एक बार किसी को भी धन की प्राप्ति हुई सबको बुलाकर कहा आज मैं बहुत खुश हूं तुम लोग में से किसी को मैं इस यात्रा के बाद स्वतंत् कर दूंगा परंतु मैं पहले तुम्हारी हपरीक्षा लुगा ।अब जाऊंगा और यात्रा के लिए तैयार हो जाओ इस बार हरे को अपना सामान उठाने को पसंद करने की इच्छा है
दासों में होड़ लग गया । हल्का सामान चुनने के लिए सब दौड़ पढ़ें। स्वामी के देखने की एक दास चुपचाप दूर खड़ा सब देखा है उसने को बुलाकर पूछा क्या तुम अपनी पसंद से बोझ की जल्दी नहीं है उसने धीरे से कहा नहीं सामने सब लेने के बाद बचा हुआ मैं लूंगा ।
सब यात्रा के लिए चले आगे ऊंट पर स्वामी उसके पीछे घोड़े पर कुछ सामान ,कुछ कर्मचारी और सबसे पीछे दासों का काफिला धीरे धीरे चल रहा
स्वामी ने देखा कि भोजन की सामग्री का पूरा सामान उठाए हुए वहीं दास चल रहा है सबसे पीछे जो चुप चुप खड़ा सबके जाने की प्रतीक्षा कर रहा था
यात्रा के अंतिम दिन वही व्यक्ति खाली हाथ का हंसता हुआ सबसे आगे रहा था स्वामी ने उसे बुलाया और पूछा तुम्हारा बोझ कहां है
सभी दास भयभीत उठ अब तो इस कठोर दंड मिलेगा परंतु वह निडर होकर बोला स्वामी मेरे सिर का बोझ आप सभी के पेट और शरीर में है उसकी बात सुनकर और भी डर गए।
स्वामी ने सिर हिलाया और का कहां शहर पहुंचने के बाद बताना तुम्हारे वहां कैसे चला गया । शहर मैं पहुंचकर स्वामी ने सबको बुलाया और उस दास से पूछा अब बताओ
दास ने कहा स्वामी सबने चुन-चुन कर का बोझ उठाया लेकिन भोजन का सामग्री भारी होती है इसलिए किसी ने नहीं उठाया। हर दिन सब भोजन करते हैं तो भोजन धीरे-धीरे खत्म हो जाता है जिससे मेरा वॉच कम हो गया और वह सब के श>
मम्मी ने कहा तुम मेरी परीक्षा में सफल हुए तुम आज से स्वतंत्र हो।
शिक्षा:- यह कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमें हमेशा उसको समझ काम करना चाहिए । हम दिमाग से हार गए तो सब कुछ हार गए इसलिए हमें दिमाग का सही उपयोग करना चाहिए
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