दोस्तों आज आपको हम बताएंगे कि प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या है स्पष्ट कीजिए इस आर्टिकल के माध्यम से आपको प्रकाश विद्युत प्रभाव के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो पाएंगे प्रकाश विद्युत प्रभाव का सबसे पहला प्रमाण सन 1887 हेनरीच हट्ज के प्रयोगो मे मिलता है इस प्रयोग मे स्पार्क डिस्चार्ज से विद्युत् चुम्बकीय तरंगो के उत्पादन के दौरान उन्होंने पाया की किसी आर्क लैंप पर पराबैगनी किरणे डालने पर उससे उच्च वोल्टता की स्पार्क प्राप्त होता है
प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या है
किसी धातु की सतह पर उचित आवृत्ति की विद्युत चुंबकीय तरंगे जैसे दृश्य प्रकाश या पराबैंगनी विकिरणों के पढ़ने पर धातु की सतह से आवेशित कणों( इलेक्ट्रोन का) का उत्सर्जन ही प्रकाश विद्युत प्रभाव है प्रकाश विद्युत प्रभाव के कारण ही इलेक्ट्रोड को विद्युत दर्शी से जोड़ने पर परिपथ में धारा( इलेक्ट्रोन के फ्री मूवमेंट के कारण) प्रवाहित होने लगती है
प्रकाश विद्युत प्रभाव की खोज कर्ता कौन है?
A) प्रकाश विद्युत प्रभाव की खोज मे हेनरीक हर्टज़ योगदान-
प्रकाश विद्युत प्रभाव का सबसे पहला प्रमाण सन 1887 हेनरीच हट्ज के प्रयोगो मे मिलता है इस प्रयोग मे स्पार्क डिस्चार्ज से विद्युत् चुम्बकीय तरंगो के उत्पादन के दौरान उन्होंने पाया की किसी आर्क लैंप पर पराबैगनी किरणे डालने पर उससे उच्च वोल्टता की स्पार्क प्राप्त होता है
प्रयोग मे उन्होंने पाया की जब धातु की सतह पर एक निश्चित आवृति की प्रकाश किरणे डाली जाती है तो धातु की सतह से कुछ पार्टिकल (जिन्हे हम आज इलेक्ट्रान कहते है )निकाल जाते है अब मुद्दा यह की ये पार्टिकल विधुत चुम्बकीय तरंगों के संपर्क मे आने पर कैसे निकल आते है तो उन्होंने समझाया की हर धातु (चालक )मे मुक्त इलेक्ट्रान होते है जो विद्युत चुंबकीय तरंगों से आवश्यक ऊर्जा का अवशोषण कर धातु की सतह को छोड कर मुक्त परिवेश मे आ जाते है
B) प्रकाश विद्युत प्रभाव और हल्वोक्स और लीनार्ड परिक्षण-
हालक्स और लीनार्ड दोनों वैज्ञानिको ने 1886 से 1902 के बीच प्रकाश विद्युत प्रभाव का अध्ययन और अन्वेषण किया था प्रयोग के दौरान एक निर्वातित नलिका मे धातु के इलेक्ट्रोडो को व्यवस्थित कर उसे पर उचित आवृत्ति की पराबैंगनी किरणों को डालने पर परिपथ मे धारा प्रवाह होने लगता है इस सम्बन्ध मे हालक्स और लीनार्ड ने उत्सर्जक पट्टीका, संग्राहक पट्टीका, आपतित प्रकाश की तीव्रता और आवृति पर प्रयोग किया था
