कौआ और सांप की कहानी। Story of crow and snake

 कौआ और सांप की कहानी

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किसी जंगल में एक बड़ा पेड़ था। वहाँ कोई कौआ अपनी पत्नी के साथ रहता था। पेड़ के खोखल में एक काला सांप भी रहता था।

जब वे दोनों सुबह भोजन के लिए जाते थे, तब साँप पेड़ पर चढ़कर कौए के बच्चों को खा जाता था। इससे कौए और कौवी को बहुत दुख होता था।

तब दिन कौवी ने कहा- “हे प्रिय! वह काला साँप हमारी संतानों को खाता है। आप कोई उपाय सोचिए।”
कौए ने एक उपाय सोचा। उसे सुनकर कौवी संतुष्ट हो गई।


उसके बाद कौआ तालाब को गया। जहाँ राजा का पुत्र स्नान करता था। उसके वस्त्र तथा आभूषण तालाब की सीढ़ियों पर रखे थे।


योजना के अनुसार कौआ सोने का एक हार चोंच में लेकर जंगल आ गया। यह देखकर राजा के सेवकों ने कौए का पीछा किया।

कौए ने बड़े पेड़ के खोखल में वह हार फेंक दिया।
राजा के सेवकों ने उस हार को खोखल में देख लिया। तब वहाँ स्थित काला साँप बाहर आया।


राजा के सेवकों ने साँप को मार दिया इसके बाद हार ले लिया।

कहानी से सीख

अंत में कौआ दंपत्ति प्रसन्न हुए। सही कहा है- “उपाय से जो हो जाता वह बहादुरी से नहीं होता है।”

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