E-Commerce क्या है, E-Commerce के इतिहास, प्रकार ,फंक्शन ,सम्बन्धित टेक्नोलाजिस् ,फायदे और नुकसान।

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 कॉमर्स (E-Commerce) क्या है

इलेक्ट्रानिक कामर्स कम्युनिकेशन और इनफार्मेशन शेयरिंग टेक्नॉलाजी का एक ऐसा एप्लीकेशन है , जो ट्रेडिंग पार्टनर्स के बीच उनके व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा करता है । 

इलेक्ट्रॉनिक कामर्स एक सामान्य पद है , जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया ( माध्यम ) पर क्रियान्वित होने वाले वे सभी कार्मशियल ट्रांजेक्शन ( लेन – देन ) शामिल होते हैं , जिनकी मदद से प्रोडक्टस् , सर्विसेस् या सूचना का आदान – प्रदान सप्लायर व कस्टमर करते हैं । इसके अन्दर विभिन्न टेक्नालॉजी का एक सूट ( संग्रह होता है जिनमें EDI ( इलेक्ट्रॉनिक्स डॉक्युमेंट इन्टरचेंज ) , इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग , EFT ( इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर ) , EBB ( इलेक्ट्रॉनिक बुलेटिन बोर्ड ) , इलेक्ट्रॉनिक पब्लिशिंग व डेटाबेस सर्विसेस शामिल हैं ।

ई कॉमर्स की शुरुआत कब हुई?

1970 में EDI (electronic data inter change) तकनीक का प्रयोग करके ई-कॉमर्स को Introduce किया जा सकता था | इसके माध्यम से व्यावसायिक दस्तावेजो जैसे – परचेज आर्डर, Invoice को इलेक्ट्रोनिक रूप से भेजा जा सकता था |इस बाद में इसे अधिक गतिविधियों के रूप में वेब फॉर्म्स के नाम से  भी जाना जाने लगा | इसका प्रमुख उद्देश्य Goods  Products की खरीददारी वेबसाइट द्धारा ई-शॉपिंग इलेक्ट्रोनिक भुगतान सेवाए किया गया था 

1979 में, अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट ने ASC X12 को इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से डॉक्यूमेंट को शेयर करने के व्यवसायों के लिए एक युनिवर्सल स्‍डैंडर्ड के रूप में विकसित किया गया  था।

कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?

ई – कामर्स को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करते हैं

1. Business to Business (B2B)

2. Business to Consumer (B2C)

3. By digital Middleman

  ( 1 ) बिजनेसटूबिजनेस कामर्स 

इस तरह के ई – कामर्स से तात्पर्य होता है दो व्यापारिक कम्पनियों के बीच प्रोडक्ट्स , सर्विसेस् या सूचनाओं का आदान प्रदान करना । 

( 2 ) बिजनेसटूकस्टमर कामर्स 

इस तरह के ई – कामर्स का अर्थ होता है किसी कम्पनी व कस्टमर के बीच प्रोडक्टस् , सर्विसेस या सूचनाओं का आदान प्रदान । सामान्यतः कम्पनी इस कार्य को वेब साईट की मदद से करती है । इस वेब साईट पर कम्पनी अपने प्रोडक्ट्स व सर्विसेस की जानकारी देती है और कस्टमर को इस बात की सुविधा होती है कि वह इस वेब साईट के माध्यम से आर्डर भी दे सकता है व कस्टमर सपोर्ट सर्विसेस को भी प्राप्त कर सकता है । 

( 3 ) डिजिटल मिडिलमेन के द्वारा 

इस तरह का ई – कामर्स ऐसे ई – कामर्स से सम्बन्धित है , जिसमें तीसरे पक्ष ( जिसे डिजिटल मिडिलमेन कहते है ) को शामिल किया गया हो । एक ऐसी कम्पनी जो इन्टरनेट पर वरचुअल कम्युनिटी या पोर्टल बनाती है और इस कम्प्युनिटी में व्यापारिक दृष्टि से बहुत सी कम्पनियों को शामिल करती है , डिजिटल मिडिलमेन कहलाती है ।

