ऊष्मा (Heat) क्या है
ऊष्मा (Heat) ऊर्जा का एक रूप है, जिसकी उत्पत्ति किसी पदार्थ में अणुओं के कपन से होती है। दूसरे शब्दों में, गर्माहट या ठंढ़ेपन की संवेदना उत्पन्न करनेवाले भौतिक कारक को ऊष्मा कहते हैं। जब कभी कार्य ऊष्मा में बदलता है या ऊष्मा, कार्य में तो किये गये कार्य व उत्पन्न ऊष्मा का अनुपात एक स्थिरांक होता है, जिसे ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent) कहते हैं।इसे ‘J’ से सूचित किया जाता है।
ऊष्मा के प्रभाव क्या होते हैं
- भौतिक परिवर्तन (Physical changes)-किसी वस्तु पर ऊष्मा के प्रभाव से उसकी भौतिकी संरचना यथा रंग-रूप, आयतन, ताप एवं अवस्था आदि में परिवर्तन होते हैं। जैसे-
- ताप में परिवर्तन : साधारणतः सभी वस्तुओं को गर्म करने पर उनका तापमान बढ़ता है।
- आयतन में परिवर्तन : साधारणतया प्रत्येक वस्तु में ऊष्मा परिवर्तन से उसके आयतन में परिवर्तन होता है। साधारणत: ऊष्मा की मात्रा बढ़ने से उसका आयतन बढ़ता है।
- अवस्था में परिवर्तन : पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती है-ठोस (Solid), द्रव (Liquid) तथा गैस (Gas)। ये अवस्थाएँ तापमान में परिवर्तन के कारण होती है और तापमान में परिवर्तन ऊष्मा के कारण होती है।
- अन्य परिवर्तन : गर्म करने पर पदार्थ के रंग-रूप, पदार्थ का विद्युत-प्रतिरोध, विलायक की विलयन क्षमता आदि में परिवर्तन हो जाता है।
- रासायनिक परिवर्तन : पदार्थ को गर्म करने पर कुछ स्थायी परिवर्तन भी होते हैं, जैसे-पोटाशियम क्लोरेट एवं मैंगनीजडाइऑक्साइड के मिश्रण को गर्म होने से ऑक्सीजन गैस मुक्त होकर बाहर निकलती है।यदि W कार्य करने से उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा Q हो, तो
ऊष्मा के मात्रक (Units of Heat)
ऊष्मा का SI मात्रक जूल (Joule) होता है तो ऊर्जा का भी SI मात्रक है।
इसके अलावा ऊष्मा के विभिन्न मात्रक हैं-
(a) कैलोरी (Calorie)
एक ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को कैलोरी कहते हैं।
(b) अंतर्राष्ट्रीय कैलोरी
एक ग्राम पानी का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को अंतर्राष्ट्रीय कैलोरी कहते हैं।
इसी प्रकार एक किग्रा पानी का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को किलो-कैलोरी कहते हैं।
(c) ब्रिटिश थर्मल यूनिट
1 पौंड पानी का ताप 1⁰फारेनहाइट बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को B.Th.U. कहते हैं।
B.Th.U. = 252 कैलोरी, 1 कैलोरी = 4.18 जूल
1 किलो कैलोरी = 4.18×10³ जूल या 1000 कैलोरी
ताप क्या है (Temperature)
ताप वह भौतिक कारक है, जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में उभीय ऊर्जा का प्रवाह की दिशा निश्चित करता है। अतः जिस कारण से ऊर्जा स्थानांतरण होती है, उसे ताप कहते हैं।
ताप मापने वाले यंत्र को थर्मामीटर (Thermometer) कहा जाता है।
उष्मा गति का शून्यवा नियम
दो निकाय जो एक तीसरे निकाय के साथ तापीय संतुलन में है, एक-दूसरे से तापीय संतुलन में आवश्यक होंगे
तापमापी (THERMOMETER) क्या है
