तरंग क्या है
तरंगों द्वारा ऊर्जा का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है, जिसमें कुछ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है कुछ के लिए नहीं।
तरंगों कितने प्रकार के होते हैं
तरंगे 5 आधार पर वर्गीकृत की जा सकती है –
1. माध्यम के आधार पर
2. ऊर्जा संचरण के आधार पर
3. विमीय आधार पर
4. कणों के आधार पर
5. आवृत्ति के आधार पर
1. माध्यम के आधार पर
(A) यांत्रिक तरंग (Mechanical Waves)
शांत नदी या तालाब के जल में ईंट फेंके जाने से उत्पन्न होने वाले विक्षोभ को यांत्रिक तरंग कहते हैं। यांत्रिक तरंगों के किसी माध्यम से संचरण के लिए यह आवश्यक हैकि माध्यम में प्रत्यास्थता या जड़त्व के गुण मौजूद हों।
(B) अयांत्रिक तरणे या विद्युत चुंबकीय तरंग (Non-Mechanical Wave or Electromagnetic Wave)
वैसी तरंगे जिसके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अर्थात् तरंगें निर्वात् में भी संचरित हो सकती है, उन्हें विद्युत् चुम्बकीय या अयांत्रिक तरंग कहते है। सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है। सभी विद्युत-चुम्बकीय तरंगे फोटॉन की बनी होती है। प्रकाश तरंग, ऊष्मीय विकिरण, एक्स किरणे (X-rays), रेडियो तरंगे विद्युत चुम्बकीय तरंग के उदाहरण है।विद्युत चुम्बकीय तरंगों का तरंगदैर्ध्य परिसर 10-14 मी. से लेकर 10-4मी. तक होता है।
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण :
(i) यह उदासीन होती है।
(ii) यह अनुप्रस्थ होती है।
(iii) यह प्रकाश के वेग से गमन करती है।
(iv) इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होता है।
(v) इसकी अवधारणा मैक्सवेल द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum)
सूर्य के प्रकाश स्पेक्ट्रम के लाल से बैंगनी रंग दिखाई पड़ते हैं। स्पेक्ट्रम को दृश्य स्पेक्ट्रम कहते हैं। लाल रंग के ऊपर की तरंग धैर्य वाले भाग को अवरक्त स्पेक्ट्रम तथा बैगनी रंग से नीचे छोटे तकदीर वाले भाग को पराबैगनी स्पेक्ट्रम कहते हैं सभी विकिरण विद्युत चुंबकीय तरंग है
पराबैंगनी तरंगें (Ultraviolet Waves)
ये तरंगें सूर्य के प्रकाश विद्युत विसर्जन, निर्वात् स्पार्क आदि से उत्पन्न होती है
दृश्य विकिरण (Visible Radiation) ये विकिरण ताप दीप्त वस्तुओं से उत्पन्न होती हैं।
अवरक्त विकिरण (Infrared rays) ये तरंगें पदार्थों को उच्च ताप पर गर्म करने पर निकलती है। इन विकिरणों की वेधन शक्ति अधिक होने के कारण ये घने कोहरे व धुन्ध से पार निकल जाती है। अस्पताल में रोगियों को सेंकने में व कोहरे में फोटोग्राफी में इसका उपयोग होता है।
2. ऊर्जा संचरण के आधार पर
(अ).प्रगामी तरंग (Progressive Wave)
जिस तरंग गति से संचार की दिशा में लम्बवत् स्थित प्रति एकांकर से कर्जा का एक निश्चित परिमाण लगातार प्रवाहित होता है, उसे प्रगामी रंग कहते हैं।
(ब) अप्रगामी तरंग (Stationary Wave)
विपरीत दिशा में संचरित दो सरल हामोनिक तरंगों (प्रगामी) के अध्यारपेण से जो परिणामी तरंग मिलता है, उसे अप्रगामी तरंग कहते हैं।
3. विमीय आधार पर
(अ) एक विमीय तरंग :
जब तरंग किसी दिशा या विमा में गति करती है या एक सरल रेखा के रूप में गति करती है तो इस प्रकार की तरंगो को एक विमीय तरंग कहते है। उदाहरण – सीधी बंधी हुई रस्सी में उत्पन्न तरंग।
(ब) द्विविमीय तरंग :
जब कोई तरंग दो विमाओं में गतिशील हो या दूसरे शब्दों में कह सकते है की तरंग किसी तल में गति करती है तो उन तरंगो को द्वि विमीय तरंग कहते है। उदाहरण : जल की सतह पर उत्पन्न तरंग आदि।
