रहसमय नीलावंति की कहानी
हमेशा से ही भारत एक परंपराओं और विशेष मान्यताओं का देश रहा है आज भी इन मान्यताओं गुप्त विद्याओं के कई जानकार और उनसे संबंधित ग्रंथ बहुतायत में भारत में उपलब्ध है इसमें से कुछ ग्रंथ सामान्य जनमानस के जीवन उपयोगी है तो अपने अंदर असीम रहस्य को समेटे हुए विज्ञान को निरुत्तर करते हुए पाए गए हैं इन सभी ग्रंथों में कुछ ना कुछ विशेष तो अवश्य ही है कई ऐतिहासिक ग्रंथ तो ऐसे भी हैं जिन्हें सामान्य तौर पर पढ़ना और समझना आसान नहीं है
ऐसा ही एक ग्रंथ जो नीलावंती के नाम से फेमस है जिसके बारे में बहुत सी गलतफहमियां और मिथक समाज में प्रचलित है पता नहीं क्यों पर इस महान तांत्रिक ग्रंथ को बदनाम कर दिया गया जिसके बारे में कुछ किवदंतीया प्रचलित है ज्यादातर जगह पर इस ग्रंथ को ऐसी गुप्त विद्याओं का भङडार माना जाता है जिसे जानकार व्यक्ति अपने जीवन की सारी समस्याओ का समाधान पा सकता है कुछ तांत्रिक ऐसा कहते है की इस ग्रंथ को पढ़ने से कुछ ही दिनों में पढ़ने वाले की मृत्यु हो जाती है
कुछ लोग तो यहां तक भी कहते हैं की स्वामी विवेकानंद की मृत्यु इसी निलावंती ग्रंथ को पढ़ने के बाद हुई थी अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो दूसरी बात है आज हम सिर्फ knowledge बढ़ाने के लिए जानकारी के तौर पर इस ब्लॉग में प्रचलित प्रसिद्ध लोक कथा जोकि मराठी साहित्य निलावंती की कहानी का सार है
तो कहानी कुछ ऐसी है कि एक गांव में एक बहुत ही धनवान रूपवान और गुणवान नौजवान रहता था वह अपने गांव को छोड़कर दूसरे गांव में कुछ दिनों के लिए गया जाते जाते रात को चली थी सो उसने एक पेड़ के नीचे अपनी बैलगाड़ी को रोक कर वही उसी पेड़ के नीचे आराम करने लगा धीरे-धीरे रात हो चली लगभग मध्य रात में डाकूओ की टोली ने उस नौजवान पर हमला कर दिया अपनी जान बचाकर वह नौजवान भागा भागते भागते वहां घने जंगल की ओर निकल गया भूख और प्यास से बेचैन हुआ वह जैसे तैसे अपनी जान बचाकर भाग ही रहा था कि अचानक एक पेड़ के नीचे वह बेहोश होकर गिर पड़ा
रात के तीन पहर बीत चुके थे जंगल में चारों और iघनघोर अंधेरा था सियार चिल्ला रहे थे उनका स्वर् मन में भय का संचार करता था भोर होने पर नौजवान को कुछ होश आया तो क्या देखता है एक अत्यंत सुंदर और देवीय सौंदर्य वाली एक युवती उसकी सेवा कर रही है वह नौजवान उस युवती के सौंदर्य पर मोहित हो गया और उसने उस युवती के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया उस तरुणी ने कुछ देर विचार करके कुछ शर्तों के साथ नौजवान का विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया नौजवान को अब इस बात को जानने की जिज्ञासा हुई कि वह कौन सी शर्तें है युवती ने कहा मै तुमसे विवाह तो कर सकती हूं परंतु कभी भी रात में तुम्हारे साथ सो नहीं पाऊंगी कभी भी कहीं जाते समय तुम यह जानने की कोशिश नहीं करोगे कि मैं कहां जा रही हूं और ना ही मेरे पीछे आओगे युवक ने दोनों शर्तें सहर्ष से स्वीकार कर ली युवक और युवती के बीच विवाह संपन्न हुआ
रात के समय अक्सर वह निलावंती अपने बेडरूम से निकलकर घनघोर जंगलों की ओर चली जाती परंतु उसका पति उससे कुछ नहीं कह पाता क्योंकि निलावंती ने पहले ही ऐसा वचन ले लिया था कि आप मेरे कहीं आने जाने पर यह जानने की कोशिश नहीं करोगे कि मैं कहां और क्यों गई दिन के समय उनका वैवाहिक जीवन सामान्य चलता रहा परंतु निलावंती उस नौजवान के साथ खुश नहीं थी वह अपने लोग वापस जाने के लिए दिन रात एक कर सभी भूतों प्रेतों तांत्रिकों से मिलती रहती बस एक ही उम्मीद थी कि किसी तरह से वह रास्ता मिल जाए जिससे वह निलावंती अपने यक्ष लोक को जा सके परंतु कोई भी अपनी विद्या मुफ्त में तो नहीं दे देता निलावंती को इन विद्याओं के अपने गुरुओं को तरह-तरह के गुरु दक्षिणा देनी पड़ी कभी पशु बलि कभी नरबलि तो कभी खुद का रक्त!
