DBMS क्या है
ऐसा Software है जो कुछ selected information managed करके स्टोर करके रखता है जिसे हम भविष्य में आवश्यकतानुसार प्रयोग कर सकते हैं । अर्थात् डेटा के कलेक्शन की एक निश्चित आर्डर में मेनटेन करने की प्रोसेस को DBMS कहते है । Database management system में 4 factors in – values होते है । जो निम्न है
1. Data
2. Data Base
3.Database Management
4. Database management system
1 ) Data :
data उन सभी वस्तुओं का कलेक्शन है जो किसी organization management के decision making में helpful होता है । Data एक raw मटेरियल है । डेटा कोई भी सूचना हो सकती है । डेटा से तात्पर्य नाम , नंबर या किसी अन्य आवश्यकता का कलेक्शन है जो किसी समस्या को हल करने में सहायक होता है । डेटा डिस्कशन मेकिंग में सहायक होता है । डेटा का कलेक्शन किसी सूचना को प्राप्त करने के लिए दिया जाता है ।
Information :
information एक प्रकार का डेटा है जो fixed meaning and well defined होता है । यदि डेटा raw मटेरियल है तो सूचना प्रोडक्ट कहलाती है । सूचना में निम्न proportion एक समय पर selected item / data information होती है । केवल meaningful data ही सूचना होती है । decision making के लिए सूचना को एकत्रित किया जाता है । डेटा से सूचना में बदलने की प्रक्रिया कम्प्यूटर द्वारा की जाती है । जिसे डेटा प्रोसेसिंग कहते है ।
information में निम्नलिखित properties होती है ।
I. Accuracy
ii . Purposeful / meaningful
iii . Reliability
iv . Time lineness
V. Completeness
2.Data Base :
डेटा के organization collection को डेटाबेस कहते है । डेटाबेस के लिए यह आवश्यक होता है कि जो डेटा का कलेक्शन किया जा रहा है वह inter – related हो । database दो प्रकार के होते है
i . Simple database
ii . Multiple Database
1.Simple Database : – इस प्रकार की डेटाबेस की डिजाइन केवल एक एप्लीकेशन के लिए की जाती है ।
2.Multiple Database : – इस टाईप के डेटाबेस की डिजाइन कई प्रकार के एप्लीकेशन के लिए की जाती है । डेटा आईटम के कलेक्शन को रिकार्ड कहते है । रिकार्ड का कलेक्शन फाइल है व फाइल का कलेक्शन डेटाबेस कहलाता है ।
Data Items : – Database की सबसे छोटी यूनिट होती है । इसे अर्थपूर्ण डेटा कहते है । डेटा आईटम की डेटा element or elementary data भी कहा जाता है । data item three types के होते है ।
I. Alphabetic
ii . Numeric
iii . Alphabetic alpha – numeric
Record :
डेटा आईटम के ग्रुप को रिकार्ड कहा जाता है । यह आवश्यक है कि ये सभी डेटा आईटम किसी एक विषय पर आधारित हों ।
File : – Record के कलेक्शन को फाइल कहते है । अर्थात् similar record group जो कि डेटा प्रोसेसिंग के लिए जरूरी होता है फाइल कहलाता है ।
i . Program File – Containing group of instructions
ii . Data File – Containing data values
कुछ दूसरी तरह की फाइल निम्न है ।
i. Master file
ii . Transaction file
iii . Index File
iv . Feedback file
V. Security file
vi . Audit File etc. .
