कैपेसिटर इण्डक्शन मोटर क्या है
इस प्रकार की मोटर का रोटर, स्प्लिट-फेज इण्डक्शन मौटर की भाति स्क्विरल केज प्रकार का होता है। इसके स्टेटर पर भी दो वाइंडिंग स्थापित की जाती है जिन्हें क्रमशः रनिंग वाइण्डिंग तथा स्टार्टिंग वाइण्डिंग कहते हैं। ये दोनों वाइण्डिग्स, एक-दूसरे से 90 वैद्युतिक अंश पर स्थापित की जाती हैं। स्टार्टिंग वाइण्डिंग के श्रेणी-क्रम में एक संधारित्र भी संयोजित किया जाता है जिससे मोटर का पॉवर फैक्टर तथा टॉर्क स्प्लिट-फेज इण्डक्शन मोटर की अपेक्षा उच्च हो जाता है।
कैपेसिटर इण्डक्शन मोटर कितने प्रकार के होते हैं?
संधारित्र के संयोजन की विधि के आधार पर संधारित्र इण्डक्शन मौटर्स निम्न तीन प्रकार की होती है
1. कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर,
2 स्थायी कैपेसिटर मोटर तथा
3. कैपेसिटर-स्टार्ट कैपेसिटर-रन मोटर।
कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर संरचना
इसमें रनिंग वाइण्डिंग को सीधे ही एकल-फेज ए.सी. स्रोत से संयोजित किया जाता है और स्टार्टिंग वाइण्डिग के श्रेणी-क्रम में एक 60 से 120 माइक्रो फैरड का कैपेसिटर एवं एक सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच संयोजित किया जाता है। दोनों वाइण्डिग्स को स्टेटर के खाँचों में 90 वैद्युतिक अंश के अन्तर पर स्थापित किया जाता है,
कार्य प्रणाली Working System
स्टार्टिंग के समय रोनग वाइण्डिंग में से प्रवाहित होने वाली विद्यत थारा, आरोपित वोल्टेज से लगभग 70″ पिछड़ जाती है। विद्युत धारा के पिछड़ने का कोण, रनिंग वाइण्डिंग के प्रतिरोघ तथा इण्डक्टेंस पर निर्भर करता है। स्टार्टिंग वाइपिंडिग में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा, श्रेणी-क्रम में जुड़े संघारित्र के कारण आरोपित वोल्टेज से लगभग 20 हंसआगे बढ जाती है। इस प्रकार रनिंग तथा स्टार्टिंग वाइण्डास में लगनग 90 अंश का फेज-अन्तर पैदा हो जाता है, देखें चित्र (b)l परिणामतः, मोटर का पॉवर फैक्टर तथा प्रारम्भिक टॉर्क उच्च हा जाता ही
मोटर द्वारा अंकित घूर्णन-गत का लगभग 75% भाग प्राप्त कर लेने पर सेन्टरीफ्यगल स्विच ‘ऑफ’ हो जाता है और मोटर केवल रनिंग वाइण्डिंग पर कार्यरत रहती है।
विशेषताएँ Characteristics
कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर का प्रारम्भिक टॉर्क, रनिंग टॉर्क की अपेक्षा कई गुना अधिक होता है। इस मोटर का रनिंग टॉर्क, लोड में थोड़े-वहुत परिवर्तन के लिए स्वयं ही समायोजित (adjust) हो जाता है।
अनुप्रयोग Application
इस प्रकार की मौटर का उपयोग बैल्ट चालित पंखे, ब्लोअर, ड्रायर, पम्प, वाशिंग मशीन, कम्प्रैसर आदि में किया जाता है।
घूर्णन-दिशा परिवर्तन Variation in Rotating Direction
कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर की घूर्णन-दिशा परिवर्तित करने के लिए रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइण्डिग के संयोजन की दिशा परिवर्तित की जाती है।
स्थायी कैपेसिटर मोटर [ Permanent Capacitor Motor]
संरचना