इसी प्रयोग को आगे बढ़ते हुए सन 1888 में हालक्स ने ऋण आवेश यूक्त प्लेट को एक विद्युत दर्शी से जोड़ कर पुनः प्रयोग को दोहराया अब उन्होंने ऋण आवेश वाली प्लेट पर u. v. किरणों को डाला तो पट्टीका मे आवेश सामाप्त हो गया और जब एक अनावेशित पट्टी पर अल्ट्रा वायलट रे को डाला गया तो वह धन आवेश से युक्त हो जाती है
इन दोनो प्रयोगो के आधार पर हालक्स इस निष्कर्ष पर पहुचे की प्रकाश अपतित होने उत्सर्जित होने वाले कण (जिन्हे इलेक्ट्रान कहते है )ऋण आवेश वाले होते है इसके अलावा दोनों वैज्ञानिकों ने पाया कि निश्चित आवृत्ति से कम आवृति का प्रकाश चालक की सतह पर पढ़े तो किसी भी का उत्सर्जन नहीं होता है इसी निश्चित आवृति जिसपर किसी चालक से इलेक्ट्रान मुक्त होते है उसे देहली आवृति कहते है यह भिन्न भिन्न चालको के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकती है
आया गया है कि जिंक कैडमियम और मैग्नीशियम जैसी धातुओं पर प्रकाश विद्युत प्रभाव को कम तरंग धैर्य वाली पराबैंगनी विकिरण मे देखा जा सकता है जबकि सोडियम रूबेडियम जैसी धातुओं मैं प्रकाश विद्युत प्रभाव दृश्य प्रकाश मे भी दिखाई देता है
C) आइंस्टीन का प्रकाश विधुत प्रभाव –
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करने के लिए सन 1905 में सर अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक समीकरण प्रस्तुत किया जिसका आधार ऊर्जा संरक्षण का नियम है इसके अनुसार ऊर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है ना ही नाश किया जा सकता है यहएक सार्वभौमिक नियम है जिसने प्रकाश इलेक्ट्रान के प्रवाह से उत्पन्न होने वाली धारा के परीमाण, ऊर्जा हानि, प्रकाश की आवृति (देहली आवृति )के सम्बन्ध मे कई नई जानकारिया उपलब्ध कराई प्रयोगों मे आइंस्टीन ने निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये
प्रकाश विद्युत प्रभाव का सूत्र क्या है?
अधिकतम गतिज ऊर्जा Kmax=hf−ϕ
जहाँ –
kmax= अधिकतम गतिज ऊर्जा
ϕ=धातु का कार्य फलन जो धातु की प्रकृति पर निर्भर करता है
प्रकाश विद्युत प्रभाव का उदाहरण क्या है?
प्रकाश विद्युत प्रभाव का सबसे अच्छा उदाहरण सिलिकॉन सोलर सेल होता है जिसमें सिलिकॉन के सतह पर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर सिलिकॉन के मुक्त इलेक्ट्रॉन निकालकर परिपथ में धारा प्रवाहित कर बैट्रींयों में सौर ऊर्जा को भंडारीत किया जाता है
फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव का सिद्धांत क्या है?