3. Database Management : –
Planning of process की डेटाबेस management कहते है । management का अर्थ है process of planning management . process में निम्न फंक्शन होते है ।
I. Planning
ii.Organization
iii.Staffing
iv. Direction
v. Co – ordination
vi. Control
vii. Achieving goal
Data base से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्न है ।
1. Database term की खोज 1960 के बाद हुई ।
2. Database का उपयोग batch processing , real time processing , online processing , multi processing के साथ factory , airlines , department , university , government , organization इत्यादि में किया जाता है । इसे database management कहते है ।
4. Data base management system : –
जब living or non- living things मिलकर किसी संस्था के लिये कार्य करे तो इसे Data base management system कहेंगे ।
DBMS software = Foxpro , Oracle , Excel
DBMS एक ऐसा टूल है जिसके द्वारा कम्प्यूटर में स्टोर सूचना को स्टोर किया जाता है या किया जा सकता है । अर्थात् डेटा के कलेक्शन की एक निश्चित आर्डर में मेनटेन करने की प्रोसेस को DBMS कहा जाता है । DBMS में निम्न प्रोसेसिंग होती है ।
1. Adding new records
2. Deleting New Records
3. Filling record
4. Sorting record
5. Searching Record
6. Updating record
DBMS पर आधारित Software जैसे Foxpro , oracle के द्वारा programe development easy , fast and flexible हो जाता है । तथा DBMS द्वारा डेटाबेस तथा एप्लीकेशन प्रोग्राम के बीच interaction किया जा सकता है । इसलिए हम यह कह सकते है । कि ” यह कुछ भी नहीं है सिवाय इसके कि कम्प्यूटर आधारित रिकार्ड जो सिस्टम द्वारा रखे जाते है । यह वह सिस्टम है जिसका उद्देश्य रिकार्ड एवं सूचना को मेनटेन रखना है ।
Data base एक Related Information का Organized collection है , जो कि different Purpose के लिए कई Users को available होती है एक Data base के contain organization में सभी different sources से combined करके प्राप्त की जा सकती है , इस प्रकार data सभी User के लिए available होता है , और duplicate data को eliminate किया जाता है ।
Data base management system एक data base system का major software component है । कुछ commercially available DBMS में Foxpro , oracle , Ingress आदि ।
एक DBMS Hardware तथा Software का combination है , जिसका उपयोग एक Data base को setup तथा manage करने के लिए किया जाता है , इसके साथ – साथ इसका कार्य data base को update करना तथा इसके content को retrieve करना होता है Most DBMS के निम्न capabilities होती है ।
1 ) File create करना ।
2 ) Data insert करना , delete करना , modify करना etc.
3 ) Store data को users आवश्यकता अनुसार store या index करना ।
4) System से reports produce करना ।
5 ) Stored Data पर mathematical functions perform करना ।
6 ) Data integrity तथा database user को maintain करना ।
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DBMS कितने प्रकार के होते हैं
Data models को निम्न type में classified किया जा सकता है ।
1 ) File – Based system
2 ) Traditional data models
3 ) Semantic data models aT ER Diagram
1 ) File Based system or Primitive Model :
Entities या objects को records के द्वारा represent किया जा सकता है , जो कि एक साथ files में store होते हैं , object के बीच relationship को विभन्न प्रकार की directories का use करते हुए represent किया जाता है ।
2 ) Traditional datamodels : –
ये तीन प्रकार के होते हैं ।
1 ) Hierarchical data model
2 ) Network data model
3) Relational data model
1. Hierarchical डाटा मॉडल :
Hierarchical मॉडल , नेटवर्क मॉडल की तरह ही इन अर्थों में समान है कि डाटा तथा रिलेशनशिप को क्रमशः रिकॉर्डस लिंक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । Hierarchical डाटाबेस मॉडल सबसे पुराने डाटाबेस मॉडल में से है । Hierarchical मॉडल में यह मानकर चला जाता है कि रिलेशनशिप सबसे अधिक ट्री स्ट्रक्चर में ही होती है । hierarchical एक तरह का analytical graph होता है । जिसमें nodes present रहते है । तथा प्रत्येक नोडस से कई ब्रांचेस कनेक्ट होती है । Hierarchical model की निम्न properties होती ह ।
Hierarchical data model : –
