चतुर आकाश की कहानी
एक था लड़का। उसका नाम था आकाश। वह बहुत ही चतुर और समझदार था। उसकी बहुत इच्छा थी कि वह आसमान से गिरती हुई बर्फ देखे। इसलिए एक बार सरदी की छुट्टियों में वह अपने माता-पिता के साथ मनाली गया। वहाँ पर अधिक ठंड के कारण उसकी माँ बीमार पड़ गईं। बहुत दिन हो गए, पर उनका बुखार उतर ही नहीं रहा था। बड़े-बड़े डॉक्टरों ने देखा, मगर कुछ न हुआ। एक दिन वहाँ के बहुत प्रसिद्ध वैद्य आए। जाँच-पड़ताल करने के बाद वे बोले, “यहाँ की घाटियों में एक खास तरह का पेड़ उगता है। यदि उसकी छाल पकाकर इन्हें पिलाएँ तो शीघ्र अच्छी हो जाएँगी। चालीस मील पैदल का रास्ता है, लेकिन आजकल वहाँ जाना बड़ा मुश्किल है। रास्तों पर बर्फ की मोटी-मोटी तह जमी है और जंगली जानवरों का भी खतरा है वहाँ जाने में तीन-चार दिन लग जाएँगे।“
यह सुनकर आकाश के पिता चिंतित हो गए।
लेकिन आकाश बहुत साहसी था। उसने शीघ्र ही एक योजना बनाई और कहा, “आप चिंता न करें, पिता जी। मैं माँ के लिए दवा लेकर आऊँगा।” वैद्य जी बोले, “मैं अपने बेटे अमित को तुम्हारे साथ भेज देता हूँ। उसे रास्तों की जानकारी है।
लेकिन आकाश बहुत साहसी था। उसने शीघ्र ही एक योजना बनाई और कहा, “आप चिंता न करें, पिता जी। मैं माँ के लिए दवा लेकर आऊँगा।” वैद्य जी बोले, “मैं अपने बेटे अमित को तुम्हारे साथ भेज देता हूँ। उसे रास्तों की जानकारी है।