(स) त्रिविमीय तरंग :
जब कोई तरंग तीनों विमाओं में गतिशील रहती है अर्थात स्वतंत्र आकाश में तीन दिशाओ में गति करती है तो इस प्रकार की तरंगो को त्रि विमीय तरंग कहते है। उदाहरण – रेडियो तरंग।
4. कणों के आधार पर
(i) अनुप्रस्थ तरंग (Transverse Waves)
जिस यांत्रिक तरंगों के संचरित होने पर माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा में लम्बवत् कम्पन करती है, अनुप्रस्थ तरंग कहलाती है। अनुप्रस्थ तरंगें केवल ठोस में उत्पन्न की जा सकती हैं; द्रवों के भीतर ये तरंगें उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं।यह केवल द्रव के सतह पर उत्पन्न की जा सकती हैं।गैस में अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न नहीं की जा सकती। पानी की सतह पर उत्पन्न तरंगें प्रकाश तरंगें आदि अनुप्रस्थ तरंग के उदाहरण हैं।
(ii) अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal Wave)
यदि माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा में अपने माध्य स्थिति पर आगे-पीछे दोलन करते हैं, तो उत्पन्न ऐसी तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। जैसे-ध्वनि तरंग।
संपीडन वाले स्थानों पर माध्यम के कण पास-पास होते हैं जिससे इन स्थानों पर माध्यम का दाब व घनत्व समान अवस्था से अधिक होता है। जबकि विरलन वाले स्थानों पर माध्यम के कण दूर-दूर होते हैं जिससे इन स्थानों पर माध्यम का दाब व घनत्व न्यूनतम होता है।अनुदैर्ध्य तरंगें सभी माध्यमों (ठोस, द्रव, गैसें) में उत्पन्न की जा सकती है। वायु में ध्वनि तरंग, भूकम्प तरंग तथा स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें भी अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।
स्पंद (Pulses)
यदि माध्यम में उत्पन्न विक्षोभ उसक माध्यम के बहुत छोटे भाग में बहुत कम समय के लिए रहता है, तो ऐसे विक्षोभ को स्पंद कहते हैं। यह अल्पकालिक होता है।
आवर्ती तरंग (Periodic Wave)
दीर्घकालिक लगातार तरंगों को आवर्ती तरंग कहते हैं।
5. आवृत्ति के आधार पर
ध्वनि तरंगों को उसके आवृत्ति परिसर के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic Waves)
20Hz से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों के अवश्रव्य तरंगें कहते हैं। इसे हमारा कान सुन नहीं सकता है। इस प्रकार की तरंगों को बहुत बड़े आकार के स्रोतों से उत्पन्न किया जा सकता है। भूकम्प के समय धरती के अन्दर उत्पन्न तरंगें तथा मनुष्य के हृदय में उत्पन्न तरंगें अवश्रव्य तरंगों के उराहरण हैं।
(ii) श्रव्य तरंगें (Audible Waves)
20 Hz से 20000 Hz के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को श्रव्य तरंगें कहते हैं। इन तरंगों को मनुष्य द्वारा सुना जा सकता है।
(iii) पराश्रव्य तरंगों (Ultrasonic Waves)
20000 Hz से ऊपर की तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है। इसे मनुष्य नहीं सुन सकता है, लेकिन इसे कुछ जानवर जैसे-कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि इसे सुन सकता है। इन तरंगों को गाल्टन की सीटी के द्वारा तथा दाब वैद्युत प्रभाव की विधि द्वारा क्वार्ट्ज के क्रिस्टल के कम्पनों से उत्पन्न करते हैं।