Hierarchical data Model के निम्न Features होते हैं
1 ) यह Network Data Model ds Similar होता है लेकिन इसमें records एक tree के form में होते हैं
2 ) Hierarchy एक ordered list ( multi way tree ) हैं ।
3 ) इसमें data records के रूप में represent किये जाते हैं ।
4 ) data के बीच relationship records या links के द्वारा represent की जाती है ।
5 ) Tree nodes का एक group होती है तथा एक tree में main node root node कहलाता है ।
6 ) सभी tree के roots अपने आप में single parent होते हैं , तथा इस parent के 0,1 या more children हो सकते हैं ।
7 ) Hierarchical Model में कोई भी dependent record अपनी parent record occurrence के बिना नही आ सकता ।
8 ) कोई भी dependent record एक से अधिक parent record के accuracy के साथ नही आ सकता
9 ) एक data structure diagram में सभी record type को एक relationship set के द्वारा connect किया जाता है ।
Hierarchical डाटा मॉडल के लाभ :
इस डाटाबेस मॉडल के मुख्य लाभ यह है
1. सरलता : चूंकि डाटाबेस Hierarchical स्ट्रेक्चर पर आधारित है , विभिन्न लेयर्स के बीच संबंध लॉजिकली ( अवधारणात्मक रूप से ) सरल है । इस तरह हायरीकल डाटाबेस का डिजाईन सरल है ।
2. डाटा सुरक्षाः हायरर्कीकल मॉडल पहला ऐसा डाटाबेस मॉडल था जिसमें डाटा सुरक्षा दी गई थी और इसे DBMS ने लागू किया था ।
3. डाटा शुद्धता : चूंकि हायरकीर्किकल मॉडल पेरेट / चाईल्ड ( पालक / बालक ) संबंध पर आधारित है , इसमें हमेशा पैरेंट और चाईल्ड सेंगमेंट में लिंक बनी रहती है । चाईल्ड सेगमेंट हमेशा स्वचालिक तरीके से अपने पैरेन्ट सेंगमेंट को रेफरेंस करते है । इस तरह यह मॉडल डाटा इंटीग्रिटी को बढ़ाता है ।
4. कार्यक्षमताः हायरर्कीकल डाटाबेस मॉडल बहुत ही कार्यक्षम साबित होता है , जब डाटाबेस में बड़ी संख्या में 1 : N रिलेशनशिप ( एक से कई ) हो और यूजर को फिक्स रिलेशनशिप वाले डाटा का उपयोग करके बहुत सारे ट्राजेक्शन की आवश्यकता हो ।
हायरीकल डाटा मॉडल की खामियाँ :
हायरर्कीकल मॉडल की खामियाँ इस प्रकार है :
01. क्रियान्वयन की जटिलताः हालांकि हायरर्कीकल डाटाबेस मॉडल अवधारणात्मक रूप से सरल है और डिजाईन में भी आसान है , लेकिन अमल में लाने में काफी जटिल है । डाटाबेस डिजाईनर को फिजिकल डाटा स्टोरेज का बहुत अच्छा ज्ञान होना चाहिए ।
02. डाटाबेस मैनेजमेंट की समस्यायें : यदि आप किसी हायरर्कीकल डाटाबेस के डाटाबेस स्ट्रेक्चर में परिवर्तन करे तो आपको डाटाबेस को एक्सेस करने वाले सारे एप्लीकेशन प्रोग्राम में आवश्यक बदलाव करने होगे । इस प्रकार डाटाबेस और एप्लीकेशनस का रखरखाव बहुत कठिन हो जाता है ।
03. स्ट्रक्चरल स्वतंत्रता का अभावः स्ट्रेक्चर व आधारभूत ढांचे संबंधी स्वतंत्रता तब होती है , जब डाटाबेस स्ट्रेक्चर में परिवर्तन से DBM की डाटा एक्सेस करने की क्षमता प्राभावित नहीं होती है । हायरीकल डाटावेस सिस्टम विभिन्न डाबबेस सिस्टम में नेवीगेट करने के लिये फिजिकल स्टोरेज पाथ का उपयोग करता है । इस वजह से डाटा एक्सेस करने के लिये एप्लीकेशंस प्रोग्रामर को प्रासांगिक एक्सेस पाथ का अच्छा ज्ञान होना चाहिए । ऐसी स्थिति में यदि भौतिक ढाचा बदल जाता है , तो एप्लीकेशन भी रूपांतरित करने होगें । इस प्रकार हायरर्कीकल डाटाबेस में मूलभूत रचनागत निर्भरता के कारण डाटा स्वंत्रता के फायदे सीमित ही है ।
04. प्रोग्रामिंग संबंधी जटिलताएँ : रचनागत निर्भरता और नेविगेशनल स्ट्रक्चर के कारण डाटा एक्सेस करने के लिये एप्लीकेशन प्रोग्रामर तथा एण्ड यूजर को ठीक – ठीक इस बात की जानकारी होना चाहिए की डाटाबेस में डाटा भौतिक रूप से किस प्रकार विपरीत है । इसलिये जटिल पॉईन्टर सिस्टम का ज्ञान जरूरी है , जो प्रायः सामान्य उपयोगकर्ताओं ( जिन्हे प्रोग्रामिंग का थोड़ा या बिल्कुल ही ज्ञान नहीं है ) के बस के बाहर की बात है ।
क्रियान्वयन की सीमाएँ : आम रिलेशनशिप में से कई 1 : N फार्मेट के अनुरूप नहीं होती जो हायरीकल मॉडल की आवश्यकता है । वास्तविक जीवन में अधिक आम कई से कई ( N : N ) रिलेशनशिप को हायरीकल मॉडल में लागू करना बहुत कठिन है । इस model का main disadvantage यह है कि one to many relationship के कारण records की duplication होती है तथा link type implementation के कारण इसके design में complication होती है । सामान्यतः structure में changes होने पर aaplication program में भी changes करना होता है ।
II . Network Model :
नेटवर्क मॉडल में रिकार्ड और रिलेशनशिप के संग्रह को लिंक से दर्शाया जाता है । और इन्हे पाइंटर्स के रूप में देखा जा सकता है । आटाबेस में रिकार्ड को मनमाने ग्राफ के संग्रह के रूप में ऑर्गनाईज किया जाता है | Network model PLEX structure पर आधारित होता है । यह रिलेशनशिप इस प्रकार परिभाषित हो जाए कि यदि किसी चाईल्ड के more then one parent हो तो ऐसी रिलेशनशिप से बने structure hierarchy एक तरह का analytic graph है जिसमें नोडस प्रजेन्ट होते है । तथा प्रत्येक नोडस से कई ब्रांच होती है तथा इसका उपयोग जिसका डेटा माडल में किया जाता है । उसे hierarchical data model कहते हैं ।
Network data model :
1 ) यह Model ” graph data ” structure पर dependent है ।
2 ) Data को records और links के रूप में represent किया जाता है ।
3 ) Data के बीच relationship links a pointer के द्वारा represent की जाती है । दो records के बीच direct relationship किसी set के द्वारा represent की जाती है तथा इन दोनो records में एक को owner तथा दूसरे को member कहा जाता है ।
4 ) किसी set में member record more than one हो सकता है , लेकिन owner record एक ही हो सकता है
5 ) Network Model में one to one ( 1 : 1 ) one to many ( 1 : M ) many to many ( M : M ) सभी relationshippossible है
6 ) Network model में कोई root नही होता तथा यह non hierarchical concept पर based होता है ।
नेटवर्क डाटामॉडल के लाभ :
01. अवधारणात्मक सरलता : -हायरकीकल मॉडल की तरह नेटवर्क मॉडल भी अवधारणा के स्तर पर इसे सरल और डिजाईन करने में बहुत आसान है ।
2. अधिक रिलेशनशिप टाईप को हैण्डल करने में सक्षम है . नेटवर्क मॉडल एक से कई ( 1 : N ) और कई से कई ( N : N ) रिलेशनशिप को संभाल सकता है वास्तविक जीवन की स्थितियों को मॉडल करने में यह वास्तविक मदद है ।
03. डाटा एक्सेस में आसानीः हायरर्कीकल मॉडल की तुलना में डाटा एक्सेस आसान और लचीला है । कोई भी एप्लीकेशन ऑनर रिकार्ड एक्सेस कर सकती है । इसी प्रकार एक सेट के भीतर सभी मेंबर्स रिकार्ड भी एक्सेस कर सकता है । यदि सेट में किसी मेंम्बर के दो ऑनर है । ( जैसे दो विभागों के लिये कोई एक कर्मचारी काम करे ) दो एक्सेस चाहने वाला एक से दूसरे ऑनर पर जा सकता है ।
04. डाटा शुद्धताः नेटवर्क मॉडल किसी भी मेंबर को बिना ऑनर के नहीं रहने देता है । इस प्रकार यूजर को पहले ऑनर रिकार्ड परिभाषित करना चाहिए और उसके बाद मेंबर रिकार्ड । इससे डाटा की शुद्धता बनी रहती है ।
05. डाटा की स्वतंत्रताः नेटवर्क मॉडल जटिल फिजिकल स्टोरेज ब्यौरा से प्रोग्राम को अलग करने ( पूरी तरह नही तो आंशिक रूप से ही सही ) के लिये अच्छा है । यह कुछ हद तक यह सुनिश्चित करता है कि डाटा कैरेक्टरस्टीकस में परिवर्तन के कारण एप्लीकेशन प्रोग्राम में फेरबदल की आवश्यकता न हो ।
नेटवर्क मॉडल की खामियां :
नेटवर्क मॉडल के मुख्य दोष निम्न है :
01. सिस्टम काम्प्लेकसिटी : नेटवर्क मॉडल डाटा की नेविगेशनल एक्सेस की सुविधा देता है . जिसमें डाटा एक समय में रिकार्ड को एक्सेस करता है । यह नेवीगेशनल डाटा एक्सेस मेकेनिज्म , सिस्टम इम्प्लीमेंटेशन को बहुत जटिल बनाता है तथा डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर , डाटाबेस डिजाईनर , प्रोग्रामर्स तथा एंड यूजर्स को डाटा को एक्सेस करने के लिए इंटरनल डाटा स्ट्रक्चर से फेमेलियर होना ही चाहिए ।
02 स्ट्रक्चरल स्वतंत्रता की अनुपस्थिति : चूंकि डाटाबेस नेटवर्क मॉडल में डाटा एक्सेस करने की विधि नेविगेशनल सिस्टम है , तो अधिकतर स्थितियों में डाटाबेस पर कोई भी संरचनात्मक परिवर्तन कठिन होता है तथ कुछ स्थितियों में यह असंभव होता है । यदि डाटाबेस संरचना में परिवर्तन किए जाते हैं , तो सभी एप्लीकेशन प्रोग्रामों को डाटा एक्सेस करने के पहले संशोधित करने की आवश्यकता होती है । इस तरह यदि नेटवर्क डाटाबेस प्राप्त करने में असफल रहता है । मॉडल डाटा स्वतंत्रता प्राप्त करने में सफल हो जाता है , तो भी यह संरचनात्मक स्वतंत्रता बात प्राप्त करने में असफल रहता है
3 ) Relationship model relational algebra पर Based होती है ।
4 ) Use को Database के use में लिए database के structure को जानना जरूरी नहीं होता है ।
5) Use इन structures को किसी भी प्रकार से change नहीं कर सकता है ।
6) इस model में entity तथा उनके बीच की relationship represent करने के लिए relation एक मात्र Datastructure कहा जाता है ।