 कामर्स के फंक्शन 

 इलेक्ट्रानिक कामर्स के मुख्य फंक्शन्स इस प्रकार हैं : 

( i ) इन्फारमेशन सर्च

इसमें इन्फारमेशन एक्सेस पब्लिक डोमेन व प्रोपरायटरी डेटा आर्चिव्स् के लिये सर्च  ( ढूंढना ) व रिट्रिव ( प्राप्त करना ) की सुविधा प्रदान करता है । इसका एक अच्छा उदाहरण है – बड़े मेन्युफेक्चरर सप्लायर को सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस में डॉयलअप एक्सेस के द्वारा कम्प्युनीकेटिंग इंजिनियरिंग चेंज बताते हैं । 

( ii ) इन्टरपर्सनल कम्युनीकेशन :

 यह ऐसी विधि देता है , जिसके द्वारा अलग – अलग समूह जो आपस में रूचि रखते हैं , सूचना का अदान – प्रदान करते हैं । ये विचारों का आदान – प्रदान करते हैं व आपसी सहयोग बढ़ाते हैं । इसमें ई – मेल सबसे आसान तरीका है । इसका दूसरा उदाहरण है – कस्टमर व सप्लायर डिजाईन ग्रुप जो प्रोडक्ट के गुणों के निर्धारण के लिये एक साथ  कार्य करते हैं व परिवर्तित फाइलें पब्लिशर के द्वारा किसी दूरस्थ स्थान पर रखें प्रिंटर पर भेजी जाती हैं । 

( iii ) प्रोसेस मैनेजमेंट

इसमें प्रोसेस को और अधिक प्रभावी बनाने वाले फंक्शन्स् शामिल हैं । इसमें बिजनेस प्रोसेस को स्वचलित और अधिक उन्नत बनाने का कार्य शामिल है । इसका एक अच्छा उदाहरण है- दो कम्प्यूटर्स की आपस में नेटवर्किंग , जिससे वे एक दूसरे से डेटा शेयर कर सकें , नाकि एक मशीन से डेटा दूसरी मशीन पर ले जाने के लिये अतिरिक्त फ्लापी या  का उपयोग करें । 

( iv ) सर्विस मैनेजमेंट

यह टेक्नोलॉजी का एक ऐसा उपयोग है जिससे सर्विस की गुणवत्ता में अधिक सुधार किया जाता है । इसका एक अच्छा उदाहरण है – फेडरल एक्सप्रेस वेब साइट । यह कस्टमर को कारगो के शिपमेंट व श्येडूयल को प्राप्त करने के लिये बिना कस्टमर सर्विस रिप्रजेंटेटिव के पूरी दुनिया में पूरे दिन भर की सुविधा देता है । इस प्रकार की तकनीक से कस्टमर सर्विस बहुत अधिक उन्नत हुई है । 

( v ) शापिंग सर्विसेस

इसके माध्यम से इन्टरनेट या किसी अन्य ऑन – लाईन सर्विस के द्वारा गुड्स या सर्विसेस को बेचने या खरीदने की प्रक्रिया की जाती है । एक रिटेल बेव साईट Amzon.com शापिंग सर्विसेस का एक अच्छा उदाहरण है । 

( vi ) वरचुअल एन्टरप्राईजेस

वरचुअल एन्टरप्राईजेस एक प्रकार की व्यापारिक व्यवस्था होती है , जिसमें ट्रेडिंग पार्टनर्स भौगोलिक सीमा के आधार पर अलग – अलग रहते हैं व अनुभवी व तकनीकी लोग काम्पलेक्स ( कठिन ) संयुक्त व्यापारिक गतिविधियों में एक एन्टरप्राइज के रूप में लगे होते हैं । इसका एक उदाहरण वास्तविक सप्लाय चेन इंटिग्रेशन है । यहाँ प्लानिंग व फोरकास्ट डेटा मल्टिटायर सप्लाय चैन के द्वारा तुरंत व सही रूप में ट्रांसफर किया जाता है । 

कामर्स से सम्बन्धित टेक्नोलाजिस् 

ऐसी बहुत सी टेक्नोलॉजी हैं , जो कि इलेक्ट्रॉनिक कामर्स के आवश्यक भाग हैं , वे इस प्रकार हैं : 