समय बीतने लगा गांव में निलावंती के बारे में तरह-तरह की बातें होने लगी किसी भी अप्रिय घटना जैसे किसी के बच्चे के चोरी होने किसी के पशु के मरने और अपहरण जैसे मामलों मैं निलावंती और उसके परिवार पर आरोप लगने लगे और निलावंती पूरे गांव में बदनाम हो गई यह क्रम वर्षों तक चलता रहा रोज की तरह एक दिन रात में निलावंती अपने बेडरूम से निकल कर जा रही थी आज उस नौजवान को नींद नहीं आ रही थी सो उसने निलावंती को जाते हुए देख लिया अब वह कौतूहल बस उसके पीछे ही चल दिया निलावंती आगे आगे और वह नौजवान पीछे पीछे चलने लगे वह फिर से किसी तांत्रिक के पास गई यह उस नौजवान ने देख लिया और आज निलावंती से पूछ ही लिया तुम यह क्यों कर रही हो निलावंती ने जवाब दिया कि वह अपने लोग को जाना चाहती है जिसके लिए उसे एक दिव्य नाव की आवश्यकता है जिससे यक्ष लोक पृथ्वी लोग के बीच नदी को पार किया जा सके
अब तो नौजवान को और ज्यादा जिज्ञासा हुई तब निलावंती ने बताया कि उसे एक उल्लू ने जो कि एक शुद्ध आत्मा था ने यहां बताया कि तुम एक ऐसी नाव की व्यवस्था करो जिससे इस नदी को पार कर सको इसीलिए मैं तभी से इसी प्रयत्न में सारे जंगल में घूमा करती हूं निलावंती का पूरा सच जानकर वह नौजवान जोकि एक राक्षस था और मायावी विद्या जानता था अपनी माया से रूप बदलकर अपने लोग को चला गया और वह निलावंती भी पक्षी का रूप लेकर उसी जंगल में भटकने लगी
इस पूरे घटनाक्रम को निलावंती ने भोज पत्रों पर लिखकर रखा था जो यहां-वहां बिखरे थे जिसे संग्रहित कर के एक ग्रंथ के रूप में बदल दिया गया परंतु उसकी भाषा बहुत जटिल और किसी के ना समझने योग्य थी अभी फिलहाल कुछ नामी तांत्रिक अपने पास इस गुप्त विद्या के होने का दावा करते रहते हैं परंतु इसमें कितनी प्रमाणिकता है यह शोध का विषय है कहते हैं कि इस ग्रंथ में ऐसी विद्या हैं जिससे व्यक्ति अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकता है किस ग्रंथ में पशु पक्षियों की भाषा को समझने और उनसे बातचीत करने की विद्या भी उपलब्ध है परंतु अब इस ग्रंथ का कोई भी जानकार प्रमाणिक तौर पर नहीं है
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है हमें अपने जीवन में हमेशा कर्मशील रहना चाहिए ऐसा कुछ यदि ईश्वर आपको देना चाहते हैं तो वे अवश्य ही देंगे जो आपके लिए लाभदायक भी होगा परंतु इनका दुरुपयोग और इनमें लोभ कभी नहीं करना चाहिए और जब तक खुद प्रयोग ना करें तब तक अंधविश्वास नहीं फैलाया जाना चाहिए