जादुई पेड़ की कहानी | Magic tree story

जादुई पेड़ की कहानी 

जादुई पेड़ की कहानी

यह उन दिनों की बात है जो पेड़ पौधे की लोगों की तरह चलते फिरते और हंसते बोलते थे।
       

 जैसे लोग एक जगह से दूसरी जगह चाहते हैं घूमते हैं वही हाल पेड़ पौधे का भी था लोग सुबह उठकर देखते हैं कि उनके दरवाजे पर कल रात तक लगाने का पेड़ गायक हो गया और वहां पर एक अनार का पेड़ आकर रहा है या फिर किसी के देखते देखते सामने की खाली मैदान में अचानक एक आम का पेड़ आकर डेरा डालकर देता और अपने साथियों को भी बुला लेता ।

  कुछ ही देर में लोगों पके हुए आम तोड़ लेते हैं कभी किसी के आंगन में लगा  कटहल का पेड़ किसी दूर देश के लिए उड़ जाता और ऐसा ही घूमता घामता कोई सेब का पेड़ अगर कुछ दिनों के वहां ठहर गया

लोगों को भी बड़ी सुविधा थी उनको घर पर बैठे तरह-तरह पेड़ से तरह-तरह चीजें पूजा करती थी जिसको जिस पेड़ जरूरत होती वहां दूसरे पेड़ के जरिए अपना संदेश भेजा करता था एक बरगद का ही पेड़ ऐसा था जो ज्यादा उनका घूमता-फिरता में नहीं था और कहीं जाता भी तो बता कर जाता इसलिए बहू था लोगों घर से बाहर जाता समय बूढ़े बरगद की छांव मैं अपने छोटे बच्चे को रख जाते चाहते जाते समय रहते जाते बरगद इनका खयाल रखना

मगर अन्य अपने स्वभाव के कारण कुछ ज्यादा ही लापरवाह हो गए। साथ ही साथ उनमें यह अहंकार भी आ गया था  हम कुछ भी कर सकते हैं अब कोई रोक नहीं सकता है‌ ।

एक बार सभी पेड़ उन लोगों को छोड़कर जंगल की ओर ले गए जहां पर पूरा मैदान सूखा पड़ गया और वहां के लोग वहां से जो भी  पेड़ गुजरता सब लोग बोलते हैं कि तुम रुक जाओ लेकिन कोई पर रुकता नहीं था एक  बेर का पेड़ वहां से जा रहा था तो लोगों ने कहा तुम लोग जाओ तो वहां पर रुक गया। लेकिन कुछ दिनों में उनको बेर का पेड़ उन को कुछ भी नहीं दे पाए रही था। तो वह वहां से निकल गया।

कुछ दिनों बाद सभी पेड़ वापस आ जाते हैं लेकिन उनमें अहंकार और भी ज्यादा हो जाता है। वहां सभी पेड़ जब चाहे हवा देते, जब चाहे फल देते, जब चाह फुल देते , जब चाहे छाया देते।
एक बार दो बॉस के पेड़ के बीच लड़ाई हो जाती है लड़ाई करते करते  बॉस के पेड़ से आग निकल जाती है और उस पूरे जंगल में लग जाती है जिससे सब लोग भागने लगते हैं  कई पेड़ उसमें आग में जल जाते हैं उसी बीच बरगद के पेड़ मैं एक बच्चा छूट जाता है वहां बहुत जोर से रोना चालू कर देता है क्योंकि उसके माता-पिता उसे दूर हो जाती हैऔर पेड़ों की ऐसी दशा देखकर वह  पेड़ों की सभा बुलाता है सभा में यह निर्णय किया जाता है कि कोई भी पेड़ अपनी शक्ति का उपयोग नहीं करेगा।

यह सब होने के बाद सभी पेड़ अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करने लग गए । पेड़ सोचने लगे कि ऐसे मिली सजा है कि अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते और हमें जहां रहना वहीं पर ही रहेंगे और धीरे-धीरे वहां अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करते लगे और अपनी शक्ति का प्रयोग करना भूल चुके थे।


अब लोगों को किसी भी चीज की दिक्कत नहीं हो रही थी क्योंकि पेड़ जगह रहते थे।

Leave a Comment