विद्युत सेल क्या है
रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप विद्युत वाहक बल (e.mf) पैदा करने वाली युक्ति विद्युत सैल कहलाती है। विद्युत धारा के कई प्रभावों में से एक है उसका रासायनिक प्रभाव; इस प्रभाव के कारण ही किसी अम्लीय एवं अकार्बनिक विलयन में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह विलयन अपने अवयवों में वियोजित हो जाता है, जो वैद्युतिक अपघटन कहलाता है। विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव का उपयोग विद्युत लेपन, धातु शोधन, धातु निष्कर्षण आदि में व्यापक रूप से किया जाता है। इसके विपरीत, रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप विद्युत वाहक बल उत्पन्न किया जा सकता है, इस कार्य हेतु विभिन्न प्रकार के रासायनिक सैलों का निर्माण किया गया है। रासायनिक शैलों का उपयोग मनुष्य के दैनिक जीवन में अनेक रूपों में किया जा रहा है। जैसे- टॉर्च, स्वचालित वाहन, इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रचालन आदि।
विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव Chemical Effect of Electric Current
“जब किसी अम्लीय एवं अकार्बनिक विलयन में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह विलयन अपने अवयवों में विभक्त हो जाता है और यह क्रिया विद्युत का रासायनिक प्रभाव कहलाती है।”
इलैक्ट्रोलाइट Electrolyte
“ऐसा विलयन, जिसमें से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसकी संरचना परिवर्तित हो जाए, इलेक्ट्रोलाइट कहलाता है।” यह प्रायः अम्लीय एवं अकार्बनिक विलयन होता है। कार्बनिक विलयन जैसे वानस्पतिक तेल, एल्कोहल, स्प्रिट आदि एवं अम्लरहित विलयन, जैसे- आसुत जल (distilled water) आदि; विद्युत अचालक होते है अर्थात् इलैक्ट्रोलाइट नहीं होते
इलैक्ट्रोड Electrode
इलैक्ट्रोलाइट में से विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए दो पात्विक छड़ों की आवश्यकता होती है जिन इलैक्ट्रोड कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं
एनोड Anode
जिस धात्विक छड़/प्लेट के माध्यम से विद्युत धारा विलयन से बाहर निकलती है उसे एलोड कहते है
कैथोड Cathode
जिस धात्विक छड़/प्लेट के माध्यम से विद्युत धारा विलयन में प्रवेश करती है उसे कैथोड कहते है
विद्युत सेल कितने प्रकार के होते हैं
सैल मुख्यत: निम्न दो प्रकार के होते है
प्राथमिक सैल Primary Cell
“जिन सैलों में रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप विद्युत वाहक बल विकसित होता है ये प्राथमिक सैल कहलाते हैं। ये सैल निम्न प्रकार के होते हैं
(1) वोल्टेइक सैल (Voltaic Cell).
(2) डेनियल सैल (Daniel Cell),
(3) लैकलांची सैल (Lechlanche Cell),
(4) शुष्क सैल (Dry Celly.
(5) मरकरी सैल (Mercury Cell) तथा
(6) सिल्वर ऑक्साइड सैल (Silver oxide Celly |
द्वितीयक सैल Secondary Cell
“जिन सैलों में वैद्युतिक ऊर्जा को रासायनिक क्रियाओं के रूप मे एकत्र करके पुनः रासायनिक प्रतिक्रियाओं के द्वारा विद्युत वाहक बल पैदा किया जाता है वे द्वितीयक सैल कहलाते हैं।” ये सैल निम्न प्रकार के होते हैं
(1) लैड-एसिड सैल (Lead-acid Cell),
(2) निकेल-आयरन सैल (Nickel-iron Cell) तथा
(3) निकेल-कैडमियम सैल (Nickel-cadmium Cell)
प्राथमिक एवं द्वितीयक, दोनों ही प्रकार के सैल विद्युत वाहक बल उत्पन्न करते है।
(i) वोल्टेइक सेल (Voltaic Cell) :
- सर्वप्रथम वोल्टा नामक वैज्ञानिक ने रसायनिक क्रियाओं के द्वारा विद्युत वाहक बल पैदा कर इसे बनाया था।
- इसमें इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) के रूप में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल तथा एनोड एवं कैथोड के रूप में क्रमशः जस्ता की छड़ एवं ताँबे की छड़ का प्रयोग किया जाता है।
- इसका विद्युत वाहक बल 1.08 volt होता है।
(ii) डेनियल सेल (Daniel Cell):
- कैथोड के रूप में ताँबे का एक बेलनाकार पात्र प्रयोग किया जाता है।बर्तन में ऊपर की ओर ताँबे का छिद्रयुक्त छज्जा (Balcony) बना होता है जिसमें कॉपर सल्फेट के ठोस रवे (Crystals) भरे जाते हैं।
- इसमें इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) के रूप में कॉपर सल्फेट का घोल प्रयोग किया जाता है।
- एक लम्बे बेलनाकार संरध्र पात्र (Porous Pot) में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल भरा जता है और उसके बीच एक जस्ते की छड़ होती है जो एनोड का कार्य करती है।
- डेनियल सेल का विद्युत वाहक बल (E.M.E) 1.1 बोल्ट होता है जो स्थिर होता है।
- इसका आंतरिक प्रतिरोध 2-60 होता है।
(iii) लैकलांची सेल (Lechlanche Cell):
- इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में अमोनियम क्लोराइड का घोल होता है।
- इसमें कार्बन की छड़ कैथोड का कार्य करती है तथा इलेक्ट्रोलाइट में डुबोई जस्ते की छड़ एनोड का कार्य करती है।
- इसमें विध्रुवक के रूप में मैंगनीज-डाई-ऑक्साइड रहता है।
- लैकलांची सेल का विद्युत वाहक बल 1.46 volts होता है।
- इसका आंतरिक प्रतिरोध 1-50 तक होता है।
- वोल्टेइक अथवा लैकलांची सेल में पॉजिटीव इलेक्ट्रॉड के चारों और हाइड्रोजन आयन्स का एकत्र होना ध्रुवाच्छादन कहलाता है।
(iv) शुष्क सेल (Dry Cell) :
- शुष्क सेल, लैकलांची सेल का ही संशोधित रूप है।
- इसमें जस्ते का एक बेलनाकार पात्र होता है जो एनोड का कार्य करता है।
- पात्र के ठीक मध्य में एक कार्बन की छड़ स्थापित की जाती है जो कैथोड का कार्य करती है।
- इसमें अमोनियम क्लोराइड, जिंक क्लोराइड तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस की लुगदी (Paste) इलेक्ट्रोलाइट के रूप में भरी होती है।
- इसका विद्युत वाहक बल 1.4-1.5 वोल्ट तक होता है।
- इसका उपयोग टॉर्च, दीवार घड़ी, विद्युत घण्टी इत्यादि उपकरणों में होता है।
- इसमें मैंगनीज-डाइ-ऑक्साइड मुख्य रूप से विध्रुवक होता है।
interesting topic bhai.
बहुत ही अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद