कृत्रिम श्वास क्रिया क्या है और मुँह-से-मुँह में हवा भरना विधि क्या है ? ! What is artificial breathing and what is the method of mouth-to-mouth air filling

 

 कृत्रिम श्वास क्रिया Artificial Respiration


कृत्रिय श्वास क्रिया की तीन प्रमुख विषिर्या इस प्रकार है

सिल्वेस्टर विधि  Sylvesters Method

इस विधि में पीड़ित को पीठ के बल लिटाया जाता है। उसकी पौत के नीचे तकिया लगा दिया जाता है जिससे कि उसका सीना कुछ ऊपर उत‌ जाता है और सिर कुछ नीचा हो जाता है। यह विधि तब प्रयोग की जाती है जब पीड़ित के सीने को ओर छाले पड़े हो

प्रधम स्थिति First Position

पीडित के सिर के पास अपने घुटनों के बल बैठजाए उसके दोनो हाथों को आधी मुट्टी बांधकर हाथे को सीधा फैला दें। अब पीड़ित के दोनों हाथों को धीरे-धीरे मोड़कर उसके सीने पर लाएं, 

Second Position

प्रथम स्थिति में अपने हाथ से पीड़ित के सीने पर कुछ दवाव डालें। दो-तीन सेकंड बाद दबाव हटा लें और पीड़ित के हाथों को उसके सिर को ओर फैला दें और मुदिट्या खोल दे

उपरोक्त क्रिया को 10-12 बार प्रति मिनट की दर से तब तक दोहराएं जब तक कि उसकी श्वास क्रिया सामान्य न हो जाए। जय पीड़ित के सीने पर दबाव डाला जाता है तो फेफड़ों के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है और दबाव हटाने से बाहर की ताजी वायु फेफड़ों के अन्दर जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है।

मुँह-से-मुँह में हवा भरना विधि

शैफर विधि Schaffers Method

इस विधि में पीड़ित को पेट के बल लिटाया जाता है और उसके सिर को किसी एक करकट कर दिया जाता है। पीड़ित के सोने के नीचे पतला

तकिया रख दिया जाता है। यह विधि तब प्रयोग की जाती है जब पीड़ित की पीठ पर छाले पड़े हो।

प्रधम स्थिति First Position

पीड़ित के घुटनों के पास अपने घुटनों के बल बैठ जाएँ। अपने दोनों हाथ पीड़ित की पीठ पर इस प्रकार रखें कि दोनों हाथ सीधे रहें और चारों उँगलियाँ आपस में मिली रहें और वे अंगूठे से समकोण बनाएं, 

(a) द्वितीय स्थिति

 Second Position

इस स्थिति में आगे की ओर झुकते हुए पीड़ित की पीठ पर भार डाले। दो-तीन सेकण्ड बाद दबाव को हटा और अपने दोनों हाथों को सीधा कर दें, 

उपरोक्त क्रिया को 10-12 बार प्रति मिनट की दर से तब तक दोहराएँ जब तक कि उसकी श्वास क्रिया सामान्य न हो जाए। जब पीड़ित की पीठ पर दबाव डाला जाता है तो फेफड़ों के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है और दवाव हटाने से बाहर की ताजी वायु फेफड़ों के अन्दर जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है।

मुँह-से-मुँह में हवा भरना Mouth-to-Mouth Resuscitation Method

पीड़ित को पीट के बल लिटा लें। अब पीड़ित की पीठ के नीचे तकिया आदि लगा दें जिससे कि उसका मुंह थोड़ा पीछे की ओर लटक जाए। पीड़ित का मुँह अच्छी तरह साफ कर लें। अब उसके खुले मुँह पर महीन कपड़ा रखकर और एक हाथ से उसकी नाक बन्द करके अपने मुंह से उसके मुंह में बलपूर्वक झटके से हवा भरें। यह ध्यान रखें कि हवा बाहर न निकलने पाए और उसके फेफड़े कुछ फूलो हवा को बाहर निकलने देने के लिए अपना मुँह हटा लें।

उपरोक्त क्रिया 10-12 बार प्रति मिनट की दर से तब तक दोहराते रहें जब तक कि उसकी श्वास क्रिया सामान्य न हो जाए। बलपूर्वक झटके से हवा भरते समय पीड़ित के फेफड़े फूलते हैं और ताजी वायु अन्दर जाती है। मुंह हटा लेने पर अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है।

उपरोक्त तीनों विधियों में से तीसरी विधि अधिक प्रचलित होती जा रही है, क्योंकि यह विधि तुरन्त प्रारम्भ की जा सकती है। इसके साथ ही यह

एक प्रभावशाली विधि है और इसे लम्बे समय तक जारी रखने की आवश्यकता नहीं होती जबकि प्रथम एवं द्वितीय विधि को एक घण्टे से भी अधिक समय तक जारी रखना पड़ सकता है। मुँह-से-मुंह में हवा भरने के प्रथम को चित्र इस दर्शाया गया है।

Mouth to mouth resuscitation mathod

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