7 ) Relation की Row को tuples तथा columns को attribute कहा जाता है ।
8 ) प्रत्येक attribute का relation में distinctname होता है ।
9 ) किसी column या attribute की value जिस value group में से ली जाती है । उसे domain कहा जाता है ।
Relational data model :
Relational data model table concept पर आधारित है । इसे Mr. E.E. Code ने बनाया था relational database table , tuples ( row ) पर आधारित होता है । और इसके आधार पर बने relational database में understanding easy flexible , remebering गुण आ जाता है । यह step by step processing है । यह मॉडल डाटा और उन डाटा के बीच संबंधों को दर्शाने के लिए टेबल के संग्रह का उपयोग करता है । प्रत्येक टेबल में कई कॉलम होते हैं और प्रत्येक कॉलम का विशिष्ट नाम होता है ।
रिलेशनल मॉडल के गुण :
रिलेशनल मॉडल के निम्न गुण होते हैं
1. संपूर्ण डाटा , टेबल के रूप में प्रदर्शित किया जाता है ।
2 डाटा के बीच रिलेशनशिप को कॉलम वेल्यू से दर्शाया जाता है ।
3. यह डाटाबेस में फेरबदल की स्थिति में एप्लीकेशन प्रोग्राम में बदलाव लाने की आवश्यकता को खत्म कर देता है ।
4. यूजर को डाटाबेस को उपयोग करने के लिए भौतिक रचना स्वरूप की ठीक – ठीक जानकारी होने की आवश्यकता नहीं होती है ।
5. भौतिक रचना स्वरूप में किए गए किसी भी फेरबदल के खिलाफ यूजर्स को संरक्षण मिलता
6. रिलेशनल डाटा मॉडल में एंटीटी और उनके बीच रिलेशनशीप दोनों को दर्शाने के लिए केवल रिलेशनल डाटा स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाता है ।
7. रिलेशन्स की पत्तियों को रिलेशन के tuples के रूप में और कॉलम को इसके गुणों के रूप में उल्लेखित किया जाता है ।
8 रिलेशन का प्रत्येक गुण का अपना विशिष्ट नाम होता है ।
9. एट्रीब्यूट या कॉलम के लिए वेल्यू . वेल्यूज के सेट में से निकाली जाती है । इस सेट को डोमेन कहते है ।
रिलेशनल मॉडल के लाभ :
रिलेशनल मॉडल के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं
डांचागत या रचनात्मक स्वतंत्रता : रिलेशनल मॉडल नेविगेशन डाटा एक्सेस सिस्टम इस Model में link implementation के कारण records को add करना तथा delete करना difficult होता है . इस structure के अंदर traversing difficult होती है । क्योंकि इसकी navigational access technique अधिक complicated होती है , इस structure में किसी भी प्रकार के changes होने पर application program में changes आवश्यक है ।
3) Semantic data models या ERModel :
इसे artificial ( A – I ) Intelligence researches द्वारा developed किया गया । इसका use general knowledge को represent करने के लिए किया जाता है ।
Operational Data :
Operational data वह data होता है जिसमें data base में actual operation perform किये जाते हैं , operations perform करने के लिए row data को एक well form में organized किया जाता है , जिसमें कि proper way में operations perform किये जा सके ।
किसी भी Data base management system का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार के operational data को maintain करना होता है , इसके साथ – साथ इसके collection schedule को improve करना होता है , चूंकि operational data किसी भी organization का important data है जो कि उससे main transaction important role play करता है । इस operational data को data base files में store किया जाता है , तथा different user को आवश्यक operation perform करने के लिए available किया जाता है । सामान्यतः यह कार्य किसी system में data base administrator ( DBA ) का होता है । जिसके पास यह authority होती है । कि किसी user को operational data पर work करने की अनुमति दी जाए । सभी के data base transaction normally operational data पर ही perform किये जाते हैं , जो कि useful transaction होता है । generally maximum organization row data को collect करती है , लेकिन actual operation perform करने के लिए इस row data को एक proper order में organize करके data base file में store किया जाता है , और ये organized store data operation data कहलाता है ।
DBMS की विशेषताएँ
i. Self describing nature of a database system
ii. Insulation between programs and data
iii. Support multiple view of data
iv. Shoring of data and multiuser transaction processing .
1 ) Self Describing nature of a database system : –
Data Base Approach की मूल विशेषता यह है कि डेटाबेस सिस्टम में न केवल स्वयं डेटाबेस होता है । बल्कि database structure की पूरी परिभाषा और constraints भी होते है । यह definition system catalog मैं स्टोर रहती है जिसमें फाइल के structure type and data के विभिन्न constants और हर डेटा आईटम के स्टोरेज फार्मेट की सूचना होती है । केटलॉग में स्टोर की गई सूचना को meta data कहा जाता है ।
2 ) Insulation between program and data : –
Traditional file processing में data file का structure accessing programs परिभाषित होता है । इसलिए फाइल के structure में किसी परिवर्तन के लिए सभी प्रोग्राम बदलाव की जरूरत होती है । जबकि DBMS datafile , DBMS catalog में accessing program से अलग स्टोर की जाती
3 ) Support Multiple View of Data : –
इसमें डेटाबेस अलग – अलग व्यू कर सकते है इसमें वास्तविक डेटा भी हो सकता है । जो डेटाबेस फाइल से लिया जाता है परंतु अलग से स्टोर नहीं किया जाता है । इसलिए कई यूजर समान या अलग डेटाबेस की एक समय पर अलग – अलग व्यू कर सकते है ।
4 ) Sharing of data and multiuser transactions processing : –
multiuser DBMS multiple users एक ही समय पर डेटाबेस को एक्सेस करने की अनुमति देता है । जैसे- रेल्वे रिजर्वेशन जहां डेटाबेस अलग – अलग व्यक्तियों द्वारा अपडेट किया जाता है । इस तरह की प्रोसेसिंग सामान्यतः ऑनलाईन transaction processing भी कहा जाता है ।
डाटाबेस के फीचर्स
डाटाबेस में डाटा में निम्न फीचर्स भी होने चाहिए :
1. शेयर्ड डाटाबेस का डाटा विभिन्न यूजर्स और एप्लीकेशन के बीच बांटा जाता है , अर्थात् वे मिलकर उसका उपयोग करते हैं ।
2. परसिस्टेंसः उसका अर्थ है निरंतरता । किसी भी डाटाबेस में डाटा स्थाई रूप से स्थिर होता है । यह इस अर्थ में कि डाटा उस प्रोसेस की परिधि के बाहर भी बना रह सकता है , जिसने इसे निर्मित किया था ।
3. वैलिडिटी / इंटिग्रिटी / करेक्टनेसः अर्थात वैधता , सच्चाई और अचूकता । डाटा जिस वास्तविक दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं , उसके संबंध में उन्हे अचूक होना चाहिये ।
4. सिक्योरिटीः अर्थात् सुरक्षा , डाटा को अनाधिकृत एक्सेस से सुरक्षित रहना चाहिए ।
5. कंसिस्टेंसी : इसका अर्थ है अनुरूपता । जब भी डाटाबेस में एक से अधिक डाटा एलीमेंट संबंधित वास्तविक विश्व की वैल्यूज को दर्शाते है , तब ये वैल्यूज संबंधों के संदर्भ में संगत या अनुरूप होनी चाहिये ।
6. नॉन – रिडेडेंसीः डाटाबेस के कोई भी दो डाटा आईटम एसे न हो जो वास्तविक विश्व के एक ही तथ्य को दर्शाते हों ।
7. स्वतंत्रताः स्वंतत्रता का तात्पर्य यह है कि स्कीमा के तीन स्तर ( आंतरिक , अवधारणात्मक और बाह्य ) एक दूसरे से स्वतंत्र होना चाहिये , ताकि एक स्तर की स्कीमा में फेरबदल कर दूसरे स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़े ।
कोई भी डाटाबेस सिस्टम एसा Software है , जो डाटा के सभी आवश्यक फीचर्स बनाए रखते हुए डाटाबेस एक्सेस की सुविधा उपलब्ध कराता है । DBMS द्वारा उपलब्ध की जाने वाली प्रमुख गतिविधियाँ ऑपरेशन्स निम्न है :
1. ट्राजेक्शन मैनेजमेन्ट : – ट्राजेक्शन डाटा बेस ऑपरेशन का क्रम होता है , जो काम की तार्किक इकाई को दर्शाता है । यह डाटाबेस को एक्सेस करके इस इकाई को एक से दूसरी अवस्था में रूपांतरित करता है । ट्रांजेक्शन सेट किये हुए रिकार्ड को डिलीट या मॉडीफाई आदि कर सकता है । जब DBMS कमेंट करता है , तो ट्रांजेक्शन से किये गये परिवर्तन स्थाई हो जाते है । यदि आप परिवर्तनों को स्थाई नही बनाना चाहते है , तब आप ट्रांजेक्शन्स को रोल बैक कर सकते हैं और डाटाबेस मूल अवस्था में बना रहेगा ।
