजेनस) (AI) लेंगवेज)
(1) इन लेंगवेज में लेंगवेज के बहुत ही आपाधाण गुण जैसे
आर्टिफिशियल इन्देलीजेन्स (कुत्रिय बुद्धिमता) का
उपयोग किया जाता है।
(2) थे लेंगवेज डेटाबेस सिस्टम, की तुलना में नाँलेज बेस्ड
सिस्टम पर आधारित होती हैं ।
(3) इन लेंगवेज के मुख्य गुण इस प्रकार है – पेलल
प्रोसेसिंग लेंगवेजेस, क्यूरी लेंगवेजेस, OPP लेंगेज,
इत्यादि ।।
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