कृत्रिम वर्षा क्या है | What is artificial rain in Hindi

कृत्रिम वर्षा क्या है

 मनुष्य ईश्वर की सबसे बुद्धिमान रचना है आदिकाल से ही मनुष्य ने प्रकृति को  अधिकाधिक उपयोगी बनाने का प्रयत्न किया है इसीलिए मानव द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार के प्रयोग किए गए हैं ताकि प्रकृति का अच्छी तरह से दोहन किया जा सके और अधिक से अधिक विकास और समृद्धि हासिल किया जा सके तो आज हम ऐसे ही एक प्रयोग कृत्रिम वर्षा के बारे में बात करेंगे

कृत्रिम वर्षा का परिचय

 आज का हमारा विषय है कृत्रिम वर्षा आपके दिमाग में यह विचार अवश्य आ रहा होगा कि यह संभव है तो इसका जवाब है हां artificial rain यानी कृत्रिम वर्षा एक  weather modification तकनीक है भारत के परिपेक्ष में यह तकनीक अत्यंत उपयोगी साबित हो रही है 19वी सदी के उत्तरार्ध में सन 1983 से भारत में आर्टिफिशियल रेन का उपयोग किया जा रहा है बीसवीं सदी के आरंभ में सन दो हजार तीन और 2004में किया गया था वर्तमान में सन 2020 में कर्नाटक और महाराष्ट्र मैं कृत्रिम वर्षा केेे माध्यम से

 जल संकट से निपटने का प्रयास किया गया विशेष तौर पर महाराष्ट्र के शोलापुर लातूर आदि शहरों में जल संकट से निपटने के लिए artificial rain का

 Use किया है

 💥Basic principle of artificial rain[ कृत्रिम वर्षा का सिद्धांत]

  हमें कृत्रिम वर्षा के सिद्धांत को समझने के  लिए प्राकृतिक वर्षा को समझना जरूरी है प्राकृतिक जल चक्र में सूर्य की गर्मी केे कारण सतही जल स्रोतों जैसेेेेेे नदी  तालाब झरना समुद्र से पानी भाप बनकर उड़ताा है तथा वायुमंडल की सबसे निचले परत मे जमा हो जाती हैजमा हो जाती है जमा हो जाती है क्योंकी यह भाप की बुँदे भार में अत्याधिक हल्की होने के कारण हवा में आसानी से तैरती रहती है जिन्हें droplets कहते है पानी का शुद्धतम रूप होता है परन्तु इसके साथ परेशानी यह है की  ये सीधे धरती पर नहीं गिर सकता परंतुुु जब कभी समुद्र के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र होता हैै तो हवाएं अधिक  दबाव सेेेेेेेे कम दबाव की ओर तेजी सेेे चलने लगती है और साथ ही लाती है धूल के कण यहीधूल के कण वातावरण में उपस्थित

  ड्रॉपलेट्स के साथ मिलकर बड़ी पानी की बूंदों का निर्माण करती है यही बूंदे आगे चलकर वर्षा का रूप लेती हैं

                   आर्टिफिशियल रेन के पीछे सिद्धांत यह है कि यदि इन ड्रॉपलेट्स को संघनित कर लिया जाए जो मन चाहे समय पर वर्षा करा सके इसके लिए कुछ केमिकल कंपाउंड जैसे- silver iodide[ सिल्वर आयोडाइड] , dry ice[ ठोस कार्बन डाइऑक्साइड], common salt[ साधारण नमक]  आदि वे सब केमिकल जो हवा में से नमी सोख कर इकट्ठा करते हैं का यूज किया जाता है क्योंकि यहां आयनिक योगिक का उपयोग होता है जो अत्याधिक जल स्नेही  होतेे हैं

 और वातावरण में उपस्थित ड्रॉपलेट्स को अपने साथ आसानी से combined कर पाते हैं फलस्वरूप यह ड्रॉपलेट्स बड़ी बूंदों में बदल जाते हैं और धरती पर वर्षा का कारण बनते हैं

                            इसे हम दैनिक जीवन के एक उदाहरण द्वारा आसानी से समझ सकते हैं जैसे हमें गंदे पानी को जिसमें मिट्टी रेत आदि की अशुद्धियां होती है को दूर करने के लिए फिटकरी का यूज़ करते हैं तो यह छोटे-छोटे soil particle आपस में मिलकर बड़े कणों  निर्माण करते हैं चुकि फिटकिरी भी एक आयनिक यौगिक है जो साइल पार्टिकल को अपने साथ बांधकर इकट्ठा कर लेती है और यह गुच्छे वजन में अधिक होने के कारण बर्तन की तली में बैठ जाते हैं और पानी शुद्ध हो जाता है