ताप मापने वाले यंत्र को ‘तापमापी (Thermometer)’ कहते हैं।ताप मापने के लिए पदार्थ के किसी ऐसे गुण का प्रयोग किया जाता है,तो ताप पर निर्भर करता है, जैसे-द्रव के आयतन में प्रसार पदार्थ के विद्युत प्रतिरोध में परिवर्तन आदि।
तापमापी कई प्रकार के होते हैं-
1. द्रव तापमापी (Liquid Thermometer)
पारा तापमापी लगभग -30°C से 350°C तक के ताप मापने के लिए प्रयुक्त होता है। इस तापमापी में पारा कांच में रखा जाता है। इसका प्रयोग द्रवों के तापमान में प्रयोग किया जाता है।
2. गैस तापमापी (Gas Thermometer)
इसका उपयोग गैसों के ताप मापन में किया जाता है। इस प्रकार के तापमापियों में स्थिर आयतन हाइड्रोजन गैस तापमापी से 500°C तक के ताप को मापा जा सकता है। हाइड्रोजन की जगह नाइट्रोजन गैस लेने पर 1500°C तक के ताप का मापन किया जा सकता है।
3. प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी (Platinum Resistance Thermometer
ताप बढ़ने से धातु के तार के विद्युत प्रतिरोध में परिवर्तन होता है। इसी सिद्धांत पर प्लैटिनम प्रतिरोध तापमापी बनाया जाता है। इसके द्वारा 200°C से 1200°C तक के ताप को मापा जाता है।
4. ताप-युग्म तापमापी (Thermo-couple Thermometer)
तापयुग्म तापमापी सीबेक के प्रभाव पर आधारित है। इसका उपयोग -200°C से 1600°C तक तापों के मापन क लिए किया जाता है।
5.पूर्ण विकिरण उतापमापी (Total Radiation Pyrometer)
इस तापमापी में तापमापी को वस्तु के संपर्क में नहीं रखना पड़ता है। अतः दूर की वस्तुओं जैसे सूर्य आदि का ताप इसी प्रकार के तापमापी द्वारा मापा जाता है। इसके द्वारा प्राय: 500°C से ऊँचे ताप ही मापे जाते हैं, इससे नीचे का ताप नहीं। क्योंकि इससे कम ताप की वस्तुएँ उष्मीय विकिरण उत्सर्जित नहीं करती हैं।
यह तापमापी स्टीफेन के नियम पर आधारित है, जिसके अनुसार उच्च ताप पर किसी वस्तु से उत्सर्जित विकिरण की मात्रा इसके परमताप के चतुर्थ घात के अनुक्रमानुपाती होती है।
तापीय संतुलन (Thermal Equilibrium)–
यदि दो वस्तुएँ एक- -दूसरे के संपर्क में रहती हैं और उनके बीच ऊष्मा का प्रवाह नहीं होता है, तो ऐसी अवस्था को तापीय संतुलन कहते हैं।
संतुलन ताप (Equilibrium temperature)
दो भिन्न ताप वाली वस्तुओं को सम्पर्क में रखने से जिस ताप पर उनके बीच ऊष्मा का प्रवाह शून्य हो जाता है, उस ताप को संतुलन ताप कहते हैं।
ऊष्माधारिता (Heat Capacity)
किसी वस्तु का ताप 1°C या 1K बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ऊष्मा धारिता कहते हैं।इसका SI मात्रक J/K या J/°C होता है।
विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat)
किसी पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा, ऊष्मा की वह मात्रा हैं, जो उस पदार्थ के एकांक द्रव्यमान में एकांक ताप वृद्धि उत्पन्न करती है। इसे प्रायः ‘C’ द्वारा व्यक्त किया जाता है। एक ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए एक कैलोरी ऊष्मा की आवश्यकता होती है। अतः जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता एक कैलोरी/ग्राम °C होता है। जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता अन्य पदार्थों की तुलना में सबसे अधिक है।