विद्युत प्रभाव का सिद्धांत प्रकाश की उचित आवृत्ति वाली किरणों द्वारा धातु के मुक्त इलेक्ट्रॉनों को निकाल कर मुक्त परिवेश में लाने अर्थात प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन पर आधारित है
प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रायोगिक अध्ययन-
समीकरण Kmax=hf−ϕ की व्याख्या मे kmax का प्रकाश की आवृति (v)से सरल रेखीय सम्बन्ध होता है और किरण की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती ऐसा इसीलिए क्योंकि आइंस्टीन ने अपने प्रयोगों में सिंगल इलेक्ट्रॉन द्वारा प्रकाश के एक क्वांटा को अवशोषित करने की बात कही जो कि व्यावहारिक नहीं है क्योंकि ऐसा संभव नहीं की आकाश किरण में प्रकाश का एक ही क्वांटा उपलब्ध हो
अधिकतम गतिज ऊर्जा k मैक्सिमम का मान कभी ऋणात्मक नहीं हो सकता प्रकाश विद्युत का उत्पादन तभी संभव है जब V >V0 (जहाँ V प्रकाश की आवृति और V0 देहली आवृति है )यानि यदि प्रकाश की आवृति देहली आवृति से कम हुई तो किसी भी फोटो इलेक्ट्रान का उत्सर्जन संभव नहीं चाहे विकिरण की तीव्रता चाहे जो हो और वह कितने भी समय तक सतह पर पड़ता रहे
V>V0 की शर्त को पूरा करने पर इकाई समय और इकाई क्षेत्रफल मे उपलब्ध प्रकाश के क्वांटा की संख्या प्रकाश विद्युत धारा की तीव्रता के सीधे समानुपाती होते हैं
यह एक तत्काल होने वाली घटना है कम तीव्रता वाले प्रकाश मे प्रकाश इलेक्ट्रान का उत्सर्जन देर से और ज्यादा तीव्रता के प्रकाश मे शीघ्रता से हो ऐसा संभव नहीं हो सकता है प्रकाश विद्युत का परिमाण मूल प्रक्रिया( एक इलेक्ट्रॉन द्वारा प्रकाश के एक क्वांटा को अवशोषित करने)के लिए उपलब्ध इलेक्ट्रान पर निर्भर करता है अतः हम कह सकते है की आइंस्टीन ने ही प्रकाश विद्युत प्रभाव की सबसे सटीक व्याख्या की थी
प्रयोगो के आधार पर प्रकाश विद्युत प्रभाव( Photoelectric effect) के नियम क्या है
- a)यह तभी दिखाई पड़ता है जब लाइट की आवृति एक निश्चित आवृति से ज्यादा हो
- b)उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रान की गतिज ऊर्जा प्रकाश की आवृति पर निर्भर करता है ना की प्रकाश की तीव्रता पर
- c) प्रकाश की आवृति निश्चित से ज्यादा हो तो प्रकाश की तीव्रता पर भी विचार किया जा सकता है
- d)जब f आवृति का प्रकाश धातु की सतह से टकराता है तब इलेक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा को निन्म सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है इसी समीकरण से प्रकाश विद्युत प्रभाव की सारी कार्य विधि को समझा जा सकता है. Kmax=hf−ϕ
जहाँ ϕ धातु की एक प्रॉपर्टी है जिसको कार्य फलन कहते है
FAQ
प्रश्न -प्रकाश विद्युत प्रभाव के उपयोग कहाँ किया जा सकता है
उत्तर – प्रकाश विद्युत प्रभाव का उपयोग करके सोलर पैनल मैं सिलिकॉन सेमीकंडक्टर का उपयोग करके सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन किया जा सकता है
प्रश्न -फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट में अधिकतम गतिज ऊर्जा क्यों होती है
उत्तर- फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट का मूल कारण प्रकाश क्वांटा से ऊर्जा प्राप्त कर धातु के मुक्त इलेक्ट्रोनिक का मुक्त परिवेश में आ जाना होता है अतः हम कह सकते हैं कि अधिकतम गतिज ऊर्जा का कारण किसी खास समय में उपलबध मुक्त इलेक्ट्रॉन और प्रकाश की आवृत्ति के कारण होता है जैसा की ऊपर बताया जा चूका है कि अधिकतम गतिज ऊर्जा का मान देहली आवृत्ति के सीधे समानुपाती होता है
प्रश्न – क्या लाल प्रकाश के साथ फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट को हमेशा देखना संभव है
उत्तर -यह प्रकाश कि तीव्रता पर निर्भर करता है अतः कम फैलने वाले लाल प्रकाश मे इसको हमेशा देखा जा सकता है क्यू कि लाल प्रकाश कि ऊर्जा अधिक होती है
प्रश्न – प्रकाश विद्युत प्रभाव ने दुनिया को कैसे बदल दिया
उत्तर – सौर पेनल कि मदद से बिजली उत्पादन ने दुनिया को ऊर्जा के एक नई विकल्प को सामने रखा है