जन्मदिन के बहाने की कहानी | Story of birthday excuse in hindi

 जन्मदिन  के बहाने की कहानी

 मम्मी ने जब कमरे में प्रवेश किया तब अर्पिता और अर्चना चिंतित मुद्रा में लग रही थीं । 

‘ क्या बात है ? मेरी बेटियाँ बड़ी गंभीर नज़र आ रही हैं ! “

 ” मम्मी ! हमारा जन्मदिन जून में क्यों पड़ता है ?

 ” अर्पिता ने जवाब में प्रश्न ही लिया । 

” क्योंकि तुम जुड़वाँ बहनें जून में पैदा हुई थीं ! ” हँसते हुए मम्मी ने कहा ।

 ” जून में तो जन्मदिन का सारा मज़ा ही खत्म हो जाता है । हमारी सभी सहेलियाँ तो छुट्टियाँ होते ही बाहर चली जाती हैं । ” अर्पिता ने अपनी समस्या बताई । 

‘ ओह ! तो यह समस्या है । ” कुछ सोचते हुए मम्मी बोलीं । ” हाँ , यही समस्या है । ” रुआँसी दोनों बहनें मम्मी की ओर देखने लगीं । 

” ठीक है । तुम दोनों ऐसा करो कि खूब सोच – समझकर एक अच्छा – सा प्रोग्राम बनाओ , जिसमें तुम्हें लगे कि तुम्हें खूब मज़ा आएगा । इस बार तुम दोनों का जन्मदिन कुछ ऐसे मनाएँगे कि वह यादगार बन जाए और तुम्हें सच्चा सुख भी मिले । ” मम्मी बोलीं ।

 ” लेकिन कैसे ? ” ” तुम दोनों सोचो । कोई एक प्लान तो बनाओ , फिर उसमें कुछ जोड़ मम्मी उठते हुए बोलीं । ” मम्मी … ! ” अर्पिता ने कहा । 

” बेटा ! अभी जन्मदिन को पूरा डेढ़ महीना बाकी है और नाश्ता हमें अभी करना मैं नाश्ता बना लूँ , फिर बैठते हैं । तब तक तुम दोनों सोचो । ” मम्मी उठकर चली गईं । नाश्ते के बाद तीनों साथ बैठीं । -घटा लेंगे । ”  । 

” बताओ , तुम लोगों ने क्या प्रोग्राम बनाया है ? ” मम्मी ने पूछा “

 बहुत अच्छा प्रोग्राम है लेकिन आप उसमें से कुछ भी नहीं काटेंगी । ” अर्चना बोली ।

 ” ठीक है , कुछ नहीं काटेंगे । अब तो बताओगी ! ” मम्मी मुसकरा दीं । 

” हम सब पिकनिक मनाने चलेंगे । ” अर्चना ने कहा ।

” ठीक है । ” मम्मी ने मान लिया । ” घर आकर हम लोग पिकनिक का सामान रख देंगे और पिक्चर देखने चले जाएँगे । ” अर्पिता ने जोड़ा ।

 ” यह भी मान लिया । ” मम्मी ने स्वीकृति दे दी ।

 ” वहीं से हम लोग कहीं बाहर होटल में रात का खाना भी खाएँगे । ” अर्चना


ने बात पूरी की । ‘ और आइसक्रीम भी , ” अर्पिता ने छूटी कड़ी जोड़ी । 

” चलो , यह भी मान लिया । ” मम्मी के यह कहते ही दोनों बहनें खुशी से उछल पड़ीं । दोनों ने आगे बढ़कर मम्मी का गाल चूम लिया । ” यह तो था तुम्हारा प्रोग्राम , जो पूरा का पूरा मैंने मान लिया । क्या अब इसमें मैं भी कुछ जोड़ दूँ ? ” मम्मी ने पूछा । 

” हाँ , लेकिन पूरा दिन तो निकल गया । आप कहाँ पर जोड़ेंगी ? ” अर्चना ने पूछा । ” एकदम सुबह । ” ” ठीक है , बताइए । ” अर्पिता ने कहा । ” तुम दोनों को पता है , हमारे घर में जो लक्ष्मी काम करती है उसकी एक छोटी सी बिटिया है … ” बीच में अर्चना बोली , ” हाँ , देखा है , कई बार वह घर भी आई है । ” ‘ उसका जन्मदिन भी उसी दिन है जिस दिन तुम्हारा है । ” मम्मी ने बताया । ‘ अच्छा ! कैसा संयोग है । ” अर्चना बोली ।  ” लेकिन आप ये सब बातें हमें क्यों बता रही हैं ? ” अर्पिता ने पूछा ।