ऊष्मा का संचरण कितने प्रकार के होते हैं
तापान्तर के कारण पदार्थों में ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण होता है, जो ऊँचे ताप की वस्तु से नीचे ताप की वस्तु की ओर जाती हैइसकी तीन विधि है-
- चालन (Conduction) : ऊष्मा का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक अणुओं के बिना संचरण के होता है।ठोस में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा ही होता है। इसमें सिरे के पास स्थिर अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा बढ़ती है, जिसके कारण इन अणुओं के कंपन आयाम में वृद्धि होती है।
- संवहन (Convection)- इसमें ऊष्मा का संचरण पदार्थ के कणों के स्थानांतरण के द्वारा होता है। इसमें पदार्थों के कणों के स्थानांतरण से धाराएँ बहती हैं, जिसे संवहन धाराएँ कहते हैं। गैस एवं द्रव में ऊष्मा का संचरण संवहन विधि द्वारा होता है। वायुमंडल संवहन विधि द्वारा ही गरम होता है। ठोसों के कण चूँकि अपना स्थान नहीं छोड़ते हैं, अत: उसे इस विधि द्वारा गरम नहीं किया जा सकता।
- विकिरण (Radiation) इस विधि में ऊष्मा, गरम वस्तु से ठण्डी वस्तु की ओर बिना किसी माध्यम की सहायता के तथा बिना माध्यम को गरम किए प्रकाश की चाल से सीधी रेखा में संचरित होती है विकीर्ण ऊर्जा वस्तुतः विद्युत चुम्बकीय तरंग है। इसके तरंगदैर्ध्य का परिसर (range) 10³m से 7.8x 10⁷m है।
ऊष्मा संरचरण का दैनिक जीवन में उपयोग
- एस्किमो लोग बर्फ की दोहरी दीवारों के मकान में रहते हैं – इसका कारण यह है कि बर्फ की दोहरी दीवारों के मध्य हवा की परत होती है जो ऊष्मा का कुचालक होती है, जिससे अन्दर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती है, फलस्वरूप कमरे का ताप बाहर की अपेक्षा अधिक बना रहता है।
- शीत ऋतु में लकड़ी एवं लोहे की कुर्सियाँ एक ही ताप पर होती हैं, परन्तु लोहे की कुर्सी छूने पर लकड़ी की अपेक्षा अधिक ठण्र्डी लगती है-शीत ऋतु में शरीर का ताप कमरे के ताप से अधिक होता है। लोहा ऊष्मा का सुचालक और लकड़ी ऊष्मा का कुचालक होता है। अतः जब हम लोहे की कुर्सी को छूते हैं, तो हमारे हाथ से ऊष्मा तापान्तर के कारण लोहे की कुर्सी में शीघ्रता से प्रवाहित होने लगती है। जबकि लकड़ी की कुर्सी में ऐसा नहीं होता। इसलिए लोहे की कुर्सी छूने पर लकड़ी की अपेक्षा अधिक ठण्डी लगती है।
- धातु के प्याले में चाय पीना कठिन है, जबकि चीनी मिट्टी के प्याले में चाय पीना आसान है-धातु ऊष्मा का सुचालक होता है, इसके कारण चाय की ऊष्मा से धातु के प्याले गर्म हो जाते हैं, जिससे होठ जलने लगते हैं और चाय पीना कठिन हो जाता है। चीनी मिट्टी का ऊष्मा का कुचालक होने के कारण ऐसा नहीं होता है।
दैनिक जीवन में संवहन से संबंधित उपयोग-