💥 Process of artificial rain or cloud seeding process[ कृत्रिम वर्षा की कार्य विधि या मेघ बीजन प्रक्रिया]

      यह प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है जो निम्नानुसार है     

[1] cloud selection[ बादलों का चयन]     

[2] cloud seeding[ मेघ बीजन प्रक्रिया]

[3] precipitation on earth[ धरातल पर वर्षण]

💥 cloud selection[ बादलों का चयन]

 यह artificial rain सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है आर्टिफिशियल रेन की सारी प्रक्रिया cloud selection निर्भर करती है इस प्रक्रिया में ऐसे बादलों का चयन किया जाता है जिनमें नमीकी कुछ मात्रा हो क्योंकि सूखे बादलों में आर्टिफिशियल रेन संभव नहीं हो पाती है

💥 cloud seeding[ मेघ बीजन प्रक्रिया]

 इस प्रक्रिया में एरोप्लेन शक्तिशाली रॉकेट या जेट इंजन के माध्यम से नमी युक्त बादलों पर सिल्वर आयोडाइड, कॉमन साल्ट, ड्राई आइस( ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) का छिड़काव किया जाता है यह पदार्थ पानी की छोटी छोटी ड्रॉपलेट्स को संघनित कर बड़ी बूंदों में परिवर्तित कर देते हैं और यह  बूंदे धरातल पर वर्षा कराती है

 💥Precipitation on earth[ धरातल पर वर्षण]

 अनुकूल परिस्थितियां आने पर वातावरण में उपस्थित ड्रॉपलेट्स इन केमिकल कंपाउंड के साथ मिलकर बड़ी बूंदों का निर्माण करती है फलस्वरूप   धरती पर कृत्रिम रूप से अपनी इच्छा अनुसार बारिश   कराई जा सकती है इसे ही weather modification कहते हैं

💥 merits of artificial rain[ कृत्रिम वर्षा के लाभ]

[1] कृत्रिम वर्षा के द्वारा समय पर आवश्यकता अनुसार बारिश कराई जा सकती है अतः गर्मी के मौसम में होनेेेेेेेेेेेेेेेेेेे वाली पानी की कमी को दूर किया जा सकता है आवश्यकता अनुसार जलाशयों को भरकर कृषि एवं पनबिजली उत्पादन मछली पालन पीनेेेेेे के लिए स्वच्छ जल समय पर उपलब्ध हो पाताा है

[2] समय से पहले बारिश करवानेे से बारिश में आने वाली बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकता है जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा  है

[3] बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट जिन्हें नदियों पर बनाया जाता है जैसेे डैम आदि का निर्माण समय पर पूरा किया जा सकता है क्योंकि इस तकनीक से डैम का काम शुरू होने से पहले ही मौसम पर नियंत्रण कर लिया जाता है

[4] किसी भी देश के नहर तंत्र [ Canal system]को डिजाइन करने के लिए कृत्रिम वर्षा और मौसम नियंत्रण[ weather modification] सहायक सिद्ध हो सकते हैं

💥 demerits of weather modification[ मौसम नियंत्रण की हानियां]

[1]मौसम नियंत्रण द्वारा किसी भी देश की कृषि को प्रभावित कर दुश्मन देश वहां पर भुखमरी उत्पन्न कर सकता है

[2]युद्ध के समय दुश्मन देश पर क्लाउड सीडिंग कर बाढ़ उत्पन्न की जा सकती है जिससे बहुत अधिक नुकसान हो सकता है इसका उदाहरण अमेरिका ने 

 वियतनाम पर क्लाउड सीडिंग का उपयोग किया जा चुका है

वर्षाधारी परियोजना

• 22 अगस्त, 2017 को कर्नाटक सरकार ने बंगलूरू में कृत्रिम वर्षा के लिये वर्षाधारी परियोजना को आरंभ किया था।

• 2018 में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस परियोजना से बारिश में 27.9% की वृद्धि हुई है और लिंगमनाकी जलाशय में 2.5 tmcft (Thousand Mllion Cubic Feet) का अतिरिक्त प्रवाह रहा है।

• एक स्वतंत्र मूल्यांकन समिति द्वारा इसे सफल परियोजना घोषित किया गया।

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हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! कृत्रिम वर्षा क्या है  हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।

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