आइंस्टाइन के द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E= mc² मे c का उपयोग क्यू किया गया ?
19वीं सदी में एक महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक महान क्रांतिकारी समीकरण प्रस्तुत किया जिसे हम द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण के नाम से जानते हैं यही वह समीकरण था जिसके द्वारा वैज्ञानिकों ने परमाणु बम जैसे महान विनाशकारी शस्त्र का निर्माण किया तथा इसका उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर किया गया
अब बात आती है कि ऐसा क्या है इस समीकरण में जिसने इतने महान विनाश को अंजाम दिया
इस ब्लॉग में हम द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E=mc² की व्याख्या करेंगे
💥 E=1/2mc²
जहाँ
E= Total energy[ कुल ऊर्जा]
m= mass[ द्रव्यमान]
C= speed of light[ प्रकाश की गति]
आइंस्टाइन के इस द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण में ऐसी अवधारणा की गई की विशेष परिस्थितियों में द्रव्यमान को ऊर्जा में और ऊर्जा को द्रव्यमान में परिवर्तित किया जा सकता है आइंस्टीन का यह तर्क पूरी तरह से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित था जिसके अनुसार ऊर्जा को ना तो नष्ट किया जा सकता है और ना ही पुनः उत्पन्न किया जा सकता है उसे तो केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है
💥 [1] Total एनर्जी के सूत्र मे स्पीड ऑफ़ लाइट का use – आइंस्टीन के अनुसार प्रकाश की गति ही एकमात्र ऐसा फैक्टर है जो सभी observer के लिएconstant है प्रकृति अपने fundamental laws कभी बदलाव नहीं होने देती यही वह बात थी जिसने time dilution :length कॉन्ट्रैक्शन और relative mass जैसे कांसेप्ट को लाया इन्हीं में से आपेक्षिक द्रव्यमान[ relative mass] का उपयोग energy mass equation मैं किया गया था💥
इस समीकरण के दो हिस्से हैं पहला जो Total energy की unit को दिखाता है यह इस प्रकार है
किसी भी पिंड की कुल ऊर्जा
E = kinetic energy± potential energy
पहले हम लोग काइनेटिक एनर्जी [ kinetic energy]की बात करते है
💥 Kinetic energy[kE]=mv²/2
जहां- kE = काइनेटिक एनर्जी
m= mass[ द्रव्यमान]
V= velocity[ वेग ]
मात्रकों की बात करें तो गतिज ऊर्जा का मात्रक
KE=mv²/2
से
Kg-(m/s)×(m/s)
💥 Kg-m²/s²
टोटल एनर्जी के मात्रक को और अच्छी तरह समझने के लिए एक अन्य ऊर्जा जैसे स्थितिज ऊर्जा potential energy कहते हैं पर विचार करते हैं
💥जिसका सूत्र
(pE)=mgh
जहाँ =pE= potential energy[ स्थितिज ऊर्जा]
m= mass[ द्रव्यमान]
g= acceleration due to gravity[ गुरुत्वीय त्वरण]
h= height of object[पिंड की ऊंचाई]
मात्रक
pE=mgh
=kg-m²/s²
और यह क्या यह तो वही मात्रक है जो गतिज ऊर्जा का है अतः भौतिकी में कहीं भी कोई सूत्र यदि ऊर्जा के रूप में व्यक्त है तो उसमें द्रव्यमान के साथ साथ velocity का गुना अवश्य होना चाहिए यह तो उत्तर हुआ पहले प्रश्न का टोटल एनर्जी में स्पीड ऑफ़ लाइट[ speed of light ] का गुणा क्यों किया गया!इस स्टेटमेंट के अनुसार प्रकाश की गति ही वह वैल्यू है जो किसी भी अवस्था मे change नहीं होती है
💥[2]इस समीकरण का दूसरा हिस्सा इस बात को दर्शाता है कि आखिर प्रकाश की गति[ c²] का वर्ग ही क्यों लिया गया-
आइंस्टीन के द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E=mc² मे c²
का उपयोग करने के पीछे रिलेटिव mass का कांसेप्ट है चुकि प्रकाश की गति कभी change नहीं होती है
परन्तु फिर से समीकरण पर आते है
E=mc²
c ²=m/E
यदि हम c की value बढ़ाते जाते है तो Eकी value भी बढ़ती चली जायगी यानि किसी object के लिए c की value स्पीड of लाइट से अधिक होने के लिए हमें अधिकतम संभव ऊर्जा से अधिक ऊर्जा की जरुरत होंगी