 ” इसलिए कि मेरे पास फ्रॉक का सुंदर – सा कपड़ा है । मैं चाहती हूँ कि मैं उसकी कटिंग कर दूँ और तुम लोग उसपर मशीन चलाकर उसके लिए फ्रॉक बना दो और अपने जन्मदिन पर अपने हाथों से उसे दो । ” दोनों की ओर देखते हुए मम्मी बोली । दोनों बहनों ने एक – दूसरे की ओर देखा और आँखों ही आँखों में कुछ बात की ।

” लेकिन मम्मी हमें तो मशीन चलानी भी नहीं आती । ” अर्पिता ने कहा । ” कोई भात नहीं , तुम तो केवल मशीन का हैंडिल ही घुमाना ।

 ” ठीक है मम्मी , आपने हमारा पूरा प्रोग्राम मान लिया है तो हम भी आपका यह पोशाम मान लेते हैं । ” अर्पिता ने सहमति प्रकट की । 

अगले ही दिन से माँ और बेटियों का कटाई सिलाई का काम आरंभ हो गया । मम्मी कपड़े को तरीके से रखतीं , फिर दोनों में से कोई एक हैंडिल घुमाती । धीरे – धीरे मम्मी ने सिलाई करने का तरीका बताया । मम्मी बताती जाती और दोनों सिलाई करती जाती । कुछ ही दिनों में कपड़े ने फ्रॉक का आकार ले लिया । कब महीना बीत गया , पता ही नहीं चला । मम्मी कुछ और कपड़े खरीदकर ले आईं । इसी प्रकार तीनों ने मिलकर उनको भी सिल डाला । रंग – बिरंगी फ्रॉके सिलकर तैयार हुई तो वे खुशी से झूम उठीं । 

‘ अर्पिता , अर्चना , पता है आज क्या तारीख है ? ” मम्मी ने अपनी प्यारी बेटियों से पूछा ।

 ” अरे ! परसों तो हमारा जन्मदिन है ! ” अर्चना चौंक उठी । ‘ कमाल है ! डेढ़ महीना निकल गया और पता ही नहीं चला ! ” आश्चर्य से अर्पिता ” सच ! इस बार काम काम में छुट्टियाँ बीत गई और बोर होने का समय ही नहीं मिला ! ” अर्चना बोली तो सभी खिलखिलाकर हँस पड़े । 

” तुम्हें पता है , इन दिनों में हमने कितनी फ्रॉकें बनाई हैं ? बारह फ्रॉकें ! ” मम्मी ने प्रसन्नता से बताया । दोनों बहनें आश्चर्य से एक – दूसरे का मुँह देखने लगीं । फिर अर्पिता ने कहा , ” मम्मी ! हमारे इस जन्मदिन पर उपहार तो आपने हमें पहले ही दे दिया । ” 

” कहाँ दिया ? … तुम लोग मेरी अलमारी में से निकाल लाईं क्या ? ‘ चौंककर मम्मी बोलीं । ” मैं उस उपहार की नहीं , इस उपहार की बात कर रही हूँ । ” अर्पिता ने कहा । ” इस उपहार की … मतलब ? ” आश्चर्य से मम्मी ने पूछा । 

मम्मी ! मैं आपके दिए इस सिलाई के ज्ञान की बात कर रही हूँ । ” अर्पिता चोली । अच्छा ! शैतान लड़की । ” मम्मी मुसकराए बिना नहीं रह सकीं ।

 जन्मदिन की शुरुआत एक अनोखे ढंग से हुई । जब तक दोनों बहनें नहा धोकर तैयार हुईं , लक्ष्मी और छाया आ चुकी थीं । मम्मी ने उन्हें पहले ही बुला रखा था । पिकनिक पर ले जाने के लिए जो कुछ भी बना था , पहले उन दोनों को खिलाया । उसके बाद दोनों बहनों ने अपने हाथ से बनी सारी फ्रॉके नन्ही छाया को जन्मदिन की बधाई के साथ दे दी । इतनी सारी फ्रॉकें पाकर वे दोनों खुशी से रोने लगीं । उन्हें विदा करके सब लोग पिकनिक के लिए निकले तो अर्पिता ने भावुक स्वर में कहा , ” मम्मी । आपने सच कहा था । यह जन्मदिन यादगार और सच्चा सुख देनेवाला है । आज हमने ‘ देने ‘ का सुख जाना ! 

” अर्चना भी मम्मी के गले से लगकर बोली , “ धन्यवाद , मम्मी । ” खुशी में डूबती – उतरती टोली को लेकर कार पिकनिक की मंजिल की ओर बढ़ चली ।

Leave a Comment