वैद्युतिक वायरिंग प्रणालियाँ क्या है
विभिन्न प्रकार के विद्युत शक्ति उपभोग स्थलों, भवनों आदि में वैद्युतिक वायरिंग के लिए अपनायी जाने वाली प्रणालियों को निम्न दो वर्गों में रखा जा सकता है
1. ‘ट्री’ प्रणाली तथा
2 डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स प्रणाली।
‘ट्री’ प्रणाली Tree System
इस प्रणाली में किसी वृक्ष की शाखाओं-उपशाखाओं की भांति ही मेन-लाइन से अनेक उप-परिपथ तैयार किये जाते हैं। यह वायरिंग निम्न दो प्रकार से स्थापित की जा सकती है
जोड़ विधि Joint Method
इस विधि में मेन-लाइन के उपर्युक्त स्थलों से केबिल में जोड़ लगाकर उप-परिपथ तैयार किये जाते हैं। जोड़ों के ऊपर टेप लपेट दी जाती है।
कनैक्टर विधि Connector Method
इस विधि में मेन लाइन में काटकर वहाँ एक कनैक्टर संयोजित किया जाता है और कनैक्टर से उप-परिपथ के लिए संयोजक तार निकाले जाते।कनैक्टर के ऊपर टेप लपेटी जा सकती है।
उपरोक्त दोनों प्रकार की वायरिंग का उपयोग मेलों, प्रदर्शनियों आदि में अस्थायी वायरिंग के लिए किया जाता है। इसके अतिरिका, बड़ी कार्यशालाओं में जहाँ 40-50 मशीनों को विद्युत सप्लाई प्रदान करनी हो वहाँ बस-बार (bus-bar) वायरिंग बहुत सुविधाजनक रहती है ये जो जोड़ विधि’ की ‘ट्री’ प्रणाली का एक ही रूप होती है।
गुण Merits
(1) वायरिंग के लिए कम केबिल की आवश्यकता होती है।
(ii) वायरिंग का कुल लागत मूल्य कम होता है।
(ii) वायरिंग कम समय में स्थापित हो जाती है।
अवगुण Demerits
(1) फ्यूज बिखरे होने के कारण दोष खोजना कठिन हो जाता है।
(ii) वायरिंग देखने में सुन्दर नहीं लगती।
(iii) आग लगने का खतरा अधिक रहता है।
(iv) परिपथ के विभिन्न बिन्दुओं पर उपलब्ध वोल्टेज का मान भिन्न-भिन्न हो सकता है।
डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स प्रणाली Distribution Box System
इस प्रणाली में मेन-लाइन को दो या अधिक डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्सों में लगाया जाता है (आवश्यकतानुसार) और वहाँ से भिन्न-भिन्नशाखाओं में बाँटा जाता है। सामान्यत: एक डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स का उपयोग एक या दो कमरों के लिए किया जाता है। कई मंजिल वाले भवनों में प्रत्येक तल के लिए कम-से-कम एक सब-डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स अवश्य स्थापित किया जाता है। इस प्रणाली का मुख्य लाभयह है कि एक उप-परिपथ में दोष पैदा होने की स्थिति में दूसरा परिपथ चालू रहता है और इस प्रकार दोष अन्वेषण कार्य सरल होजाता है। प्रत्येक उप-परिपथ पर, मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (M.C.B.)भी सरलता से संयोजित किया जा सकता है।
गुण Merits
(i) दोष खोजना सरल होता है।
(ii) परिपथ के विभिन्न बिन्दुओं पर उपलब्ध वोल्टेज का मान समान होता है।
(iii) परिपथ में परिवर्तन एवं परिवर्द्धन सरलता से सम्पन्न किया जा सकता है।
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