जैन समुदाय के लोग सबसे ज्यादा अमीर क्यों होते हैं कहानी के माध्यम से | through story why jain community people are richest in Hindi

जैन समुदाय के लोग सबसे ज्यादा अमीर क्यों होते हैं कहानी के माध्यम से


 पिछले कुछ दिनों से दीपू के घर में आने वाले दीपावली के त्योहार के कारण बहुत अधिक व्यस्तता रहती है  सभी लोग दीपावली की तैयारियों में व्यस्त थे दीपू अपनी दादी रेवती  के पास अक्सर बैठा करता था घर के सभी लोगों को इतनी लगन से काम करता देख दीपू के मन में अक्सर एक ख्याल आता की दीपावली के त्यौहार में ऐसा खास क्या है?


 बहुत सोच विचार कर 1 दिन दीपू ने अपनी दादी से पूछ ही लिया कि लोग दीपावली के त्यौहार को इतना महत्व क्यों देते हैं दादी दीपू के इस नादान सवाल को सुनकर अचानक मुस्कुरा उठी दीपू भी अपनी सारी एकाग्रता से दादी के चेहरे के भाव भंगिमा को देख रहा था दादी ने कुछ देर भूमिका बांधते हुए दीपावली से संबंधित बहुत सी लोक कथाएं, दंत कथाएं दीपू को सुनाना  प्रारंभ किया दादी एक-एक कर बहुत सी कहानियां सुनाने लगी क्योंकि दीपू जैन समुदाय से था तो दीपू ने जैन समुदाय से जुड़ी कहानियां सुनना चाहा अभी दादी ने कहा दीपू थोड़ा धैर्य रखो मैं तुम्हें जैन समाज से जुड़ी कथाएं भी सुनाती हूं अब तो दीपू की रुचि कहानी मैं और बढ़ गई


 दादी ने कहानी सुनाना शुरू किया एक समय की बात है दीपावली की रात को भगवान श्री हरि विष्णु और माता महालक्ष्मी वैकुंठ में बैठे धरती पर होने वाले घटनाक्रम को देख रहे थे तभी महालक्ष्मी जी ने श्री हरि विष्णु से कहा हे प्राणनाथ आज दीपावली का शुभ अवसर है और कार्तिक मास की अमावस्या भी है शो मे धरती लोक पर अपने भक्तों की खोज खबर लेने जाना चाहती हूं तब श्री हरि विष्णु भगवान ने महालक्ष्मी जी को जाने की आज्ञा दे दी पलक झपकते ही माता महालक्ष्मी बैकुंठ से धरती पर एक नदी के किनारे आ पहुंची


 माता श्री महालक्ष्मी ने यह सोचा कि अपने भक्तों की परीक्षा ली जाए इसी भावना से वह नदी के किनारे खड़ी हो गई तभी एक ब्राह्मण वहां पर अपनी पूजा के निमित्त स्नान करने आया माता श्री महालक्ष्मी ने ब्राह्मण को रोक कर कहा- ओ!ब्राह्मण देवता आप कहां जा रहे हैं? तब ब्राह्मण ने कहा आप कौन है देवी आपको पहचाना नहीं तब माता लक्ष्मी ने कहा मैं वैकुंठ निवासिनी महालक्ष्मी हूं ब्राह्मण ने कहा मैं तो अभी अस्वच्छ  हूं शो मैं आपके लिए कुछ नहीं कर सकता इतना कहकर ब्राह्मण वहां से चल दिया


 माता महालक्ष्मी ने सोचा यह तो बड़ा ही मूर्ख का आदमी है सभी लोग मेरे पीछे भागते हैं और यह मुझे ही ठुकरा कर जा रहा है शो जैसा जिसका भाग्य यह सोच कर माता महालक्ष्मी आगे बढ़ गई तभी उन्हें एक जैन समुदाय का आदमी मिला माता महालक्ष्मी ने सोचा चलो इसकी भी परीक्षा ली जाए माता ने उसे रोका और कहां मैं वैकुंठ निवासिनी महालक्ष्मी हूं तभी जैन समुदाय के व्यक्ति ने अपने दिमाग का उपयोग किया और कहां आप महालक्ष्मी हैं आप तो धन की देवी हैं भला इस नदी तट पर मैं आपकी आवाभगत कैसे कर सकता हूं


 आप कृपा कर मेरे घर पधारे अभी महालक्ष्मी जी जैन बंधु के पीछे पीछे उसके घर की ओर चल पड़ी जैन बंधु ने अपने घर से एक चौकी निकाल उसे साफ किया और एक कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्मी को बैठा दिया और निवेदन किया मेरे घर तो कुछ भी नहीं है जिससेआपका स्वागत कर सकूं यदि आप थोड़ा इंतजार करें तो मैं बाजार से कुछ सामग्री लेकर आता हूं परंतु माता महालक्ष्मी ने कहा कि यदि आप मुझे छोड़कर जाएंगे तो मैं फिर कभी नहीं मिलूंगी जैन बंधु ने विनय भाव के साथ प्रार्थना की और माता से कहा आप मुझे एक वादा कीजिए तक मैं पूजन सामग्री लेकर घर नहीं आ जाता आप इसी चौकी पर बैठे रहिएगा माता ने प्रसन्न होकर कहा जाओ  तो जैन बंधु ने सोचा माता महालक्ष्मी वचन में बंधी हुई है वह तो कहीं नहीं जाएगी ऐसा सोच कर वहां बाजार के लिए निकल गया प्रचलित कथा के अनुसार वह जैन बंधु आज तक पूजन सामग्री लेकर बाजार से नहीं लौटा और माता महालक्ष्मी आज भी जैन समुदाय के लोगों के घर आदमी का इंतजार कर रही है इसीलिए जैनों के ऊपर माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती ही है 


कहानी सीख

दादी ने दीपू से पूछा किस कहानी से तुम्हें क्या सीख मिलती है दीपू ने कहा कि जो व्यक्ति अपने जीवन मे सही मौक़े और अपने धन का सही उपयोग नहीं कर पाता है वह कभी भी सफल और धनवान नहीं हो सकता है


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