- समुद्री हवाएँ (Sea Breeze) तथा स्थली हवाएँ (Land Breeze)-दिन के समय सूर्य की गर्मी से जल की अपेक्षा स्थल जल्दी गर्म हो जाता है, जिससे स्थल की ओर बहने लगती हैं। इन हवाओं को समुद्री हवाएँ कहते हैं। रात में स्थल, जल की अपेक्षा जल्दी ठण्डा हो जाता है। इसलिए समुद्र के जल के सम्पर्क से गर्म हवाएँ ऊपर उठती हैं तथा इनका स्थान लेने के लिए स्थल से समुद्र की ओर हवाएँ चलने लगती हैं, इन्हें स्थलीय हवाएँ कहते हैं।
- रेफ्रिजरेटर से फ्रीजर पेटिका को ऊपर रखा जाता है- इसका कारण यह है कि नीचे की गरम वायु हल्की होने के कारण ऊपर उठती है तथा फ्रीजर पेटिका से टकराकर ठण्डी हो जाती है। ऊपर की ठण्डी वायु भारी होने क कारण नीचे आती है तथा रेफ्रिजरेटर में रखी वस्तुओं को ठण्डा कर देती है।
- बिजली के बल्बों में निष्क्रिय गैसों का भरा जाना—बिजली के बल्बों में निर्यात् के स्थान पर निष्क्रिय गैस (जैसे आर्गन) भरी जाती हैं। इसका कारण यह है कि बल्ब में निष्क्रिय गैस भरने से तन्तु की ऊष्मा संवहन धाराओं द्वारा चारों ओर फैल जाती है, जिससे तन्तु का ताप उसके गलनांक तक नहीं बढ़ पाता है। ऐसा नहीं करने पर बल्ब का ताप तन्तु के गलनांक तक बढ़ जाएगा जिससे तन्तु पिघल जाएगी।
दैनिक जीवन में विकिरण से संबंधित उपयोग-
- बादलों वाली रात, स्वता आकाश वाली रात की अपेक्षा गरम होती है- स्वच्छ आकाश वाली रात में पृथ्वी द्वारा छोड़ी गयी विकिरण की उष्मा आकाश की ओर चली जाती है। बादल ऊष्मा के कुचालक होतेहै अतः बादलों वाली रात में पृथ्वी द्वारा छोड़ी गयी विकिरण की ऊष्मा आकाश की ओर जाने के बजाय पृथ्वी की ओर लौट जाती है, जिससे पृथ्वी गरम बनी रहती है।
- रेगिस्तान दिन में बहुत गरम तथा रात में बहुत ठण्डे हो जाते हैं– रेत ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है और हम जानते हैं कि ऊष्मा का अच्छा अवशोषक ही ऊष्मा का अच्छा उत्सर्जक होता है। अत: दिन में सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित करके रेत गर्म हो जाती है वही रात में वह अपनी ऊष्मा को विकिरण द्वारा खोकर ठण्डी हो जाती है।
- पोलिश किए हुए जूते धूप से शीघ्र गरम नहीं होते क्योंकि वे अपने ऊपर गिरने वाली ऊष्मा का अधिकांश भाग परावर्तित कर देते हैं।
* गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) क्या है
अचर ताप पर पदार्थ के प्रति एकांक द्रव्यमान द्वारा अवस्था परिवर्तन के लिए ली जाने वाली या छोड़ी जाने वाली ऊष्मा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे प्रायः ‘L द्वारा सूचित किया जाता है। इसका मात्रक जूल/kg होता है।
*गलन की गुप्त ऊष्मा (Laent Heat of Fusion)
नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे L द्वारा सूचित किया जाता है।
* बर्फ के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा का मान 80 कैलोरी/ग्राम होता है।
* यदि m द्रव्यमान का ठोस गलनांक पर हो और उस स्थिति में उसे द्रव में पूर्णत बदलने के लिए Q ऊष्मा देनी पड़ी हो तो उसके गलने की
* बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा = 3.34 x 10⁵J/kg या 80 cal/gm-1
वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा (Latent heat of Vaporisation)–
नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के द्रव-अवस्था से वाष्प-अवस्था में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे Lद्वारा सूचित किया जाता है।
* जल के लिए वाष्पन की गुप्त ऊष्मा का मान 5.40 कैलोरी/ग्राम है।
* गुप्त ऊष्मा का SI मात्रक जूल/kg है।
* उबलते जल की अपेक्षा भाप से जलने पर अधिक कष्ट होता है, क्योंकि जल की अपेक्षा भाप की गुप्त ऊष्मा अधिक होती है।
* 0°C पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक-शोरा मिलाने से बर्फ का गलनांक 0°C से घटकर – 22°C तक कम हो जाता है। ऐस मिश्रण को हिम-मिश्रण कहते हैं।
* इस मिश्रण का उपयोग कुल्फी, आइसक्रीम आदि बनाने में किया जाता है।
* यदि क्वथनांक पर किसी द्रव के m द्रव्यमान को गैस में पूर्णत: बदलने के लिए Q ऊष्मा देनी पड़ती है तो इसके वाष्पन की गुप्त ऊष्मा
L=Q/M
इसकी विमा [L²T²] है।
* इसका SI मात्रक Jkg-1 है जिसे cal kg-1 या cal gm-1 में भी व्यक्त करते हैं।
* पानी के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 2.26 x 10⁶ Jkg-1 या 540 cal ɡm¹ होती है
* ठोसकरण की गुप्त ऊष्मा (Latent heat of Treezing)
नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के द्रव-अवस्था से ठोस-अवस्था में परिवर्तित होने में पदार्थ द्वारा व्यक्त ऊष्मा को ठोसकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे L द्वारा सूचित किया जाता है।
द्रवीकरण की गुप्त ऊष्मा (Latent heat of Condensation)
नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के वाष्प-अवस्था से द्रव-अवस्था में परिवर्तन होने में पदार्थ द्वारा व्यक्त ऊष्मा को द्रवीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
वाष्पीकरण (Evaporation)
द्रव के खुली सतह से प्रत्येक ताप पर धीरे-धीरे द्रव का अपने वाष्प में बदलना वाष्पीकरण कहलाता है।
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FAQ
- ऊष्मा की इकाई है –कैलारी
- सेन्टीग्रेड तथा फॉरेनहाइट का पाठ्यांक समान होता है- 40⁰
- ऊष्मा का सर्वोत्तम चालक होता है –पारा
- जल से भरे बीकर में वायुमंडलीय दाब से कम दाब पर भाप प्रवाहित होने पर जल को उबाला जा सकता है –हां
- कमरे में रखे हुए एक चालू रेफ्रीजिरेटर के दरवाजे यदि खुले छोड़ दिये जाये तो -कमरा धीरे-धीरे गर्म हो जाएगा
- .दाब बढ़ाने पर जल का क्वथनांक –बढ़ेगा
- कोहरा बनता है –ठण्डी शुष्क रात में
- यदि विभव मापने वाले यंत्र द्वारा किसी ताप का मापन करना हो, तो उसकी आवश्यकता होती है –ताप वैद्युत तापमापी की
- उबलते हुए पानी एवं वाष्प में से अधिक जलन-दायक होता है- वाष्प
- एक ही धातु के समान द्रव्यमान वाले एक गोले, एक घन तथा एक पतली गोल प्लेट को एक साथ 200°C तक गर्म करके कमरे के तापक्रम पर ठण्डा होने दिया जाता है, सबसे पहले ठण्डा होगा – गोला
- प्रेशर कुकर में खाना कम समय में तैयार हो जाता है-जल के क्वथनांक बढ़ने के कारण
- पानी का त्रिणुणात्मक बिन्दु होता है= –273.16 K
- एक आदर्श गैस में समतापी प्रसार होने का अर्थ है –इसका ताप नियत रहता है
- यदि एक रोगी का ताप 40°C है, तो उसका ताप फॉरेनहाइट स्केल पर क्या होगा= -104°F
- किसी पदार्थ की वाष्प, गैस की भांति व्यवहार किस ताप पर करती है –क्रांतिक ताप से अधिक ताप पर
- ताप जिससे अधिक ताप पर गैसीय अवस्था में पदार्थ को कभी भी द्रवित किया जा सकता है –क्रांतिक ताप
- ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है –अच्छा निर्गतक
- ऊष्मा सर्वाधिक तीव्र गति से स्थानांतरित होती है –विकिरण से
- सूर्य का ताप मापा जाता है –उत्तपमापी द्वारा
- उत्तपमापी किस कार्य के लिए प्रयुक्त किया जाता है -उच्च ताप मापने के लिए
- एक धातु की ठोस गेंद के अन्दर एक कोटर है, जब इस धातु की गेंद को गर्म किया जाता है, तो कोटर के आयतन पर क्या प्रभाव पड़ेगा –आयतन बढ़ेगा
- पीतल, लोहा एवं सीसा में विशिष्ट ऊष्मा अधिकतम होती है-सीसा की
- न्युटन की शीतलता का नियम किस संवहन हानि पर लागू होता है – प्राकृतिक संवहन हानि पर
- सामान्य दाब पर जल उबलता है –100°C पर
- तांबे की दो छड़ें जिनकी लम्बाइयां समान हैं किन्तु व्यास भिन्न-भिन्न हैं, समान ताप तक गर्म की जाती हैं। उनकी लम्बाई में प्रसार होगा – दोनों छड़ों में समान
- तूफानी रात में ओस नहीं जमने का कारण होता है-वाष्पन की तीव्र दर के कारण
- एक थर्मस में कॉफी रखी है, थर्मस को तेजी से हिलाया जाता है। कॉफी को एक निकाय मानते हुए बताइये कि कॉफी के ताप पर क्या प्रभाव पड़ेगा –बढ़ जायेगा
- जब पानी को 0°C से 10°C तक गर्म किया जाता है, तो इसके आयतन पर क्या प्रभाव पड़ता है –आयतन पहले घटता है और फिर बढ़ता है
- एक बर्फ के टुकड़े का कमरे के तापक्रम पर पिघलने का क्या कारण होता है –बर्फ के अणुओं द्वारा स्थितिज ऊर्जा प्राप्त करने के कारण शिमला में जल पम्प के अधिक ठण्ड से फटने का कारण होता है – जल जमने से इसका आयतन बढ़ जाने के कारण रेल पटरी के बीच थोड़ा जगह छोड़ दिया जाता है ताकि गर्म होने पर- व्यावधान उत्पन्न नहीं हो (गर्मी माह में)
- किसी ठोस वस्तु को गर्म करने पर सर्वाधिक प्रतिशत वृद्धि होगी –आयतन में ऊष्मा का मापन किया जाता है –पदार्थ के अणुओं की गति से
- किसी ताप पर आदर्श गैस के अणओं में कौन सी ऊर्जा होती है – केवल गतिज ऊर्जा
- दाब बढ़ने पर बर्फ के हिमांक पर क्या प्रभाव पड़ता है –हिमांक कम होता है
- समतापी अवस्था में आदर्श गैस को दी गयी ऊष्मा किस कार्य को करने में काम करती है –बाह्य कार्य करने में
- बहुत अधिक ठण्ड में भी जल में रहने वाले जन्तु किस तरह जीवित रहते हैं –तली का जल नहीं जमने के कारण
- एक स्थिर आयतन वायुतापमापी आधारित है –चार्ल्स के नियम पर
- हवा के ताप, आर्द्रता, शुद्धता एवं प्रवाह के उतार-चढ़ाव की प्रक्रिया को कहा जाता है –वातानुकूलन
- सुबह का सूरज इतना गर्म नहीं होता जितना कि दोहपर का, इसका क्या –सुबह के समय सूरज की किरणों को वातावरण में अधिक दूरी तय करनी पड़ती है
- वह उपकरण जो ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है, कहलाता है –ऊष्मा इंजन
- थर्मस तरल पदार्थ को लम्बे समय तक गर्म क्यों रखता है –चमकदार आंतरिक दीवार तथा बाह्य आवरण के कारण
- 0°C ताप की 1 ग्राम बर्फ को 100°C ताप में परिवर्तित करने के लिए कितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है-716 कैलोरी की
- क्या स्थिर अवस्था में किसी वस्तु का ताप समय के साथ नहीं बदलता है –हां
- 400°C ताप को मापने के लिये हम किस तापमापी को उपयोग में लायेंगे –विकिरण तापमापी को
- किसी पदार्थ की ऊष्माधारिता निर्भर करती है –विशिष्ट ऊष्मा पर
- यदि विशिष्ट ऊष्मा निर्धारण में ताप को सेंटीग्रेड पैमाने के स्थान पर फोरेनहाइट पैमाने में लिया जाये, तो —विशिष्ट ऊष्मा घटेगी
- द्रव तापमापी की अपेक्षा गैस तापमापी अधिक सुग्राह क्यों होता है –गैसों में द्रवों की अपेक्षा अधिक विस्तार होने के कारण
- पदार्थों का प्रसार होता है, तापमान का –समानुपाती
- किसी झरने में जब जल ऊंचाई से गिरता है, तो उसका ताप- बढ़ जाता है
- किस ताप एवं किस दाब पर आकाश में बादल सीधे ओलों में परिवर्तित हो जाते हैं –निम्न ताप एवं निम्न दाब पर
- अल्कोहल पानी की अपेक्षा अधिक वाष्पशील क्यों होता है –इसका क्वथनांक पानी में कम होने के कारण
- किसी बांध के आधार पर गिरने वाले जल का तापमान उसके शिखर के तापमान से –अधिक होता है
- किसी वस्तु का तापमान 1°C बढ़ाने हेतु जितनी ऊष्मा की जरूरत होती हैं, उसे कहते हैं –ऊष्माधारिता
- बराबर परिमाप में पदार्थ एवं जल की ऊष्माधारिताओं का अनुपात कहलाता है –विशिष्ट ऊष्मा
- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से ऊष्मीय ऊर्जा का सिद्धांत प्राप्त होता है –ऊर्जा के अविनाशत्व का सिद्धांत
- गर्म करने पर ठोस पदार्थ का आयतन बढ़ता है, जबकि घनत्व- घटता है
- वाष्पीकरण की क्रिया सदैव होती है -द्रव की सतह पर
- गर्म होने पर द्रव से वाष्प बनने की क्रिया कहलाती है –क्वथनांक
- शुद्ध अवस्था में प्रत्येक पदार्थ का द्रवणांक एक क्वथनांक होता है —निश्चित
- वस्तुत: किसी पदार्थ का द्रवणांक एवं हिमांक होता है –समान
- खाना पकाने वाला बर्तन होना चाहिए –उच्च विशिष्ट ऊष्मा वाला, उच्च चालकता वाला
- पूर्ण विकिरण उत्तापमापी द्वारा मापा जाता है –दूर स्थित वस्तु (जैसे- सूर्य का तापमान)
- एक श्याम सतह (Black Surface) होता है, ऊष्मा का –अच्छा विकिरक और अच्छा अवशोषक
- पॉलिश की हुई सतह होती है, ऊष्मा का –अच्छा परावर्तक और निम्न अवशोषक
- मरुस्थलों में रातें अपेक्षाकृत ठंडी होती हैं, क्योंकि यहां पर ऊष्मा का विकिरण होता है –अधिकतम
- सबसे अच्छा विसंवाहक पदार्थ (Insulator) क्या है –कांच
- जाड़े के दिनों में पेंडुलम घड़ी हो जाती है –तेज
- वह कौन सी कांच है, जो ताप के प्रभाव से सबसे कम विस्तारित होती है –फ्लिंट
- ठंडे प्रदेशों में कार रेडिएटर में पानी के साथ क्या मिला दिया जाता है, ताकि पानी के हिमांक (Freezing Point) को कम किया जा सके-ग्लिसरॉल
- जब पानी की एक बड़ी बूंद कई छोटी बूंदों के मिलने से बनती है, तो उसका तापमान- बढ़ जाता है
- जो अच्छे अवशोषक होते हैं, वे अच्छे विकिरक भी होते हैं, यह नियम किसका है –किरचॉफ का
- निर्गत ऊष्मा या प्राप्त ऊष्मा के आकलन के लिए जब अवस्था में कोई परिवर्तन न हो, तो तथ्य की आवश्यकता नहीं होती –सापेक्षिक घनत्व