Relay क्या है कैसे काम करती है और इसके प्रकार

आज आपको Relay के बारे में बताएंगे कि Relay क्या है कैसे काम करती है और इसके प्रकार ।Relay ऐसा डिवाइस है जो पावर सप्लाई देने पर ऑन हो जाता है और सप्लाई कट होने पर ऑफ हो जाता है लेकिन आप अपने घर में देखा होगा कि किसी switch को दबाने पर ऑन और ऑफ किया जा सकता है लेकिन रिले एक ऐसा डिवाइस है जो की वोल्टेज ज्यादा होने पर अपने आप ऑफ और ऑन हो सकता है

Relay क्या है

विद्युत् परिपथ में उत्पन्न दोष के कारण रक्षी रिले, एक या एक से अधिक विद्युत् राशियों जैसे- धारा, वोल्टता अथवा शक्ति के असामान्य परिणामों की अनुक्रिया से ट्रिप परिपथ का प्रचालन करता है। जिसमें परिपथ वियोजक प्रचालित होकर दोष युक्त परिपथ को वियोजित कर देता है। अतः विद्युत् राशियों के असामान्य परिणामों के बुरे प्रभाव से उक्त सम्पूर्ण तंत्र को रक्षा प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार रक्षी रिले का मुख्य कार्य विद्युत परिपथ में दोष का तुरन्त एवं निश्चित विवेचन से सही पता लगाकर दोष युक्त परिपथ को परिपथ वियोजक की सहायता से शेष तन्त्र से अलग करना है।

Relay का क्या काम होता है?

रक्षी रिले के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं –

  • रक्षी रिले दोषपूर्ण भाग को तेजी से अलग करता है ताकि शक्ति प्रणाली की स्थिरता, सेवा की सततता (continuity) बनी रहे ।
  • रक्षी रिले का प्रयोग शक्ति प्रणाली के उस घटक जिसमें लघु परिपथ दोष हैं याअसामान्य दशा में परिचालित होना शुरू करता है, से प्रदाय को हटाने हेतु किया जाता है ।
  • रक्षी रिले विद्युत परिपथ में दोषी स्थानों का पता भी लगाते हैं ।
  • रक्षी रिले संयंत्र को उस पर आने वाले भारी दोषों से बचाता है
  • रक्षी रिले एक अलार्म को बजाते हैं या परिपथ वियोजक के ट्रिप परिपथ को बन्दकरते हैं ।

Relay कितने प्रकार के होते हैं?

1. ऑपरेशन के समय के अनुसार::

(i) Instantaneous relay:

रिले का संचालन बहुत कम समय (आमतौर पर t≤0.1 सेकंड) के बाद होता है।

(ii) Definite minimum time relay (DMT): इन रिले के लिए संचालन का समय निश्चित है

(iii) Inverse time lag relay:

संचालन का समय वर्तमान या अन्य परिचालन मात्रा के परिमाण के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

(iv) Inverse definite minimum time lag relay (IDMT):

संचालन का समय वर्तमान या अन्य मात्रा के संचालन के छोटे मूल्यों के विपरीत आनुपातिक होता है और निश्चित न्यूनतम समय होता है क्योंकि मूल्य सीमा के बिना बढ़ता है।

2. निर्माण और संचालन के सिद्धांत के अनुसार:

(i) Attracted armature type:(a) Attracted armature type:

इस प्रकार के रिले ऑपरेशन में रिले वाइंडिंग के माध्यम से प्रवाहित होने वाले चुंबकीय क्षेत्र के कारण आकर्षक बल के प्रभाव में आर्मेचर की गति पर निर्भर करता है।

(b) Solenoid type relay:

रिले का संचालन लोहे के प्लंजर की गति पर निर्भर करता हैएक सोलनॉइड की धुरी के साथ कोर।

(ii) Electro-magnetic induction type::

इस प्रकार के रिले ऑपरेशन में प्रेरित एड़ी धाराओं की परस्पर क्रिया द्वारा घूमने के लिए एक धातु डिस्क या सिलेंडर की गति पर निर्भर करता है और बारी-बारी से चुंबकीय क्षेत्र।

(ii) Electro-dynamic type relay

(iv) Moving coil type relay
(v) Thermal type relay::

आंदोलन रिले के तत्व के माध्यम से बहने वाली धारा द्वारा उत्पादित गर्मी की क्रिया पर निर्भर करता है।

3. आवेदनों के अनुसार:

(i) Over voltage or over current relay or over power relay

(ii) Under voltage or under current relay or under power relay

(iii) Directional or reverse current relay
(iv) Directional or reverse power relay(v) Differential relay(w) Distance relay

4. Gas operated Buchholz relay:

इसका उपयोग तेल में डूबे हुए ट्रांसफार्मर को आरंभिक दोष या आंतरिक दोष से बचाने के लिए किया जाता है

5. Microprocessor based relay/Static relay:

स्टेटिक रिले इलेक्ट्रॉनिक सर्किट नियंत्रण के उपयोग के साथ वही कार्य करने में सक्षम हैं जो एक इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक रिले चलती भागों या तत्वों के उपयोग के साथ करता है।

अच्छे सुरक्षा रिले के मुख्य पाँच गुणों

एक श्रेष्ठ सुरक्षा रिले के आवश्यक लक्षण निम्नलिखित हैं।

(i) विश्वसनीयता – सुरक्षा रिले को दोष उत्पन्न होने की पूर्व निर्धारित स्थिति में अवश्यकार्य करना चाहिये ।

(ii) सुग्राहिता – सुरक्षा रिले को परिपथ में दोष धारा के न्यूनतम मान पर ही कार्य करना चाहिये ।

(iii) चयनता इसे परिपथ में केवल दोषपूर्ण अंग का ही चयन करके विद्युत् प्रणाली से अलग करना चाहिये। जो अंग दोष पूर्ण नहीं हैं उनमें बाधा नहीं डालनी चाहिये ।

(iv) शीघ्रता – इसे दोष पूर्ण अवस्था में तुरन्त परिचालित होना चाहिये जिससे परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा हो सके।

(v) भविष्य विस्तार रखकर की जानी चाहिये । इसकी अभिकल्पना भविष्य में होने वाले विस्तार को ध्यान में

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