कैपेसिटर स्टार्ट तथा स्थायी कैपेसिटर मोटर में मुख्य अन्तर यह होता है कि स्थायी कैपेसिटर मोटर में कैपेसिटर, स्थायी रूप से स्टार्टिंग वाइपण्डिग के श्रेणी क्रम में जोड़ दिया जाता है और कोई सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच प्रयोग नहीं किया जाता। कैपेसिटर का मान कम अर्थात् 2 से 2.5 माइक्रो फैरड रखा जाता है।
कार्य प्रणाली [Working System]
इसकी कार्यप्रणाली, कैपेसिटर-स्टार्ट मोटर के समान ही होती है।
विशेषताएँ[ Characteristics]
इस प्रकार की मोटर का स्टार्टिंग तथा रनिंग टॉर्क लगभग बराबर होता है। इसका मूल्य, समान रेटिंग की कैपैसिटर-स्टार्ट मोटर की तुलना में कम होता हैं।
अनुप्रयोग [Application]
प्रारम्भिक टॉके कम होने के कारण इस प्रकार की मोटर का उपयोग केवल ऐसे कार्यों में किया जाता है जिनमें अधिक प्रारम्भिक टॉर्क आवश्यक न हो; जैसे-छतं व मेज के पंखे, इण्डक्शन रेगुलेटर, ऑर्क वैल्डिंग कन्ट्रोल आदि।
घूर्णन-दिशा परिवर्तन[ Variation in Rotating Direction]
इस प्रकार की मोटर की घूर्णन-दिशा, रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइण्डिग के संयोजनों की दिशा बदल कर सरलता से परिवर्तित की जा सकती है।
कैपेसिटर-स्टार्ट कैपेसिटर-रन मोटर[ Capacitor-start Capacitor-run Motor]
संरचना Construction
इस प्रकार की मोटर में स्टार्टिंग वाइण्डिग के श्रेणी क्रम में दो समानान्तर संयोजित कैपेसिटर्स प्रयोग किए जाते हैं देखें चित्र। एक कैपेसिटर (10 से 20 माइक्रो फैरड), केवल स्टार्टिग के समय कार्य करता है और मोटर द्वारा पूर्ण घूर्णन-गति का 75% भाग प्राप्त कर लेने पर सेन्ट्रीपयूगल स्विच के ‘ऑफ’ हो जाने से, परिपथ से बाहर हो जाता है। दूसरा कैपेसिटर (2 से 2.5 माइक्रो फैरड), मोटर के घूर्णन काल में भी स्टार्टिंग वाइण्डिग के श्रेणी-क्रम में
संयोजित रहता है।
कार्य प्रणाली [Working System]
यह मोटर प्रारम्भ में C 1+ C2, धारिता के साथ उच्च प्रारम्भिक टॉर्क तथा उच्च पॉवर फैक्टर पर चालू होती है। रनिंग के समय, उच्च मान का संधारित्र एक सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच के द्वारा परिपथ से बाहर हो जाता है और मोटर निम्न मान के संघारित्र के साथ चालू रहती है।
विशेषताएँ [Characteristics]
इस मोटर का प्रारम्भिक टॉर्क, रनिंग टॉर्क से 3 गुना से अधिक उच्च होता है। स्टार्टिंग तथा रनिंग, दोनों ही काल में पॉवर फैक्टर का मान उच्च रहता है। यह मोटर, 25% अधिक लोड पर भी पूर्ण दक्षता के साथ कार्यरत रहती है
अनुप्रयोग [Application]
इस प्रकार की मोटर का उपयोग ऐसे कार्यों में किया जाता है जिनमें उच्च प्रारम्भिक टॉर्क आवश्यक होता है; जैसे-रेफ्रीजेरेटर, एयर कण्डीशनर, कम्प्रैसर आदि। इस मोटर का मूल्य, कैपेसिटर- स्टार्ट तथा स्थायी कैपेसिटर मोटर की अपेक्षा अधिक होता है।
घूर्णन-दिशा परिवर्तन [Variation in Rotating Direction]
इस प्रकार की मोटर की घूर्णन दिशा, रनिंग अथवा स्टार्टिंग वाइण्डिंग के संयोजनों की दिशा बदलकर परिवर्तित की जा सकती है।
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