2. कॉन्करेंसी कंट्रोल : – कॉन्करेंसी कंट्रोल , डाटाबेस मैनेजमेंट की वह गतिविधि है , जिसके तहत वह एक साथ होने वाली ऐसी प्रोसेसेस में समन्वयन करता है , जो शेयर्ड्स डाटा एक्सेस करते है और जिनके एक दूसरे में हस्तक्षेप करने की प्रबल संभावना होती है । आदर्श कांन्करेसी मैनेजमेंट प्रणाली का लक्ष्य शेयर्ड डाटा में एकरूपता बरकरार करते हुए कांन्करेंसी की सुविधा देना है ।
3. रिकवरी मैनेजमेंट : – डाटाबेस की यह सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि Abort किये या विफल ट्रांजेक्शंस , डाटाबेस या अन्य ट्रान्जेक्शन में कोई विपरीत प्रभाव न उत्पन्न करें । किसी DBMS में रिकवरी प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि किसी विफल ट्राजेक्शन या फेल्युअर की स्थिति के बाद डाटाबेस वापस अपनी एकरूप स्थिति में आ जाये । रिकवरी का कॉन्करेंसी से संबंध इस अर्थ में है कि कॉन्करेंसी जितनी ज्यादा होगी उतने ही इस बात के ज्यादा अवसर होगे कि एबोर्ट किया ट्रांजेक्शन कई अन्य ट्रांजेक्शन को प्रभावित करे ।
4. सिक्योरिटी मैनेजमेंट : – इसका संबंध अनाधिकृत एक्सेस के खिलाफ डाटा की सुरक्षा से है । सुरक्षा प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि केवल अधिकृत यूजर को ही डाटाबेस में डाटा तक एक्सेस मिले , यूजर्स के एक्सेस विशेषाधिकार के आधार पर DBMS प्रत्येक यूजर और उसके द्वारा संपन्न किये जाने वाले आपरेशन्स में एक्सेस लेबल की निगरानी का नियंत्रण करना है ।
Advantages of DBMS :-
Reduction of redundancies :
DBA का मुख्य उद्देश्य centralized control के द्वारा data के अनावश्यक duplicate को avoids करना होता है । इससे अनावश्यक extra processing भी elimination हो जाती है , और memory का अनावश्यक allocation भी बच जाता है ।
Sharing Data :
एक centralized system के अंतर्गत Number of applications को programs तथा user के बीच share किया जा सकता है इससे यह advantage होता है कि same object को same time पर different users के लिए allow किया जा सकता है ।
Data integrity :
इसका अर्थ यह होता है कि data base में contained data accurate तथा consistent है , इस प्रकार store करने के लिए entered data को check किया जाता है कि वह data specified range के अंदर तथा correct format में है या नहीं ।
Example : – एक employee की age range 16 से 60 के बीच होने पर integrity constraint इसके बाहर ageenter करने की अनुमति नही देता । इस प्रकार data integrity एक validation के रूप में कार्य करती है ।
Data system :
Data किसी भी organization में main factor होता है , तथा यह confidential भी हो सकता है , इस प्रकार के confidential data को unauthorized person द्वारा access नही किया जाना चाहिए । सामान्यतः इस प्रकार की responsibility DBMS में DBA की होती है । इसके लिए DBA security के different levels को implement तथा maintain करता है
जैसे- Password
Conflict Resolution :
चूंकि data base DBA के control में होता है इसलिए उसे different users तथा applications की requirements को resolve करना चाहिए , इसके लिए DBA को best file structure तथा access method choose करना चाहिए जिससे कि एक optimal Performance मिल सके ।
Data independence :
इसको सामान्यत : 2 point of view के रूप में consider किया जा सकता है ।
1 ) Physical data independence .