( 1 ) इलेक्ट्रॉनिक डेटा इन्टरचेंज ( EDI ) 

एक यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूचना एक स्टैंडर्ड इलेक्ट्रॉनिक के रूप में एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को आदान प्रदान की जाती है । कम्प्यूटर के अंदर संग्रह सूचना विशेष साफ्टवेयर के द्वारा EDI फारमेट में परिवर्तित किया जाता है , जिससे कि उसे एक या अधिक ट्रेडिंग पार्टनर्स को भेजा जा सके । ट्रेडिंग पार्टनर्स की मशीन पुन : इसे EDI फारमेट से उस फारमेट ( साफ्टवेयर के द्वारा ) में परिवर्तित करती है , जिसे वह समझ सके । 

( 2 ) बार कोड 

इसका उपयोग इसलिये किया जाता है कि कम्प्यूटर , प्रोडक्ट की स्वतः ही पहचान कर सके । ये आयाताकार आकार की परिवर्तित चौड़ाई व लम्बाई की लाइनें होती हैं । इस अद्वितीय पेर्टन को कुछ विशेष नम्बर वाले चिन्ह् एसाईन ( देना ) कर दिये जाते हैं । अत : इस तरह से एक फान्ट का निर्माण होता है , जिसे लेजर लाईट परावर्तन के द्वारा कम्प्यूटर पहचानता है । कन्ज्यूमर प्रोडक्टस् बार कोडस् इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है । इन कोड के आधार पर प्रोडक्ट को चेक आऊट कांऊटर पर स्केन ( परीक्षण ) किया जाता है । जैसे ही प्रोडक्ट को पहचान लिया जाता है , केश रजिस्टर में उसकी किमत लिख दी जाती है और इस तरह से आंतरिक सिस्टम स्वतः ही परिवर्तित हो जाता है ।ऐसी किसी भी प्रोसेस जिसमें कि मटेरिअल फ्लो पर कड़ा नियंत्रण रखना हो , यह तकनीक बहुत ही प्रभावी होती है । 

( 3 ) इलेक्ट्रानिक मेल 

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अपने मैसेज को कम्पोज करके इन्टरनेट के द्वारा डिजिटल रूप में दूसरे को भेजता है । इन्टरनेट लाखों अलग – अलग कम्प्यूटर व कम्प्यूटर नेटवर्स् का एक डिसेट्रेलाइल्ड ( विकेन्द्रीत ) ग्लोबल नेटवर्क है । 

( 4 ) वर्ल्ड वाईड बेव ( www ) 

यह ऐसे डाक्यूमेंट्स का संग्रह होता है जो हायपर टैक्स्ट मार्कॲप लेंग्वेज में लिखे व एनकोड किये जाते हैं । एक छोटे से साफ्टवेयर को जोड़ने पर जिसे ब्राउजर कहते हैं , यूजर इन डाक्यूमेंट्स को माँग सकता और पर्सनल कम्प्यूटर पर इनको देख सकता है । www , इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला एप्लिकेशन है । 

( 5 ) प्रोडक्ट डेटा एक्सचेंज ( PDE ) 

यह डेटा के ग्राफिय रूप में आदान – प्रदान की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी प्रोडक्ट के विवरण के लिये पिक्चर , ड्राईंग व CAD फाइलों का उपयोग किया जाता है । जबकि अन्य परिस्थितियों में ( जैसे स्पेसीफीकेशन्स , बिल्स ऑफ मटेरियल्स् , मेन्युफेक्चरिंग इन्सट्रक्शनस् , इजियनिरिंग चेज नोटिसेस् व टेस्ट रिजल्ट इत्यादि ) डेटा केरेक्टर व न्यूमेरीक चिन्हों पर आधारित होता है । PDE दूसरे तरह के व्यापारिक कम्युनीकेशन में दो तरह से अलग होता है । प्रथम यह कि ग्राफिकल फाइल्स् , विड्थ में बहुत ज्यादा होती है और साफ्टवेयरस् के बीच काम्पेटिबिलिटी की समस्या होती है । दूसरा यह कि वरशन कंट्रोल बहुत कठिन होता है । डेवलेपमेंट सायकल में प्रोडक्ट कि डिजाईन्स् में बहुत बड़े – बड़े परिवर्तन होते हैं जबकि मेन्युफेक्चरिंग प्रोसेस में प्रोडक्ट में छोटा सा परिवर्तन प्रोडक्ट के प्रोडक्शन में बहुत प्रभाव डालता है । 

