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इसका उद्देश्य गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक की लोन सुविधा देना है।

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, तब से 7 सालों में योजना के तहत 18.60 लाख करोड़ रुपये का लोन बांटा जा चुका है। इसके लिए कुल 34.42 करोड़ से अधिक लोन खाते खोले गए हैं।

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) आदि के माध्यम से 10 लाख रुपये तक के लोन की सुविधा है। यह लोन तीन श्रेणियों- 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' में दिया जाता है।

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1. शिशु लोन: 50,000 रुपये तक का होता है। 2. किशोर लोन: 50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये से कम का होता है। 3. तरुण लोन: 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक का होता है।

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कितनी होती है ब्याज दर?

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आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ब्याज दर ऋण देने वाले संस्थानों द्वारा तय की जाती है। कार्यशील पूंजी सुविधा के मामले में उधार लेने वाले के ऋण पर एक दिन बीतने के बाद से ही ब्याज लगाया जाता है।

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कौन ले सकता है लोन?

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गैर-कृषि क्षेत्र की आय-अर्जक गतिविधि जैसे विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार अथवा सेवा क्षेत्र के वाली व्यवसाय योजना वाला भारत का कोई भी नागरिक, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के अन्तर्गत मुद्रा ऋण के लिए अप्लाई कर सकता है।

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इसके लिए कोई भी व्यक्ति, स्त्री या पुरुष, स्वामित्व-आधारित प्रतिष्ठान, भागीदारी फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अथवा अन्य निकाय आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए लोन देने वाले बैंक या एजेंसी की शर्तों का पालन करना होगा है।

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