2 ) Logical data independence .
Physical data independence :
Physical storage devices या organization की files में changes की अनुमति देता है , जिससे कि एक प्रकार की physaical media की file को अन्य प्रकार की Physical media में transfer किया जा सके । और application Program में बिना changes के उस पर कार्य किया जा सके ।
Logical data independence :
इसका अर्थ यह है होता है कि यदि existing records में field add की जाए तो application programs changes Barucat T & data base independence , database environment में उस स्थिती में महत्वपूर्ण है , जबकि data base के एक level में changes करने पर इसका effect अन्य levels पर ना पड़े ।
Disadvantage of DBMS :
DBMS का एक Significant disadvantage इसकी cost है अर्थात Software , Hardware purchasing तथा software developing और सनका Up – gradation एक expensive Job है , इसकी Processing overhead में security Integrity या data sharing को maintenance करना difficult होता है ।
इसके साथ – साथ database centralization से संबंधित भी कई Problems create होती है । और important data का backup तथा recovery भी एक complicated task है
DBMS के अनेक यूजर के बावजूद , ऐसी कुछ कंडीशन है जिनमें यह सिस्टम कुछ अनावश्यक खर्चों की बढ़ा देता है । जो traditional system में जरूरी नहीं होते है ।
1. Hardware , software and training में उच्च प्रारंभिक निवेश ।
2. वह generality जो DBMS data को डिफाइंड और प्रोसेस करने के लिए प्रदान करता है ।
Security , concurrence control , recovery में उच्च प्रारंभिक निवेश । तथा integrity के लिए कुछ real time requirement ( वास्तविक समय की जरूरत ) होती है , जो DBMS के अतिरिक्त व्यय के चलते पूरी नहीं की जा सकती है ।
DBMS की एप्लीकेशन्स
DBMS के कुछ विशिष्ट एप्लीकेशन्स इस प्रकार है : •
• बैंकिंग : – ग्राहकों को सूचना देने के लिये , अकाउन्टस ( खातों ) ऋण आदि बैंक के अन्य व्यवहारों के लिये ।
• एयरलाईसः– आरक्षण और उड़ान कार्यक्रम की सूचना देने के लिये । एयरलाइंस पहली ऐसी संस्थान है , जिन्होने डाटाबेस का उपयोग भौगोलिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों के लिये किया ।
• विश्वविद्यालयः– विद्यार्थियों को जानकारी देने पाठ्यक्रम में पंजीयन एवं ग्रेड देने के लिये ।
• क्रेडिट कार्ड व्यवहारः– क्रेडिट कार्ड पर खरीदी और मासिक स्टेटमेंट्स तैयार करने के लिये ।
• दूरसंचार : – किये गये फोन काल्स का रिकार्ड रखने , मासिक बिल तैयार करने , बैलेंस या प्रीपेड काल्स का हिसाब रखने और कम्युनिकेशन नेटवर्क संबंधी जानकारी संग्रहित करने के लिये ।
• फायनेंस ( वित्त ) : – शेयर होल्डिग व इनसे संबंधित जानकारी रखने के लिये । शेयर , ब्रांड आदि जैसे वित्तीय उपकरणों की खरीदी – बिक्री की जानकारी रखने के लिये ।
• विक्रयः– ग्राहक , उत्पाद और खरीदी संबंधी सूचना दर्ज करने के लिये ।
• उत्पादन : – आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन हेतु । कारखानों में उत्पादन आयटमों पर निगरानी हेतु । स्टोर्स में आयटम की इनवेंटरी तथा आयटम के आर्डर संबंधी जानकारी रखने हेतु ।
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हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! DBMS क्या है इसका क्या कार्य है मैं हमेशा यह कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।
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