श्यानता क्या है
जैसे दो ठोस वस्तुओं के एक दूसरे पर फिसलाने पर दोनों वस्तुओ की सतहो के बीच घर्षण के कारण उनमें आपेक्षिक गति का विरोध होता है उसी प्रकार द्रव या गैस की दो परतो के बीच आपेक्षिक गति( रिलेटिव मोशन) मैं बाधा आती है दूसरे शब्दों में द्रव की एक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल नहीं पाती है द्रव्य के इसी गुण को श्यानता कहते हैं
श्यानता का कारण
द्रवों के अतिरिक्त यह गुण गैस की दोपरतो के बीच भी पाया जाता है श्यानता का कारण उस मटेरियल के अंतर आणविक बल ( इंटरमॉलिक्युलर फोर्स) के कारण होता है जितना अधिक अंतर आणविक बल होगा श्यानता उतनी अधिक होगी इस हिसाब से गैसों में श्यानता द्रव से कम होती है जबकि ठोसों में अत्याधिक अंतर आणविक बल होने के कारण श्यानता नहीं होती है क्योंकि उसकी परतों के बीच आपेक्षिक गति नहीं हो पाती इसीलिए विस्कास फोर्स का मान शून्य हो जाता है!
महत्वपूर्ण तथ्य
- श्यानता द्रव और गैसों का गुण है solid में नहीं
2. द्रवों में श्यानता अणुओ के बीच लगने वाले ससंजक बल के कारण जबकि गैसों में श्यानता संवेग स्थानांतरण के कारण होती है
3. विस्कोसिटी का दूसरा अर्थ गाढ़ा पन होता है जो द्रव जितने अधिक गाढ़े होते हैं वे उतने ही शान होते हैं
श्यानता के मात्रक क्या है
मापन की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति ( S. I. System ) मे
Kg/m-s होता है C. G. S. System मे इसको पॉइज़
लिखा जाता है तब
1पॉइज़ =1ग्राम /से. मी.×सेकंड
और
1किलोग्राम /मीटर ×सेकंड
=1000ग्राम /100से. मी.×1sec
=10ग्राम /से. मी×सेकंड
या =10 पॉइज़
छोटा मात्रक जिसको सेंटी पॉइज़ कहते है जो की सामान्य रूप से उपयोग किया जाता है का मान
1सेंटी पॉइज़ =0.001पॉइज़
श्यानता का विमीय सूत
[M/LT]
श्यानता के अनुप्रयोग (एप्लीकेशन ऑफ विस्कोसिटी)
1) भारी मशीनों में स्नेहक के चयन में-
भारी मशीनों के कलपुर्जे को लंबे समय तक चिकना बनाए रखने के लिए स्नेहक उपयोग किया जाता है जो सामान्यता खनिज तेल / वनस्पति तेल या संश्लेषित वसा होते हैं चुकी तापमान बढ़ने के साथ द्रव्यों की श्यानता कम होने लगती है इसीलिए उचित श्यानता वाले स्नेहक का चयन करने मे viscosity की मुख्यभूमिका
होती है
2) भारी वाहनों में हाइड्रोलिक ब्रेक में उपयोग किया जाने वाला हाइड्रोलिक ऑयल चु नने में भी विस्कोसिटी का नॉलेज
होना चाहिए सही विस्कोसिटी होने पर ही हाइड्रोलिक मशीन पूरी क्षमता से काम कर पाएगी
3) अत्याधिक प्रेशर नापने वायुदाब मापी यों में कम ऊष्मीय प्रसार वाले द्रव के चयन में विस्कोसिटी की अहम भूमिका रहती है विस्कोसिटी जितनी ज्यादा होगा द्रव उतना भारी होगा तथा दाब मापी सुग्राही होगी
श्यानता गुणांक क्या है
किसी तरह का श्यानता गुणांक संख्यात्मक के रूप से उस बल के बराबर होता है जो तरल के प्रति एकाक क्षेत्ररफल पर लगकर उसके प्रभाव को लंबवत दिशा में एकाक वेग प्रवणता बनाए रखें इसे ईटा द्वारा सूचित किया जाता है
श्यानता गुणांक मात्रक क्या है
इसका मात्रक kg/m/sया Nm/s² या पास्कल सेकंड होता है इसका CGS मात्रक प्वायज होता है
1 Nm/s² =1 पास्कल सेकंड = 10poise
सीमान्त वेग
जब कोई वस्तु किसी श्यान द्रव में गिरती है तो प्रारंभ में उसका वेग बढ़ता जाता है , किन्तु कुछ समय के पश्चात् वह नियत वेग से गिरने लगती है । इस नियत वेग को ही वस्तु का सीमान्त वेग कहते हैं । इस अवस्था में वस्तु का भार , श्यान बल और उत्प्लावन बल के योग के बराबर होते हैं । अर्थात् वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों का योग शून्य होता है ।
सीमान्त वेग वस्तु की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है । अर्थात् बड़ी वस्तु अधिक वेग से और छोटी वस्तु कम वेग से गिरती है ।
धारा रेखीय प्रवाह ( Steam Line Flow )
द्रव का ऐसा प्रवाह जिसमें द्रव का प्रत्येक कण उसी बिन्दु से गुजरता है , जिससे पहले उससे पहले वाला कण गुजरा था , धारारेखीय प्रवाह कहलाता है । इसमें किसी नियत बिन्दु पर प्रवाह की चाल व उसकी दिशा निश्चित बनी रहती है ।
क्रांतिक वेग ( Critical Velocity )
धारारेखीय प्रवाह के महत्तम वेग को क्रांतिक वेग कहते हैं । अर्थात् धारा रेखीय प्रवाह की वह उच्च सीमा जिसके बाद द्रव का प्रवाह धारा रेखीय न होकर विक्षुब्ध हो जाए , वह वेग क्रांतिक वेग कहलाता है ।
यदि द्रव प्रवाह का वेग क्रांतिक वेग से कम होता है , तो उसका प्रवाह उसकी श्यानता पर निर्भर करता है , यदि द्रव प्रवाह का वेग उसके क्रांतिक वेग से अधिक होता है , तो उसका प्रवाह मुख्यतः उसके घनत्व पर निर्भर करता है ; जैसे — ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा बहुत अधिक गाढ़ा होने पर भी तेजी से बहता है , क्योंकि उसका घनत्व अपेक्षाकृत कम होता है और घनत्व ही उसके वेग को निर्धारित करता है ।
बरनौली का प्रमेय ( Bernoulli’s Theorem ) :
जब कोई आदर्श द्रव किसी नली में धारारेखीय प्रवाह में बहता है , तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर उसके एकांक आयतन की कुल ऊर्जा ( दाब ऊर्जा , गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊजा ) का योग नियत होता है । इस प्रमेय पर आधारित वेण्टुरीमीटर ( Venturimeter ) से नली में द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जाती है ।