कोरोना प्रभाव (Corona effect) क्या है
उच्च वोल्टेज वाली ए.सो. विद्युत पारेषण लाइनों में चालक तारों के चारों ओर बैगनी रंग का धुंधला प्रकाश देखा जाता है जो ‘ कोरोना कहलाता है । इसके अन्तर्गत पारेषण लाइन में अनलिखित प्रभाव अनुभव किए जाते हैं
( 1 ) चालक तार की पूरी लम्बाई में बैगनी रंग की धुंधली – सी चमक पैदा हो जाती है ।
( 2) चालक तारों तथा खम्बो / टॉवर्स के निकट हिसिंग ‘ ध्वनि सुनाई देती है ।
( 3 ) रेडियो संग्रहण ( radio reception ) में व्यवधान ( interference ) पैदा होता है ।
( 4 ) ओजोन गैस पैदा होती है ।
( 5 ) विद्युत शक्ति का अनावश्यक अपव्यय होता है ।
उच्च वोल्टेज वाली डी.सी. पारेषण लाइन में धन तार के चारों ओर एकसमान चमक और ऋण तार के चारों ओर असमान चमक तो पाई जाती है परन्तु अन्य प्रभाव नगण्य ही रहते हैं ।
कोरोना प्रभाव की उत्पत्ति के कारण ( Reasons of the Production of Corona effect )
अनेक कारणों से वायुमण्डल में आवनीकरण प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है । ये कारण निम्नवत् है :
( 1) परा – बैगनी विकिरण ( Ultra – violet radiations ( 2 ) अन्तरिक्ष से कॉस्मिक – किरणों का प्रहार ( Cosmic – rays )
( 3 ) रेडियो – एक्टिवता ( Radio – activity )
अत : वायुमण्डल में मुक्त इलेक्ट्रॉन्स , धन आयन्स एवं उदासीन अणु विद्यमान रहते हैं । जब मुक्त इलेक्ट्रॉन्स , वायुमण्डल में स्थापित उच्च वोल्टेज वाली विद्युत पारेषण लाइन के चालकों की सतह के सम्पर्क में आते हैं तो उनकी गति बढ़ जाती है । ये तीव्रगामी मुक्त इलेक्ट्रॉन्स , उदासीन अणुओं से टकराते हैं और उन अणुओं से कुछ अन्य इलेक्ट्रॉन्स को छितरा देते हैं । ये छितराए गए इलेक्ट्रॉन्स , दूसरे अणुओं से टकराते हैं । इस प्रकार , वायुमण्डल में इलेक्ट्रॉन्स को छितराने की एक श्रृंखला प्रारम्भ हो जाती है , अर्थात् आयनीकरण की गति बढ़ जाती है । यह प्रक्रिया , दो चालकों के बीच लगभग 30kV प्रति सेमी वायु – दूरी पर प्रारम्भ होती है । विभवान्तर का वह मान , जिस पर आयनीकरण की गति बढ़ जाती है , क्रान्तिक खतरनाक वोल्टेज ( critical disruptive voltage ) कहलाता है । यदि चालकों के बीच विद्यमान विभवान्तर के मान को और अधिक बढ़ाते जाएं तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब वायु का इन्सुलेशन समाप्त हो जाता है विभवान्तर का यह मान , बेक – डाउन वोल्टेज ( break – down voltage ) कहलाता है । इस स्थिति में वायु का इन्सुलेशन समाप्त हो जाने से स्पार्क पैदा हो जाता है और लाइन में शॉर्ट सर्किट दोष पैदा हो जाता है ।
कोरोना प्रभाव की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी कारक ( Factors Responsibile for the Production of Corona effect )
वायुमण्डल में विद्युत पारेषण लाइन के चारो ओर ‘ कोरोना ‘ की उत्पत्ति एवं उसकी मात्रा निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है
( 1 ) वायुमण्डल की भौतिक अवस्था ( Physical state of the Atmosphere )
शान्त वायुमण्डल की तुलना में आँधी – तूफान युक्त मौसम में अधिक मुक्त इलेक्ट्रॉन्स एवं आयन्स विद्यमान रहते हैं । फलस्वरूप , अपेक्षाकृत निम्न वोल्टेज पर ही ‘ कोरोना ‘ पैदा हो जाता है ।
( ii ) चालक की सतह की अवस्था ( Surface State of the Conductor )
सपाट व चिकनी ( uniform and smooth ) सतह वाले चालको की तुलना में खुरदरी सतह वाले चालकों की बीच सुगमता से कोरोना ‘ पैदा हो जाता है । उदाहरण के लिए , ठोस चालकों की तुलना में स्ट्रेण्डेड चालकों में सुगमता से ‘ कोरोना ‘ पैदा हो जाता है ।
( iii ) चालकों के बीच की दूरी ( Distance between the Conductors )
यदि विद्युत पारेषण लाइन के चालक तारों को एक – दूसरे से पर्याप्त दूरी पर स्थापित किया जाए तो ‘ कोरोना ‘ पैदा होने की सम्भावना लगभग शून्य हो जाती है ।
( iv ) लाइन – वोल्टेज मान ( Line Voltage Value )
यदि पारेषण लाइन का वोल्टेज मान 30kV से कम है और चालकों की स्थापना उचित दूरी पर सम्पन्न की गई है तो चालकों में किसी प्रकार का ‘ कोरोना ‘ पैदा नहीं होता ।
कोरोना प्रभाव को कम करना ( Reduction in Corona Effect )
33kV एवं इससे अधिक वोल्टेज पर कार्य करने वाली विद्युत पारेषण लाइन एवं ‘ बस – बार ‘ आदि में निम्नलिखित उपायों के द्वारा ‘ कोरोना ‘ प्रभाव को कम किया जा सकता है
( i ) अधिक व्यास वाले चालकों के प्रयोग से ‘ कोरोना ‘ प्रभाव को कम किया जा सकता है क्योंकि चालक का व्यास बढ़ाने से क्रान्तिक खतरनाक वोल्टेज ‘ का मान भी बढ़ जाता है ।
( ii ) चालकों को पर्याप्त दूरी पर स्थापित करने से ‘ कोरोना ‘ प्रभाव को बहुत कम किया जा सकता है , परन्तु पारेषण लाइन की स्थापना लागत के परिप्रेक्ष्य में चालकों को अधिक दूरी पर स्थापित नहीं किया जाता ।