( 6 ) इलेक्ट्रॉनिक फार्स्

 यह ऐसी तकनीक है जिसमें पेपर फार्म के साथ सूचनाओं को डिजिटल रूप में संग्रह किया जाता है । उदाहरण के लिये ऐसा पेपर फार्म जिसमें लाइन्स् , बाक्सेस , चेक ऑफ लिस्टस् व लाईन के लिये जगह इत्यादि हो । किसी यूजर के लिये इलेक्ट्रानिक फार्म इसी फार्म के समान डिजिटल रूप में होता है जिसकी समस्त जानकारी कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखती है । इसे किबोर्ड या माउस के द्वारा भरा जाता है । इस फार्म के अतिरिक्त कार्यों में सर्वप्रथम डेटा डिजिटल रूप में होने से डेटाबेस में संग्रह किया जा सकता है , सूचनाओं का स्वतः एक जगह से दूसरी जगह जाना व अन्य एप्लिकेशन के साथ उपयोग करना इत्यादि शामिल है । इसका सबसे अच्छा उदाहरण बहुत सी यूनिवर्सिटी के एप्लिकेशन फार्मस हैं । 

ई कॉमर्स के क्या फायदे हैं?

इलेक्ट्रानिक कामर्स एप्लीकेशन के लाभ कई क्षेत्रों में हैं , 

( 1 ) ग्लोबल मार्केट में प्रवेश आसान विशेषकर भौगोलिक रूप से दूरस्थ स्थानों के मार्केट में कम्पनी के विभिन्न आकार और लोकेशन के हिसाब से महत्वपूर्ण से भागीदारी सम्भव है । 

( 2 ) माल की उच्चगुणवत्ता : स्टेण्डर्ड और प्रतिस्पर्धा के बढ़ने से माल की गुणवत्ता बढ़ी है और इससे मार्केट के विस्तार होने से माल में विविधता मिलती है । साथ ही उपभोक्ता के अनुसार माल उत्पादित होने लगा है ।  

( 3 ) ट्रांजेक्शन टाईम में कमी व्यापारिक प्रक्रिया में लगने वाले समय में कमी आई , विशेषकर भुगतान प्रक्रिया में लगने वाले समय में कमी आई है । 

( 4 ) नये मार्केट : इसके द्वारा नए मार्केट का निर्माण होता है । इसकी मदद से विश्वसनीय उपभोक्ता तक कम खर्च में आसानी से पहुंचा जा सकता है ।

( 5 ) विकसित स्टॉक मैनेजमेंट केन्द्रीज और उससे संबंधित इवेन्ट्रीज के कान में कमी का कारण मान की मांग और पूर्ति को इकिल लिंक करने से मांग की पूर्ति कुछ में एकरूपता आती है । 

( 6 ) राष्ट्रीय कल्याण अपने में बड़े – बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रम को संचालित करने की योग्यता , जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग , जहाँ कीमत और व्यक्तिगत आवश्यकताएंगे शुभली मैनेज की जाती श्री . अन सम्पूर्ण प्रक्रिया आपने आप होने लगी है । 

( 7 ) खरीददारों को कम कीमत प्रतिस्पर्धा में लाभ के लिए सप्लायर्स को इलेक्ट्रानिकली ओपन मार्केट में अपने प्रतिस्पर्धी से प्रतिस्पर्धा में सक्षम होने के लिये कम कीमत आवश्यक है । 

( 8 ) विकसित सूचना प्रक्रिया : किसी सूचना प्रक्रिया में होने वाली गलतियाँ , समय  व खर्च में कमी डाटा  री इंजीनियरिंग की जरूरत को दूर करती है

( 9 ) सप्लायर को कास्ट में कमी : इलेक्ट्रानिक कामर्स को अपनाने से सप्लायर्स के लिये भी कीमत में कमी आई है , क्योंकि वह ऑनलाईन डेटाबेस को एक्सेस करके बोली लगा सकता है और उसका परिणाम भी जान सकता है । 

( 10 ) ओवरहेड कास्ट में कमी : यूनिफार्मिटी ( एकरूपता ) , आटोमेशन और बड़े पैमाने पर मैनेजमेंट प्रोसेसेस का इंटीग्रेशन ( एकीकरण ) ओवरहेड को कम करता है , क्योंकि इससे सरल , विस्तृत व सक्षम प्रक्रियाएं की जा सकती है

 कॉमर्स के नुकसान

( 1 ) बिजनेस प्रोग्रेस को रिइंजिनियर्ड करना बहुत कठिन है । 

( 2 ) जटिल इलेक्ट्रानिक इन्फॉरमेशन सिस्टम का उपयोग बहुत कठिन होता है

( 3 ) पहले से स्थापित नेटवर्क में सुरक्षा की कमी

( 4 ) आर्डर देते समय प्रोडक्ट की जांच संभव नहीं होती है । 

( 5 ) आन लाइन दुकानों की विश्वसनीयता अधिक नहीं होती है ।

ई कॉमर्स के क्षेत्र क्या है? [ E-commerce Platforms]

 ई-कॉमर्स इंफॉर्मेशन तकनीक के कई टूल्स का सहारा लेकर किया जाता है और एक ऑनलाइन स्टोर को बनाने में बहुत सारे अलग-अलग टूल्स इस्तेमाल होते है. जिनके जरिए ऑनलाइन स्टोर बनाए जाते है. ऑनलाइन स्टोर्स को हम दो वर्गों में बांट सकते है.

1. Online Storefronts

 ऑनलाइन स्टोर किसी वेबसाइट के माध्यम से बनाते सकते है. यह सबसे सीधा और आसान तरीका होता है ऑनलाइन स्टोर बनाने का. और अधिकतर बिजनेस इसी तरह अपना व्यापार कर सकते है.

मर्चेंट्स शॉपिंग कार्ट, पेमेंट गेटवे तथा ई-कॉमर्स टूल्स का इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन स्टोर बना सकते  है. तथा अपना सामान और सेवाएं बेचते है. ऑनलाइन स्टोरफ्र्न्ट्स बनाने के लिए बहुत सारे प्लैटफॉर्म उपलब्ध है. नीचे कुछ महत्वपूर्ण प्लैटफॉर्म्स के नाम दिए जा रहे है.

Magento, Instamojo, Drupal Commerce,BigCommerce,WooCommerce,Shopify,Oracle Commerce, Demandware

2. Online Marketplaces

ऑनलाइन मार्केटप्लेस एक प्रकार के बिचौलिये का काम करता है. ऑनलाइन मार्केटप्लेस मर्चेंट और ग्राहक के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करते है और अलग-अलग मर्चेंटों को एक जगह (ऑनलाइन बाजार) उपलब्ध करवाते है. ग्राहक का मर्चेंट से सीधा संबंध नही होता है. इस तरह के मार्केटप्लैस बहुत सारे उपलब्ध है जिनके द्वारा आज करोडों का ई-कॉमर्स व्यापार किया जा रहा है.

नीचे कुछ महत्वपूर्ण मार्केटप्लेस के नाम दिए जा रहे है.

Amazon,Flipkart,eBay,Etsy,Alibaba,Indiamart,Fiverr

FAQ

1. ई कॉमर्स में लेनदेन कैसे होता है

Ans इंटरनेट के माध्यम से

2. कॉमर्स में कौन कौन सी नौकरी कर सकते हैं?

Ans चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA)
कॉस्ट अकाउंटेंट (Cost Accountant)
बिज़नेस अकाउंटेंट एंड टैक्सेशन Business Accountant and Taxation)
मार्केटिंग मैनेजर (Marketing Manager)
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर (HR Manager)
रिटेल मैनेजर (Retail Manager)

3. 11वीं कॉमर्स में कौन-कौन से सब्जेक्ट होते हैं?

Ans अकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडीज, अर्थशास्त्र, गणित / सूचना विज्ञान अभ्यास और अंग्रेजी 

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