इन तरंगों में आवृत्ति बहुत ऊँची होने के कारण इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। साथ ही इसका तरंगदैर्ध्य छोटा होने के कारण इसे एक पतले किरण पुंज के रूप में बहुत दूर तक भेजा जा सकता है।पराश्रव्य तरंगों की वायु में तरंगदैर्ध्य 1.6 सेमी. से कम होती है। चमगादड़ की क्षमता 1 लाख Hz तक की आवृत्ति वाले पराश्रव्य तरंगों को सुनने की होती है।
पराश्रव्य तरंगों का उपयोग समुद्र की गहराई नापने, कल-कारखानों से से कालिख हटाने, रुधिर-रहित ऑपरेशन, ट्यूमर का पता लगाने तथा दाँत निकालने में होता है।
तरंग के गुण
किसी तरंग का गुण उसके इन मानकों द्वारा निर्धारित किया जाता है
1.आवृत्ति (frequency)
माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या उस तरंग की आवृत्ति कहलाती है या एकांक समय में किए गए दोलन की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।इसे f या n से सूचित किया जाता है।इसका मात्रक हर्ट्ज (Hz) होता है।जहाँ 1Hz = 1 कम्पन/सेकण्ड होता है।
2.आयाम (Amplitude)
तरंग-गति में माध्यम के कणों का माध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन को तरंग का आयाम कहते हैं। इसका SI मात्रक मीटर होता है। कण का आयाम साधारणतः 10/9 मीटर होता है।
3.आवर्तकाल (Time Period)
माध्यम का कम्पन करता हुआ कोई एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लेता है, उसे आवर्तकाल कहते हैं। इसे प्रायः ‘T’ से सूचित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड होता है। यदि कण की आवृत्ति एवं आवर्तकाल क्रमशः n तथा T हो, तो
nT =1
4.तरंगदैर्ध्य (Wavelength)
दो समीपवर्ती शृंगों (Crest) या गर्तों (Trough) के बीच की दूरी अथवा दो समीपवर्ती संपीड़नों या विरलनों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं।पुनः एक आवर्तकाल में किसी तरंग द्वारा तय की गई दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं।तरंगदैर्ध्य को लेम्डा द्वारा सूचित किया जाता है तथा इसे ऐंग्स्ट्रम (A) में मापा जाता है।
तरंग वेग (Wave Velocity) – माध्यम के कण द्वारा एक सेकण्ड में तय की गई दूरी को उसका तरंग चाल कहते हैं। इसका मात्रक/सेकण्ड है तथा इसे प्रायः ‘v’ से सूचित किया जाता है।
स्वतंत्र कम्पन (Free Vibration)-वस्तु को एक बार कम्पित कर छोड़ देने पर स्वतः कम्पन करती है। वस्तु के ऐसे कम्पन को स्वतंत्र कम्पन और उसकी आवृत्ति को प्राकृतिक आवृत्ति कहते हैं।
Ex.: सरल लोलक का कम्पन
कालांतर (Phave differenes) – एक राग पूसरी रंग की अपेक्षा कितना आगे या पीछे अथवा एक तग पूसरी कितने समय से आगे है इसकी जानकारी कालान्तर से होती है
ध्वनि तरंग (Sound Waves)
ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है, जो कानों में सुनने की संवेदना उत्पन्न करता है। ध्वनि वस्तुओं के कम्पन से उत्पन्न होती है और किसी माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंग के रूप में गमन करती है। एक तरंग की लम्बाई एक कम्पन के फलस्वरूप माध्यम में विक्षोभ जितनी दूरी चलता है, वह दूरी तरंग लम्बाई (Waves Length) कहलाती है। अलग-अलग मनुष्यों के लिए ध्वनि परिसर अलग-अलग होती है।
तरंग गति (Water Motion) – विक्षोभ के संचरण को तरंग-गति कहते हैं।
तरंग-गति के अभिलक्षण (Characteristics of Wave Motion)-
(i) तरंगें कणों के आवर्ती कम्पन द्वारा उत्पन्न होती है।
(ii) तरंग-गति में सिर्फ ऊर्जा का स्थानांतरण होता है और
माध्यम के कण सिर्फ अपनी माध्य स्थित के इर्द-गिर्द दोलन करते हैं।
(iii) माध्यम में ऊर्जा का स्थानांतरण एक नियत वेग से होता है, जो माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है।